Friday, September 25, 2020

कृषि विकास एवं कृषक संपन्नता के बारे में कुछ विचार

दोस्तों किसी भी देश के विकास में वैज्ञानिकों इंजीनियरों, राजनीतिज्ञ एवं प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा कृष को व कृषि श्रमिकों का विशेष योगदान होता है  l कृष को या  कृषि श्रमिकों के योगदान के बगैर किसी भी देश का विकास संभव नहीं है l कृषक हमारे अन्नदाता है जो हमारे जीवन को चलाने के लिए हमें भोजन   प्र दान करते हैं l इसी प्रकार से कृषि श्रमिकों एवं अन्य श्रमिकों का देश के इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण एवं विकास हेतु महत्वपूर्ण योगदान होता है जिस के बगैर इंफ्रास्ट्रक्चर विकास संभव नहीं है l परंतु हमारे ही देश में नहीं बल्कि विश्व के अधिकतर देशों में कृष को एवं कृषि श्रम को तथा अन्य श्रमिकों को उपेक्षित किया जाता रहा है l उनके द्वारा पैदा की गई कृषि उत्पादकों का उचित मूल्य को निर्धारण करने  का अधिकार उन्हें नहीं दिया गया है l जबकि किसी उद्योगपति को उनके द्वारा निर्माण की गई की जाने वाली सभी औद्योगिक चीजों के मूल्य निर्धारण का अधिकार  उन्हें ही दिया गया है l यह चीज हमारे हिसाब से ठीक नहीं है l  कृषि के क्षेत्र में समय-समय पर वैज्ञानिकों के द्वारा अनेक मॉड्यूल विकसित किए गए जिनका उपयोग करके कृष को  ने कृषि उत्पादन विशेष तौर से अनाज के उत्पादन में गुणात्मक वृद्धि प्राप्त कर ली है परंतु इसके बावजूद भी उनकी संपन्नता का विकास नहीं हुआ है क्योंकि उत्पादन वृद्धि के अनुपात में उनकी आय वृद्धि नहीं हुई है जबकि सरकारी कर्मचारियों की आय वृद्धि कई गुना हो चुकी है  l जीवन चलाने के  लिए सभी वर्ग के लोगों के लिए एक ही प्रकार की आवश्यकताएं जरूरी होती है तभी सभी वर्गों का विकास एवं संपन्नता हो सकेगी l  कृष को के द्वारा उत्पादन की गई कृषि उत्पादों के मूल्यों वृद्धि  सरकारी कर्मचारियों के  वेतन में हुई वृद्धि  के अनुपात में कुछ भी नहीं हुई है l इसका कारण  कृषक हितेषी नीतियों कl ना बनाना तथा कृषकों एवं कृषि श्रम को की उपेक्षा करना ही है l हरित क्रांति तथा धवल क्रांति जैसी  उपलब्धियों के बावजूद भी कृषकों की आय में वृद्धि एवं उनकी संपन्नता नहीं हो पाई है इसके लिए आवश्यक है की कृषक हितेषी नीतियां बनाई  जाएं एवं नीति बनाते समय उन्हें उपेक्षित ना किया जाए l अधिक उत्पादन जहां एक ओर कृषि निर्यात आदि को बढ़ावा देने में सक्षम हुआ है वहीं दूसरी तरफ के एक समस्या भी बन गया है जिसकी वजह इन उत्पादों के रखरखाव के लिए तथा इनके प्रसंस्करण आदि के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर या आवश्यक मूलभूत ढांचा का ना बनना है कृषि क्षेत्र अब आवश्यकता से अधिक उत्पादन कर रहा है वर्ष 2019-20 मैं खाद्यान्नों का29.50 करोड़ टर्न रिकॉर्ड उत्पादन हुआ l 18.50 करोड़ तन दुग्ध उत्पादन के साथ हम विश्व के प्रथम स्थान पर है बागवानी फल सब्जियों का उत्पादन भी32 करोड़ टर्न वार्षिक हो रहा है l 2018-19 मैं332 डॉक्टर चीनी उत्पादन कर हम विश्व में प्रथम स्थान पर रहे l सिर्फ  तिलहन ओ एवं दlलों को छोड़कर सभी खाद्य पदार्थों के उत्पादन आवश्यकता से अधिक रहा है l खाद्य भंडारण की सुविधा एवं प्रसंस्करण में आधारभूत ढांचे के अभाव के कारण हर साल 16% फल और सब्जियां 10% खाद्यान्न डालें एवं तिलहन खराब हो जाते हैं l उचित भंडारण क्षमता ना होने के कारण किसान  aune पौने दामों में अपने कृषि उपज को बेचने में मजबूर हो जाते हैंl महंगाई की वृद्धि के अनुपात में कृषि उत्पादन के विक्रय मूल्य कृष को को ना मिलने की वजह से  उनकी आय वृद्धि नहीं हो पाती है  इसी वजह से  इनकी आर्थिक संपन्नता ही नहीं बढ़ पाती है l 
         आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उपलब्ध कराए जाने वाले संसाधनों सुविधाओं वं तरीका को  विकास कहते हैं आवश्यकताएं अनंत होती है जो कभी पूरी नहीं की जा सकती एक आवश्यकता पूरी होती है तो दूसरी उत्पन्न हो जाती है अतः विकास एक लगातार प्रोसेस है l
      ताश का दूसरा अर्थ ही महंगाई होता है विकास का दूसरा अर्थ ही महंगाई होता है जहां जितना विकास होगा उतनी ही महंगाई होगी क्योंकि विकास का अर्थ सुविधा प्रदान करना होता है और सुविधा है बनाने के लिए हमें अतिरिक्त खर्च करना पड़ता है जिससे महंगाई बढ़ती है परंतु विकास करते समय यह ध्यान रखा जाए कि विकास को विनाशकारी ना होने दिया जाए इसी को अच्छा विकास कहा जा सकता है l
       विकास में महंगाई अवश्य होती है और महंगाई होने पर आए वृद्धि का कोई महत्व नहीं होता है आए चाहे दोगुनी हो जाए या तीन गुनी हो जाए परंतु जब तक महंगाई पर लगाम नहीं लगाई जाती तब तक उस हाय वृद्धि का कोई महत्व नहीं होता है और उससे आर्थिक संपन्नता नहीं हो सकती आर्थिक संपन्नता लाने के लिए महंगाई को सीमित रखते हुए विकास करना आवश्यक है l
    देश को दो प्रकार के लोग चलाते हैं एक नेता और दूसरे ग्रुप रेट्स नेता किसी ना किसी मत या विचारधारा या पार्टी का होता है जो अपना एजेंडा लागू कर आते हैं जो लेता जितनी चतुराई से अपनी विचारधारा को लागू कर आता है उतना ही सक्षम माना जाता है अपनी विचारधारा को लागू कराते हुए विकास को आगे बढ़ाना ही नेता की काबिलियत मानी जाती है नीतियां भी चतुराई के साथ बनाई जाती है या लागू की जाती है कि वह आसानी से जनता के समझ में ना आ सके इसी को राजनीति कहते हैं l संतुलित विकास के लिए समाज की सभी वर्गों का घटकों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए सभी प्रकार की व्यवस्थाओं को ध्यान में रखते हुए संसाधनों को बनाना  तथा उन संसाधनों का वैज्ञानिक तरीकों से तथा सही तरीके से सही समय पर उपयोग करना  विकास को बढ़ाने में सहायक होता है प्रकृति व समाज तथा अन्य सभी प्रकार की विविधताओं को ध्यान में रखते हुए विकास करना ही समाज को आगे ले जा सकता है इसके लिए समाज की तथा प्रकृति की जरूरतों को समझना भी आवश्यक होता है  l और उसी हिसाब से विकास करना आवश्यक होता है तभी  देश के लोगों की तथा समाज की संपन्नता सुनिश्चित की जा सकती है l
            एकीकृत नासि जीव प्रबंधन  अथवा IPM   समाज व प्रकृति से जुड़ी हुई वनस्पति संरक्षण की एक विचारधारा है जो समाज व प्रकृति के  अनुरूप चलकर, इनकी आवश्यकता को ध्यान में रख कर तथा उनके अनुरूप संसाधनों का विकास करके बताए गए सही वैज्ञानिक तरीकों से सही समय पर  अपनाकर अपनाई जाती जा सकती है  और और प्रकृति में संतुलन लौटते हुए समाज में संपन्नता प्राप्त की जा सकती है l
          

Thursday, September 17, 2020

