Sunday, August 14, 2022

प्रकृति के प्रति सांस्कृतिक हमारी सोच

हम जीव में शिव देखते हैं
नर और नारी में  नारायण देखते हैं
नदी और धरती में मां देखते हैं
कंकर में शंकर देखते हैं
यंत्र पिंडे तत्र ब्रह्मांडे
जनकल्याण से जग कल्याण की ओर देखते हैं
अनेकता अथवा विविधता में एकता देखते हैं
स्वदेशी से स्वराज्य, स्वराज से सुराज्य
प्रकृति में परमात्मा देखते हैं
गाय में माता का रूप देखते हैं
जब हम धरती से जुड़ेंगे तभी तो ऊपर उड़ेंगे




प्राकृतिक खेती की विचारधारा

प्राकृतिक खेती आई पी एम  का एक सुधरा हुआ रूप है जिसमें खेती करने के लिए किसी भी रसायन का इस्तेमाल नहीं किया जाता तथा भूमि की उर्वरा शक्ति , खेतों में जैव विविधता को बढ़ावा देकर खेती की जाती हैl यह खेती अथवा प्राकृतिक खेती देसी गाय ,देसी बीज ,देसी पद्धतियों ,देसी एवं स्थानीय इनपुट , तथा देसी परंपराओं पर आधारित रसायन रहित एवं सुरक्षित खेती करने का तरीका है जिसमें प्रकृति  में चल रही फसल उत्पादन, फसल रक्षा, एवं फसल प्रबंधन की व्यवस्था का अध्ययन करके उनके अनुरूप methods को प्रयोग करके, स्थानीय स्तर पर गाय पर आधारित फसल उत्पादन इनपुट का प्रयोग करके, जमीन की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते हुए एवं कायम रखते हुए तथा खेतों में  जैव विविधता, ऑर्गेनिक कार्बन सूक्ष्म जीवों एवं सूक्ष्म तत्व तथा ह्यूमस को बढ़ावा देते हुए एवं उसका संरक्षण करते हुए बहु फसली उत्पादन पद्धति को अपनाते हुए खेतों के चारों तरफ वृक्षों आदि को लगाते हुए स्थानीय स्तर पर उपयुक्त एवं लाभकारी फसल चक्र अपनाते हुए, भूमि जल के स्तर को ऊपर लाने का प्रयास करते हुए, फसलों के देसी बीजों को बचाते हुए या संरक्षित करते हुए, नवीन विधियों के साथ-साथ परंपरागत विधियों को बढ़ावा देते हुए तथा परिवार जिसमें जानवर भी शामिल हैं की जरूरत के हिसाब से फसलों का नियोजन करते हुए, स्वस्थ समाज की कामना रखते हुए  कम से कम खर्चे में खेती की जाती है। इस प्रकार से की जाने वाली खेती को प्राकृतिक खेती कहते      हैl                                       ,                                                        राम आसरे
                                                 अपर वनसति संरक्षण                                      सलाहकार(आईपीएम) सेवानिवृत्त
Natural Farming is the improved version of IPM with no use of chemicals and with negligible or  no expenditure, to improve the fertility of soil,to enhance and conserve the biodiversity ,organic Carbon, microorganisms, micronutrients,Humus ,soil moisture,and also to restore the damaged Agroecosystem,through adoption of old tradditional practices of farming practices based on the nature's principles,and inputs based on deshi cow,using deshi seeds,enhancing the population of deshi earthworms in soil and also adopting suitable multi cropping crop rotation etc.
  ..                          ......                RAM ASRE
                                  Additional PPA IPM (Retd).

