नर और नारी में नारायण देखते हैं
नदी और धरती में मां देखते हैं
कंकर में शंकर देखते हैं
यंत्र पिंडे तत्र ब्रह्मांडे
जनकल्याण से जग कल्याण की ओर देखते हैं
अनेकता अथवा विविधता में एकता देखते हैं
स्वदेशी से स्वराज्य, स्वराज से सुराज्य
प्रकृति में परमात्मा देखते हैं
गाय में माता का रूप देखते हैं
जब हम धरती से जुड़ेंगे तभी तो ऊपर उड़ेंगे
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