.IPM philosophy केअनुसार एकीकृत नासि जीव प्रबंधन हेतुखेती करने की पद्धति

आज के परिदृश्य एवं परिपेक्ष  में फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा  तथा एकीकृत नाशि जीव प्रबंधन  की विचारधारा पर्यावरण ,प्रकृति  ,समाज ,कृषक एवं कृषि श्रमिकों के लिए हितैषी तथा समाज व कृषकों की मांग पर आधारित होने के साथ-साथ सुरक्षित , स्थाई ,रोजगार प्रदान करने वाली ,व्यापार व आय को बढ़ाने वाली ,समाज  प्रकृति व जीवन के बीच सामंजस्य स्थापित करने वाली ,कृषकों के जीवन स्तर में सुधार लाने वाली तथा उनके जीवन की राIPह को आसान बनाने वाली एवं जीडीपी पर आधारित विकास के साथ-साथ पर्यावरण, प्रकृति ,समाज ,पारिस्थितिक तंत्र आदि के विकास को करने वाली होनी चाहिए   जो सुरक्षित भोजन के उत्पादन एवं खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित भी करती हो l इसके लिए फसल उत्पादन एवं फसल संरक्षण या एकीकृत नासिजीव प्रबंधन की ऐसी विधियां अपनाई जाए जो ऊपर बताए गए उद्देश्यों को पूरा  करती हो और    जिन का समाज, प्रकृति, पर्यावरण ,जैव विविधता एवं सामुदायिक स्वास्थ्य पर कोई विपरीत प्रभाव न पड़ता हो l  उसके लिए निम्नलिखित तरीकों सिद्धांतों एवं विधियों का प्रयोग किया जा सकता है l
1. खेती करने की अग्रिम योजना या एडवांस प्लानिंग करना
    इसके लिए खेती करने के असली उद्देश्य तथा कृषि उत्पादों के उत्पादन एवं consumption  का भी उद्देश्य तथा उत्पादन के बाद उनके विपणन, रखरखाव, प्रसंस्करण ,निर्यात आदि  जैसे उद्देश्यों को पहले ही स्पष्ट एवं परिभाषित कर लेना आवश्यक होता है l
2. खेती करने से पूर्व अपने एवं अपने सहयोगी कृषकों या बुजुर्गों अथवा कृषि विश्वविद्यालय के निपुण अधिकारियों निपुण अधिकारियों राज्य सरकार के प्रचार एवं प्रसार कार्यकर्ताओं आज की मदद से किसी विशेष स्थान के लिए लाभकारी एवं सुरक्षित फसल चक्र अवश्य ही चुन लेना चाहिए जिस की खेती करना उस विशेष स्थान पर संभव भी हो l
3. खेती करने के लिए प्रयोग किए जाने वाले सभी इनपुट की खरीदारी पहले से ही कर लेनी चाहिए l आई पीएम के हिसाब से खेती करने के लिए रसायनिक कीटनाशकों एवं रसायनिक उर्वरकों के स्थान पर जैविक कीटनाशकों एवं जैविक उर्वरकों तथा अन्य जैविक इनपुट्स को बढ़ावा देने के लिए इन जैविक इनपुट की खरीदारी एवं प्रयोग पर बल देना चाहिए l
4. आईपीएम खेती अथवा जैविक खेती करने के लिए कृषकों को प्रेरित करना चाहिए एवं उनमें समझ भी विकसित करना चाहिए जिससे वह सुरक्षित रसायन मुक्त खेती करने के लिए आगे बढ़ते रहें एवं अपनी रुचि दिखाते रहें l
5. जैविक खेती और आईपीएम पद्धति को को बढ़ावा देने के लिए खेती में प्रयोग किए जाने वाले सभी इनपुट एवं उस में होने वाले सभी खर्चों का विवरण अथवा लेखा-जोखा अवश्य रखना चाहिए  l
6. जैविक खेती अथवा आईपीएम पद्धति को बढ़ावा देने के लिए इकोलॉजिकल इंजीनियरिंग इंटरक्रॉपिंग बॉर्डर क्रॉसिंग बफर जोन फार्मिंग आदि तकनीकों को भी बढ़ावा देना चाहिए   इसके लिए प्रकृति में मौजूद फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा की व्यवस्था का अध्ययन करना चाहिए और उसी के सिद्धांतों के आधार पर फसल चक्र का ही चुनाव करना चाहिए l अर्थात फसल बोते समय इस बात का ध्यान रखा जाए की खेत में अधिकांश से अधिकांश क्षेत्र किसी ना किसी फसल के द्वारा अवश्य बोया गया हो जिससे पर यूनिट एरिया मैं अधिक फसल उत्पादन करके एक से अधिक लाभ प्राप्त किया जा सके l
