यद्यपि आईपीएम भी प्लांट प्रोटक्शन और खेती करने का ही एक तरीका है जिसमें प्लांट प्रोटक्शन या वनस्पति संरक्षण को उपरोक्त विचारधारा के अनुसार क्रियान्वयन किया जाता है l अतः हमें IPM को क्रियान्वयन करने हेतु वनस्पति संरक्षण या प्लांट प्रोटक्शन को उपरोक्त विचारधारा के अनुसार बदलना पड़ेगा और उसके अनुसार ही आईपीएम हेतु एक नवीन कार्यक्षेत्र बढ़ाना पड़ेगा तथा उस कार्य क्षेत्र मैं समाहित किए जाने वाले गतिविधियों को प्रायोगिक रूप से क्रियान्वयन करने हेतु आवश्यक इनपुट की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए jio प्राथमिकता के तौर पर आवश्यक कदम उठाने पड़ेंगे l
अक्सर यह भी देखा गया है कि जब हम आईपीएम के क्रियान्वयन की बात करते हैं तो हम कृषक ,कृषक मजदूरों समाज एवं पर्यावरण तथा प्रकृति की जरूरतों एवं समस्याओं पर ध्यान नहीं देते हैं और सिर्फ वनस्पति संरक्षण या प्लांट प्रोटक्शन से संबंधित गतिविधियों को ही क्रियान्वयन करते हैं जबकि किसान तथा प्रकृति और समाज की समस्याएं कुछ और ही होती हैं l जब तक इन समस्याओं का समाधान खेती करने के दौरान नहीं किया जाएगा तब तक आईपीएम का पूर्ण रूप से क्रियान्वयन नहीं हो सकेगा तथा प्लांट प्रोटक्शन को आईपीएम में परिवर्तित नहीं किया जा सकता l
IPM के क्रियान्वयन हेतु वनस्पति संरक्षण के उपायों के साथ साथ समाज, प्रकृति , पर्यावरण ,पारिस्थितिक तंत्र, जलवायु, ग्लोबल वार्मिंग जैसे समस्याओं तथा खाद्य सुरक्षा एवं सुरक्षित भोजन की सुनिश्चितl जैसी समस्याओं का हल भी डिलीवर होना चाहिए l अक्सर यह देखा गया है आईपीएम के क्रियान्वयन करते समय वनस्पति संरक्षण से जुड़ी हुई समस्याओं के समाधान की तो डिलीवरी होती है परंतु उपरोक्त मुद्दों से जुड़ी हुई समस्याओं के हल की डिलीवरी नहीं होती है जो कि आई पीएम का मुख्य उद्देश्य होता हैl जिससे आई पीएम की अधूरी सेवाएं समाज व पर्यावरण को मिल पाते हैं जिससे आईपीएम से से होने वाला लाभ भी आधा ही प्राप्त होता है l
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