फिलॉस्फी को मेरे द्वारा लिखे गए आईपीएम सूत्रा ब्लॉग पर लिखे गए आईपीएम फिलॉस्फी से संबंधित सभी लेखों में पढ़ा जा सकता है IPM philosophy जीवन के विभिन्न पहलुओं से जुड़ी हुई वनस्पति संरक्षण की एक विचारधारा है जो पर्यावरण ,पारिस्थितिक तंत्रों, जैव विविधता प्रकृति व समाज को सुरक्षित एवं संरक्षित रखते हुए खाने योग सुरक्षित भोजन, पीने योग्य सुरक्षित पानी तथा रहने योग सुरक्षित पर्यावरण प्रदान करती हैl IPM भारत सरकार के फिट इंडिया ,स्वस्थ इंडिया, समृद्धि भारत , और ग्रीन इंडिया आदि प्रोग्राम को बढ़ावा देने में अपना महत्व पूर्ण योगदान देती है यह जीवन को सुचारू रूप से चलाने तथा उसको सरलतम बनाने में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करते हैं IPM जीवन को सरलतम तरीके से चलाने में सहायक होती है यह सुरक्षित ,लाभकारी ,स्थाई, अधिक आय देने वाली खेती की पद्धति है जो जीवन को स्थायित्व प्रदान करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देती है lआईपीएम के द्वारा हम कम से कम खर्चे में ,कम से कम रसायनिक कीटनाशकों का उपयोग करते हुए फसल पर्यावरण ,सामुदायिक स्वास्थ्य, जैव विविधता, समाज व प्रकृति को कम से कम हानि पहुंचाते हुए IPM की विभिन्न विधियों को एकीकृत रूप से प्रयोग करते हुए खेतों में पाए जाने वाले हानिकारक जीवो की संख्या को Arthik Hani स्तर के नीचे सीमित रखते हुए खाने योग्य सुरक्षित तथा व्यापारि हेतु गुणवत्ता युक्त कृषि उत्पादों का उत्पादन किया जाता है l
IPM आईपीएम अहिंसा ,संवेदनशीलता ,सहानुभूति ,सहनशीलता एवं समाज व प्रकृति के बीच सामंजस्य स्थापित करने के सिद्धांतों पर आधारित वनस्पति संरक्षण की एक विचारधारा है जो जिओ और जीने दो, फसलों में पाए जाने वाले सभी लाभदायक एवं हानिकारक जीवो के प्रति सहानुभूति रखना ,नासिजीवो की संख्या को ईटीएल सीमा के नीचे तक की संख्या के नुकसान को सहन करना, समाज और प्रकृति के बीच तालमेल बनाकर रसायनिक कीटनाशकों के प्रयोग को प्रथम प्रयोग के रूप में ना करके केवल आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए करके क्रियान्वयन किया जाता है l
IPM वसुधैव कुटुंबकम के सिद्धांत पर आधारित वनस्पति संरक्षण की एक विचारधारा है जो प्राकृतिक संसाधनों एवं सूक्ष्म जीवों के संरक्षण के लिए आवश्यक है IPM सामाजिक फसली तथा प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्रों को सही तरीके से कार्यरत करने के लिए सुविधा प्रदान करता है lआईपीएम विवेक और होशियारी के साथ खेती करने का तरीका है जिसमें समाज और प्राकृतिक दोनों का ध्यान रखते हुए वनस्पति संरक्षण किया जाता है lआईपीएम अपनाने हेतु प्रकृति व फसल पर्यावरण में पाए जाने वाले सभी जीवो का संरक्षण करना आवश्यक है इसके लिए कीटनाशकों का उपयोग कम से कम किया जाता है lफसल पर्यावरण में पाए जाने वाले सभी जीवो के संरक्षण हेतु फसल उत्पादन में की जाने वाली वे सभी क्रियाएं जिनका विशेष तौर से फसल पर्यावरण में पाए जाने वाले लाभदायक जीवो की संख्या के ऊपर विपरीत प्रभाव पड़ता है को ना करें l
आईपीएम फिलासफी फसल पर्यावरण या फसल पारिस्थितिक तंत्र से संबंधित सभी जैविक व अजैविक कारकों ,फसल पर्यावरण में पाए जाने वाले सभी लाभदायक जीवो जिनका के .प्रभाव फसल उत्पादन पर पड़ता है ,प्रकृति ,समाज ,क्रॉप फिजियोलॉजी ,अर्थ अर्थशास्त्र से जुड़ी हुई सभी समस्याएं एवं सिद्धांतों, पौधों कि विपरीत परिस्थितियों में सहन करने की क्षमता ,जैविक व अजैविक कारकों के द्वारा होने वाले नुकसान को कुछ हद तक सहन करने एवं कंपन सेट करने की क्षमता जिनका फसल उत्पादन पर प्रभाव पड़ता है के सामूहिक प्रभाव पर आधारित है l
पृथ्वी पर जीवन को स्थायित्व प्रदान करने ,प्रकृति व उसके संसाधनों तथा विभिन्न पारिस्थितिक तंत्रों को स्थायित्व प्रदान करना तथा उनका संरक्षण प्रदान करने के लिए आई पीएम का विशेष योगदान होता है lआईपीएम के मुख्य उद्देश्य में स्वस्थ समाज, संपन्न समाज ,शिक्षित समाज ,कार्य करने योग्य फिट समाज तथा रहने के लिए उपयुक्त तथा खतरों से मुक्त पर्यावरण बनाना प्रमुख है इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए आईपीएम अपनाएं l अनेकता में एकता हमारे देश की विशेषता हैl एग्रीकल्चर हमारे देश का कल्चर है lएग्रीकल्चर से संबंधित हमारे देश में बहुत सारी विधि बताएं हैं l इन विविधताओं में जलवायु, सीजन या मौसम ,मिट्टी, भोजन ,फसलों ,टोपोग्राफी ,वेशभूषा ,धर्म , जातियों तथा जीवो और पारिस्थितिक तंत्रों की विशेषताएं विविधता प्रमुख है जो खेती करने में अपना विशेष योगदान देती हैं तथा खेती में अपना प्रभाव डालते हैं IPM टेक्नोलॉजी को हमें इस प्रकार से विकसित करना चाहिए जिनसे इन विविधताओं के बावजूद हमें खेती का लाभ समाज व प्रकृति को प्रदान कर सकें l इस उद्देश्य को लेकर हमें आईपीएम के विधियों में परिवर्तन लाना चाहिए और उन्हें परिवर्तित करके प्रयोग करना चाहिए l
21वीं सदी में जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता का खत्म होना ,ताजे पानी और भोजन के घटते स्रोत और तूफान से गर्म हवा चलने तक के चरम मौसम की घटनाएं मानवता के लिए बड़ी चुनौती के रूप में भरकर आ रही है l इन जोखिम ओ को ध्यान में रखकर खेती और आईपीएम की पद्धतियों में सुधार करने की परम आवश्यकता है
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