Sunday, February 27, 2022

IPM Sutra -----We emphasized./emphasize

1.Concept and Philosophy of IPM 
2..Pregmatic use of different components of IPM.
3.Popularing IPM among farmers and state Agriculture Extention officers 
4..Manufacturing of  IPM and Natural Farming inputs in lab,and at doorsteps of the farmers.
5.Human Resource Development  about  IPM by way of organizing trainings like  Season long IPM trainings ,Organising IPM Farmers Field Schools ,Short duration training programmes on IPM and  Field demos of  IPM .
6.Growing of safe food to eat and quality Agricultural commodities to trade. 
7.Conserving biocontrol agents in the crop fields. 
8.Promote use of nonchemical methods of pest management and reduce the use of chemical pesticides in Agriculture. 
9.Identification of different crop pests their biocontrol agents,diseases,and weeds found in the crop fields.
10.Conducting AESA based IPM.
11.Pest Surveillance and Monitoring of population of crop pests and their biocontrol agents through visual,e pests Surveillance and Rapid Roving Surveys etc.
           -  :  My Aims :-
1.To popularise and promote Integrated Pest Management(IPM) and zerobudget based Natural Farming(ZBBNF) among the farmers and state Extention officers. 
2.To reduce the use of chemical Pesticides and fertilizers in Agriculture. 
3 To conserve Environment ,ecosystem,  biodiversity  Natural resources and other beneficial organisms found in agroecosystem. 
4.To promote the use of biopesticides, biocontrol agents in Agriculture ,among the farmers for their use in Agriculture. 
5.To popularise the ways and means of growing of safe food to eat and quality Agricultural commodities to trade among the farmers.
6.To restore the damaged ecosystem damaged due to indiscriminate use of chemical pesticides  .
7.To create awareness about the I'll effects of chemical pesticides and fertilizers in Agriculture among the farmers .
8 .To ensure availability of pesticides residue free or with minimum residue of chemical pesticides food to the society.
9 .To ensure better and safe environment to live to the society.
10. To ensure developmemt of community health. 



Friday, February 25, 2022

कृषि क्षेत्र को आधुनिक बनाने पर सरकार का जोर

1. गंगा किनारे दोनों ओर पर 5 किलोमीटर के दायरे में मिशन मोड पर प्राकृतिक खेती की जाएगीl
2. डाकघर में बैंकिंग सुविधा l
3. बागवानी क्षेत्र को आधुनिक टेक्नोलॉजी उपलब्ध कराई जाएगी  l
4. खाद्य तेलों का आयात घटाने के लिए तिलहनी फसलों की खेती पर विशेष जोर दिया जाएगा l
5 खेती से जुड़े उत्पादों के हेतु परिवहन व्यवस्था दुरुस्त करना l
6.Agriculture Wastes Management 2 को व्यवस्थित किया जाएगा
7. कृषि क्षेत्र में कुशल मानव संसाधन के लिए अनुसंधान और कृषि शिक्षा के पाठ्यक्रम में जरूरी बदलाव किया जाएगा l
8. मोटे अनाज वाली पोस्टिक पोषक तत्व रखने वाली फसलों के निर्यात पर जोर l
9. फसल विविधीकरण को प्रोत्साहन देना
10. कॉरपोरेट सेक्टर को कृषि में शामिल करना

