Tuesday, November 3, 2020

Success Story of Biological Control of Sugarcane Pyrilla in India .भारत में गन्ने के Pyrilla के जैविक नियंत्रण की सफलता की कहानी मेरी (राम आसरे )की जुबानी

  गन्ने का Pyrilla  गन्ने के प्रमुख   Sucking pests   अर्थात   chusakहानिकारक जीवो में से एक प्रमुख हानिकारक  जीव  है जो वर्ष1970's व  वर्ष1980's के 10 को के दौरान देश के लगभग सभी गन्ना उत्पादक राज्यों में  एक endemic pest  के रूप में  बना हुआ था जिस के नियंत्रण हेतु भारत सरकार ,राज्य सरकार एवं गन्ना चीनी मिल मालिकों के द्वारा कीटनाशकों का हवाई छिड़काव  किया जाता था और उस पर खर्च के तौर पर करोड़ों रुपए प्रतिवर्ष खर्च किए जाते थे l इसके जैविक नियंत्रण हेतु देश के कुछ प्रदेशों में गन्ने के खेतों में पाए जाने वाले गन्ने के Pyrilla के प्रमुख  प्राकृतिक  शत्रु जीवो में  पाए जाने वाला एक परजीवी  कीट जिसको पहले Epipyrops melanoleuca कहां जाता था  और अब Epiricania melanoleuca कहां जाने लगा है एक प्रमुख ectoparasite कीट है जो गन्ने के Pyrilla  के nymphs एवं   adults  को उनका रस चूस कर उनका नियंत्रण करने में  बहुत बड़ा एवं सबसे ज्यादा योगदान करता है l Epiricania  melanoleuca  का adult  एक प्रकार की काली  रंग की एक तितली होती है जो गन्ने की पत्ती  जहां पर Pyrilla कीट का भी प्रकोप या संख्या पाई जाती है  गन्ने की पत्तियों की मध्य सिरा के पास समूह में अपने अंडे देती है   l इस परजीवी कीट की  एक मादा तितली लगभग 600 से 1600  विभिन्न समूहों में देती है lउचित तापमान पर इनमें से 5 से 7 दिनों बाद परजीवी कीट के larvae  निकलते हैं जो गन्ने के Pyrilla  कीट के  nymphs  एवंंadults  पर बैठकरउनका रस चूस कर उनका नियंत्रण करते हैंं l     परजीवी कीट का लारवा प्रारंभिक अवस्था में  गुलाबी रंग का होता है  जो बाद में  भूरे रंग का हो जाता है तथा इसके बाद में  सफेद रंग के  कोकून  मैं परिवर्तित हो जाता है l इस परजीवी की लारवाल स्टेज करीब 11 से 15 दिन की होती है इसके बाद    यह larvae गन्ने की पत्तियों पर ही सफेद रंग के cocoons  में परिवर्तित हो जाते हैं  जिनकी उपस्थिति पत्तियों पर  होती है l गन्ने के Pyrilla  के जैविक नियंत्रण के लिए  इन्हीं cocoons  एवं अंडों के समूह सहित पत्तियों को कैची से टुकड़ों में काट लिया जाता है जिन पर यह एंड समूह एवंं cocoons  लगे होते हैं को गन्ने के उस क्षेत्र अथवा खेतों में ले जातेे हैं जहां इस परजीवी कीट की उपस्थिति नहीं होती है  और  वहां पर गन्ने के खेत में  जहां पर Pyrilla  का प्रकोप होता है उस खेत की गन्नों की पत्तियों में  इन cocoons  एवं eggmasses  को stapler  के द्वारा  लगा दिया जाता है जिनमें से कुछ दिनों में इस परजीवी कीट केlarvae निकलते हैं और उस खेत में  गन्ने की पत्तियों में  पाए जाने वाले  गन्ने के pyrilla  के adults   एवं nymphs  को 
