Wednesday, November 23, 2022

प्राकृतिक खेती एवं आईपीएमकुंडलियां

खेती ऐसी चाहिए कोई न भूखा सोय
सब जीवो को खाना मिले और पोषण सबका  होए
पोषण सबका होय सुनिश्चित हो खाद्य सुरक्षा
पारिस्थितिक तंत्र सक्रिय रहे बढ़ती रहे जैव विविधता
खेती ऐसी चाहिए जिसमें खर्चा कम होय
सब जीवो को भोजन मिले कोई भूखा ना सोए
जहरीली खेती ना कीजिए जब तक घट में जान
बैंकों का कर्जा बड़े और अंत निकाले प्राण
खेती ऐसी चाहिए जिसमें पर्यावरण सुरक्षा हो य
आर्थिक विकास के साथ-साथ पर्यावरण विकास भी हो य 
पर्यावरण विकास भी हो य कृषक बने समृद्धि शली
स्वस्थ रहे समाज खिले जीवन की क्यारी l 
खेती ऐसी चाहिए जिससे भूमि बने बलवान
भूमि बने बलवान औरHumus से बड़े भूमि की उर्वरा शक्ति 
सूक्ष्म जीवों एवं सूक्ष्म तत्व की बढ़ोतरी से हो  उत्पादन वृद्धि
हो उत्पादन वृद्धि और हो फसल सुरक्षा
सब जीवो को भोजन मिले औरसुनिश्चित हो खाद्य सुरक्षा
                                                      राम आसरे
                            अपर  वनस्पति संरक्षण  सलाहकार                                  (आई पी एम ) सेवानिवृत्त

