1. खेती करने की अग्रिम योजना या एडवांस प्लानिंग करना
इसके लिए खेती करने के असली उद्देश्य तथा कृषि उत्पादों के उत्पादन एवं consumption का भी उद्देश्य तथा उत्पादन के बाद उनके विपणन, रखरखाव, प्रसंस्करण ,निर्यात आदि जैसे उद्देश्यों को पहले ही स्पष्ट एवं परिभाषित कर लेना आवश्यक होता है l
2. खेती करने से पूर्व अपने एवं अपने सहयोगी कृषकों या बुजुर्गों अथवा कृषि विश्वविद्यालय के निपुण अधिकारियों निपुण अधिकारियों राज्य सरकार के प्रचार एवं प्रसार कार्यकर्ताओं आज की मदद से किसी विशेष स्थान के लिए लाभकारी एवं सुरक्षित फसल चक्र अवश्य ही चुन लेना चाहिए जिस की खेती करना उस विशेष स्थान पर संभव भी हो l
3. खेती करने के लिए प्रयोग किए जाने वाले सभी इनपुट की खरीदारी पहले से ही कर लेनी चाहिए l आई पीएम के हिसाब से खेती करने के लिए रसायनिक कीटनाशकों एवं रसायनिक उर्वरकों के स्थान पर जैविक कीटनाशकों एवं जैविक उर्वरकों तथा अन्य जैविक इनपुट्स को बढ़ावा देने के लिए इन जैविक इनपुट की खरीदारी एवं प्रयोग पर बल देना चाहिए l
4. आईपीएम खेती अथवा जैविक खेती करने के लिए कृषकों को प्रेरित करना चाहिए एवं उनमें समझ भी विकसित करना चाहिए जिससे वह सुरक्षित रसायन मुक्त खेती करने के लिए आगे बढ़ते रहें एवं अपनी रुचि दिखाते रहें l
5. जैविक खेती और आईपीएम पद्धति को को बढ़ावा देने के लिए खेती में प्रयोग किए जाने वाले सभी इनपुट एवं उस में होने वाले सभी खर्चों का विवरण अथवा लेखा-जोखा अवश्य रखना चाहिए l
6. जैविक खेती अथवा आईपीएम पद्धति को बढ़ावा देने के लिए इकोलॉजिकल इंजीनियरिंग इंटरक्रॉपिंग बॉर्डर क्रॉसिंग बफर जोन फार्मिंग आदि तकनीकों को भी बढ़ावा देना चाहिए इसके लिए प्रकृति में मौजूद फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा की व्यवस्था का अध्ययन करना चाहिए और उसी के सिद्धांतों के आधार पर फसल चक्र का ही चुनाव करना चाहिए l अर्थात फसल बोते समय इस बात का ध्यान रखा जाए की खेत में अधिकांश से अधिकांश क्षेत्र किसी ना किसी फसल के द्वारा अवश्य बोया गया हो जिससे पर यूनिट एरिया मैं अधिक फसल उत्पादन करके एक से अधिक लाभ प्राप्त किया जा सके l
7.Zero budget based farming के सिद्धांतों को लागू करते हुए किसानों के घर में जाने वाले inputs के प्रयोग को बढ़ावा देना चाहिए l
8. खेती करते समय सफल किसानों के अनुभवों को भी समाहित करना चाहिए l
9. सरकार द्वारा कृषक हितेषी methods तथा नीतियों को बनाना चाहिए तथा उनके अनुपालन में तथा उन को बढ़ावा देने हेतु सरकार के द्वारा किसानों को प्रेरित भी करना चाहिए l
10. बिना सरकार व समाज के सहयोग के कोई भी विचारधारा न तो सही तरीके से प्रयोग की जा सकती है और ना ही उनसे वांछित लाभ लिया जा सकता है l किसी विचारधारा को क्रियान्वयन करने के लिए सरकार व समाज का सहयोग अति आवश्यक है l
11. IPM अन्य किसी भी विचारधारा को सही तरीके से क्रियान्वयन करने के लिए सबसे पहले समाज पर्यावरण प्रकृति की समस्याओं को अध्ययन करना चाहिए और उनको ध्यान रखते हुए तथा उनकी जरूरतों को पूरा करते हुए विचारधारा को क्रियान्वित करना चाहिए l
12. किसान हमारे अन्नदाता एवं जीवन रक्षक है अतः उन्हें उपेक्षित नहीं करना चाहिए तथा उनकी समस्याओं को वरीयता पूर्वक हल करना चाहिए तभी वह खाद्य सुरक्षा एवं सुरक्षित भोजन का उत्पादन कर सकेंगे l