Wednesday, February 23, 2022

खेती के लिए अथवा आईपीएम के लिए कुछ आधुनिक विचार

1. पारंपरिक खेती को अथवा खेती की पारंपरिक पद्धतियों को पुनर्जीवित करना ही प्राकृतिक खेती कहलाता हैl Back to basics. मूल में वापस
2. खेती करने की अथवा वनस्पति संरक्षण करने की सभी विधियां को समेकित रूप से इस प्रकार से प्रयोग करके जिससे प्रकृति ,समाज तथा पारिस्थितिक तंत्र ओं आदि को महफूज रखते हुए कम से कम खर्चे में फसल पर्यावरण में पाए जाने वाले सभी हानिकारक जीवो की संख्या को आर्थिक हानि स्तर के नीचे सीमित रखते हुए खाने के लिए सुरक्षित भोजन तथा व्यापार हेतु गुणवत्ता युक्त कृषि उत्पादों का उत्पादन हो सके आईपीएम कहलाता हैl
3.To produce chemical free Agricultural commodities is todays  need of  the hour .
रसायन रहित कृषि उत्पादों का उत्पादन करना आज की खेती और आईपीएम की प्रमुख आवश्यकता है l
4. खेती के लिए रसायनों का विकल्प ढूंढना आज की खेती की प्रमुख आवश्यकता है और यही आई पीएम का मुख्य उद्देश्य है ll
5. खेती में अथवा आई पी एम में काम आने वाले विभिन्न प्रकार के रसायन रहित पदार्थों या यंत्रों को आईपीएम इनपुट कहते हैं जिन की उपलब्धता कृषकों के द्वार पर सुगमता पूर्वक पहुंचाना ही आईपीएम करने का प्रथम उद्देश्य होना चाहिए l आई पीएम इनपुट्स आई पीएम के कार्यक्रम को सुविधा प्रदान कर सकते हैं l परंतु इसका अर्थ यह नहीं है कि बिना आईपीएम इनपुट के आईपीएम नहीं किया जा सकता है इनकी अनुपस्थिति में अथवा इनकी अनुपलब्धता में दूसरे विकल्पों को खोजना और उनका प्रयोग करना चाहिए l
6.IPM is not only a way of plant protection but it is a way of completely crop production,protection  ,crop management and Marketing .
7.IPM is related with all aspects of life. 
8. आईपीएम बीज से लेकर बाजार तक की समस्त कृषि उत्पादन ,कृषि रक्षा ,कृषि विपणन, एवं संपूर्ण कृषि प्रबंधन प्रणाली का समुचित प्रबंधन है l
9. भारत सरकार के वर्ष 2022 -23 के बजट में रसायन मुक्त खेती को बढ़ावा देने का प्रावधान से समाज को सुरक्षित भोजन तथा व्यापार हेतु गुणवत्ता युक्त कृषि उत्पाद प्राप्त हो सकेंगे l
10. एकीकृत ना सीजीओ प्रबंधन फसल पारिस्थितिक तंत्र में पाए जाने वाले दोनों हानिकारक एवं लाभदायक जीवों की संख्या का एक निश्चित अनुपात में प्रबंधन करता है l
11. खेती में वर्तमान चुनौतियों का हल तथा खेती में प्रयोग किए जाने वाले सभी रसायनों का विकल्प ढूंढ कर रसायन रहित खेती को बढ़ावा देना ही आईपी एम का मुख्य उद्देश्य है l
12 . खेती में पाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की चुनौतियों का हल करने हेतु खेती की विभिन्न पद्धतियों में समुचित बदलाव करते हुए ही हम खेती के विकास में यहां तक आ पाए हैं या पहुंच पाए हैं और आगे के विकास के लिए आगे आने वाली चुनौतियों के विकल्पों को तलाशना होगा तभी हम स्वस्थ एवं सुरक्षित खेती की तरफ बढ़ सकते हैं और  स्वस्थ समाज की स्थापना कर सकते हैं l
13. संतुलित खेती से ही समावेशी विकास की कल्पना की  जा सकती है  l
14. आर्थिक विकास के साथ-साथ  पर्यावरण, प्राकृतिक और सामाजिक विकास करना आई पीएम का मुख्य उद्देश्य है ध्यान रहे कि विकास को कभी विनाश कारी ना होने दिया जाए l
14. रसायन मुक्त तथा पोषण युक्त भोजन और प्रदूषण मुक्त पर्यावरण आई पी एम की प्रमुख अपेक्षा है l

