मानवीय गतिविधियों एवं उनसे होने वाले विकास या विनाश की वजह से पर्यावरण व प्रकृति पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है जिसकी वजह से नदियों के सूखने, धरती की उर्वरा शक्ति में कमी तथा उसको सारी भूमि में बदलाव ग्लोबल वार्मिंग ,जलवायु परिवर्तन जैसे संकट व उनके दुष्परिणाम देखने को मिल रहे हैंl प्रकृति संसाधन जैसे पानी यदि बोतलों में बंद ना होकर नदियों तालाबों एवं पोखरा में होता तो प्रकृति चक्र पर विपरीत प्रभाव ना पड़ता ऐसी स्थिति में सरकार को प्रकृति व पर्यावरण संरक्षण की और प्रभावी कदम उठाना चाहिए तथा खेती व अन्य योजनाओं में उन गतिविधियों को नहीं अपनाना चाहिए जिनका सामुदायिक स्वास्थ्य एवं प्रकृति पर विपरीत प्रभाव पड़ता हो l जीवन को पृथ्वी पर स्थायित्व प्रदान करने के लिए स्वस्थ समाज बनाने ,के लिए शुद्ध एवं स्वच्छ पर्यावरण बनाने हेतु खेती में IPM को बढ़ावा देना आवश्यक है lइसके लिए खेतों में रसायनिक कीटनाशकों व उर्वरकों को सिर्फ किसी आपातकालीन स्थिति से निपटने की स्थिति में ही प्रयोग किया जाना चाहिए और इनका उपयोग सुरक्षित एवं न्यायोचित ढंग से किया जाना चाहिए lआईपीm के क्रियान्वयन हेतु बिना रसायन वाली विधियां को बढ़ावा देना चाहिए इसी सिद्धांत पर आधारित फसल सुरक्षा एवं फसल उत्पादन की विचारधारा के अनुसार खेती में फसल उत्पादन एवं फसल सुरक्षा करनी चाहिए l
सामाजिक, आर्थिक, प्राकृतिक ,पर्यावरण सुरक्षा एवं जीवन को स्थायित्व प्रदान करने की मांगों के अनुसार खेती करने की अवधारणा में समय अनुसार अनेक परिवर्तन किए गए जैसे स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश को खाद्यान्न मेंआत्मनिर्भर करने के लिए ग्रो मोर फूड कार्यक्रम, हरित क्रांति कार्यक्रम बाद में फसल सुरक्षा के हेतु इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट, विधियों को अलग अलग तरीके से इस्तेमाल करके कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग को रोककर न्यायोचित प्रयोग करने के उद्देश्य तथा जैविक विधियों को बढ़ावा देकर हानिकारक जीवो के प्रबंधन के लिए प्रयास किए गए lपरंतु यह देखा गया की आईपीएम की विधियां अलग अलग तरीके से इस्तेमाल करने पर उतनी लाभकारी सिद्ध नहीं हुई जितनी की एकीकृत रूप से क्या समेकित रूप से करने से हुई l इसके बाद IPM demonstration क्या आईपीएम विधियों को पैकेज के रूप में इस्तेमाल करने से आईपीएम विचारधारा को आगे बढ़ाया गया जिससे फसल उत्पादन मैं वृद्धि के साथ साथ कीटनाशकों के उपयोग में कमी आई इसके बाद प्लांट हेल्थ मैनेजमेंट ,जलवायु आधारित स्मार्ट फार्मिंग ,,ऑर्गेनिक फार्मिंग, जीरो बजट फार्मिंग, इंटीग्रेटेड फार्मिंग ,तथा प्रेसीजन फार्मिंग जैसे खेती की विभिन्न तकनीकों को विकसित किया गया तथा मॉडल विकसित किए गए जिनका अलग-अलग उद्देश्य थे. l हरित क्रांति कार्यक्रम से देश खाद्यान्न के लिए आत्मनिर्भर तो बन गया परंतु इस कार्यक्रम में प्रयोग किए गए रसायनिक कीटनाशकों का प्रयोग प्रोफिलैक्टिक यूज के रूप में किया गया जिससे फसल उत्पादन में इन कीटनाशकों तथा रसायनिक उर्वरकों का प्रयोग बढ़ गया जिससे बहुत सारी स्वास्थ्य व पर्यावरणीय समस्याएं उत्पन्न हुई तथा कृषि लागत में भी बढ़ोतरी देखी गई l इन सभी चीजों से निपटने के लिए अन्य कार्यक्रम जो ऊपर बताए गए हैं विकसित किए गए जिसका उद्देश्य पर्यावरण, पारिस्थितिक तंत्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य, आमदनी सुरक्षा की सुरक्षा के साथ-साथ किसानों की आय को बढ़ाना सर्वोपरि रखा गया lइंटीग्रेटेड फार्मिंग का मुख्य उद्देश्य खेती के साथ-साथ खेती से जुड़े हुए या जुड़ी हुई व्यापारिक गतिविधियां या उद्योगों को बढ़ावा देना शामिल है जिससे किसानों की आय को बढ़ाया जा सके तथा उनके जीवन स्तर को सुधार जीवन स्तर में सुधार लाया जा सके l उपरोक्त परिस्थितियों तथा कारणों से खेती करने की था फसल सुरक्षा की विचारधाराओं में उपयुक्त परिवर्तन लाना आज की प्रमुख आवश्यकता है lजिससे प्रकृति को व जीवन को दोनों को स्थायित्व प्रदान किया जा सके l
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