13. ऐसा देखा गया है कि हर सरकार में हमारे किसान उपेक्षित रहे हैं और उनके द्वारा पैदा किए गए कृषि उत्पादों का मूल्य मैं बढ़ोतरी सही अनुपात में नहीं हुई है जिस प्रकार से हमारे सरकारी अधिकारियों अध्यापकों प्रोफेसर आज की होती है उदाहरण के तौर पर 1970 में गेहूं की कीमत ₹76 प्रति कुंतल होती थी जो 2015 में 1450 प्रति कुंटल हो गई जबकि सरकारी अधिकारियों मैं यह वृद्धि सरकारी कर्मचारियों के लिए120 से150 Guna अध्यापकों के लिए280 से320 गुना प्रोफेसरों के लिए150 से170 Guna हुई है जबकि कृषकों के गेहूं की कीमत सिर्फ 19 गुना बढ़ी है जबकि उपरोक्त वृद्धि दर के हिसाब से उनकी गेहूं की कीमत7600 प्रति कुंटल होनी चाहिए l हमारे देश के सभी नागरिकों चाहे वह किसान हो या राजनैतिक या प्रशासनिक अधिकारी बेसिक जरूरत है एक ही ही होती है और होनी भी चाहिए l हमारे देश के कुछ अधिकारियों या विभागों में कपड़े धोने के लिए भत्ता दिया जाता है क्या कपड़े धोने की धोने की जरूरत किसानों को नहीं होती l सभी विभागों के सरकारी कर्मचारियों को मिलाकर कुल 108 प्रकार के allowances दिए जाते हैं तो क्या किसानों को इन अलाउंस ओं की जरूरत नहीं है उनके living standard को सरकारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों की तरह बराबर रखने के लिए जरूरी नहीं हैl अवश्य ही जरूरी है तो हमारे किसान प्रत्येक सरकार के द्वारा उपेक्षित रहे हैं l किसान हमारे अन्नदाता है जो हमारे जीवन को चलाने के लिए हमें भोजन देते हैं और उन्हीं को हम उपेक्षित रखते हैं यह उचित नहीं है l अतः प्रत्येक सरकार को चाहिए कि किसान हितेषी नीतियां और उनके जीवन स्तर को ऊपर उठाएं l खेती को तभी एक इंडस्ट्री या उद्योग की तरह बनाया जा सकता है जबकि किसानों के द्वारा पैदा की जाने वाले फसलों का उचित मूल्य दिया जाए तभी किसान मन लगाकर और अधिक मेहनत से खेती करेंगे तथा तथा देश की उन्नति भी होगी l
14. फसल उत्पादन एवं फसल सुरक्षा अथवाIPM की किसी भी विधि को अकेले अथवा समेकित रूप से इस प्रकार से प्रयोग करना कि उनका सामुदायिक ,स्वास्थ्य ,पर्यावरण ,पारिस्थितिक तंत्र, प्रकृति, समाज एवं फसल उत्पादन अथवा फसल पैदावार पर कोई विपरीत प्रभाव ना पड़े आईपीएम कहलाता है l
15. IPM समाज प्रकृति को सुचारू रूप से या सही तरीके से चलाने एवं सुरक्षा प्रदान करने का एक प्रकार का जन आंदोलन अथवा मिशन ( विशेष कार्य ) है जो समाज में सामूहिक चेतना(collective consciousness), सामूहिक जागरूकता एवं सामूहिक प्रेरणा पैदा करके क्रियान्वित किया जाता है l समाज व वह आईपीएल के सभी भागीदारों की भागीदारी होना आवश्यक है l
16. विकास को विनाशकारी ना होने दिया जाए यह सभी विचारधाराओं अथवा concepts के क्रियान्वयन हेतु एक मूल मंत्र है l
17. प्रकृति, समाज ,राजनीति, नीतियों , एवं आवश्यकताओं में समय-समय पर परिवर्तन होते रहते हैं l इन परिवर्तनों के अनुरूप अपने आप को बदलना अपनी जीवनशैली में परिवर्तन करना तथा तदनुसार किसी भी विचारधारा में परिवर्तन करके उस विचारधारा से सही व उचित लाभ लेने के लिए अति आवश्यक है l इसी प्रकार से फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा पद्धतियों में भी समय-समय पर परिवर्तन होते रहते हैं जिनके अनुसार इनकी विचारधारा मैं भी परिवर्तन होना आवश्यक होता है l स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा के आवश्यकतानुसार करीब 20 तरीके के मॉड्यूस विकसित किए गए जो जो समय अनुसार लाभप्रद सिद्ध हुए l अक्सर यह देखा गया है कि कोई भी विचारधारा अथवा विधि या तरीका लगभग 10 या 15 साल तक ही सही तरीके से लाभ प्रदान करता है या कार्य करता है इसके बाद उसमें कुछ ना कुछ कमी आ जाती है अथवा उनके कुछ दुष्परिणाम भी सामने आने लगते हैं l यदि कोई टेक्नॉलॉजी 10 या 15 साल तक hi सही तरीके से काम करती है तो वह अच्छी तकनोलॉजी मानी जाती है l
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