Sunday, February 20, 2022

आई पी एम की कुछ प्रमुख थीम्स

1.To promote Chemicalless farming.
रसायन मुक्त खेती को बढ़ावा दें

2.To Prevent entry of chemical pesticides in human food chain 
मानव खाद्य श्रंखला में रसायनिक कीटनाशकों का प्रवेश को रोकना
3.Ecological,Environmental, natural and social Development along with Economical Development. 
आर्थिक विकास के साथ-साथ पारिस्थितिक तंत्र ,पर्यावरण, प्राकृतिक और सामाजिक विकास
4.Promoting alternates of chemicals in Agriculture.
कृषि में रसायन ओके विकल्पों को बढ़ावा दें
5, Make Changes in Agriculture to meet its  challenges.
चुनौतियों का सामना करने हेतु कृषि में बदलाव करें
6.Diversification of Agriculture in to different sectors like energy and power sectors.
कृषि का विभिन्न क्षेत्रों जैसे एनर्जी एवं पावर क्षेत्रों में विविधीकरण
7.Nuritional Security along with Food Security.
खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ पोषण सुरक्षा
8.IPM is the holistic management of  crop production,protection,crop management'and market access  systems  in Agriculture.
आईपीएम फसल उत्पादन, फसल संरक्षण, फसल प्रबंधन एवं विपणन प्रणाली का संपूर्ण प्रबंधन है
9.Adopt Integrated Farming to enhance the farmers income.
कृषकों की आय को बढ़ाने के लिए एकीकृत खेती अपनाएं
10.Promote Entrepreunership Development in Agriculture.
खेती में उद्यमी विकास को महत्व दें
11.Promoting zero budget based natural farming in Agriculture as  an alternate of Chemical Farming .
रसायनिक खेती के विकल्प के रूप में जीरो बजट प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दें
12.Adopt IPM for welfare of all in the universe.
ब्रह्मांड में सभी के कल्याण हेतु आईपीएम अपनाएं
13.Promote Cowdung as Goberdhan
गाय के गोबर को गोवर्धन के रूप में बढ़ावा दें
14. फसलों की री ढ धारी या वर्टेब्रेट pests या आवारा पशुओं से सुरक्षा
Protection of crops from vertebrate pests or wild animals .
15.Grow safe food. सुरक्षित भोजन उगाऐ 


Sunday, February 13, 2022

Few thoughts related with Integrated Pest Management (IPM)in Hindi.

