Tuesday, August 9, 2022

जैविक खेती ,प्राकृतिक खेती ,आई पी एम तथा जहर मुक्त खेती करते समय खरपतवार नियंत्रण कैसे करें

दोस्तों मुख्य फसल जो बोई गई है उसके अलावा खेत में उगने वाले अन्य पौधों को हम खरपतवार ओ की श्रेणी में रखते हैं l  दोस्तों पहले यह विचारधारा थी कि खरपतवार हानिकारक जीव से अधिक हानिकारक होते हैं l परंतु जैविक खेती अथवा प्राकृतिक खेती के अध्ययन से यह पता चला की हर एक खरपतवार हानिकारक नहीं होते हैं बल्कि वह लाभदायक भी होते हैं जो विभिन्न प्रकार से हमें खेती करने में सहायक होते हैं l  खरपतवार ओं के नियंत्रण करने से पहले खरपतवार ओं के बारे में जानकारी अवश्य ले ली जाए तो ज्यादा अच्छा रहेगा जैसा कि मैंने बताया कि कुछ खरपतवार लाभदायक भी होते हैं वह जमीन मैं नमी तथा पानी के संरक्षण में मददगार होते हैं l कुछ खरपतवार ओं में नाइट्रोजन फिक्सेशन करने वाले बैक्टीरिया पाए जाते हैं जो उनके जड़ों में   nodules के फॉर्म में होते हैं l मुख्य फसल की ऊंचाई से कम ऊंचाई वाले खरपतवार ज्यादातर प्रकाश संश्लेषण में मुख्य फसल के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं करते परंतु मुख्य फसल से बड़ी ऊंचाई वाले खरपतवार मुख्य फसल के साथ प्रकाश संश्लेषण में कुछ हद तक प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं ऐसे खरपतवार ओं को जमीन में गिरा देना चाहिए तथा उनकी ऊंचाई को मुख्य फसल से छोटा कर देना चाहिए l खरपतवार ओं से हमें सीख लेनी चाहिए जो खेती करने में सहायक हो सकती l खरपतवार एक प्रकार के इंडिकेटर्स अथवा संकेतक के रूप में कार्य करते हैं जो हमें हमारी जमीन की कमी को बता देते हैं और जमीन को दुरुस्त करने में हमारी मदद करते हैं l
स्थिति के अनुसार गहरी जुताई ,बगैर जुताई, उचित फसल चक्र अपनाकर, जमीन को कवर करने वाली फसलों जैसे पुदीना को लगाकर, स्थानीय एवं अपने पास पाए जाने वाले इनपुट का उपयोग करके, ग्रीन मैन्यूरिंग या हरी खाद जैसी पद्धतियों को बढ़ावा देकर के खरपतवार ओं को बगैर रसायनिक खरपतवार नाशक ओ के नियंत्रित किया जा सकता है या उनका प्रबंधन किया जा सकता है l यह तरीके आईपीएम, प्राकृतिक खेती  ,जैविक खेती अथवा सुरक्षित खेती मैं प्रयोग किए जा सकते हैं l
बायो फेंसिंग:-

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