Thursday, October 2, 2025

Different tyes of Integrated Pest Management Systems.

Different tyes of concept of Integrated Pest Management (IPM ) Systems.:-
1.Biological Control prominent  IPM.
2, Agroecosystem Analysis(A ESA) based IPM.
3 ,A bioecological approach.
4,Natural Farming based I PM..
5 ,Information Technology  based IPM.
6.Artificial Intelligent based I PM
7,An integrated concept from PM to    Management of complete Agricultural system.
8.A  pregmatic  approach from traddional to new innovative technologies.
9.Ecological Engineering based IPM.
10.A complete crop management system including  pest  management through systematic approach.

Wednesday, September 24, 2025

खेती का दर्शन अर्थात फिलासफी का फार्मिंग

1, ब्रह्मांडमे पाई जाने वली वह सभी जीवित अजीवित छोटी बड़ी और सूक्ष्म cheejain जो मनुष्य के द्वारा ना बनाई गई हो सम्मिलित रूपसे प्रकृति कहलाती है । प्रकृति  में पाई जानेवली अजीवितचईजों से ही जिओ की उत्पत्ति होती है क्षिति, जल पावक गगन समीरा पंचतत्व मिल बना शरीर
2। प्रकृति की व्यवस्था के अनुसार या उसे व्यवस्था में सुधार करके जब  खेती की जाती है तब उसे प्राकृतिक खेती कहतेहैं।
3, जीवामृत ही सिर्फ प्राकृतिक खेती नहीं है यह प्राकृतिक खेती का एक घटक है । जीव जंतु ऑन तथा पौधों की उत्पत्ति कार्बनिक पदार्थ से हुई है। मिट्टी में पाए जाने वाले सूक्ष्म जीवाणु भी कार्बनिक पदार्थ पर निर्भर रहते हैं। जब यह माइक्रोऑर्गेनाइज्म कार्बनिक पदार्थ कोखाते  हैं तो एक प्रकार का भाई प्रोडक्ट बनताहै जिसमेंबहत सारे लाभदायक सूक्ष्म जीवाणुह होते हैं ।
4, प्रकृति की व्यवस्था के अनुसार खेती करने में निम्नलिखित चार चीज़ आते हैं। 
*भूमि की उर्वरता 
*पानी।  सिटही जल और भगर्भ जल
*जलवायु जिसमें कम से कम 25 परसेंट वनस्पतियां होनी चाहिए। 
*जैव  विविधता का माहौल बनाकर संरक्षण।
  वनस्पतियों का  भोजन होता है मरे हए जीव । रसायनों के उपयोग से लाभदायk जीवाणु मर जाते हैं । जब जमीन में ह्यूमस काम होता है तो जमीन में पानी रोकने कीक्षमता घट जाती है। जीवामृत तथा कार्बनिक पदार्थ से ह्यूमसबनत है। लूमोस से मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाता है । प्रकट के वैभव को सजा कर कर की प्राकृतिक खेती की जा सकती है। प्रकट के वैभव को सजाने का अर्थ होता है उपरोक्त बताई हुई चारो चीजे को सही मात्रा में मिट्टी में उपस्थित होना। 
जीवामृत के बनाने की वधि
*ऑर्गेनिक कार्बन युक्त जंगल में पेड़ पधों
 की पत्तियां आदि के सड़ने से तैयार मिट्टी 2.5 केजी।,गुड 2.5 kg, आते.5 kg पानी 100 लीटर इस पदार्थ को प्रतिदिन डंडे से चलना चाहिए तथा इसमें 15 दोनोंबद और 1 किलो गुड़ तथा इसकेबद फिर 10 दिन बाद एक किलोआत एवं 1 किलोगल्ड मिलान इस प्रकार से जीवामृत 70 दोनों तैयार हो जाएगा। 
घन जीव अमृतबनाने कk यह एक कुंटल गोबर की खाद में उपरोक्त बनाहुआ जीव अमृत 20% सड़े हुए गोबरम तीन-चार dinaun मैं घन जीव अमृत बन जाता है । जीवामृत तथा गंगाजीवमृतन का उपयोग उपयोग बोलने से पहले पलावाक टाइम पर कर देनाचहिए।