सामुदायिक स्वास्थ्य ,पर्यावरण ,पारिस्थितिक तंत्र, जैव विविधता ,प्रकृति एवं उसके संसाधनों तथा समाज के सभी घटकों का उचित ध्यान रखते हुए फसल पारिस्थितिक तंत्र में पाए जाने वाले सभी हानिकारक जीवो की संख्या को  इस प्रकार से  उस स्तर तक नियंत्रित करना अथवा दवा ना या कम करना या सीमित रखना  जिससे  उससे होने वाला प्रभाव का नुकसान नगण्य हो नासि जीव प्रबंधन कहलाता है l इस विधि में जब एक से अधिक विधियों का उपयोग किया जाता है तब उसे एकीकृत नासि जीव प्रबंधन कहते हैं l एकीकृत नासिजीव पबंधन की विचारधारा सिर्फ फसल रक्षा अथवा प्लांट प्रोटक्शन से ही संबंधित नहीं है बल्कि वह फसल उत्पादन एवं फसल प्रबंधन तथा समाज व जीवन की सभी मुद्दों से संबंधित है l एकीकृत नासिजीव प्रबंधन का प्रमुख उद्देश्य फसल पारिस्थितिक तंत्र में पाए जाने वाले सभी लाभदायक  जीवो की संख्या को फसल पारिस्थितिक तंत्र में संरक्षित करना, सुरक्षित रखना, संवर्धन करना या बढ़ाना है तथा हानिकारक जीवो की संख्या को उस लेवल या स्तर तक कम करना है जिस लेवल पर लाभदायक जीवो का फसल पर्यावरण सही तरीके से संरक्षण हो सके तथा उनकी संख्या में बढ़ोतरी हो सके l इस प्रकार से एकीकृत नासि जीव प्रबंधन फसल पर्यावरण या फसल पारिस्थितिक तंत्र  में पाए जाने वाले लाभदायक एवं हानिकारक दोनों प्रकार के जीवो की  संख्या का समुचित प्रबंधन करता है और फसल रक्षा हेतु उठाई जाने वाली या प्रयोग किए जाने वाली सिर्फ उन विधियों को सम्मिलित रूप से प्रयोग करने की इजाजत देता है जिससे फसल पर्यावरण में लाभदायक एवं हानिकारक दोनों के जीवो की संख्या एक निश्चित अनुपात में संरक्षित रहे एवं सुरक्षित रहे तथा लाभदायक जीवो की संख्या की उचित अनुपात  में वृद्धि होती रहे l इसके लिए रसायनिक विधियों के उपयोग को टा लना या avoid करना या उनका उपयोग सिर्फ आपातकालीन स्थिति से निपटने हेतु प्रयोग करना अथवा न्यायोचित ढंग से प्रयोग करने की सिफारिश की जाती है l इसके लिए विभिन्न प्रकार की रसायन रहित विधियां पहले से विकसित की जा चुके हैं तथा उन में प्रयोग किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के इनपुट के बनाने की भी विधियां विकसित की जा चुकी है जिनका फसल सुरक्षा हेतु प्रयोग करना ही आईपीएम को बढ़ावा देना है l अतः संक्षिप्त रूप से यह कह सकते हैं की फसल उत्पादन, फसल रक्षा एवं संपूर्ण फसल प्रबंधन हेतु प्रयोग की जाने वाली सभी प्रकार की विचारधाराओं मैं से फसल रक्षा , फसल सुरक्षा एवं फसल प्रबंधन मैं प्रयोग की जाने वाली रसायन रहित विधियों सम्मिलित रूप से फसल उत्पादन एवं फसल सुरक्षा हेतु  प्रयोग करना ही आईपीएम कहलाता है l
कम से कम खर्चे में तथा सामुदायिक स्वास्थ्य, पर्यावरण, जैव विविधता, पारिस्थितिक तंत्र, प्रकृति व उसके संसाधनों तथा समाज को कम से कम बाधित करते हुए फसल सुरक्षा करना ही एकीकृत  नासिजीव प्रबंधन अथवा इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट या आई पीएम कहलाता है l
IPM is a way of plant protection with minimum expenditure and least disturbance to the community health, Environment,ecosystem biodiversity nature  its resources and society. 
 IPM is not only related with plant protection but it is also  related with all other  aspects of life. 
खेती करने की और वनस्पति संरक्षण करने की सभी प्रकार की विधियों को समेकित रूप  से इस प्रकार से प्रयोग करना जिससे , , सामुदायिक स्वास्थ्य, पर्यावरण, पा रिस्थितिक तंत्र, प्रकृति व उसके संसाधनों एवं समाज को महफूज रखते हुए कम से कम खर्चे में फसल  पारिस्थितिक तंत्र मैं पाए जाने वाले सभी हानिकारक जीवो की संख्या को आर्थिक हानि स्तर के नीचे सीमित रखते हुए खाने के योग्य सुरक्षित भोजन तथा व्यापार हेतु गुणवत्ता युक्त कृषि उत्पादों का उत्पादन हो सके आईपीएम कहलाता है l
    जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती का मतलब होता है कि इसमें भरपूर फसल हो और जेब से एक कौड़ी भी न खर्च हो तथा साथ ही जमीन की सेहत बनी रहे पानी कम लगे और जैव विविधता कायम रहे l
अतीत के अनुभव को समाहित करते हुए परंपरागत विधियों को बढ़ावा देते हुए खेती में रसायनों का न्यूनतम या बिल्कुल प्रयोग ना करते हुए  फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा करना आईपीएम कहलाता है l
    खेती में रसायनों का अंधाधुंध प्रयोग करने से विभिन्न प्रकार के दुष्परिणाम प्राप्त हुए हैं l इन दुष्परिणामों में मिट्टी की उर्वरा शक्ति का कम होना , धरती माता के गर्भ में पानी की कमी होना, जलवायु परिवर्तन तथा वैश्विक तापक्रम में बढ़ोतरी ,मिट्टी में प्राकृतिक कार्बन एवं सूक्ष्म जीवों तथा सूक्ष्म पदार्थों की कमी होना, जीवन का निर्माण एवं स्थायित्व प्रदान करने वाले पंच महा तत्व जैसे मिट्टी ,पानी  अग्नि ,आकाश, वायु आदि का प्रदूषित होना ,खेती में प्रयोग किए जाने वाले रसायनों के प्रभुत्व से मानव समाज, प्राकृति,पर्यावरण ,जैवविविधता ,पारिस्थितिक तंत्र पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों से जुड़ी हुई विभिन्न समस्याएं ,कृषि उत्पादों के उत्पादन मूल्य में वृद्धि, नवयुवकों का कृषि के प्रति रुझान की कम होना आदि प्रमुख है l उपरोक्त समस्याओं का ध्यान रखते हुए एवं समाधान करते हुए  फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा करना आज की फसल उत्पादन ,फसल रक्षा, आईपीएम एवं फसल प्रबंधन की प्रमुख आवश्यकता है l 