Parasitized  करके  उनके नियंत्रण में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हैंl  इस इस परजीवी की कीट की pupal  स्टेज करीब 4 से 7 दिनों की एवं इसके प्रौढ़ एडल्ट स्टेज लगभग 5 से 7 दिनों की ही होती है l  इस प्रकार से इस परजीवी  कीट का जीवन चक्र 25 से 36 दिनों तक का होता है l जबकि गन्ने के पायला Pyrilla का जीवन चक्र लगभग 45 से 60 दिनों का होता है अर्थात जब तक pyrilla का एक जीवन चक्र पूरा होता है तब तक इस परजीवी के दो जीवन चक्र पूरे हो जाते हैं और इस वजह से यह परजीवी Pyrilla कीट के नियंत्रण में अपनी सक्रिय भूमिका अदा करता है l इस परजीवी किटको किसी क्षेत्र में रिलीज करने के लिए या छोड़ने के लिए कोकून के साथ-साथ अंडों को छोड़ने की प्राथमिकता दी जाती है l 2000 से 3000  cocoons तथा  400000 से 500000 अंडे जिसमें प्रतीक अन्य कई समूह में  लगभग औसतन 400 अंडे होते हैं  प्रति हेक्टर  रिलीज करने  से  Pyrilla के वांछित परिणाम  15 दिनों के  अंदर मिलते हैं  अगर खेतों में पर्याप्त आद्रता  हो l
 भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले वनस्पति संरक्षण संगरोध एवं संग्रह निदेशालय फरीदाबाद के अधीनस्थ विभिन्न केंद्रीय जैविक नियंत्रण  केंद्रों के द्वारा गन्ने के  Pyrilla  के इस परजीवी  कीट को भारत के लगभग सभी गन्ना  उत्पादक क्षेत्रों में जहां इस कीट की उपस्थिति नहीं पाई गई थी वहां इस कीट को गन्ने के खेतों में कॉलोनाइज करके  तथा स्थापित करके उन क्षेत्रों में गन्ने  केPyrilla  कीट के प्रकोप को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया गया तथा इन क्षेत्रों में  गन्ने के फसल के ऊपर  गन्ने केPyrilla के  नियंत्रण हेतु  किया जाने वाला हवाई छिड़काव बंद कराया गया , जिससे इस हवाई छिड़काव  पर भारत सरकार, राज्य सरकारों एवं चीन चीनी मिल मालिकों के द्वारा किया जाने वाला करोड़ों रुपयों का खर्चा  बचाया गया l
   मैंने इस निदेशालय के केंद्रीय जैविक नियंत्रण केंद्र फरीदाबाद मैं अपना कार्यभार 2 फरवरी 1978 को संभाला था इसके बाद मैंने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर के उपरोक्त  परजीवी कीट Epiricania melanoleuca के अंडसमूह वा Cocoons को हरियाणा तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश  के क्षेत्रों से  एकत्रित करके राजस्थान के  बूंदी जिले  के  केशोरायपाटन शुगर मिल  के अंतर्गत  आने वाले  विभिन्न क्षेत्रों में  स्थापित  किया  जिससे  वहां पर  गन्ने के Pyrilla का प्रभावी नियंत्रण  इस कीट के द्वारा  होने लगा  और  तब से इस कीट के द्वारा  किया जाने वाला खर्चा बचने लगा l यह कार्य वर्ष 1978-1979  के दौरान किया  गया था l
          इसी प्रकार का कार्य केंद्रीय जैविक नियंत्रण केंद्र गोरखपुर द्वारा वर्ष 1979 से दक्षिण गुजरात के सूरत वा वलसाड जिलों की विभिन्न चीनी मिलों के अंतर्गत प्रारंभ किया गया l वर्ष 1982 मैं मेरा चयन Entomologist (Biological Control) के पद पर हुआ था और और मैंने केंद्रीय जैविक नियंत्रण केंद्र सूरत  गुजरात  मैं 13 अगस्त 1982  को Entomologist ( बायो कंट्रोल ) के पद पर अपना कार्यभार संभाला था