7.Zero  budget based farming  के सिद्धांतों को लागू करते हुए किसानों के घर में जाने वाले inputs  के प्रयोग को बढ़ावा देना चाहिए l
8. खेती करते समय सफल किसानों के अनुभवों को भी समाहित करना चाहिए l
9. सरकार द्वारा  कृषक हितेषी methods तथा नीतियों को बनाना चाहिए तथा उनके अनुपालन में तथा उन को बढ़ावा देने हेतु सरकार के द्वारा किसानों को प्रेरित भी करना चाहिए l
10. बिना सरकार व समाज के सहयोग के कोई भी विचारधारा न तो सही तरीके से प्रयोग की जा सकती है और ना ही उनसे वांछित लाभ लिया जा सकता है l किसी विचारधारा को क्रियान्वयन करने के लिए सरकार व समाज का सहयोग अति आवश्यक है l
11. IPM अन्य किसी भी विचारधारा को सही तरीके से क्रियान्वयन करने के लिए सबसे पहले समाज पर्यावरण प्रकृति की समस्याओं को अध्ययन करना चाहिए और उनको ध्यान रखते हुए तथा उनकी जरूरतों को पूरा करते हुए विचारधारा को क्रियान्वित करना चाहिए l
12. किसान हमारे अन्नदाता एवं जीवन रक्षक है अतः उन्हें उपेक्षित नहीं करना चाहिए तथा उनकी समस्याओं को वरीयता पूर्वक हल करना चाहिए तभी  वह खाद्य सुरक्षा एवं सुरक्षित भोजन का उत्पादन कर सकेंगे l
13. ऐसा देखा गया है कि हर सरकार में हमारे किसान उपेक्षित रहे हैं और उनके द्वारा पैदा किए गए कृषि उत्पादों का मूल्य मैं बढ़ोतरी सही अनुपात में नहीं हुई है जिस प्रकार से हमारे सरकारी अधिकारियों अध्यापकों प्रोफेसर आज की होती है उदाहरण के तौर पर 1970 में गेहूं की कीमत ₹76 प्रति कुंतल होती थी जो 2015 में 1450 प्रति कुंटल हो गई जबकि सरकारी अधिकारियों मैं यह वृद्धि सरकारी कर्मचारियों के लिए120  से150   Guna अध्यापकों के लिए280 से320  गुना प्रोफेसरों के लिए150 से170 Guna  हुई है जबकि कृषकों के गेहूं की कीमत सिर्फ 19 गुना बढ़ी है जबकि उपरोक्त वृद्धि दर के हिसाब से उनकी गेहूं की कीमत7600 प्रति कुंटल होनी चाहिए l हमारे देश के सभी नागरिकों चाहे वह किसान हो या राजनैतिक या प्रशासनिक अधिकारी बेसिक जरूरत है एक ही ही होती है और होनी भी चाहिए l हमारे देश के कुछ अधिकारियों या विभागों में कपड़े धोने के लिए भत्ता दिया जाता है क्या कपड़े धोने की धोने की जरूरत किसानों को नहीं होती l सभी विभागों के  सरकारी कर्मचारियों को मिलाकर कुल 108 प्रकार के  allowances दिए जाते हैं  तो क्या किसानों को इन अलाउंस ओं की जरूरत नहीं है उनके living standard  को सरकारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों की तरह बराबर रखने के लिए जरूरी नहीं हैl  अवश्य ही जरूरी है तो हमारे किसान प्रत्येक सरकार के द्वारा उपेक्षित  रहे हैं l किसान हमारे अन्नदाता है जो हमारे जीवन को चलाने के लिए हमें भोजन देते हैं और उन्हीं को हम उपेक्षित रखते हैं यह उचित नहीं है l अतः प्रत्येक सरकार को चाहिए कि किसान हितेषी नीतियां और उनके जीवन स्तर को ऊपर  उठाएं l खेती को तभी एक इंडस्ट्री या उद्योग की तरह बनाया जा सकता है जबकि किसानों के द्वारा पैदा की जाने वाले  फसलों का उचित मूल्य दिया जाए तभी किसान मन लगाकर और अधिक मेहनत से खेती करेंगे तथा तथा देश की उन्नति भी होगी l