    आज के सामाजिक, आर्थिक ,प्राकृतिक, जलवायु एवं पर्यावरण के परिदृश्य एवं परिपेक्ष में आजकल की फसल उत्पादन, फसल सुरक्षा अथवा आईपीएम तथा फसल प्रबंधन की विचारधारा लाभकारी ,मांग पर आधारित होने के साथ-साथ सुरक्षित ,स्थाई, रोजगार प्रदान करने वाली ,व्यापार व आय को बढ़ाने वाली, समाज , प्रकृति तथा जीवन के बीच सामंजस्य स्थापित करने वाली, कृषकों के जीवन स्तर में सुधार लाने वाली तथा जीवन की राह को आसान बनाने वाली जीडीपी पर आधारित आर्थिक विकास के साथ-साथ पर्यावरण, प्रकृति ,समाज, पारिस्थितिक तंत्र के विकास को करने वाली और सुनिश्चित करने वाली होनी चाहिए तथा खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ भोजन, सुरक्षित भोजन प्रदान करने वाली होनी चाहिए इसके अलावा खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ पोषण सुरक्षा ,खेती में उत्पादन लागत को कम करने वाली, जलवायु परिवर्तन के समाज व पर्यावरण ,प्रकृति पारिस्थितिक तंत्र आदि पर पड़ने वाले प्रभाव को निष्क्रिय करने वाली एवं सहन करने वाली, बायोफोर्टीफाइड का विकास करने वाली होनी चाहिए l इसके लिए फसल पर्यावरण या फसल पारिस्थितिक तंत्र पर्यावरण सामुदायिक स्वास्थ्य प्रकृति व उसके संसाधनों के लिए हितेषी विधियों का उपयोग करके फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा तथा फसल प्रबंधन करना चाहिए l
    क्षति ग्रस्त फसल पारिस्थितिक तंत्र का पुनर स्थापन करना, मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाना, खाने के लिए एवं निर्यात हेतु रसायन रहित एवं गुणवत्ता युक्त कृषि उत्पादों का उत्पादन करना, जमीन के ऊपर तथा नीचे के फसल पारिस्थितिक तंत्र को सक्रिय रखना या क्रियाशील रखना, फसलों में लाभदायक जीवो का संरक्षण करना, भरपूर फसल ,वाजिब दाम ,खुशहाल किसान  बाजार की सुगमता से उपलब्धता आदि आईपी एम की प्रमुख अपेक्षाएं है l
     आईपीएम बीज से लेकर बाजार तक के समस्त कृषि उत्पादन, कृषि रक्षा, कृषि विपणन एवं संपूर्ण फसल प्रबंधन प्रणाली का समुचित प्रबंधन है l
आज का समय अतीत के अनुभव से सीख ले कर आगे  का मार्ग बनाते हुए विकास को अग्रसारित करने या आगे बढ़ाने  का हैl मिट्टी की जांच से लेकर बीज का चयन ,खेत की तैयारी, बुवाई तथा फसल उत्पादन हेतु की जाने वाली विभिन्न प्रकार की गतिविधियों से लेकर फसल उत्पादन एवं फसल विपणन उनका रखरखाव ट्रांसपोर्ट सही भाव आदि सभी प्रकार की सुविधाएं विकसित करके आईपीएम को बढ़ावा दिया जा सकता है इसके लिए भारत सरकार का सहयोग परम आवश्यक है l फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा लिए यह भी आवश्यक है की फसल अवधि के दौरान फसल को सभी प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं जैसे कीड़े एवं बीमारियों की महा मारियो, ओले, बे मौसम बरसात, बाढ़ सूखा आदि से बचाया जाए और फसल नष्ट होने पर किसानों को उचित मुआवजा बीमा के रूप में दिया जाएl इस प्रकार की नीतियां  सरकार के द्वारा बनाई जाएं और सही तरीके से अमल में लाई जाए इससे आईपीएम के प्रमुख उद्देश्य भी प्राप्त हो सकेंगे l
किसानों की आय को बढ़ाना आईपीएम का एक प्रमुख उद्देश्य है इसके लिए खेती के साथ-साथ खेती पर आधारित विभिन्न उद्योग जैसे पशुपलन मधुमक्खी पालन मुर्गी पालन
लाख की खेती फॉरेस्ट्री एवं सौर ऊर्जा आदि को बढ़ावा दिया जा सकता है जिस प्रकार की खेती को इंटीग्रेटेड फार्मिंग एकीकृत खेती कहते हैं l खेती को नए विकल्पों से जोड़कर कृषकों की आय बढ़ाई जा सकती है इन विकल्पों को भी आई पीएम के समग्र समग्र पैकेज आफ प्रैक्टिसेज में शामिल किया जा सकता है l
आई पी एम के विकास से हमें खेती के अतिरिक्त अन्य विकल्पों की ओर ध्यान देना चाहिए  l जब मिट्टी जवाब दे जाएगी तो क्या होगा l भूगर्भ में पानी की कमी हो जाएगी तो क्या होगा इस प्रकार की जरूर तो पर समय सोचना चाहिए तथा उनके विकल्पों को आईपीएम के पैकेज में शामिल करना चाहिए l 
 IPM is not only a way of plant protection but it is a way of complete crop production,crop protection and management system from seed to Marketing .
किसी भी तकनीक या प्रौद्योगिकी को धरातल पर सुचारू रूप से क्रियान्वयन कराने के लिए यह आवश्यक है की वह टेक्नोलॉजी भारत सरकार के कार्यक्रमों में वरीयता के एजेंडा के रूप में माना गया हो और उससे संबंधित हितेषी बनाई जाए l
रसायनों का विकल्प सोचना आज की प्रमुख आवश्यकता है यही आई पीएम का प्रमुख उद्देश्य हैl
चुनौतियों के अनुसार खेती को बदलना होगा l चुनौतियों के अनुसार ही खेती की पद्धतियों में किए गए बदलाव से खेती के विकास मैं हम यहां तक पहुंच पाए हैं और आगे के विकास के लिए आगे आने वाली चुनौतियां के विकल्पों  को तलाशना होगा तभी हम सुरक्षित एवं स्वस्थ खेती की तरफ भर सकता है और स्वस्थ समाज की स्थापना कर सकते हैं l हमें आगे इस प्रकार की टेक्नोलॉजी को विकसित करना पड़ेगा जो खेती की वर्तमान चुनौतियों का सामना कर सकेl जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती एवं आईपीएम इसमें मददगार सिद्ध हो सकेंगे l
संतुलित खेती से ही समावेशी विकास की कल्पना की जा सकती है l  आर्थिक विकास के साथ-साथ पर्यावरण, प्राकृतिक और सामाजिक विकास करना आई पीएम का मुख्य उद्देश्य है l ध्यान रहे विकास को कभी विनाशकारी ना होने दिया जाए l

