तो आगे बढ़ानी होगी आईपीएम की कहानी
और प्रारंभ करनी होगी प्राकृतिक खेती की एक नई कहानी
जिसे सुन नी होगी हम सब की जुबानी ।
प्राकृतिक खेती प्रकृति के सिद्धांतों पर आधारित खेती करने का एक तरीका है। रसायनिक खेती ने प्रकृति, समाज और खेती सभी का विध्वंस किया है। मिट्टी की उर्वरा शक्ति का क्षरण अथवा नष्ट होना, पारिस्थितिक तंत्र एवं उस में पाई जाने वाली जैव विविधता का नष्ट होना, भूजल स्तर को नीचे की ओर चला जाना या गहराई में चला जाना, मिट्टी में सूक्ष्मजीव एवं ह्यूमुस तथा ऑर्गेनिक कार्बन की संख्या में कमी होना, फसल उत्पाद के स्वाद मैं बदलाव, फसल लागत में बढ़ोतरी फसलों में लाभदायक जीवो का नष्ट होना तथा हानिकारक जीवो की संख्या में बढ़ोतरी, देसी गाय तथा देसी बीजों का संकरी करण, देश में बहुत बड़ी रसायनिक पेस्टिसाइड्स इंडस्ट्रीज का स्थापित होना आदि रसायनिक खेती के द्वारा हुए विध्वंस के कुछ उदाहरण है।
उपरोक्त समस्याओं का समाधान करते हुए प्रकृति के सिद्धांतों पर खेती करना ही प्राकृतिक खेती कहलाता है।
प्राकृतिक खेती की विचारधारा को कई तरीके और कई प्रकार से परिभाषित कर सकते हैं ।.
A. समाज को स्वस्थ रखते हुए
1. क्षतिग्रस्त हुए पारिस्थितिक तंत्र तथा जैव विविधता का पुनर स्थापन करना ।
Restoration of damaged Agroecosystem and biodiversity.
2. भूजल स्तर को ऊपर लाना ।
To uplift the level of ground water .
3. भोजन का टेस्ट अथवा स्वाद वापस लाना है जो भूमि मैंऑर्गेनिक कार्बन को बढ़ाने से होगा।
To bring back the taste of food which will come back by enhancing the organic carbon in soil.
4. फसल उत्पादन लागत कम करना तथा विक्रय मूल्य को बढ़ाना ।
To reduce the production cost crop produce.
5. भूमि की उर्वरा शक्ति को वापस लाना तथा उसको बढ़ाना जिससे बढ़ती हुई आबादी को खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
To bring back and enhance the fertility of soil to ensure food security for ever growing population of country.
6. देसी बीज एवं देसी गाय की प्रजातियां को बचाना।
To preserve and protect deshi seeds and varieties .
7. खेती की नवीन विधियों के साथ साथ परंपरागत विधियों को बढ़ावा देना ।
To. Promote tradditional methods of farming along with new innovative technologies
8. परिवार जिसमें जानवर भी शामिल है की जरूरत के हिसाब से फसलों का नियोजन।
Crop planning as per trequirement of the family inclding animals.
B.
Nature has a self sustained,self organised,self developing,self nourished,self planned,self active and symbolic crop production, protection and crop management system to maintain natural balance in nature including Agroecosystem and also to sustain life on earth including Agroecosystem as biodiversity.To study and to implement these natural processes without or with least disturbances to these crop production protection and mangement systems already going on in the nature to achieve the following objectives is a concept of natural farming or is called as Natural Farming.
Lets facilitate the crop production and protection systems or processes already going on in the nature or Agroecosystem to promote Natural Farming.
IPM and Natural Farming both are the bioecological approaches of crop production and protection in which thefarming is done with minimum or without use of chemicals withleast disturbance to community's health environment ecosystem biodiversity nature and society.
प्रकृति में प्राकृतिक संतुलन को कायम रखने तथा जीवन को जैव विविधता के रूप में स्थायित्व प्रदान करने हेतु एक स्वयं संचालित, स्वयं विकास जी , स्वयं पोशी, स्वयं नियोजित, स्वयं सक्रिय एवं सहजीवी आत्मनर्भर
फसल उत्पादन ,फसल रक्षा तथा फसल प्रबंधन पद्धतियां पाई जाती है। इन पद्धतियों को अध्ययन करके उनको कम से कम अथवा नहीं बाधित करते हुए तथा उनका क्रियान्वयन करते हुए निम्नलिखित उद्देश्य को पूरा करने हेतु तथा फसल उत्पादन व संरक्षण एवं फसल प्रबंधन की पद्धतियों से संबंधित पाई जाने वाली समस्याओं को हल करते हुए फसल उत्पादन, फसल रक्षा तथा फसल प्रबंधन करना ही प्राकृतिक खेती की विचारधारा है अथवा प्राकृतिक खेती है।
प्रकृति में चल रही फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा लाली को सुविधा प्रदान करके अथवा फैसिलिटेट करके प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा सकता है।
प्राकृतिक खेती एवं आई पी एम दोनों ही खेती करने के बायो इकोलॉजिकल अथवा जैव पारिस्थितिक तरीके हैं जिनमें रसायनों का न्यूनतम अथवा बिल्कुल ही इस्तेमाल ना करते हुए खेती की जाती है।
No comments:
Post a Comment