Sunday, September 18, 2022

प्राकृतिक खेती by Dr Bharat Bhushan Tyagi

1. धरती, पेड़ पौधे और पशु पक्षियों के साथ पूरकता पूर्वक रहना या जीना अथवा खेती करना ही प्राकृतिक खेती कहलाता है l
2. प्राकृतिक खेती प्रकृति के सिद्धांतों पर आधारित होती है l प्रकृति में अपने आप में फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा तथा जैव विविधता एवं फसल फसल पारिस्थितिक तंत्र को सक्रिय रखने वाली व्यवस्था चल रही हैl ऐसी व्यवस्था का अध्ययन करना और उसको लागू करके खेती करना ही प्राकृतिक खेती कहलाता है l
दोस्तों यह अनुभव किया गया की खेती करते समय हम फसल पारिस्थितिक तंत्र , प्रकृति उसके संसाधनों तथा जैव विविधता एवं समाज पर खेती करने के तरीके का पड़ने वाले प्रभाव का विशेष गहराई से अध्ययन नहीं किया गया या इनको उपेक्षित किया गया और रासायनिक खेती को वरीयता पूर्वक क्रियान्वयन किया गया जिससे समाज और प्रकृति उसके संसाधन, फसल पारिस्थितिक तंत्र और जैव विविधता बुरी तरह से प्रभावित हुए तथा क्षतिग्रस्त हुए l जिनके पुनर स्थापन हेतु हमारे विभिन्न बुद्धिजीवियों द्वारा प्राकृतिक खेती विचारधारा लाई गई जो रसायन रहित, दुष्प्रभाव रहित तथा जैव विविधता को बढ़ावा देने  वाली तथा फसल पारिस्थितिक तंत्र को सक्रिय रखने के लिए अपना योगदान दे रही है l
3. मनुष्य अपने लाभ के लिए जब प्राकृतिक सिस्टम के समानांतर सिस्टम अपनाते हैं तब प्रकृति और उसकी पद्धति को नुकसान होता है या क्षतिग्रस्त होता है l क्योंकि मनुष्य कर्म स्वतंत्रता को मनमानी में परिवर्तित कर लेता है l
4. प्रकृति में अपनी व्यवस्था है और प्रकृति अपनी ही व्यवस्था को स्वीकार करती है l
5. मनुष्य हमेशा व्यापार लाभ हlनी पर तुलनात्मक तरीके से लाभ देख कर काम करता है l
5. जंगलों में पेड़ बगैर पानी के भरपूर फसल देते हैं परंतु खेतों में पानी लगाना पड़ता है इसका कारण है मनुष्य का प्रकृति की पद्धति मैं हस्तक्षेप l
6. पुराने जमाने में खेती परिवार के लिए की जाती थी एक ही खेत में कई प्रकार की फसलें जरूरत के हिसाब से लगाई जाती थी l बाद में लोगों ने मोनोक्रॉपिंग पर जोर दिया इसे अनेक प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हुई l
7. मनुष्य में प्राकृतिक संसाधनों का दोहन किया इससे विभिन्न प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हुई l
8. खेती एक मैनेजमेंट प्लान है जिसमें कई प्रकार की चीजों का मैनेजमेंट किया जाता है जिनमें इकोलॉजी का मैनेजमेंट भी बहुत जरूरी है l
9. प्राकृतिक खेती जैव विविधता का खेल है l
10. हमने व्यवस्था को नहीं समझा और पैसों को व्यवस्था मान लिया l
11. प्रकृति की एक एक इकाई का आचरण एवं कर निश्चित है l
12. जंगल की व्यवस्था को क्योंकि आदमी नहीं देखता है इसलिए वह व्यवस्था व्यवस्थित रहती है परंतु खेतों की व्यवस्था को आदमी देखता है और उसमें लालच से भरा पड़ा हुआ इसी से व्यवस्था अव्यवस्थित होती है l
13. प्रकृति की व्यवस्था को व्यवस्थित रखना ही प्राकृतिक खेती है l इसी से प्रकृति में प्रकृति में संतुलन कायम रहता है l मनुष्य के हस्तक्षेप से हमने पानी को असंतुलित कर दिया जमीन को असंतुलित कर दिया किसी से सारी समस्याएं पैदा हुई l
14. मनुष्य ने अपने लालच में मोनोक्रॉपिंग की तरफ ध्यान दिया जिससे अनेक प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हुई अतः अब मोनोक्रॉपिंग से मल्टी क्रॉपिंग की ओर जाना पड़ेगा l
15. विभिन्न फसलों के साथ एक फसल हल्दी की भी लगाना चाहिए जिससे अनेक प्रकार के जानवरों की समस्या से छुटकारा मिल सकता है क्योंकि बहुत सारे जानवर हल्दी की गंध से दूर रहना चाहते हैं l इसी प्रकार से बहुत सारे पौधों विभिन्न प्रकार के कीड़ों को आकर्षित एवं दूर रखने में सक्षम होते हैंl मल्टी क्रॉपिंग जय व्यवस्था को प्रबल करती है l

No comments:

Post a Comment