14.  फसल उत्पादन एवं फसल सुरक्षा अथवाIPM की किसी भी विधि को अकेले अथवा समेकित रूप से इस प्रकार से प्रयोग करना कि उनका सामुदायिक ,स्वास्थ्य ,पर्यावरण ,पारिस्थितिक तंत्र, प्रकृति, समाज एवं फसल उत्पादन अथवा फसल पैदावार पर कोई विपरीत प्रभाव ना पड़े आईपीएम कहलाता है l
15. IPM समाज प्रकृति को सुचारू  रूप से  या सही तरीके से चलाने एवं सुरक्षा प्रदान करने का एक प्रकार का  जन आंदोलन अथवा मिशन (  विशेष कार्य )  है जो समाज में सामूहिक चेतना(collective consciousness), सामूहिक जागरूकता एवं सामूहिक प्रेरणा पैदा करके क्रियान्वित किया जाता है l समाज व वह आईपीएल के सभी भागीदारों की भागीदारी होना आवश्यक है l
16. विकास को विनाशकारी ना होने दिया जाए यह सभी विचारधाराओं अथवा concepts  के क्रियान्वयन हेतु  एक मूल मंत्र है l
17. प्रकृति, समाज ,राजनीति, नीतियों , एवं आवश्यकताओं में समय-समय पर परिवर्तन होते रहते हैं l इन परिवर्तनों के अनुरूप अपने आप को बदलना अपनी जीवनशैली में परिवर्तन करना तथा तदनुसार किसी भी विचारधारा में परिवर्तन करके उस विचारधारा से सही व उचित लाभ लेने के लिए अति आवश्यक है  l इसी प्रकार से फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा पद्धतियों में भी समय-समय पर परिवर्तन होते रहते हैं जिनके अनुसार इनकी विचारधारा मैं भी परिवर्तन होना आवश्यक होता है l स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा के आवश्यकतानुसार करीब 20 तरीके के मॉड्यूस विकसित किए गए जो  जो समय अनुसार लाभप्रद सिद्ध हुए l   अक्सर यह देखा गया है कि कोई भी विचारधारा अथवा विधि या तरीका लगभग 10  या 15 साल तक  ही सही तरीके से लाभ प्रदान करता है या कार्य करता है इसके बाद उसमें कुछ ना कुछ कमी आ जाती है अथवा उनके कुछ दुष्परिणाम भी सामने आने लगते हैं  l यदि कोई टेक्नॉलॉजी 10  या 15 साल तक  hi सही तरीके से काम करती है तो वह अच्छी तकनोलॉजी मानी जाती है l


Saturday, September 12, 2020

IPM फिलासफी के प्रमुख बिंदु लगातार जारी

36. IPM एक मानसिकता परिवर्तन की एक विचारधारा है जिसमें सभी आईपीएम भागीदारों एवं कृषको के बीच में घर की गई Pro पेस्टिसाइडल अर्थात रसायनिक कीटनाशकों को  वरीयता पूर्ण ढंग से प्रयोग करने की मानसिकता को परिवर्तित करके रसायनिक कीटनाशकों को सिर्फ आपातकालीन स्थिति के निपटान हेतु ही प्रयोग करना चाहिए वाली मानसिकता में परिवर्तन करना आईपीएम का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है जिससे रसायनिक कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग करने से  फसल पर्यावरण अथवा फसल पारिस्थितिक तंत्र में हुए नुकसान की भरपाई की जा सके अथवा फसल पारिस्थितिक तंत्र का पुनर स्थापन किया जा सके  l
37. IPM inputs  का किसानों को ना उपलब्धता होना   का अर्थ यह नहीं है कि किसान आईपीएम नहीं कर सकते हैं l आईपीएम इनपुट आईपीएम को क्रियान्वयन करने में सिर्फ सहूलियत प्रदान कर सकते हैं l
38. IPM inputs का औद्योगिकीकरण करना आईपीएम क्रियान्वयन के लिए एक महत्वपूर्ण कार्यक्षेत्र हो सकता है l
39.   आईपीएम प्रकृति ,समाज और जीवन के बीच सामंजस्य स्थापित करने वाली वनस्पति संरक्षण की एक विचारधारा है l
