Wednesday, December 2, 2015

आई.पी.एम संदेश


एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन : इंटीग्रेटेड पेस्‍ट मेनेजमेंट (आई.पी.एम) वनस्‍पति स्‍वास्‍थय प्रबंधन की एक प्रमुख विधि है जिसमें नाशीजीव नियंत्रण की विभिन्‍न विधियों को एक साथ सम्मिलित रूप से आवश्‍यकतानुसार प्रयोग करके नाशीजीवों की संख्‍या को आर्थिक हानि स्‍तर के नीचे सीमित रखा जाता है जिससे नाशीजीवों से होने वाला नुकसान नगण्‍य हो । इस विधि में रासायनिक कीटनाशकों, को अंतिम उपाय के रूप में सिफारिश की गई संस्‍तुति के अनुसार प्रयोग किया जाता है तथा जैव कीटनाशकों को व अन्‍य रसायनरहित विधियों के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाता है जिससे पर्यावरण व जैवसुरक्षा को सुरक्षित रखा जा सके । खेतों में पाए जाने वाले हानिकारक नाशीजीवों की संख्‍या को आर्थिक हानि स्‍तर के नीचे सीमित रखने के लिए उनसे होने वाले आर्थिक नुकसान के प्रति कृषकों को सहनशील होने की आवश्‍यकता है जिससे फसल पारिस्थितिक तंत्र में संतुलन कायम रखा जा सके ।      
उपरोक्‍त उद्देश्‍यों की पूर्ति के लिए तथा आई.पी.एम को बढ़ावा देने, इसका प्रचार एवं प्रसार करने, व आई.पी.एम को क्रियान्‍वयन करने वाले सभी भागीदारों में प्रबल इच्‍छाशक्ति, सशक्‍त आई.पी.एम नीति, गुणवत्‍तायुक्‍त आई.पी.एम इनपुट्स की आपूर्ति को सुनुश्चित करना, आई.पी.एम के सभी भागीदारों का सशक्‍तीकरण एवं जागरुक करना आई.पी.एम के क्रियान्‍वयन व बढ़ावा देने के लिए प्रमुख आवश्‍यकताएं हैं । आओ हम सभी आई.पी.एम को क्रियान्‍वयन करने वाले भागीदार एक साथ मिलकर इस ओर प्रभावी कदम उठाएं ।
खेतों में पाए जाने वाले सभी लाभदायक जीवों के प्रति सहानुभूति रखना तथा उनका खेतों में संरक्षण करना आई.पी.एम क्रियान्‍वयन का मूलमंत्र है । प्राय: यह देखा गया है कि रासायनिक कीटनाशकों के अंधाधुंध उपयोग से खेतों में पाए जाने वाले लाभदायक जीवों जो कि हानिकारक नाशीजीवों की संख्‍या की वृद्धि पर नियंत्रण रखते हैं नष्‍ट होते चले जा रहे हैं । खेतों में लाभदायक जीवों के संरक्षण हेतु एक सशक्‍त कानून बनाने की जरूरत है । इसके लिए आई.पी.एम का प्रयोग करने वाले सभी भागीदारों विशेष तौर पर नीतिकारों को जागरूक होने की आवश्‍यकता है ।      

 धरती पर पाए जाने वाले जीवमात्र को तथा पर्यावरण को बचाने के लिए हमें उपरोक्‍त आई.पी.एम के सिद्धांतों का अनुपालन करना चाहिए । आई.पी.एम के कार्यान्‍वयन हेतु हमें आई.पी.एम के सभी भागीदारों की मानसिकताओं को एकीकृत करना चाहिए जिससे वे आई.पी.एम के मूल सिद्धांतों के प्रति बाध्‍य एवं सजग रहें । प्राय: यह देखा गया है कि सभी आई.पी.एम के भागीदार फसल पैदावार पर ही ध्‍यान देते हैं तथा फसल को पैदा करने में प्रयोग किए‍ जाने वाले रासायनिक कीटनाशकों एवं उर्वरकों के द्वारा होने वाले दुष्‍परिणामों को नजरअंदाज कर देते हैं जिससे जैव विविधता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है । लगातार सात दशकों से रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग करने से कृषकों में कीटनाशकों के प्रति अटूट विश्‍वास की मानसिकता को दूर करना होगा तथा विभिन्‍न आई.पी.एम के भागीदारों में आई.पी.एम सिद्धांतों को ध्‍यान में रखकर तथा मनुष्‍य व जानवरों के स्‍वास्‍थ्‍य तथा पर्यावरण को सुरक्षित रखते हुए फसल उत्‍पादन की रसायनरहित विधियों को बढ़ावा देना पड़ेगा । इसके लिए हमें फसल उत्‍पादन हेतु इलेक्‍ट्रानिक प्रौद्योगिकी आधारित विधियां, परम्‍परागत विधियों एवं जैव आधारित विधियों को बढ़ावा देना चाहिए तथा खाद्य सुरक्षा, जैव सुरक्षा एवं पर्यावरण सुरक्षा को साथ-साथ सुनिश्चित करना चाहिए । यह आई.पी.एम के सभी भागीदारों की जिम्‍मेदारी ही नहीं बल्कि कर्त्‍तव्‍य भी है कि फसलों के नाशीजीवों का प्रबंधन करते समय सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य (कम्‍युनिटी हेल्‍थ) एवं पर्यावरण की सुरक्षा का अवश्‍य ही ध्‍यान रखें तथा सुरक्षित एवं खाने के योग्‍य फसल उत्‍पादों का उत्‍पादन करने हेतु उचित सहमति बनाएं एवं कृषकों को आई.पी.एम के प्रयोग को बढ़ावा देने हेतु प्रेरित करें ।