1. प्रकृति की व्यवस्था स्वयं से संचालित स्वयं विकास सी एवं स्वयं पोशी होती है l
2. प्राकृतिक खेती शोषण नहीं परंतु सहजीवन के सिद्धांत पर कार्य करती है l
3. मनुष्य की तरह पौधों में भी जीवन है और मनुष्य की तरह पौधों में भी आत्मा पाई जाती है जो बीज के रूप में होती है l बीज अनुकूल परिस्थितियों में अंकुरित होकर पौधे को जन्म देता है l आत: बीज आत्मा की तरह अजर और अमर होता है l
4. देसी बीज एवं देसी गाय की सुरक्षा करना या बचाना सिर्फ हमारा दायित्व नहीं है बल्कि सरकार का भी दायित्व है l
5. प्रकाश संश्लेषण के द्वारा पौधे की हरि पत्तियां क्लोरोफिल ,कार्बन डाइऑक्साइड ,पानी तथा सौर ऊर्जा की सहायता से भोजन निर्माण करती है l यह भोजन शर्करा के रूप में बनता है जो पौधों के विकास एवं स्वसन के काम आता है lयही भोजन पौधों के जड़ों तक पहुंच जाता है जो जड़ों के विकास के काम में आता है l
प्रकृति में पानी मानसून के जरिए बरसात के रूप में पौधों को प्राप्त होता है l हवा से नाइट्रोजन प्राप्त होती है l विभिन्न पौधों में नाइट्रोजन फिक्सिंग बैक्टीरिया पाए जाते हैं l नाइट्रोजन फिक्सिंग बैक्टीरिया दो तरह के होते हैं l एक सहजीवी और दूसरे आ सहजीवी l Rhyzobium bacteria,Mycorhyza fungus, Blue green Algae जड़ों को नाइट्रोजन देते हैं जिसके बदले में जड़ जीवाणुओं को ऊर्जा हेतु शर्करा खिलाती है l इसी तरह कच्ची शर्करा से प्रोटीन बनती है l दाल वर्गीय फसलों अर्थात Leguminacyfamily के पौधों की जड़ों पर इस प्रकार के बैक्टीरिया पाए जाते हैं l जो नाइट्रोजन फिक्सेशन के काम करते हैं l यह बैक्टीरिया अधिकांशत दो दली पौधों की जड़ों में पाए जाते हैं l अतः एक दलीय पौधे जैसे राइस गेहूं आदि जिनमें इस प्रकार के बैक्टीरिया नहीं पाए जाते हैं इन फसलों को दलहनी फसलों के साथ लगाना चाहिए l सहजीवी बैक्टीरिया प्रयोगशाला में नहीं produce किए जा सकते Humanbeing is not a creator of of such symbiotic bacteria.Only the intestine of Deshi cow can produce such type of bacteria which can also be promoted in the fields by using Jeevamrit from the cow dung and urine of deshi cow.
सहजीवी सहजीवी बैक्टीरिया graminy family के पौधों की जड़ों के पास पाए जाते हैं l धान, गेहूं, गन्ना ,बाजरा, ज्वार ,रागी ,कोदो, कुटकी आदि graminy family की फसलें है l
6. अन्य जीवो की तरह भी पौधों का शरीर भी पंचमहाभूता अर्थात मिट्टी अथवा पृथ्वी जल अग्नि अर्थात कार्बन ,आकाश अर्थात सौर ऊर्जा वायु अर्थात एयर तथा ब्रम्हांड ऊर्जा से मिलकर बना है जो बाद में विघटन के द्वारा नष्ट हो जाता है इस विघटन में विभिन्न प्रकार के सूक्ष्म जीवों अपना योगदान देते हैं l परंतु पौधों मैं पाए जाने वाली आत्मा बीज के रूप में हमेशा जिंदा रहती हैं l जो एक नए पौधे को जन्म देती है l
7. पौधों में pests and diseases का प्रकोप पौधों में पाई जाने वाली प्रति रक्षात्मक Immunity power के ऊपर आधारित होती है l जिन पौधों में इम्यूनिटी पावर अर्थात प्रति रक्षात्मक शक्ति कम होती है उनमेंpests and Diseases जल्दी असर करती है तथा जब कोई भी बाहरी जीव या बीमारी उत्पन्न करने वाला अर्जेंट पौधे के अंदर प्रवेश करता है तो पौधे के अंदर पाई जाने वाली immunity power उसका विरोध करती है और आधार पौधे के अंदर प्रति रक्षात्मक पावर कम होती है तो वहpests and diseases पौधे कोinfect or infest करती है का प्रकोप करने के बाद पौधों से एक प्रकार का द्रव पदार्थ निकलता हैl
8. जब कोई अनवांटेड या चाहे जाने वाली मात्रा से अधिक पदार्थ पौधे के अंदर पहुंचता है तो पौधा एक प्रकार का द्रव्य बाहर निकालता है जो फसल में हानिकारक कीटों को फसल की तरफ आकर्षित करता है और फसल में हानिकार कीटों
8.Humus को हम जीवन द्रव भी कहते हैं यह एक जैव रासायनिक पदार्थ होता है जो फसलो की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने में सहायक होता है humus 24 घंटे कार्यरत रहता है l Humus की निर्मिती के समय एक साथ अनेक घटनाक्रम चलते रहते हैं l एक साथ कुछ पुराने घटक विघटित होते रहते हैं और नए घटकों की निर्मिती होती है l Humus की निर्मिती के समय पेड़ पौधों के विकास के लिए आवश्यक सभी खाद्य तत्वों का उपलब्ध होना आवश्यक है l यह खाद्य तत्व चार प्रकार के होते हैं जो निम्नलिखित है:-
*Carbon,Hydrogen and Oxygen
*Nitrozen,Phosphorous,Potashium (NPK)
*Calcium ,Magnishium Sulpher
*Micro nutrients.
Humus उपरोक्त खाद्य तत्वों को पौधों की जड़ों को जिस स्थिति में चाहिए उस स्थिति में उपलब्ध कराने में सहायक होता है l पेड़ पौधों की वृद्धि विकास के लिए आवश्यक जैविक अम्ल ह्यूमिक एसिड अन्य हार्मोन Humus ही निर्माण होते हैं और जड़ों को उपलब्ध कराए जाते हैं l पेड़ पौधों की जड़ों के लिए आवश्यक सभी खाद्य पदार्थ Humus से ही लेते हैं l Humus खाद्य पदार्थों का भंडार है Humus स्पंज की तरह कार्य करता है जो पानी को सोख लेता है l एक किलोग्रामHumus एक रात में 6 लीटर पानी खींच लेता है और जड़ों को उपलब्ध कराता है lHumus का निर्माण अनंत करोड़ अज्ञात सूक्ष्म जीवाणुओं के माध्यम से कास्ट पदार्थों के विघटन से होता है अर्थात Himus की निर्मिती के लिए तीन बातों की जरूरत होती है l
* फसल अवशेषों का आच्छादन
* सूक्ष्मजीवाणुओं युक्त जीवामृत
*Carbon :Nitrogen ratio.
10:1
आच्छादन मैं सिर्फ फसल अवशेषों का ही इस्तेमाल करना चाहिए ना कि की प्लास्टिक इत्यादि का l
9.4 steps of Carbon Cycle:-
*Carbon enter in to Atmosphere as CO2
*.CO2 a absorbed by Autotrophs or plants
* Animal consumers plants therefore incorporating carbon in to their system.
* Animals and plants die,their body is decomposed and Carbon reabsorbed in to atmosphere.
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