Friday, March 27, 2020

वर्ष 2020 अंतरराष्ट्रीय पादप स्वास्थ्य वर्ष

वर्ष 2020 को भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय पादप स्वास्थ्य वर्ष  के रूप में मनाने का फैसला किया है जिसका मुख्य उद्देश्य स्वस्थ फसल पैदा करना है l खेती या कृषि आजकल बहुउद्देशीय धंधा हो चुका है lआज के सामाजिक, आर्थिक, प्राकृतिक एवं पर्यावरणीय परिदृश्य एवं परिपेक्ष में स्वस्थ फसल उत्पादन एवं फसल सुरक्षा के तरीके सुरक्षित, स्थाई ,लाभकारी ,आय व व्यापार को बढ़ावा देने वाले तथा समाज व प्रकृति के बीच तालमेल रखने वाले तथा किसानों की जीवन शैली या जीवन स्तर में सुधार लाने वाले और जीवन के जीने की कला को सरलतम तथा सुगम बनाने वाले होने चाहिए l स्वस्थ समाज के निर्माण हेतु स्वस्थ एवं सुरक्षित भोजन आवश्यक है l स्वस्थ एवं सुरक्षित भोजन  उत्पादन हेतु स्वस्थ इनपुट्स जैसे मिट्टी ,पानी, कीटनाशक ,उर्वरक ,अनुकूल जलवायु तथा मौसम एवं सही टेक्नोलॉजी आवश्यक है l इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट यानी  एकीकृत नासि जीव प्रबंधन खेती करने का वह तरीका है जिसमें हम कम से कम खर्चे में ,कम से कम एवं न्यायोचित ढंग से न्यायोचित मात्रा में रसायनिक उर्वरकों एवं रसायनिक कीटनाशकों का उपयोग करते हुए  पर्यावरण, इको सिस्टम ,जैव विविधता , समाज एवं प्रकृति को कम से कम नुकसान पहुंचाते हुए स्वस्थ एवं सुरक्षित तथा भरपूर फसल का उत्पादन किया जाता है l भारत सरकार के प्लांट प्रोटक्शन ,क्वॉरेंटाइन एंड स्टोरेज  निदेशालय के सभी अधिनस्थ कार्यालय  विशेष तौर से सेंट्रल इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट केंद्रों के द्वारा इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट की तकनीक का training and demostration के द्वारा प्रचार एवं प्रसार करके स्वस्थ फसल एवं व्यापार हेतु गुणवत्ता युक्त कृषि उत्पादों का उत्पादन करने में महत्वपूर्ण योगदान किया जाता हैl  स्वस्थ समाज के लिए सुरक्षित भोजन  का उत्पादन अत्यंत आवश्यक है l स्वस्थ फसल एवं सुरक्षित भोजन के उत्पादन हेतु गुणवत्ता युक्त कृषि इनपुट ,अनुकूल जलवायु ,उपयुक्त पर्यावरण या उपयुक्त मौसम तथा उपयुक्त टेक्नोलॉजी आवश्यक है l स्वस्थ फसल के उत्पादन हेतु गुणवत्ता युक्त मिट्टी तथा गुणवत्ता युक्त पानी दो प्रमुख प्राकृतिक इनपुट प्रयोग किए जाते हैं l रसायनिक कीटनाशकों एवं रसायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग से मिट्टी एवं पानी दोनों की गुणवत्ता खराब हो चुकी है तथा मिट्टी की उत्पादक क्षमता पर बुरा असर पड़ रहा   है l इसके साथ ही साथ मिट्टी एल्कलाइन या छारीय होती जा रही है l अधिक पानी  चाहने वाली  फसलों  का लगातार  उत्पादन करने से  कुछ इलाकों में पानी का स्तर काफी नीचे जा चुका हैl इन परिस्थितियों को देखकर हमें वहीं फसलों का उत्पादन करना चाहिए जो इन परिस्थितियों में पैदा हो सकें तथा स्वस्थ उत्पादन दे सके l मिट्टी की गुणवत्ता हेतु भारत सरकार ने 19 फरवरी 2015 से मृदा स्वास्थ्य योजना  लागू की गई है इस योजना के अंतर्गत मृदा परीक्षण करके   किसानों के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किए जाते हैं जो मृदा परीक्षण एवं मृदा स्वास्थ्य के आधार पर खेत में प्रयोग किए जाने वाले उर्वरकों एवं न्यू ट्रेंस के बारे में सिफारिश सिफारिश   भी प्रदान करते हैं l   जिसके आधार पर किसान अपने खेतों में उर्वरकों की सही मात्रा यानी  न्यायोचित मात्रा प्रयोग करके मिट्टी की गुणवत्ता को एवं उपजा यू क्षमता को सुरक्षित रख सकते हैं l
          अक्सर यह भी देखा गया है कि विशेष तौर से शहरों के आसपास की जाने वाली फसलों में किसान सीवरेज तथा औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला जहरीला पानी भी सिंचाई के काम में लाते हैं जिससे फसल जहरीली पैदा होती है l  ,अतः हमें इन पानी का उपयोग सिंचाई के लिए नहीं करना चाहिए l रसायनिक पेस्टिसाइड्स एवं फर्टिलाइजर्स के अंधाधुंध प्रयोग से मिट्टी में पाए जाने वाले सूक्ष्म जीवाणु जो की फसल उत्पादन में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं की संख्या भी नष्ट हो रही है  l मिट्टी  स्वस्थ फसल के उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान देती है अतः हमें मृदा स्वास्थ्य का ध्यान में रखकर मृदा स्वास्थ्य कार्ड में दी गई सिफारिशों के अनुसार रसायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल करके स्वस्थ फसल उगानी चाहिए l
