1.सोच बदलो तो सितारे बदल जायेंगे
नजर बदलो तो नजारे बदल जाएंगे
कश्तियां बदलने की जरूरत नहीं है
दिशा बदल लो तो किनारे बदल जायेंगे
2.If you are agree then do Agriculture.
If you are hardly agree
then do horticulture.
3. प्रकृति और पौधों से बात करते हुए उनकी आवश्यकता अनुसार खेती करें l
4. जमीन की भाषा समझाएं फिर उसके अनुसार खेती करें l
5. जमीन हमारी मां है जो जिंदा है क्योंकि वह हमें हमारे खाने के लिए अनाज, फल ,सब्जी आदि का उत्पादन करके देती है l उत्पादन वही कर सकती है जो जीवित हो l जो जमीन फसल उत्पादन नहीं कर सकती वह बंजर जमीन कहलाती है l
6. पुराने जमाने में कोई भी किसान बाजार से साग ,सब्जी ,दाल आदि नहीं खरीदते थे l सभी अपने खेतों में से उत्पादन करते थे और विपरीत समय के लिए बड़ी और दाल आदि बना करके रख देते थे l
7. धरती धंधा नहीं धर्म है इसी प्रकार से खेती धंधा नहीं धर्म है l जो प्रकृति ने बनाया हैl
8. आरामदायक जीवन कभी अच्छा नहीं होता l
9. पहले के किसान खेती कीड़े, मकोड़े ,पशु, पक्षियों, पड़ोसियों, समाज के व्यक्तियों अंत में अपने मांग के आधार पर खेती किया करते थे l
10. खेती को धंधा बनाने पर ही जमीन की दुर्दशा हुई है l क्योंकि हमने उसमें आवश्यकता से अधिक रसायन डाले और जमीन की वास्तविक गुणवत्ता को नष्ट कर दिया l
11. जमीन जगत की पालनहार है l वह अन्नपूर्णा है l
12.Lets learn from the nature.
13.Observe more(to the nature),react less .
13 .Observe how nature is maintaining the natural balance.
Let's observe how the plants in forest are giving their optimum yield witouthuman assistance.
14. रसायनों का इस्तेमाल कम करने के लिए हमने जमीनी स्तर से ना शुरुआत करते हुए एक रॉकेट साइंस से शुरुआत की और ऐसे विकल्प तलाश से तथा प्रयोग किए जो साधारण तौर पर कृषकों को उनके द्वार पर उपलब्ध ना हो सके साथ ही साथ हमने रसायन रहित साधारण methods जो किसानों कौन के द्वार पर उपलब्ध आसानी से हो सकते थे को बढ़ावा नहीं दिया l प्राकृतिक खेती में या जैविक खेती में इसी इन्हीं प्रकार के रसायन रहित विकल्पों को जो किसानों के घरों में आसानी से बनाए जा सकते हैं बढ़ावा दिया जा रहा है उत्तम परिणाम लिए जा रहे हैं ऐसी विधियों को बढ़ावा देकर हम आईपी एम का क्रियान्वयन सुचारू रूप से कर सकते हैं l हमने पहले भी बताया हुआ है की आईपी एम जैविक खेती तथा प्राकृतिक खेती में छोटा-मोटा परिवर्तन करके एक दूसरे में परिवर्तित किया जा सकता है अथवा इनको पर्यायवाची बनाया जा सकता है तथा रसायन रहित तथा सुरक्षित खेती की जा सकती है l फसल उत्पादन, फसल रक्षा, तथा फसल प्रबंधन की विधि को सुरक्षात्मक बनाना ही आई पीएम का प्रमुख उद्देश्य है जिसको रसायनों के उपयोग को बंद करके किया जा सकता है l जिसके लिए आईपी एम के सभी भागीदारों अथवा स्टेकहोल्डर मैं मानसिकता परिवर्तन दिल से लाना पड़ेगा कि हमें खेती में रसायनों के उपयोग को पूर्ण रूप से बंद करना ही पड़ेगा l सोच परिवर्तन जब तक दिल से नहीं किया जाएगा जब तक रसायनों का इस्तेमाल होता रहेगा इसके लिए सरकार का सहयोग आवश्यक है और यह सरकार का प्राथमिक एजेंडा होना चाहिए l अब तक सरकार नहीं चाहेगी तब तक रसायनों का उपयोग खेती में बंद नहीं होगा l सरकार की शक्ति के कारण ही भारत ने करो ना जैसी बीमारी का नियंत्रण कर दिखाया l माननीय प्रधानमंत्री जी के द्वारा करो ना नियंत्रण हेतु अपनाई गई रणनीति से हमें शिक्षा लेनी चाहिए कि जब हम बगैर दवाई के कोरोना का नियंत्रण कर सकते हैं तो बगैर रसायनों की खेती क्यों नहीं की जा सकती है बस जरूरत है एक प्रबल इच्छा शक्ति की , एक सही विजन और रणनीति की, टीम भावना के साथ काम करने के जज्बा की, और हर हाल में उद्देश्यों को प्राप्त करने की l
आंखों की रोशनी से कुछ हो नहीं सकता
जब तक की जमीर की लौ बुलंद ना हो l