40.   कोरोना की रोकथाम के लिए दृढ़ इच्छा शक्ति, सही विजन ,काम करने का जज्बा, समय रहते ही सही कदम उठाना ,किसी भी कीमत पर सफलता हासिल करना , हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपनाई जाने वाली रणनीति  के प्रमुख सिद्धांत  एवं बिंदु है जिन्हें जनता को जागरूक करके , प्रेरित करके तथा कानून के द्वारा बलपूर्वक लागू करके कोरोना की रोकथाम के लिए अपनाया गया तथा सफलता प्राप्त की गई उसी प्रकार से वही रणनीति आईपीएम के क्रियान्वयन हेतु भी अपनाई जा सकती है तथा समाज को कीटनाशकों से मुक्त भोजन तथा कृषि उत्पाद प्रदान करवाए जा सकते हैं l  कोरोना की रोकथाम के लिए अपनाई गई उपरोक्त रणनीति से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जब हम बगैर दवाई के कोरोना की रोकथाम सफलतापूर्वक कर सकते हैं तो बगैर कीटनाशकों के फसलों का उत्पादन भी किया जा सकता है बस जरूरत है एक प्रबल इच्छा शक्ति ,सही नेतृत्व ,सही समय पर कदम  उठाने की तथा सही सोच की और सही विधियों को सही तरीके से अपनाने की l
41. IPM के क्रियान्वयन हेतु राज्य एवं केंद्र सरकार एवं उनके प्रशासनिक अधिकारियों, सभी आईपीएम के भागीदारों ,समाज एवं कृषकों के बीच आपस में सामंजस्य, सहयोग एवं सपोर्ट होना अति आवश्यक है l इसके बगैर आई पीएम का ही नहीं बल्कि किसी भी विचारधारा का क्रियान्वयन होना संभव नहीं है l
42. किसी भी टेक्नोलॉजी को सही तरीके से इस्तेमाल करके ही मानसिक नतीजे प्राप्त किए जा सकते हैं l
43. बुद्धिमत्ता पूर्वक विवेक पूर्वक तथा सूझबूझ के साथ वनस्पति संरक्षण करना आईपीएम कहलाता है l
44. IPM  सिर्फ हानिकारक  जीवो की संख्या काही प्रबंधन नहीं है बल्कि वह हानिकारक जीवो के प्रबंधन के साथ-साथ पारिस्थितिक तंत्र प्रकृति व समाज को सुरक्षा प्रदान करने का एक विकल्प है जो जीवन के हर पहलू से जुड़ा हुआ विषय है l
45. आईपीएम वर्तमान की समस्याओं जवाब तथा भविष्य की आशाओं एवं एवं आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रयोग की जाने वाली वनस्पति संरक्षण या प्लांट प्रोटक्शन की एक विचारधारा है l
46.Human being is considered as top of the creatures .Let's realize it ,contribute and share the responsibilities  also as a top of the creature while doing IPM or Agriculture. 
47. आज पीएम एक प्रकार का जागरूकता कार्यक्रम है जिसमें समाज व आईपीएम के सभी स्टेकहोल्डर्स या भागीदारों के बीच में रसायनिक कीटनाशकों के दुष्परिणामों खेतों में पाए जाने वाले लाभदायक एवं हानिकारक जीवो के बारे में जानकारी, जैविक व अजैविक कारकों का कृषि उत्पादन में योगदान, फसल पर्यावरण में पाए जाने वाले प्राकृतिक फसल उत्पादन पद्धति की जानकारी ,फसल  उत्पादों में पाए जाने वाले रसायनिक कीटनाशकों के अवशेषों के दुष्परिणामों के बारे में जानकारी तथा फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा की  methods के सही तरीके से प्रयोग करने की जानकारी एवं उनको सही तरीके से ना प्रयोग करने पर उनसे होने वाले दुष्परिणामों की जानकारी के बारे में जागरूकता की जानी चाहिए l
48. आईपीएम समाज को रोटी कपड़ा और मकान जैसी  आवश्यकताओं पूरा करने व सुनिश्चित करने के लिए वाद्य है l IPM is committed to ensure and fulfill the needs like fooding,clothing,and houseingto the society .
