Parasitized करके उनके नियंत्रण में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हैंl इस इस परजीवी की कीट की pupal स्टेज करीब 4 से 7 दिनों की एवं इसके प्रौढ़ एडल्ट स्टेज लगभग 5 से 7 दिनों की ही होती है l इस प्रकार से इस परजीवी कीट का जीवन चक्र 25 से 36 दिनों तक का होता है l जबकि गन्ने के पायला Pyrilla का जीवन चक्र लगभग 45 से 60 दिनों का होता है अर्थात जब तक pyrilla का एक जीवन चक्र पूरा होता है तब तक इस परजीवी के दो जीवन चक्र पूरे हो जाते हैं और इस वजह से यह परजीवी Pyrilla कीट के नियंत्रण में अपनी सक्रिय भूमिका अदा करता है l इस परजीवी किटको किसी क्षेत्र में रिलीज करने के लिए या छोड़ने के लिए कोकून के साथ-साथ अंडों को छोड़ने की प्राथमिकता दी जाती है l 2000 से 3000 cocoons तथा 400000 से 500000 अंडे जिसमें प्रतीक अन्य कई समूह में लगभग औसतन 400 अंडे होते हैं प्रति हेक्टर रिलीज करने से Pyrilla के वांछित परिणाम 15 दिनों के अंदर मिलते हैं अगर खेतों में पर्याप्त आद्रता हो l
भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले वनस्पति संरक्षण संगरोध एवं संग्रह निदेशालय फरीदाबाद के अधीनस्थ विभिन्न केंद्रीय जैविक नियंत्रण केंद्रों के द्वारा गन्ने के Pyrilla के इस परजीवी कीट को भारत के लगभग सभी गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में जहां इस कीट की उपस्थिति नहीं पाई गई थी वहां इस कीट को गन्ने के खेतों में कॉलोनाइज करके तथा स्थापित करके उन क्षेत्रों में गन्ने केPyrilla कीट के प्रकोप को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया गया तथा इन क्षेत्रों में गन्ने के फसल के ऊपर गन्ने केPyrilla के नियंत्रण हेतु किया जाने वाला हवाई छिड़काव बंद कराया गया , जिससे इस हवाई छिड़काव पर भारत सरकार, राज्य सरकारों एवं चीन चीनी मिल मालिकों के द्वारा किया जाने वाला करोड़ों रुपयों का खर्चा बचाया गया l
मैंने इस निदेशालय के केंद्रीय जैविक नियंत्रण केंद्र फरीदाबाद मैं अपना कार्यभार 2 फरवरी 1978 को संभाला था इसके बाद मैंने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर के उपरोक्त परजीवी कीट Epiricania melanoleuca के अंडसमूह वा Cocoons को हरियाणा तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों से एकत्रित करके राजस्थान के बूंदी जिले के केशोरायपाटन शुगर मिल के अंतर्गत आने वाले विभिन्न क्षेत्रों में स्थापित किया जिससे वहां पर गन्ने के Pyrilla का प्रभावी नियंत्रण इस कीट के द्वारा होने लगा और तब से इस कीट के द्वारा किया जाने वाला खर्चा बचने लगा l यह कार्य वर्ष 1978-1979 के दौरान किया गया था l