Few activities related with natural farming

1,प्रकृति में चल रही एक स्वचालित अर्थात सेल्फ ऑर्नाइज्ड, स्वयं सक्रिय अर्थात सेल्फ एक्टिव, स्वयंपोशी अर्थात सेल्फnourished, स्वयं vikashii अर्थात सेल्फ डेवलपिंग, स्वयं नियोजित अर्थात सेल्फ प्लैंड, सहजीव अर्थात सिंबायोटिक, एवं आत्मनिर्भर अर्थात सेल्फ डिपेंडेंट और सेल्फ सस्टेंड फसल उत्पादन तथा फसल रक्षा प्रणाली चल रही है जिसके आधार पर जंगलों के पेपौधे हरे भरे रहते हैं तथा भरपूर फसल की उपज देते हैं।
2, प्राकृतिक खेती करते समय निम्नलिखित गतिविधियों को सुचारू रूपसे क्रियान्वित करना चाहिए। 
*जमीनकी उर्वरा शक्ति अर्थात फर्टिलिटीक बढ़ाना। इसके लिए जमीन में प्रचुर मात्रा में ऑर्गेनिक कार्बन, सूक्ष्मजीव, सूक्ष्म जीवों की मृत कोशिकाएं होचाहि जिससे जमीन में ह्यूमस बढ़ता है जो जमीन की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है।ह्यूमस में ऊपर बताई गई तीन। Cheejain अर्थात ऑर्गेनिक कार्बन, सूक्ष्मजीव एवं सक्ष्मजीवों की मृत्यु कोशिकाएं होती हैं। जो हमस को बनाने में सहायक होहैं। जमीन में ऑर्गेनिक कार्बन अर्थात जमीन की उर्वरशक्ति को बढ़ाने के लिए खेतों की जमीन में जीव अमृत समय-समय पर डालते हैं। 
3, जैव वविधता
 अथवा बायोडायवर्सिटी का संरक्षण 
इसके लिए जीवामृत, घन जीव अमृत, खेतों की मलो पर
 थोड़ी-थोड़ी दूर पर फलदार, छायादार, एवं चिड़ियों के लिए पसंद वृक्षलगते हैं। इसके साथ-साथ मुख्य फसल के सथ-साथ सह फैसल , अथवा अंतर फसलों को भी लगते हैं। पशु पक्षियों एवं वनस्पतियों के अवशेषों को खेत में ही मल्चिंग कर देते हैं। 
4, भूमि जल स्तर को ऊपर लाना। इसके लिए खेतों में मजबूत मेडीबनाते hs जिससे वर्षा जल संग्रह हो सके। 
5, जंगल एरिया को बढ़ाना 
6, फसलों की बुवाई से पहले उनकी आवश्यकता के अनुसार प्लानिंग करना ।
7, फसलों की देसी पजातियां  के बीज एवं देसी गयों
 तथा भैंसों आदिजनवरों, देसी कचुआके की  नसलोन कासरक्षण करना।
8, आईपीएम तथा प्राकृतिक खेती के इनूट्स को कृषकों के द्वारा उनके घर पर ही बनाना। 
9, खेतोंमें फसलोंएवजीवों के अवशेषों को खेतोंम हीमल्चिंग करना ।
10, एक फसली फसल चक्र के स्थान पर बहु फसली फसल चक्र अपनाना। 
11, इकोलॉजिकल इंजीनियरिंग की पद्धतियों को अपनाना। 
12, मिट्टीमे सूक्ष्मजीव एवं सूक्ष्मतत्वों कासरक्षण करना। 
13, पानी तथा अन्य प्रकृति के संसाधनों का संरक्षण करना 
14,, लाभ एक डायक फसल चक्र को बढ़ावा देना।
15, मिट्टी में ह्यूमस को बढ़ाएं ।
16, खरपतवारों को खेतों में हीदबे ।