49. प्रकृति  ,समाज ,पर्यावरण, पारिस्थितिक तंत्र ओं  ,को सुरक्षा प्रदान करते हुए अथवा सुरक्षित रखते हुए, देश, समाज, कृषकों एवं कृषि मजदूरों को समृद्ध साली एवं स्वस्थ बनाते हुए, समाज हेतु खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ सुरक्षित भोजन का उत्पादन सुनिश्चित करते हुए, जीवन, प्रकृति व पारिस्थितिक तंत्र ओं के बीच संतुलन व तालमेल रखते हुए वनस्पति संरक्षण करना या प्लांट प्रोटक्शन करना IPM का प्रमुख उद्देश्य है    या आईपीएम कहलाता है l
50. स्वस्थ समाज हेतु सुरक्षित  पर्यावरण व सुरक्षित प्रकृति के साथ सुरक्षित खेती करना IPM  का प्रमुख उद्देश्य है l

Thursday, September 3, 2020

मेरे द्वारा बनाई गई आईपीएम फिलासफी के कुछ प्रमुख बिंदु

मैंने आई पीएम  की अपने वैज्ञानिक ,शैक्षणिक ,व्यवसायिक ,सामाजिक ,प्राकृतिक ,आर्थिक ,पर्यावरणीय ,पारिस्थितिक तंत्री य ,आध्यात्मिक ,राजनैतिक ,अनुसंधान आत्मक, अनुभव के आधार पर जीवन के विभिन्न पहलुओं एवं ऊपर बताए गए दृष्टि कोणों के आधार पर   विवेचना करके आईपीएम को समाज व प्रकृति से जोड़ने का प्रयास किया है जिसे  IPM फिलासफी या आईपीएम दर्शन कहते हैं l इस आईपीएम  फिलोसोफी के कुछ मुख्य बिंदु इस प्रकार है:-
1. IPM प्लांट प्रोटक्शन   की विधि नहीं है बल्कि वह प्लांट प्रोटक्शन की एक विचारधारा है
2.  आईपीएम प्रकृति, समाज, पारिस्थितिक तंत्र ,पर्यावरण, सामुदायिक स्वास्थ्य, जैव विविधता तथा जीवन को स्थायित्व प्रदान करने वाले सभी    कार को को हानि ना पहुंचाते हुए खेती करने का एक तरीका है l
3. IPM एक कौशल विकास का कार्यक्रम है जिसमें हम आईपीएम के सभी भागीदारों को एवं कृषकों को कम से कम खर्चे में, कम से कम रसायनिक कीटनाशकों एवं रासायनिक उर्वरकों का उपयोग करके या करते हुए  खाने के लिए सुरक्षित भोजन एवं व्यापार के लिए गुणवत्ता युक्त कृषि  उत्पादों का उत्पादन  इस प्रकार से  करने के योग या सक्षम बनाते हैं की कृषि उत्पादों के उत्पादन क्रिया में अपनाई गई विधियां प्रकृति ,समाज, पारिस्थितिक तंत्र आदि को  कम से कम नुकसान पहुंचाएं या नुकसान ना पहुंचाएं 
IPM IS A WAY OF FARMING WITHOUT HARMING TO THE NATURE AND SOCIETY.
4. आईपीएम  वनस्प.ति संरक्षण का वह तरीका है  जो प्रकृति समाज जीवन से जुड़े हुए आवश्यक वस्तुएं  पारिस्थितिक तंत्र, सामुदायिक स्वास्थ्य, जैव विविधता आदि  का विशेष ध्यान रखकर   किया जाता है l
5.  IPM का क्रियान्वयन करते समय यह ध्यान रखा जाता है की उसमें देश का जीडीपी पर आधारित विकास के साथ-साथ प्रकृति,  पर्यावरण व समाज का विकास भी सुनिश्चित हो सके l
6.IPM is a vision for betterment of nature and future.