और वहां पर मैंने अपने सहयोगियों के साथ सबसे पहले गन्ने के Pyrilla  के नियंत्रण हेतु इस परजीवी कीट का दक्षिण गुजरात के सूरत एवं वलसाड जिला ओ Distts के विभिन्न चीनी मिलों के विभिन्न इलाकों में इसका कॉलोनाइजेशन एवं स्थापन करने का कार्य शुरू किया और इस कीट को विभिन्न इलाकों में पाई जाने वाली गन्ने के खेतों में अथवा फसल में स्थापित किया तथा इस परजीवी कीट की गतिविधि एवं परफारमेंस के ऊपर एक निगरानी कार्यक्रम चलाया और इस की परफॉर्मेंस को देखते हुए मैंने साउथ गुजरात के विभिन्न शुगर मिलो के अधिकारियों को सलाह दी कि वे इस क्षेत्र में गन्ने के ऊपर किए जाने वाले हवाई छिड़काव को बंद कर दें क्योंकि गन्ने की केप्रकोप व समस्या को यह किट प्रतिवर्ष नियंत्रण करने में सक्षम हो चुका था l इसके लिए हमें गुजरात राज्य के नीचे से लेकर ऊपर तक के सभी स्तर के सभी संबंधित अधिकारियों एवं वैज्ञानिकों के साथ संवाद एवं संपर्क स्थापित करना पड़ा था तथा वहां के मुख्य सचिव को भी पत्र लिखना पड़ा था जिसके फलस्वरूप दक्षिण गुजरात में होने वाले गन्ने की फसल पर होने वाले हवाई छिड़काव को बंद किया गया l इसके फलस्वरूप गुजरात  सरकार की एक एविएशन एडवाइजर की पोस्ट को भी खत्म करना पड़ा इससे राज्य सरकार का बहुत सारा खर्चा बचा बचाया जा सका और राज्य सरकार के खजाने से करोड़ों रुपयों की बचत हुई l
       दक्षिण गुजरात में इस परजीवी कीट की उपयोगिता को देखते हुए इस  परजीवी कीट का स्थापन गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली कोडीनार शुगर फैक्ट्री के विभिन्न इलाकों में मेरे देखरेख एवं भागीदारी  के रूप में भी किया गया और इस क्षेत्र में भी गन्ने के ऊपर होने वाले हवाई छिड़काव को बंद कराया गया l तथा भारत सरकार ,राज्य सरकार एवं गन्ना मालिकों के द्वारा गन्ने की फसल के ऊपर गन्ने के Pyrilla कीट के हेतु नियंत्रण हेतु  होने वाले करोड़ों रुपयों   को बचाया गया l इस प्रकार  का   कार्य वनस्पति संरक्षण ,संगरोध एवं संग्रह निदेशालय के अधीनस्थ विभिन्न केंद्रीय जैविक नियंत्रण केंद्रों के द्वारा देश के अन्य भागों में भी किया गया l वर्ष 1985 के दौरान पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ने के Pyrilla की महामारी को इसी विधि के द्वारा नियंत्रित किया गया और सरकार का इस कीट के नियंत्रण हेतु किया जाने वाला खर्चा बचाया गया l
    गन्ने के Pyrilla  कीट का जैविक नियंत्रण का यह उदाहरण वनस्पति  संरक्षण, संगरोध एवं संग्रह निदेशालय के अधीनस्थ विभिन्न केंद्रीय जैविक नियंत्रण केंद्रों के द्वारा देश के लगभग सभी गन्ना  उत्पादक राज्यों व क्षेत्रों में किए गए विभिन्न उपलब्धियों मैं से एक प्रमुख उपलब्धि है  जिसके द्वारा गन्ने की प्रमुख हानिकारक कीट Pyrilla की समस्या  का प्रभावी निदान किया गया  और अभी भी किया जा रहा है तथा इसके लिए हवाई छिड़काव बंद होने से इसके ऊपर किया जाने वाले करोड़ों रुपयों की बचत सरकार के खाते मैं हो रही है l

    

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