Wednesday, August 10, 2022

जैविक खेती

1.सोच बदलो तो सितारे बदल जायेंगे
नजर बदलो तो नजारे बदल जाएंगे
कश्तियां बदलने की जरूरत नहीं है
दिशा बदल लो तो किनारे बदल जायेंगे
2.If you are agree then do Agriculture. 
If you are hardly agree 
then do horticulture.
3. प्रकृति और पौधों से बात करते हुए उनकी आवश्यकता अनुसार खेती करें l
4. जमीन की भाषा समझाएं फिर उसके अनुसार खेती करें l
5. जमीन हमारी मां है जो जिंदा है क्योंकि वह हमें हमारे खाने के लिए अनाज, फल ,सब्जी आदि का उत्पादन करके देती है l उत्पादन वही कर सकती है जो जीवित हो l जो जमीन फसल उत्पादन नहीं कर सकती वह बंजर जमीन  कहलाती है l
6. पुराने जमाने में कोई भी किसान बाजार से साग ,सब्जी ,दाल आदि नहीं खरीदते थे l सभी अपने खेतों में से उत्पादन करते थे और विपरीत समय के लिए बड़ी और दाल आदि बना करके रख देते थे l
7. धरती धंधा नहीं धर्म है इसी प्रकार से खेती धंधा नहीं धर्म है l जो प्रकृति ने बनाया हैl
8. आरामदायक जीवन कभी अच्छा नहीं होता l
9. पहले के किसान खेती कीड़े, मकोड़े ,पशु, पक्षियों, पड़ोसियों, समाज के व्यक्तियों अंत में अपने मांग के आधार पर खेती किया करते थे l
10. खेती को धंधा बनाने पर ही जमीन की दुर्दशा हुई है l क्योंकि हमने उसमें आवश्यकता से अधिक रसायन डाले और जमीन की वास्तविक गुणवत्ता को नष्ट कर दिया l
11. जमीन जगत की पालनहार है l वह अन्नपूर्णा है l
12.Lets learn from the nature.
13.Observe more(to the nature),react less .
13 .Observe how nature is maintaining the natural balance.
Let's observe how the plants in forest are giving their optimum yield witouthuman assistance. 
14. रसायनों का इस्तेमाल कम करने के लिए हमने जमीनी स्तर से ना शुरुआत करते हुए एक रॉकेट साइंस से शुरुआत की और ऐसे विकल्प तलाश से  तथा प्रयोग किए जो साधारण तौर पर कृषकों को उनके द्वार पर उपलब्ध ना हो सके साथ ही साथ हमने रसायन रहित साधारण methods जो किसानों कौन के द्वार पर उपलब्ध आसानी से हो सकते थे को बढ़ावा नहीं दिया l प्राकृतिक खेती में या जैविक खेती में इसी इन्हीं प्रकार के रसायन रहित विकल्पों को जो किसानों के घरों में आसानी से बनाए जा सकते हैं बढ़ावा दिया जा रहा है उत्तम परिणाम लिए जा रहे हैं ऐसी विधियों को बढ़ावा देकर हम आईपी एम का क्रियान्वयन सुचारू रूप से कर सकते हैं l हमने पहले भी बताया हुआ है की आईपी एम जैविक खेती तथा प्राकृतिक खेती में छोटा-मोटा परिवर्तन करके एक दूसरे में परिवर्तित किया जा सकता है अथवा इनको पर्यायवाची बनाया जा सकता है तथा रसायन रहित तथा सुरक्षित खेती की जा सकती है l फसल उत्पादन, फसल रक्षा, तथा फसल प्रबंधन की विधि को सुरक्षात्मक बनाना ही आई पीएम का प्रमुख उद्देश्य है जिसको रसायनों के उपयोग को बंद करके किया जा सकता है l जिसके लिए आईपी एम के सभी भागीदारों अथवा स्टेकहोल्डर मैं मानसिकता परिवर्तन दिल से लाना पड़ेगा कि हमें खेती में रसायनों के उपयोग को पूर्ण रूप से बंद करना ही पड़ेगा l सोच परिवर्तन जब तक दिल से नहीं किया जाएगा जब तक रसायनों का इस्तेमाल होता रहेगा इसके लिए सरकार का सहयोग आवश्यक है और यह सरकार का प्राथमिक एजेंडा होना चाहिए l अब तक सरकार नहीं चाहेगी तब तक रसायनों का उपयोग खेती में बंद नहीं होगा l सरकार की शक्ति के कारण ही भारत  ने  करो ना जैसी बीमारी का नियंत्रण कर दिखाया l माननीय प्रधानमंत्री जी के द्वारा करो ना नियंत्रण हेतु अपनाई गई रणनीति से हमें शिक्षा लेनी चाहिए कि जब हम बगैर दवाई के कोरोना का नियंत्रण कर सकते हैं तो बगैर रसायनों की खेती क्यों नहीं की जा सकती है बस जरूरत है एक प्रबल इच्छा शक्ति की , एक सही विजन और रणनीति की, टीम भावना के साथ काम करने के जज्बा की, और हर हाल में उद्देश्यों को प्राप्त करने की l
आंखों की रोशनी से कुछ हो नहीं सकता
जब तक की जमीर की लौ बुलंद ना हो  l