7. आज के सामाजिक, आर्थिक, प्राकृतिक ,पर्यावरण के परिपेक्ष एवं परिदृश्य में फसल उत्पादन एवं फसल सुरक्षा करने की विचारधारा अथवा आईपीएम की विचारधारा पर्यावरण  ,प्रकृति एवं समाज हितेषी ,लाभकारी, मांग पर आधारित होने के साथ-साथ सुरक्षित ,स्थाई ,रोजगार प्रदान करने वाली ,व्यापार को बढ़ावा देने वाली, आय को बढ़ावा देने वाली तथा समाज प्रकृति व जीवन के बीच सामंजस्य स्थापित करने वाली, जीवन की राह को आसान बनाने वाली होनी चाहिए तथा जीडीपी पर आधारित विकास के साथ-साथ सामाजिक ,प्राकृतिक ,पर्यावरण ,पारिस्थितिक तंत्र के विकास को करने वाली तथा कृष को ,कृषि श्रमिकों के जीवन स्तर में सुधार लाने वाली होनी चाहिए l
8. प्रकृति में मौजूद फसल उत्पादन एवं फसल संरक्षण की व्यवस्था का अध्ययन करके उसे IPM की व्यवस्था में  समाहित करें l
9. वर्तमान या मौजूदा जीने के तरीके को बदल कर प्रकृति के अनुकूल बनाना  l
10. प्रकृति पर आधारित बिना रसायन वाले विधियों को बढ़ावा दें l
11.  IPM अहिंसा, संवेदनशीलता ,सहानुभूति,, सहनशीलता एवं सामंजस्य पर आधारित वनस्पति संरक्षण की एक विचारधारा है l
12. आईपीएम विविधताओं के अनुकूल खेती करने का एक तरीका है l
13. पृथ्वी पर जीवन को स्थायित्व प्रदान करने के लिए एवं जीवन निर्माण हेतु आवश्यक सभी कार्य को को संरक्षण प्रदान करना l
14. IPM agroecosystem ,Environment, crop physiology,economics,Socialand natural,principles  पर आधारित प्लांट प्रोटक्शन के विचारधारा है l
15.Lets not misuse any natural and artificial resource while doing IPM.
16.IPM is not against use of chemical pesticides but definitely against the misuse  of the chemical pesticides. IPM  रसायनिक कीटनाशकों के प्रयोग के विरोध में नहीं है परंतु वह इसके दुरुपयोग के विरोध में अवश्य हैl आईपीएल के क्रियान्वयन हेतु रसायनिक कीटनाशकों का उपयोग सिर्फ आपातकालीन स्थिति के निपटान हेतु  किया जाता है l
17.None of the chemical pesticide is safe but it can be and must be used safely.

18.Agroecosystem damaged due to indiscriminate use of the chemical pesticides and chemical fertilizers may be restored while doing IPM.
19. Food security and food safety must go on simultaneously.  
20. किसी भी हानिकारक जीव यह पेस्ट की संख्या को किसी भी तरीके से इस ji तक कम करना की उस से होने वाला नुकसान नगण्य हो pest Management  ya Nasi jio prabandhan  kahlata hai. के लिए जब एक से अधिक विधियों का समेकित रूप से उपयोग करते हैं तो उसे एकीकृत ना सीजी प्रबंधन कहते हैं l
21.  खेती स्वयं में एक एकीकृत पद्धति है जिसमें विभिन्न विधियों को समेकित रूप तथा योजनाबद्ध तरीके से प्रयोग करके फसल उत्पादन एवं फसल सुरक्षा की जाती हैl
22. फसल पारिस्थितिक तंत्र मैं पाए जाने वाले सभी जैविक व अजैविक कार्य को का अपना महत्व एवं भूमिका है इस महत्व और भूमिका को पहचान करके प्रयोग में लाना ही  आईपीएम पद्धति कहलाती है l
23.IPM is a bio ecological approach of pest management in which ecofriendly approaches of pest management must be promoted. 
24.Tolerate the crop loss due to pest up to the pest population below ETL which is required for survival of beneficial organisms or biocontrol agents found In agroecosystem and to maintain  the ecological balance .
25.Managing the pests keeping in viewing food security,trade security,biosecurity,health security and Environment security.
26.All the organisms found in the Agroecosystem are not pests .Majority of them are beneficial which regulate the pest population and must be conserved in the agroecosystem. 
27.Not all the pests must must be controlled or managed .Manage or control only those pests which do not give us time to control or manage them.
28.Plants have its every parts more than its requirements. 
29.The plants have an ability to sustain themselves under certain adverse  conditions up to certain extent.
30.Abiotic factors also contribute for the crop loss or crop yield significantly.We must also consider those factors.
31 .The plants have an ability or capability to compensate the yield loss by the pests up to certain extent.
32.In IPM the pest population is managed (suppressed and maintained below ETL level or at level at which the harm due to pest is become insignificant  or minor) .
33.IPM is a variable package of different pest management strategies based on regular pest surveillance and agroecosystem Analysis for taking decisions for adoption of interventions for suppressing the pest population below ETL .In ipm the chemical pesticides are aimed to be adopted as a last option only to combate the emergent situation  in the field.Nonchemical methods are promoted or adopted before using chemicals.
34.All the pesticides are harmful to nature and society 
35.Pesticides are more harmful than the pests.