       यह भी देखा गया है कि जिन स्थानों पर हम अधिक पानी चाहने वाले फसलों का लगातार उत्पादन करते हैं उन स्थानों पर भूमि जल स्तर काफी नीचे जाने लगा है l अतः ऐसे स्थानों पर हमें उचित फसल चक्र बदलना चाहिए तथा कम पानी वाली फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देना चाहिए इस बारे में माननीय प्रधानमंत्री जी का पर ड्रॉप मोर  crop प्रति बूंद अधिक फसल वाला मंत्र को अपनाना चाहिए तथा पानी का सीमित एवं न्यायोचित ढंग से उपयोग करना चाहिए l पानी का खेतों में ही संरक्षण  करना चाहिए तथा टपक सिंचाई एवं फवारा सिंचाई तथा संरक्षित खेती का को बढ़ावा देना चाहिए  l
            स्वस्थ एवं सुरक्षित फसल के उत्पादन हेतु बिना रसायनिक वाली विधियों को बढ़ावा देना चाहिए तथा रसायनिक कीटनाशकों एवं रसायनिक उर्वरकों को सिर्फ आपातकाल स्थिति से निपटने के लिए ही प्रयोग करना चाहिए l
       उपरोक्त कृषि इनपुट के अलावा ग्लोबल वार्मिंग तथा जलवायु परिवर्तन जैसी  विश्व स्तरीय समस्याएं भी फसल उत्पादन एवं फसल सुरक्षा में अपना विशेष महत्व रखती हैं अतः हमें ऐसा फसल चक्र एवं ऐसी फसल उत्पादन एवं फसल सुरक्षा तकनीक इस्तेमाल करना चाहिए जो केउपरोक्त ग्लोबल वार्मिंग एवं क्लाइमेट  जैसे  आपदाओं से होने वाली समस्याओं का निदान कर सकेंl.  
       स्वस्थ फसल उत्पादन हेतु गुणवत्ता युक्त बीज, गुणवत्ता युक्त कीटनाशक एवं उर्वरक ,जैविक उपाय ,फसल निगरानी आदि सभी उपायों एवं तकनीकों को समेकित रूप से प्रयोग करना चाहिए तथा रसायनिक कीटनाशकों एवं रसायनिक उर्वरकों की ओवरडोज प्रयोग नहीं करनी चाहिए l रसायनिक कीटनाशकों का उपयोग सी आई बी एंड आर सी के सिफारिश के अनुसार ही करना चाहिए इसके लिए हाल ही में पेस्टिसाइड मैनेजमेंट बिल 2020 भारत सरकार की कैबिनेट ने   पास कर दिया है जिसका उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण रसायनिक व जैविक कीटनाशकों की कृषकों को आपूर्ति करना है l
         भारत सरकार के वनस्पति संरक्षण     sangrodh एवं संग्रह  निदेशालय के अधीनस्थ केंद्रीय एकीकृत नासिजीव प्रबंधन केंद्रों  के द्वारा ग्रो सेफ फूड अभियान 2014 से चलाया गया इस अभियान के तहत पेस्टिसाइड्स के जुडिशियस यूज को बढ़ावा देने के लिए एक संदेश  वाले   होर्डिंग विभिन्न सार्वजनिक स्थानों पर देश के हर प्रदेश मैं लगाए गए और जागरूकता पैदा की गई की कीटनाशकों का उपयोग सही फसल ,सही पेस्ट ,सही टाइम ,पर सही मात्रा में, तथा सही विधि अपनाकर करें lइसके साथ-साथ यह भी बताया गया कि कीटनाशकों का उपयोग सीआई बी एंड आरसी के द्वारा दी गई संस्तुति के अनुसार ही करें  जिससे कीटनाशकों का फसलों में कम उपयोग हो सके और  सुरक्षित एवं स्वस्थ फसल पैदा की जा सके l
     इसके अतिरिक्त अंतरराष्ट्रीय व्यापार हेतु गुणवत्ता युक्त तथा स्वस्थ कृषि उत्पादों के उत्पादन के लिए कीड़े बीमारियों खरपतवार ओं एवं कीटनाशकों के अवशेषों से मुक्त कृषि उत्पादों को पैदा करने के लिए विभिन्न प्रकार के कदम उठाए गए हैं, जैसे एक्सपोर्ट या निर्यात किए जाने वाले कृषि उत्पादों का उत्पादन एपी डा के देखरेख में सिर्फ रजिस्टर्ड कृषकों के द्वारा ही किया जाना तथा उनका निर्यात से पूर्व विस्तृत इंस्पेक्शन करने के लिए  पैक हाउसेस बनाना और उन्हीं पैक हाउस में से हो करके उनका इंफेक्शन करना और निर्यात के लिए फाइटोसैनिटरी सर्टिफिकेट प्रदान करना  l
 Let's Grow healthy crop for healthy Nation
 स्वस्थ राष्ट्र बनाने हेतु स्वस्थ फसल  उगाएं
जहरीली खेती को सुरक्षित खेती में बदलें



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