Saturday, February 12, 2022

आई पी एम बीज से लेकर बाजार तक की समस्त फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा प्रबंधन प्रणाली है

आईपीएम बीज से लेकर बाजार तक की संपूर्ण फसल उत्पादन, फसल रक्षा एवं  प्रबंधन प्रणाली है जो निम्न बिंदुओं पर आधारित है l
1. फसल विविधीकरण एवं फसल का चयन तथा उचित फसल चक्र का चयन
2. फसल की उचित उन्नत किस्मो एवं प्रजातियों का चयन
3. स्वास्थ्य बीजों का चयन
4. मिट्टी की गुणवत्ता सोयल हेल्थ कार्ड
5. बीज शोधन
6. इकोलॉजिकल इंजीनियरिंग के हिसाब से मुख्य फसलों एवं बॉर्डर क्रॉप्स तथा इंटरक्रॉप्स की बुवाई करना
7. फसल निगरानी एवं फसल पारिस्थितिक तंत्र विश्लेषण के आधार पर विभिन्न एग्रोनॉमी कल प्रैक्टिसेज तथा फसलों में की जाने वाली कृषि क्रियाओ को समय-समय पर करना l
8. कृषि क्रियाओं को करते समय कृषि या फसल उत्पादन इकोनॉमिक्स को ध्यान में रखते हुए गुणवत्ता युक्त एवं बाजार की मांग के अनुसार फसल उत्पादन करना इसके साथ साथ पर्यावरण, जैव विविधता ,पारिस्थितिक तंत्र ओं, प्रकृति एवं समाज के हितों का ध्यान में रखते हुए फसल उत्पादन करना l गुणवत्ता युक्त कृषि उत्पादों का अर्थ है की उत्पादन किए गए कृषि उत्पाद सामुदायिक स्वास्थ्य अथवा उपभोक्ता स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव ना डालते हो l
9. फसल के मूल्यवर्धन हेतु अर्थात वैल्यू एडिशन हेतु उचित कदम उठाना तथा फसलों के उत्पादों का सही समय तक स्टोरीज अथवा पेरिशेबल फसल उत्पादों को फसल मंडी तक सही तरीके से तीव्र गति से पहुंचाने की व्यवस्था करना
10. फसल उत्पादद्वारा दूसरे उत्पादों को बनाना तथा उनको अधिक मूल्य पर बेचना
11.Per  Drop More Crop ड्रॉप मोर क्रॉप के अलावा फूड प्रोसेसिंग एवं Integrated  फार्मिंग पर जोर देना
12. कृषि कार्यों में मोबाइल एवं इंटरनेट एवं e-marketing आदि सुविधाओं को बढ़ावा देना
13. व्यापार हेतु इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट करके किसानों की आमदनी को बढ़ाई जा सकती है जो कि आई पीएम का एक प्रमुख सिद्धांत है l
14. ऑर्गेनिक खेती एवं जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती से संबंधित सभी रसायन रहित गतिविधियों को भी आईपीएम मैं शामिल करना आज की प्रमुख मांग है जिससे रसायन रहित खेती को बढ़ावा मिल सके एवं सामुदायिक स्वास्थ्य मिट्टी के स्वास्थ्य दोनों ठीक रह सकें l