Thursday, November 10, 2022

आई पी एम चिंतन

खेती करने की एवं आईपीएम की विचारधारा में क्या क्या परिवर्तन किए जाए जिससे खेती करने की प्रक्रिया लाभदायक ,सुरक्षित, प्रकृति व समाज हितेषी बन सके एवं खाद्य सुरक्षा भी सुनिश्चित हो सके यह एक चिंतन का विषय है l(1) क्योंकि रासायनिक खेती अथवा जहरीली खेती अब ना तो लाभदायक ना ही सुरक्षित और ना ही प्रकृति व समाज हितेषी रह गई है l जिससे खाद्य सुरक्षा एवं सुरक्षित भोजन हेतु अनिश्चितता बनी हुई है इस अनिश्चितता की स्थिति को सुनिश्चित ता की स्थिति में कैसे बदलें यह भी एक चिंतन का विषय है l(2)
2. रसायन खेती से अनाज की उपज या तो स्थिर हो गई है या घटने लगी है परंतु जनसंख्या की वृद्धि दर को देखते हुए सन 2050 तक हमें अभी की स्थिति से दुगना और 50 करोड़ मेट्रिक टन अनाज पैदा करना पड़ेगा l खेती करने लायक जमीन का क्षेत्रफल अब 35 करोड़ एकड़ ही है जिससे 50 करोड़ मेट्रिक टन खाद्यान्न का उत्पादन सन 2050 तक करना पड़ेगा  lयह भी एक चिंतन का विषय है (3) तभी हम बढ़ती हुई आबादी को खाना प्रदान कर सकते हैं रसयनिक खेती से अब यह संभव नहीं दिखाई दे रहा है l क्योंकि रसायनिक खेती से अनाज की उपज घट रही है अतः हमें अब रसायनिक खेती का विकल्प जल्दी से जल्दी तलाशना होगा जो कि एक चिंतन का विषय है(4)l बढ़ते हुए शहरीकरण से खेती करने लायक जमीन का रकबा कम होता चला जा रहा है जिसकी वजह से रसयनिक खेती से दुगना अनाज का उत्पादन असंभव सा प्रतीत हो रहा है जो कि एक चिंतन का विषय हैl(5)
3. रसायनिक खेती से प्रकृति का विध्वंस होता है l हमें जरूरत के हिसाब से प्रकृति के संसाधनों का इस्तेमाल करना चाहिए l मनुष्य के अलावा कोई भी दूसरा जीव अपनी आवश्यकता से अधिक प्रकृति के संसाधनों का उपयोग नहीं करता है अतः हमें अपने लिए तथा खेती की गतिविधियों के लिए जरूरत के हिसाब से प्रकृति के सीमित संसाधनों का सीमित ही इस्तेमाल करना चाहिए l
4. खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करते हुए लाभदायक ,सुरक्षित तथा प्रकृति व समाज हितेषी खेती कैसे की जाए यह भी एक चिंतन का विषय है l(6)
5. प्रकृति के संसाधनों , 
खाद्यान्न और पानी को बर्बाद ना करें जिससे भविष्य में रोटी और पानी के लिए लड़ाई ना हो l
6. रसायनिक खेती का विकल्प ढूंढना आज की प्रथम प्राथमिकता है l यह भी एक चिंतन का विषय हैl(7)
7. आईपीएम मैं प्राकृतिक खेती की विधियों को तथा इनपुट को शामिल करते हुए खेती करना रासायनिक खेती का एक विकल्प हो सकता है l
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     आई पी एम एवं प्राकृतिक खेती के            क्रियान्वयन सूत्र:-
---------------------------------------------------------- * मिट्टी को बलवान बनाएं, खाद्यान्न की उपज       बढ़ाएं l
* गाय का गोबर गाय का मूत्र
प्राकृतिक खेती का पहला सूत्र
*Feed the soil , not to the plant is the first principle of Natural farming.
* जहर मुक्त खेती एवं रोग मुक्त समाज
   यही है आई पी एम एवं प्राकृतिक खेती का   , ,  प्रयास l
*जब होगा जहर मुक्त अनाज हमारा
  तब होगा स्वस्थ समाज हमारा
* बदलता फसल चक्र और मिश्रित खेती
   इस विधि से करो प्राकृतिक खेती
* देसी बीज और देसी गाय
  देसी केचुआ और देसी उपाय
*Go away  from chemicals 
And come closer to nature.
* जीवामृत और घन जीवामृत
  प्राकृतिक खेती के धन जीवामृत
* जैव विविधता का करो संरक्षण
   प्राकृतिक खेती का यही है प्रशिक्षण
* पूर्वज किसानों के ज्ञान का संज्ञान लेते हुए खेती करने से प्राकृतिक खेती की विधि का क्रियान्वयन सही तरीके से कर सकते हैं l
* मिट्टी को बलवान बनाए
  फसलों की उपज बढ़ाएं
* जीवामृत से सूक्ष्म जीवों की करो बढ़ोतरी
   फसल उपज में करो तरक्की
* खेतों की मेड़ों पर पेड़ लगाएं
,  फसलों में जैव विविधता बढ़ाएं
* खरपतवार ओं को ना जाने दुश्मन
   यह करते हैं मिट्टी और पानी का संरक्षण
*Humus और ऑर्गेनिक कार्बन
फसलों की उपज बढ़ाने के दो ही साधन
* सूक्ष्मजीव और सूक्ष्म तत्व
   प्राकृतिक खेती में रखते महत्व
* प्रकृति में प्रतिस्पर्धा नहीं सहजीवन है
  इसी से तो दुनिया में जीवन हैl( सहजीवन से जीवन)
* प्राकृतिक खेती में खेतों की गहरी जुताई केंचुए एवं पौधों की जड़ों करती है l
*. जब बगैर दवाई के कोरोना ठीक किया जा सकता है तो बगैर कीटनाशकों के खेती भी की जा सकती है l
*. देसी बीज एवं देसी गाय की नस्ल बचाना, खेती से रसायनों को दूर करना तथा पूर्वज किसानों के कृषि ज्ञान को भावी पीढ़ी तक ले जाना यह चार टैगलाइन है आधुनिक एवं प्राकृतिक खेती की l
* रासायनिक खेती से क्षतिग्रस्त हुए फसल पारिस्थितिक तंत्र पुनर स्थापन करते हुए उसे फिर से सक्रिय बनाना और जैव विविधता का संरक्षण करना आज की प्राकृतिक खेती एवं आईपीएम की प्रथम प्राथमिकता है l
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9. खरपतवार एक प्राकृतिक घटना है जो सदियों से होती आई है और भविष्य में होती रहेगी l बस हमें यह सोचना है कि क्या खरपतवार चिंता का विषय है l प्रकृति कभी जमीन खाली नहीं छोड़ती जहां कुछ नहीं बोया जाता वहां खरपतवार उगा देती है l खरपतवार कभी हानिकारक नहीं होते l और कुछ खरपतवार नाइट्रोजन फिक्सिंग का कार्य करते हैं l खरपतवार खेत में 1 इंडिकेटर का काम करते हैं और बताते हैं कि आपकी जमीन में क्या कमी है l खरपतवार भूमि में नमी को भी संरक्षित करते है l... खरपतवार ओं को फसल से ऊपर ना बढ़ने दें और उसे खेत की मिट्टी में ही दबा दें l खरपतवार को पसंद से बाहर ना भेजें बल्कि उसे मिट्टी में ही दबा दें l
10 . प्रकृति में फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा हेतु एक सुनियोजित, स्वयं नियंत्रित, स्वयं संचालित, स्वयं विकास , स्वयं पोशी  , सहजीवी, व्यवस्था है जिसको सुविधा प्रदान करने से प्राकृतिक खेती का क्रियान्वयन सुगमता से होता है l
11. प्राकृतिक खेती में शोषण नहीं बल्कि पोषण है l
12.