Tuesday, March 12, 2024

आईपीएम विचारधारा प्रारंभ से अब तक

एकीकृत नासिजीव प्रबंधन वनस्पति स्वास्थ्य प्रबंधन की एक प्रमुख विधि है जिसमें नासिजीव नियंत्रण की विभिन्न विधियों को एक साथ सम्मिलित रूपसे आवश्यकता अनुसार प्रयोग करके नासि जीवों की संख्या को आर्थिक हानि स्टार के नीचे सीमित रखाजाता है। इस विधिमें रासायनिक कीटनाशकों को अंतिम उपाय के रूप में सिफारिश की गई संस्तुति के अनुसार प्रयोग किया जाता है।
उपरोक्त परिभाषामें एकीकृत नाशी जीवप्रबंधन को सिर्फ नासिजीव प्रबंधन तक ही सीमित रखा गया है परंतु अब नवीन परिभाषाओं एवं विचारधाराओं में आईपीएम में सामुदायिकस्वास्थ्य, पर्यावरण ,पारिस्थितिकतंत्र, जैव विवधता, प्रकृति, जीवन तथा उनके पंच महाभूत, एवं समाज के विभिन्न मुद्दों को भी शामिल करके विज्ञान के साथ-साथ विचार धारा, दर्शन, आध्यात्मि, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, टेक्नोलॉजी ,योजना तथा नीतिशास्त्र के रूप में देखा गया है अथवा परिवर्तित कर दिया गया है जिसमें जहर मुक्त भोजन तथा रोग मुक्त समाज की कामना करते हुए बीज से लेकर फसल उत्पादन, फसल रक्षा, फसल विपणन, व्यापार, फसल उत्पादों के भंडारण, तथा उनके अंतिमप्रयोग यहां तक के अगली फसल की तैयारी तक की संपूर्ण एवं समेकित विचारधाराके रूप में देखा जा रहा है या माना जा रहा है। प्राकृतिकखेती भी आईपीएम का ही एक सुधार हुआ रूप है जिसमें रसायनों का प्रयोग बिल्कुल ही नहीं किया जाता है तथा खेती करते समय मिट्टीमें ऑर्गेनिक कार्बन ,सूक्ष्मजीव ,सूक्ष्म तत्व ,हमस ,पानी का स्टर, देसी गायों, फसलों के देसी विधियों, देसी कचुआ तथा खेतीकी देसी पद्धतियों एवं जैव विविधता संरक्षण को वरीयता देकर खेती की जाती है। तथा रसायनोंके स्थान पर देसी गायों के मलमूत्रसे निर्मित जीवामृत,घंजीवामृत  तथा वनस्पतियोंके सत पर आधारित इनपुट के प्रयोग को भी बढ़ावा देकर खेती की जाती हैऔर इस संपूर्ण फसल उत्पादन, फसल रक्षा एवम फसल पर बंधन पद्धति को ही आईपीएम कहते हैं।

No comments:

Post a Comment