प्रकृति के साथ तालमेल बनाते हुए प्रकृति हितैषी विधियों का प्रयोग करते हुए खेती करना प्राकृतिक खेती कहलाता है l
प्राकृतिक खेती की विचारधारा से संबंधित कुछ सिद्धांत इस प्रकार से है:-
1 . प्रकृति की व्यवस्था के अनुसार खेती करना l
2. जैव विविधता, मिट्टी, जल ,ऑर्गेनिक कार्बन, सूक्ष्मजीव, सूक्ष्म तत्व, हवा,Humus, सौर एवं ब्रह्मांड ऊर्जा का संरक्षण करते हुए खेती करना l
3. देसी गाय, देसी बीज, देसी खाद एवं देसी पद्धतियों अथवा विधियों को अपनाकर खेती करना l
4. बहु फसली अथवा मिश्रित खेती ,जंगल की व्यवस्था के अनुसार विभिन्न फसलों को एक साथ करते हुए खेती करना l
5. स्थानीय संसाधनों एवं परिस्थितियों के हिसाब से खेती करना l
6. हरी खाद ,गोबर की खाद, फसलों एवं पशुओं के अवशेषों का खेत में ही आच्छादन एवं प्रयोग करके खेती करना l
7. रसायनों का प्रयोग हर हालत में वर्जित है l
8. खेत में पाए जाने वाला सभी लाभदायक जीवो जैसे मधुमक्खी, भोरे, ततैया, केचुआ, मकड़िया कीटपरभक्षी, कीट परजीवी, कीटों को संक्रमित करने वाले विभिन्न प्रकार की फफूंद दिया, बैक्टीरिया , निमेटोड आदि का फसल पर्यावरण में संरक्षण करते हुए खेती करना l
9. उचित फसल चक्र अपनाते हुए खेती करना l
10. फसल पारिस्थितिक तंत्र को सक्रिय रखते हुए खेती करना l
11. हमारे पूर्वज किसानों के द्वारा प्रयोग की जाने वाली पारंपरिक विधियों का पुनर्जागरण एवं पुनर अथवा फिर बढ़ावा देकर बैक टू बेसिक के सिद्धांत को अपनाते हुए खेती करना भी प्राकृतिक खेती का सिद्धांत एवं विचारधारा है l
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