जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती तथा IPM के बेसिक अथवा मूल सिद्धांतों जैसे कम से कम खर्चे में या 0 खर्चे में अथवा फसल उत्पादन इनपुट पर खर्चा ना करते हुए सामाजिक स्वास्थ्य ,पारिस्थितिक तंत्र, पर्यावरण, जैव विविधता, प्रकृति व उसके संसाधनों के साथ-साथ पंच महा तत्व जैसे मिट्टी या भूमि, पानी, अग्नि अथवा सोलर सिस्टम और हवा आदि को नुकसान अथवा हानि ना पहुंचाते हुए वनस्पति संरक्षण ,फसल उत्पादन एवं फसल प्रबंधन की सभी गतिविधियों को आवश्यकता और वरीयता के अनुसार समेकित रूप से प्रयोग करके फसल पर्यावरण में पाए जाने वाले सभी हानिकारक जीवो की संख्या को आर्थिक हानि स्तर तक सीमित रखते हुए तथा फसल पर्यावरण में पाए जाने वाले सभी लाभदायक जीवो का फसल पर्यावरण में अथवा फसल पारिस्थितिक तंत्र में संरक्षण करते हुए और इसके साथ साथ पंचमहा तत्वों का प्रकृति में संरक्षण करते हुए भरपूर फसल का उत्पादन करना IPM एवं जीरो बजट आधारित प्राकृतिक खेती दोनों के सिद्धांत है l
जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती मैं काम में आने वाली सभी गतिविधियों को IPM के क्रियान्वयन हेतु अपनाया जा सकता है परंतु हमारे विचार से एक बार जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती में प्रयोग की जाने वाली गतिविधियां का Indian Council of Agricultural Research (ICAR) के द्वारा Validation अथवा Manya Karan अवश्य करवा लेना चाहिए l
ZBBNF और IPM दोनों ही प्रकृति के सिद्धांतों पर आधारित खेती करने की विचारधाराएं हैं जिनका लक्ष्य इनके क्रियान्वयन करते समय समाज व प्रकृति दोनों को सुरक्षित रखना है l प्रकृति की क्रियाशीलता परमात्मा के द्वारा गवन होती है अथवा संचालित होती है l प्रकृति ईश्वर का संविधान है l प्रकृति में ईश्वरी व्यवस्था है जिससे बिना मानव की सहायता के जंगल के वृक्ष भरपूर फसल देते हैं l इन जंगलों में पाए जाने वाले वृक्षों वनस्पतियों को खाद पानी सिंचाई आदि की व्यवस्था प्रकृति स्वयं ही करती है ,कोई मानव इसमें कोई भी सहयोग नहीं देता है ,फिर भी प्रकृति में पाए जाने Wala कोई भी पौधा भूखा नहीं रहता है उसको सभी खाद्य पदार्थ प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होते हैं l इसी वजह से जंगल के पौधे वृक्ष मानव की सहायता के बिना भी भरपूर फसल देते हैं l जंगल में स्थापित फसल उत्पादन की इस व्यवस्था का अध्ययन करके खेती करने की व्यवस्था में शामिल किया जा सकता है और कम से कम मेहनत तथा बाजार से खरीदे गए बिना किसी इनपुट के भरपूर फसल का उत्पादन किया जा सकता है l प्रकृति में पाए जाने वाले सूक्ष्म जीव एवं बड़े जीव प्रकृति संचालन में अपना बहुत बड़ा योगदान देते हैं l प्रकृति में पाए जाने वाले देसी केंचुए जमीन को पोला बनाते हैं और बरसात के पानी को जमीन में संचयन करते हैं l देसी केचुआ वर्षा जल प्रबंधन भी करता है l जमीन को उर्वरा शक्ति पौधों की जड़ों के पास पाए जाने वाले एक जैव
जिसे humus कहा जाता है के द्वारा मिलती है l प्रकृति में या जमीन मे humus का निर्माण प्रकृति में पाए जाने वाले सूक्ष्म जीवाणुओं के द्वारा होता है l यह सूक्ष्म जीवाणु जमीन में पाए जाने वाले कास्ट पदार्थों के विघटन से बनते हैं l इन जीवाणुओं की संख्या बढ़ाने के लिए खेतों में फसलों के अवशेषों, मंदिरों में पाए जाने वाले नारियल के रेशों तथा फूल माला आदि का आच्छादन करके उनके विघटन के द्वारा बढ़ाई जा सकती है l यह सभी पद्धति IPM
मैं भी अपना योगदान देती है l जीरो बजट पर आधारित खेती फसल में पाए जाने वाले माइक्रो ऑर्गेनाइज्म को पनपने में मदद करती है या उनके संरक्षण में मदद करती है l जीरो बजट पर आधारित खेती में फसलों के अवशेषों को जलाने की मनाई होती है अतः इन अवशेषों को फसलों में आच्छादन करने से फसलों में जैव नियंत्रण कार को तथा अन्य लाभदायक जीवो को पनपने एवं संरक्षण का अवसर प्रदान करते हैं अथवा अवसर मिलता हैl जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती मैं किसी भी प्रकार के रसायन का इस्तेमाल नहीं किया जाता जिससे जैव नियंत्रण कार को को खेतों में पनपने के लिए या संरक्षण हेतु बेहतर अनुकूल परिस्थितियां बन जाती है और उनके संरक्षण में मदद मिलती है l जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती एक प्रकार की इकोलॉजिकल इंजीनियरिंग का तरीका है जो फसल परिस्थितिक तंत्र को जैविक नियंत्रण कारकों के संरक्षण हेतु अनुकूल परिस्थितियां विकसित करने में सहायक होता है l जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती फसल पारिस्थितिक तंत्र को क्रियाशील या ऑपरेटिव बनाए रखने में मदद करता है जिससे जैव नियंत्रण कारकों का संरक्षण में मदद मिलती है l प्रकृति तंत्र एक प्रकार का आत्म निर्भय अथवा सेल्फ सस्टेंड और सेल्फ ऑपरेटिव तंत्र होता है जो सभी प्रकार के जीवो व निर्जीव वस्तुओं को फसल पर्यावरण में क्रियाशील रखता है l अतः फसल पारिस्थितिक तंत्र को हमें बाधित नहीं करना चाहिए l फसलों में रसायनिक कीटनाशकों अथवा रसायनिक उर्वरकों का अंधाधुंध इस्तेमाल फसल पर्यावरण को बिगड़ता है या छतिग्रस्त करता है अतः हमें छतिग्रस्त फसल पर्यावरण या क्षतिग्रस्त फसल पारिस्थितिक तंत्र का पुनर स्थापन करना चाहिए l जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती से क्षतिग्रस्त पारिस्थितिक तंत्र की पुनर्स्थापन मदद मिलती है जो लाभदायक जीवो के संरक्षण में सहायक होती है l जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती मैं संस्तुति की गई इंटरक्रॉपिंग लाभदायक जीवो के संरक्षण में सहायक होती है क्योंकि इंटरक्रॉपिंग से बना हुआ सूक्ष्म पारिस्थितिक तंत्र लाभदायक जीवो के पनपने में तथा उनके संरक्षण में सहायक होता है l
आज के सामाजिक, आर्थिक, प्राकृतिक ,जलवायु एवं पर्यावरण के परिदृश्य एवं परिपेक्ष में आजकल की फसल उत्पादन, फसल सुरक्षा अथवा IPM तथा फसल प्रबंधन की विचारधारा लाभकारी, मांग पर आधारित होने के साथ-साथ सुरक्षित,स्थाई, रोजगार प्रदान करने वाली, व्यापार व आय को बढ़ाने वाली, समाज ,प्रकृति व जीवन के बीच सामंजस्य स्थापित करने वाली ,कृषकों के जीवन स्तर में सुधार करने वाली तथा जीवन की राह को आसान बनाने वाली व जीडीपी पर आधारित आर्थिक विकास के साथ-साथ पर्यावरण ,प्रकृति ,समाज, पारिस्थितिक तंत्र ,के विकास को भी करने वाली या सुनिश्चित करने वाली होनी चाहिए तथा खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ सुरक्षित भोजन प्रदान करने वाली होनी चाहिए l
आजकल खेती करने के लिए विभिन्न प्रकार की विचारधाराएं या तरीके मांग के आधार पर विकसित किए गए हैं जिन के विभिन्न उद्देश्य हैं l इन तरीकों में ZBBNF ,IPM पद्धति, ऑर्गेनिक फार्मिंग, protected farming, integrated farming, sustainable agriculture, climet smart farming, आदि प्रमुख तरीके हैं जिन का मुख्य उद्देश्य खेती को लाभकारी बनाना ,फसल उत्पादन लागत को न्यूनतम करना अथवा 0 लेवल तक लाना, कृषकों की आय को बढ़ाना ,समाज को जहर मुक्त खाना प्रदान करना, ग्लोबल वार्मिंग तथा जलवायु परिवर्तन जैसे वैश्विक स्तर की समस्याओं से बचाना तथा पर्यावरण ,पारिस्थितिकी तंत्र ,जैव विविधता, प्रकृति व समाज को सुरक्षा प्रदान करना होता है l उपरोक्त बताई गई खेती की विधियों मैं प्रत्येक विधि में अपने कुछ सीमाएं हैं तथा उनके गुण व दोष भी हैं l Integrated Pest Management,(IPM) पद्धति खेती करने की पद्धतियों में एक मध्यम मार्ग है जिसमें कम से कम खर्चे में ,रसायनों का कम से कम अथवा ना उपयोग करते हुए तथा सामुदायिक स्वास्थ्य ,पर्यावरण, पारिस्थितिक तंत्र ,जैव विविधता ,प्रकृति व उसके संसाधनों तथा समाज को कम से कम हानि पहुंचाते हुए अधिक से अधिक एवं गुणवत्ता युक्त फसल उत्पाद पैदा किए जाते हैं l उपरोक्त बताई हुई करने की विधियों में से आसानी से उपलब्ध, सस्ती, समाज के द्वारा स्वीकार तथा संभावित एवं सुरक्षित विधियों का चयन करके इन सभी विधियों को एकीकृत रूप से प्रयोग करके कम से कम खर्चे में लाभदायक एवं जहर मुक्त खेती की जा सकती है l Integrated Pest Management खेती करने की पद्धति उपरोक्त बताई गई सभी पद्धतियों मै से बुद्धि एवं विवेक द्वारा चयन की गई विधियों का सही तरीके से और समेकित रूप से प्रयोग करते हुए खेती करने को
integrated pest management पद्धति कहते हैं जो खेती करने का सस्ता , टिकाऊ आसान, व्यवहार Viable तरीका है l
विभिन्न प्रकार की खेती करने की पद्धतियों मैं बताई गई प्रैक्टिसेज या गतिविधियों को बढ़ावा देने से पूर्व इंडियन काउंसिल आफ एग्रीकल्चरल रिसर्च से validation अथवा मान्य करण अवश्य करवा लेना चाहिए l किसी भी टेक्नोलॉजी को सीधे किसानों के हाथों में नहीं देना चाहिए उससे पहले उनके लिमिटेड सीमित demonstrations करके trials अवश्य कर लेना चाहिए उसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर वर्कशॉप करके उसकी वैधानिक रूप से सिफारिश कर देनी चाहिए l बात ही वह टेक्नोलॉजी किसानों के हाथ में आनी चाहिए l
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