Sunday, September 7, 2025

खेती में रसायनों के अंधाधुंध प्रयोग से होने वाले दुष्परिणाम

1.जैवविविधता का विनाश । तितली, मधुमक्खियां, भौंरे, मकड़ियां, सांप ,मेंढक, घोंघा, केचुआ, मिलीपीड,वेलवेट Mite गिद्ध,tatha जमीन के अंदर पाए जाने वाले बहुत सारे सूक्ष्मजीव मार रहे हैं। तथा तथा फसल पारिस्थितिक तंत्र में संतुलन बिगड़ने से हानिकारक जीवों की संख्या बढ़ रही है। इसके लिए खेतों की मैड पर थोड़ी-थोड़ी दूर पर पेड़ लगाए। 
मुख्य फसल के साथ-साथ sahफसल अथवा अंतर फसल लगाई जाए । मधुमक्खियां आदि को आकर्षित करने फूलों वाली फसलों को खेतों के चारों तरफ लगाई जाए।
2,. मिट्टीमे ऑर्गेनिक कार्बन घट रहा है। I इसके लिए हरी खाद जैसे नील,सनाई, ढांचा,मूंग आदि फसलों को मुख्य फसल के बोने से पहले बोया जाए तथा उनको इस खेत में हाल चाल कर ट्रैक्टर चला कर दबा दिया जाए। तथा रासायनिकखादों  की जगह गोबर क खाद
 इस्तेमाल की जाए। फसलों तथ
 फसलों के अवशेषों का अच्छा धन किया जए । 
3. जमीन बंजर हो रही है।

4. मिट्टी की उर्वरा शक्ति घट रही है। जीवामृत घन जीवामृत तथा बीज अमृत आदि का प्रयोग किया जाए।
5. जहरीले खाद्य पदार्थों का उत्पादन हो रहा है। सुरक्षित फसलों के उत्पादों का उत्पादन किया जए  इसके लिए रसायनों का इस्तेमाल कम से कम अथवा ना कियाजए । 6.मनुष्यों तथा जानवरों  में कई तरह की बीमारियां पन पने लगीं हैं।
7. पानी, हवा, मिट्टी आदि प्रदूषित होने लगे है। Rasayanon tatha audyogik ikaiyon se nikale hue Pani aadi ka prayog sinchai ke liye Na kiya jaaye. 

8,. मिट्टी जहरीली होने लगी है। Mitti mein rasayanon ka upyog kam se kam kiya jaaye.
9. मनुष्य एवं पशुओं के खाद्यपदार्थ मे जहरीले कीटनाशकोके अवशेष मिल रहे है। राष्ट्रीय स्तर पर खाद्य पदार्थों के अंदरपाए जाने वाले की विनाशों के अवशेषों की जांच की  जाए तथा जाच के दौरान जिन इलाकों में फसल उत्पादों में कीटनाशकों के अवशेषों की मात्रा अधिक पाई गई हो उन क्षेत्र में रासायनिक किट रस को का इस्तेमाल शक्ति से काम किया जाए ।
10. फसल उत्पादन लागत बढ़ रही है। प्राकृतिक खेती में तथा आईपीएम में रसायनों का इस्तेमाल कम होने की वजह से उत्पादन लागत काम होजाती हैं। 

11.मानव तथा पशुओं एवं जमीन की पतिक्षात्मक शक्ति घट रही है। आईपीएम तथा प्राकृतिक खेती के उपयोग से प्रतिरक्षा शक्ति बढ़ जाएगी।
12. ग्लोबल वार्मिंग k दुष्प्रभाव सामने आ रहे है । तुम अपनी वली फसलों के बोने से ग्लोबल वार्मिंग का
 खतरा कम हो जाता है।
13.फसल पारिस्थितिक तंत्र में जैव विविधता समाप्त हो रही है। खेतों में लाभदायक जीवन की संख्या घट रही है। ऊपर बताया हुआ है।
14. खेतों के चारों तरफ पेड़ों तथा पेड़ों पर पक्षियों की संख्या संख्या कम हो रही है। इसके लिए खेतों की मेलो पर पेड़ लगाए।
15. प्रकृति के संसाधन घट रहे हैं। पानी का स्टार नीचे की ओर जा रहा है। कहीं-कहीं पर पानी बहुत नीचे चला गया है तथा कहीं-कहीं पर पानी ऊपर भी आ गया है इस स्थिति को रोकने का प्रयास किया जाए ।

16. मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की संख्या काम हो रही है जिससे ऑर्गेनिक कार्बन नहीं बन पा रहा। प्राकृतिक खेती के इन पुश का प्रयोग किया जाए। 
17. मशीनीकरण से किसानों के पास जानवरों की संख्या घट रही है। 
18. अनुभवी किसने की संख्या घट रही है। 
19. नवयुवकों में खेती के पति रुझान घट रहा है । नवयुवकों में खेती के प्रति रुझान पैदा किया जए । 
20.रसायनों के प्रयोग से फसलों के उत्पादों की उत्पादन दर घट रही है या स्थाई बन चुकी है। प्राकृतिक खेती के लगातार प्रयोग से यह उत्पादन दर बढ़ सकते हैं ।
21. फसल पारिस्थितिक तंत्र की सक्रियता घट रही है। आईपीएम तथा प्राकृतिक खेती को अपने से फसल पारिस्थितिक तंत्र की सक्रियता बढ़ सकती है।
22. किसने की आत्महत्यआएं । फसल लागत कम होने की वजह से किसानों को लोन नहीं लेना पड़ेगा और उनकी आत्महत्या में काम हो सकते हैं।
23. किसानों पर बैंकों का लोन
24. कार्बन नाइट्रोजन का अनुपात बिगड़ गया है। 17वो शताब्दी में कार्बन एवं नाइट्रोजन का अनुपात एक परसेंट था जो अब काम हो रहा है । प्राकृतिक खेती तथा आईपीओ को अपने से कम रेशों बढ़ सकता है।
25. जमीन के नीचे पानी का स्तर 
   नीचे चला गया । ट्यूबवेल के द्वारा जमीन से पानी को ना निकल जाए। 
26. मिट्टी में ह्यूमस खत्म हो रहा है। पशुओं तथा पौधों के अवशेषों के सड़ने से हमस की निर्मित होती है जो जमीन की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने में सहायक होता है। Prakrutik kheti ke istemal se Yunus badh sakta hai।

27. खेतीस जुड़े हुए व्यापारीकिसानों का शोषण कर रहे हैं । प्राकृतिक खेती में कोई भी इनपुट बाहर से खरीदना नहीं पड़ता है इसलिए किसानों का शोषण बंद हो सकता है।
याद रहे आईपीएम तथा प्राकृतिक खेती के क्रयान्वयन
 करते समय उपरोक्त सभी दुष्परिणामों को दूर करने की कोशिश की जाती है और उसके हिसाब से आईपीएम तथा प्राकृतिक खेती के इनपुट खेती में प्रयोग किए जाते हैं।
ध्यान रहे पंचमहा भूत अर्थात क्षति,जल, पावक,गगन ,समीरा
को समझना तथा इनका प्रबंध करना ही प्राकृतिक खेती कहलाता है ।
प्रकृति  की परस्पर्ता के साथ जीना तथा प्रकृति की व्यवस्था के अनुसार खेती करना प्राकृतिक खेती कहलाता है। 
प्राकृतिक खेती के सभी इनपुट आईपीएम में इस्तेमाल किया जा सकते हैं।
मिट्टी की उर्वरl शक्ति की क्षमता के हिसाब से ही खेती करनी चाहिए या फसलों को बोना चाहिए । मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाना प्राकृतिक खेती का प्रथम कुल क्षेत्रफल का 25% क्षेत्रफल में जंगल होना चाहिए ।
देश तथा परिवार जिसमें जानवर भी शामिल हो की जरूरत के हिसाब से फसलों का चयन व नियोजन करके हीफसले बनी चहिए ।
फसलों,गायों, के परंपरिक प्रजातियों का संरक्षण करना चाहिए ।
किसी धंधा नहीं बल्कि संस्कृति है ।
खेती में canopy बढ़ाने के लिए नाइट्रोजन डालते हैं 
फसल के ताने को मजबूती देने के लिए फास्फोरस डालते है तथा चमक लाने के लिए पोटाश डालते हैं ।
खेती करने मैं98.5 percent  nutrients are taken fromAir,Water and Solar  by the crops or         plants and only 1.5percent nutrients taken from soil.
जीवामृत, घन जीवामृत, बीजमृत, एवं वनस्पतियों के ark प्राकृतिक खेती के प्रमुख इनपुट है। जीवामृत तथा घन जीवामृत के प्रयोग से जमीन में सूक्ष्मजीवों की संख्या बढ़ती है तथा देसी केंचुआ जो जमीन में समाधि में चले गए हैं वह ऊपर आ जाते हैं जिनके साथ न्यूट्रिएंट भी ऊपर आ जाते हैं ।