Tuesday, August 9, 2022

जैविक खेती ,प्राकृतिक खेती ,आई पी एम तथा जहर मुक्त खेती करते समय खरपतवार नियंत्रण कैसे करें

दोस्तों मुख्य फसल जो बोई गई है उसके अलावा खेत में उगने वाले अन्य पौधों को हम खरपतवार ओ की श्रेणी में रखते हैं l  दोस्तों पहले यह विचारधारा थी कि खरपतवार हानिकारक जीव से अधिक हानिकारक होते हैं l परंतु जैविक खेती अथवा प्राकृतिक खेती के अध्ययन से यह पता चला की हर एक खरपतवार हानिकारक नहीं होते हैं बल्कि वह लाभदायक भी होते हैं जो विभिन्न प्रकार से हमें खेती करने में सहायक होते हैं l  खरपतवार ओं के नियंत्रण करने से पहले खरपतवार ओं के बारे में जानकारी अवश्य ले ली जाए तो ज्यादा अच्छा रहेगा जैसा कि मैंने बताया कि कुछ खरपतवार लाभदायक भी होते हैं वह जमीन मैं नमी तथा पानी के संरक्षण में मददगार होते हैं l कुछ खरपतवार ओं में नाइट्रोजन फिक्सेशन करने वाले बैक्टीरिया पाए जाते हैं जो उनके जड़ों में   nodules के फॉर्म में होते हैं l मुख्य फसल की ऊंचाई से कम ऊंचाई वाले खरपतवार ज्यादातर प्रकाश संश्लेषण में मुख्य फसल के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं करते परंतु मुख्य फसल से बड़ी ऊंचाई वाले खरपतवार मुख्य फसल के साथ प्रकाश संश्लेषण में कुछ हद तक प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं ऐसे खरपतवार ओं को जमीन में गिरा देना चाहिए तथा उनकी ऊंचाई को मुख्य फसल से छोटा कर देना चाहिए l खरपतवार ओं से हमें सीख लेनी चाहिए जो खेती करने में सहायक हो सकती l खरपतवार एक प्रकार के इंडिकेटर्स अथवा संकेतक के रूप में कार्य करते हैं जो हमें हमारी जमीन की कमी को बता देते हैं और जमीन को दुरुस्त करने में हमारी मदद करते हैं l
स्थिति के अनुसार गहरी जुताई ,बगैर जुताई, उचित फसल चक्र अपनाकर, जमीन को कवर करने वाली फसलों जैसे पुदीना को लगाकर, स्थानीय एवं अपने पास पाए जाने वाले इनपुट का उपयोग करके, ग्रीन मैन्यूरिंग या हरी खाद जैसी पद्धतियों को बढ़ावा देकर के खरपतवार ओं को बगैर रसायनिक खरपतवार नाशक ओ के नियंत्रित किया जा सकता है या उनका प्रबंधन किया जा सकता है l यह तरीके आईपीएम, प्राकृतिक खेती  ,जैविक खेती अथवा सुरक्षित खेती मैं प्रयोग किए जा सकते हैं l
बायो फेंसिंग:-