इसी प्रकार का कार्य केंद्रीय जैविक नियंत्रण केंद्र गोरखपुर द्वारा वर्ष 1979 से दक्षिण गुजरात के सूरत वा वलसाड जिलों की विभिन्न चीनी मिलों के अंतर्गत प्रारंभ किया गया l वर्ष 1982 मैं मेरा चयन Entomologist (Biological Control) के पद पर हुआ था और और मैंने केंद्रीय जैविक नियंत्रण केंद्र सूरत गुजरात मैं 13 अगस्त 1982 को Entomologist ( बायो कंट्रोल ) के पद पर अपना कार्यभार संभाला था और वहां पर मैंने अपने सहयोगियों के साथ सबसे पहले गन्ने के Pyrilla के नियंत्रण हेतु इस परजीवी कीट का दक्षिण गुजरात के सूरत एवं वलसाड जिला ओ Distts के विभिन्न चीनी मिलों के विभिन्न इलाकों में इसका कॉलोनाइजेशन एवं स्थापन करने का कार्य शुरू किया और इस कीट को विभिन्न इलाकों में पाई जाने वाली गन्ने के खेतों में अथवा फसल में स्थापित किया तथा इस परजीवी कीट की गतिविधि एवं परफारमेंस के ऊपर एक निगरानी कार्यक्रम चलाया और इस की परफॉर्मेंस को देखते हुए मैंने साउथ गुजरात के विभिन्न शुगर मिलो के अधिकारियों को सलाह दी कि वे इस क्षेत्र में गन्ने के ऊपर किए जाने वाले हवाई छिड़काव को बंद कर दें क्योंकि गन्ने की केप्रकोप व समस्या को यह किट प्रतिवर्ष नियंत्रण करने में सक्षम हो चुका था l इसके लिए हमें गुजरात राज्य के नीचे से लेकर ऊपर तक के सभी स्तर के सभी संबंधित अधिकारियों एवं वैज्ञानिकों के साथ संवाद एवं संपर्क स्थापित करना पड़ा था तथा वहां के मुख्य सचिव को भी पत्र लिखना पड़ा था जिसके फलस्वरूप दक्षिण गुजरात में होने वाले गन्ने की फसल पर होने वाले हवाई छिड़काव को बंद किया गया l इसके फलस्वरूप गुजरात सरकार की एक एविएशन एडवाइजर की पोस्ट को भी खत्म करना पड़ा इससे राज्य सरकार का बहुत सारा खर्चा बचा बचाया जा सका और राज्य सरकार के खजाने से करोड़ों रुपयों की बचत हुई l
दक्षिण गुजरात में इस परजीवी कीट की उपयोगिता को देखते हुए इस परजीवी कीट का स्थापन गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली कोडीनार शुगर फैक्ट्री के विभिन्न इलाकों में मेरे देखरेख एवं भागीदारी के रूप में भी किया गया और इस क्षेत्र में भी गन्ने के ऊपर होने वाले हवाई छिड़काव को बंद कराया गया l तथा भारत सरकार ,राज्य सरकार एवं गन्ना मालिकों के द्वारा गन्ने की फसल के ऊपर गन्ने के Pyrilla कीट के हेतु नियंत्रण हेतु होने वाले करोड़ों रुपयों को बचाया गया l इस प्रकार का कार्य वनस्पति संरक्षण ,संगरोध एवं संग्रह निदेशालय के अधीनस्थ विभिन्न केंद्रीय जैविक नियंत्रण केंद्रों के द्वारा देश के अन्य भागों में भी किया गया l वर्ष 1985 के दौरान पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ने के Pyrilla की महामारी को इसी विधि के द्वारा नियंत्रित किया गया और सरकार का इस कीट के नियंत्रण हेतु किया जाने वाला खर्चा बचाया गया l
गन्ने के Pyrilla कीट का जैविक नियंत्रण का यह उदाहरण वनस्पति संरक्षण, संगरोध एवं संग्रह निदेशालय के अधीनस्थ विभिन्न केंद्रीय जैविक नियंत्रण केंद्रों के द्वारा देश के लगभग सभी गन्ना उत्पादक राज्यों व क्षेत्रों में किए गए विभिन्न उपलब्धियों मैं से एक प्रमुख उपलब्धि है जिसके द्वारा गन्ने की प्रमुख हानिकारक कीट Pyrilla की समस्या का प्रभावी निदान किया गया और अभी भी किया जा रहा है तथा इसके लिए हवाई छिड़काव बंद होने से इसके ऊपर किया जाने वाले करोड़ों रुपयों की बचत सरकार के खाते मैं हो रही है l
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