Sunday, February 25, 2024

आई पी एम की नवीन विवेचना

दोस्तों आईपीएम का कार्य क्षेत्र सिर्फ वनस्पति संरक्षण अथवा नासिजीव प्रबंधन तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह पर्यावरण, प्रकृति , समाज और जीवन के विभिन्न मुद्दों तथा ब्रह्मांड के कल्याण  से भी जुड़ा हुआ है। संपूर्ण कृषि पद्धति अथवा खेती प्रकृति पर आधारित है तथा खेती से उत्पन्न उत्पादों पर ही हमारा जीवन आधारित है। जीवन के स्थायित्व को कायम रखते हुए हमें खेती करनी चाहिए अथवा एकीकृत नाशी जीव प्रबंधन करना चाहिए।
आईपीएम बीज से लेकर फसलों के उत्पादों के अंतिम प्रयोग अर्थातend use एवं अगली फसल की तैयारी तक की फसलों के नशीजीवों की संख्या के प्रबंधन अर्थात उनकी संख्या को फसल पारिस्थितिक तंत्र में आर्थिक हानि स्टर के नीचे सीमित रखने के समेत पोस्ट हार्वेस्ट टेक्नोलॉजी, फसलों के उत्पादों का विपणन, व्यापार एवं सुरक्षित संग्रह तक की संपूर्ण फसल उत्पादन पद्धतियों का एक समेकित अथवा एकीकृत अथवा इंटीग्रेटेड प्रबंधन है।
आईपीएम संपूर्ण फसल उत्पादन,फसल रक्षा, फसलों में नासिजीवों का प्रबंधन ,फसल प्रबंधन,फसल विपणन, पोस्ट हार्वेस्ट टेक्नोलॉजी ,  फसल पारिस्थितिक तंत्र की जैव विविधता,फसल विविधता, फसल उत्पादों का ट्रेड तथा फसल उत्पादों का स्टोरेज आदि की बीज  से लेकर फसल उत्पादों के अंतिम प्रयोग तक की एक समेकित विचारधारा, विज्ञान, दर्शन, अध्यात्म, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, टेक्नोलॉजी, प्रबंधन, योजना तथा नीति शास्त्र है जिसमें कम से कम खर्चे में, कम से कम रसायनों का इस्तेमाल करते हुए, तथा सामुदायिक स्वास्थ्य, पर्यावरण, पारिस्थितिक, तंत्र जैव विविधता, जीवन एवं इसके पांच महा भूत यानी पृथ्वी, जल, पावक, गगन, समीर आदि को कम से कम बाधा पहुंचाते हुए फसल उत्पादन, फसल रक्षा, फसल प्रबंधन आदि की विधियों को समेकित रूप से प्रयोग करते हुए फसल पारिस्थितिक तंत्र में पाए जाने वाले हानिकारक जीवों की संख्या को आर्थिक हानी स्टार के नीचे सीमित रखते हुए देश तथा परिवार जिसमें जानवर भी शामिल होते हैं की जरूरत के हिसाब से फसलों की जरूरत का नियोजन करते हुए खाने के योग्य सुरक्षित तथा व्यापार हेतु गुणवत्ता युक्त फसल उत्पादों जैसे अनाज ,सब्जी, दाल ,फल ,चीनी गुड, मोटे अनाज पौष्टिक अनाज, दैनिक जरूरत की चीजे तेल, दूध ,कपड़ा, meat, पशुओं का चारा ,अंडा ,लकड़ी आदि का अधिक से अधिक मात्रा में इस प्रकार से उत्पादन किया जाता है जिससे इन उत्पादों का अधिक से अधिक विक्रय मूल्य मिल सके तथा खाने के योग्य सुरक्षित भोजन के साथ खाद्य सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा सके (फूड सिक्योरिटीअलंग विथ फूड सेफ्टी,) साथ ही साथ कृषकों की आमदनी में बढ़ोतरी हो सके और उनकी संपन्नता सुनिश्चित की जा सके।

                                               राम आसरे
                          अपर वनस्पति संरक्षण सलाहकार।                                     ,आईपीएम। (सेवानिवृत्ति)

Thursday, February 15, 2024

Role of biological control in IPM.

What is biological control ?
*Methods of controlling pests by  using another organisms is called as biological control .
*Use of biota to control biota.
*फसलों के नासिक जीवों  को नियंत्रित करने के लिए दूसरे जीवों को प्रयोग करना जैविक नियंत्रण कहलाता है और इन प्रयोग किए जाने वाले जीवों को जैव नियंत्रण कारक कहते हैं।इस विधि में नसी जीवो तथा जैव नियंत्रण कारकों के बीच होने वाले संबंधों जैसे जीवन चक्र भोजन ,मानव सहित अन्य जीवों पर प्रभाव अध्ययन करके नशीजीवों का नियंत्रण एवं प्रबंध किया जाता है । नशीजीवों  तथा जैव नियंत्रण कारकों के परस्पर संबंधों तथा प्रतिस्पर्धा के द्वारा ही नाशी जीवो का जैव नियंत्रण कारकों के द्वारा नियंत्रण तथा प्रबंध होता है । नशीजीवों  तथा जैव नियंत्रण कारकों के बीच भोजन , जीवन चक्र रहने के लिए स्थान एवं शरण हेतु प्रतिस्पर्धा होती है।
परस्पर प्रतिस्पर्धा की दृष्टिकोण से जैव नियंत्रण कारक निम्न प्रकार के होते हैं।
Parasites,parasitoids,predators,pathogens, Antagonist organisms.
Antagonist:-Any organismthat suppressor interferes with the normal growth and activity of plant pathogens are called as Antagonistic organisms.These Antagonistic organisms can be used as biocontrol agents specially for plant pathogens.For examples.,...
Aspergillus has an Antagonistic effect on Penicilliumand cldosporium.Trichoderma has effect on Actinomycetes.
Classical biocontrol:-
It is the practice of    intro ducing one or group of biocontrol agents of foreign origin to another area to control pests .In this practice biocontrol agents are reared and mass multiplied in lab and released in the desired problematic area to control and to  establish,colonize,and introduce temporary or permanently.Direct and indirect recovery tests are conducted to see their colonizationand introduction.
Biocontrol agents are rearedon field collected or lab reared on fictitious host culture  or on real host cultures.Corcyra cephalonica is a Common laboratory host culture being used for mass rearing of biocontrol agents.
Stretagies of biocontrol;-
1.Importation of biocontrol agents .
2. Massultiplication of biocontrol agents
3.Release of biocontrol agents 
4.Recovery trials.
5 Identification of recovered biocontrol agents.
Augmentation of biocontrol agents
Supplimental release of biocontrol agents posting the naturally occurring population of of biocontrol agents.
Inundative release of biocontrol agents.
When the millions of biocontrol agents are released regularly the it is called as inundative release of biocontrol agents.
Innocultive release of biocontrol agents.
When only few biocontrol agents are released at critical time of pest stage
Conservation of biocontrol agents
Removal of those cultural practices which are harmful to the biocontrol agents is called as conservation of biocontrol agents.
To make Agroecosystem and environment favourable or conducive  for the build up of population of biocontrol agents.
To facilitate the survival and multiplication of population of biocontrol agents.