Thursday, February 3, 2022

Ensuring availability of IPM inputs to the farmers at their doorsteps

Availability of IPM inputs to the farmers at their doorsteps is the main containt for the implementation of I P M .For this purpose the interested farmers must be trained about the production of different types of IPM inputs in their vicinity in a place to be known as" IPM Seva Kendras "to make these inputs available as and  when required by their fellow farmers .For this purpose the methods of production of certain IPM inputs like biocontrol agents,light traps,rodent traps,pheromone traps ,sticky traps,Ant traps,Pitfall traps ,Delta sticky traps,Rat glue traps,Fruit Fly traps of Methyle eugenol ,Nuclear Polyhedrosis Virus(NPV),bird percher,Seed treatment drums,Neem Seed kernel Extract,Cowdung ash,Corcyra cephalonica,Trichogramma,Mass production of Beauberia bassiana,Metaryzium anisopliae,Trichoderma,Spider multiplication, etc simplified and  a manual for production of IPM inputs in IPM Seva Kendra has already bee prepared by me and my colleagues by involving the  staff of CIPMCs  to train the farmers at their laboratories as well as at their villages or IPM Seva Kendras as described above  to ensure availability of IPM inputs to the farmers at their doorsteps. 
   The inputs as recommended for the promotion of Zero budget based natural farming mus also be included in this manual .
 To ensure supply of bulk quantity of IPM inputs ,Govt must establish parellar Industries along with the industries of chemical pesticides  for the production of IPM inputs also .
 For the production of chemical less agricultural commodities we must promote only those methods of crop production and protection which can restore the power of crop production,ie,availability of Humus ,Microorganisms,Micronutrients, restoration and enhancement of biodiversity and natural resources in the agroecosystem and mitigate the adverse effects of climate change and global warming on the crop production and protection system.
रसायन मुक्त कृषि उत्पादों के उत्पादन हेतु हमें सिर्फ उन विधियों को बढ़ावा देना चाहिए जो क्षतिग्रस्त हुई पारिस्थितिक तंत्र, जैव विविधता, प्राकृतिक संसाधनों  तथा फसल पर्यावरण में नष्ट हुए सूक्ष्मजीवों ,सूक्ष्म तत्व तथा मिट्टी में पाए जाने वाले ह्यूमस का फसल पारिस्थितिक तंत्र में पुनर स्थापन कर सके इसके अलावा जलवायु परिवर्तन तथा ग्लोबल वार्मिंग के दुष्परिणामों को भी निष्क्रिय कर सके l इसके लिए जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती में प्रयोग की जाने वाली विधियों को बढ़ावा देना चाहिए और इनको आईपीएम के क्रियान्वयन हेतु शामिल करना चाहिए l जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती में प्रयोग किए जाने वाले inputs  जैसे जीवामृत घन जीवामृत तथा बीजा मृत आदि इनपुट्स किसान अपने घरों पर आसानी से तैयार कर सकते हैं l