Saturday, September 24, 2022

अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष 2023

भारत में आदिकाल से मोटे अनाज की खेती होती चली आ रही है और वह हमारे भोजन का अहम हिस्सा रहे हैं l भारत सरकार के द्वारा वर्ष 2018 को मोटा अनाज वर्ष घोषित किया गया था l अब भारत के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र ने अगले वर्ष अर्थात 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय लिया है जिसे 70 देशों ने समर्थन दिया l
   मोटे अनाज में मुख्य रूप से बाजरा, मक्का , ज्वार  रागी, सामा, कोदो, कंगनी ,कुटकी और जो शामिल है जो हर दृष्टि से सेहत के लिए लाभदायक है l पिछली सदी के सातवें दशक में हरित क्रांति के नाम पर गेहूं व धान को प्राथमिकता देने से मोटे अनाज उपेक्षित  हो गए इसके बावजूद पशुओं के चारे तथा औद्योगिक इस्तेमाल बढ़ने के कारण इनका महत्व बना रहा l करोना के बाद मोटे अनाज इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में प्रतिष्ठित हुए जिन्हें सुपरफूड्स के नाम से जाना जाने लगा है l मोटे अनाज ग्लूटेन मुक्त होते हैं l
  न केवल सेहत बल्कि पर्यावरण की दृष्टि से भी मोटे अनाज किसी वरदान से कम नहीं l इन की पैदावार के लिए पानी की जरूरत कम पड़ती है खाद्य और पोषण सुरक्षा देने के साथ-साथ यह पशु चारा भी मुहैया कराते हैं l इनकी खेती अधिकतम वर्षा भी इलाकों मै उर्वरक एवं कीटनाशक ओके होती है  l मोटे अनाजों की खेती से विविधता पूर्ण खेती को बढ़ावा मिलेगा जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी साथ ही साथ रसायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के इस्तेमाल में कमी आएगी l
      स्वस्थ एवं पर्यावरण के अनुकूल मोटे अनाज खेती की स्थिति और किसानों के दिन फेरने में  पूरी तरह सक्षम है l

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