Sunday, December 25, 2022

From chemical farming to Natural farming

A journey from Chemical Farming to Integrated Pest Management (IPM)Farming to Organic Farming to Natural Farming .

Friday, December 16, 2022

Few new experiences about I P M and Natural Farming,.

प्रकृति में फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा हेतु एक स्वयं संचालित, स्वयं विकास  ,स्वयं पोशी ,सहजीवी, सुनियोजित एवं स्वयं नियंत्रित व्यवस्था है जिसका अध्ययन करके और सुविधा प्रदान करके प्राकृतिक खेती एवं आई पीएम का क्रियान्वयन बड़ी सुगमता से किया जा सकता है l
      जमीन में सूक्ष्म जीवाणु, सूक्ष्म तत्व, Humus, जैविक कार्बन, एवं जैव विविधता की बढ़ोतरी से फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा सुगमता से की जा सकती है l
       प्राकृतिक खेती की विचारधारा देसी गाय, देसी बीज, देसी kenchua, desi paddhtiyan देसी उपाय आदि पर आधारित है l प्राकृतिक खेती जीवामृत ,घन जीवामृत,  वीजा अमृत ,वापस आ, आच्छादन, जैव विविधता, आदि पर आधारित है l इसके साथ साथ यह खेती  मिश्रित खेती, बॉर्डर फसलों, एवं खेतों के चारों तरफ फलदार वृक्षों की खेती को सह खेती के रूप में बढ़ावा देकर की जाती है l किसी भी खेती में पौधों के बीच में प्रतिस्पर्धा नहीं होती है बल्कि सहजीवन होता है l प्रतिस्पर्धा सिर्फ नमी एवं सूरज की रोशनी के लिए होती है जिसे आच्छादन द्वारा दूर किया जा सकता है l जंगलों में बड़े-बड़े पेड़ों के नीचे छोटे-छोटे पेड़ उनके नीचे झाड़ी तथा उनके नीचे बेल और घास आदि प्रकार के पौधे पाए जाते हैं ईद के ऊपर सूरज की रोशनी बड़ी आसानी से पहुंच सकती है और वह सभी प्रकार के पौधे अपना भोजन आसानी से बना सकते हैं l प्राकृतिक खेती  इसी सिद्धांत के आधार पर की जाति की जाती है l इन प्रकार से पौधों के उदाहरण निम्न वत है:_
*बड़े वृक्ष___आम, इमली, कटहल ,नीम ,का जू ,जामुन, महुआ सागौन, बरगद, नारियल आदि
*बड़ी फसलें_____गन्ना का धान गेहूं आदि
*पेड़____आमला , अमरूद , किन्नू,माल्टा, अंजीर देसी केला सुपारी, संतरा 
    दलहन, तिलहन सब्जियां सब्जियां
*झाड़ी नुमा_____शरीफा अनार, कड़ी पत्ता, केरा ,इलायची, बेल,
 झावेरी, अरंडी
*मिर्ची अरबी आलू शकरकंद हल्दी
*क्रीपर____पुदीना पुदीना
गोबर की खाद तथा यूरिया ke prayog को अगर हम खेती में बंद कर दें तो खरपतवार ओं की समस्या खत्म हो जाएगी l अगर सूरज की रोशनी को खरपतवार ओं तक न पहुंचने दिया जाए तो खरपतवार ओं की समस्या अपने आप खत्म हो जाएगी यह काम अच्छा धन के द्वारा किया जा सकता है l दो डाली  वाले खरपतवार नाइट्रोजन को फिक्स करने में सहायता देते हैं l मौसमी फसलों पर  खरपतवार का प्रबंधन आवश्यक होता है l खरपतवार ओं को उखाड़ कर खेतों में ही रख देने से आच्छादन द्वारा विभिन्न प्रकार के लाभ होते हैं l खरपतवार ओं के विघटन  सेHumus निर्मिति होती है l आच्छादन में फसलों के अवशेष, सब्जी मंडी से निकले हुए सब्जियों के अवशेष, केले के फसलों के अवशेष, मंदिरों के फूल तथा नारियल बाजारों के फटे पुराने बोरे तथा कॉटन के कपड़े आदि भी प्रयोग किए जा सकते हैं l

Monday, December 5, 2022

प्राकृतिक खेती में हानिकारक जीवो का नियंत्रण हेतु जैविक कीटनाशक कैसे बनाएं

1. नीमस्त्र(नीमस्त्र):____
     पानी।  200lit
     गोमूत्र 10 lit
   देसी गाय का गोबर। 2kg
    नीम की मुलायम  टहनियां। 10kg 
   डंडे से गोलू और बोरी से ढक कर 48 घंटे तक  रखें ठंड में 4 दिनों तक रखें इसके बाद इसका भंडारण करें और प्रयोग करें l इसमें पानी नहीं मिलाना है l इसका प्रयोग sucking pests  के ऊपर करें l
2. ब्रह्मास्त्र:___For lepifppteran पेस्ट्स
     गोमूत्र 20lit
     नीम की पत्ती समेत टहनियों की चटनी  2kg
    करंज के पत्तों की चटनी।   2kg
     शरीफा के पत्तों की चटनी।  2के
    अरंडी के पत्तों की चटनी।    2kg
   धतूरे के पत्तों की चटनी।        2kg
   आम के पत्तों की चटनी।        2kg
   लटाना के पत्तों की चटनी।      2kg
   उपरोक्त वनस्पतियों में से कोई भी पांच वनस्पतियों की चटनी प्रयोग की जा सकते हैं l उपरोक्त सामग्री को 20 लीटर गोमूत्र मैं धीमी धीमी आंच पर उबालें एक वाली आने के बाद 48 घंटे rakhen दिन में दो बार खिलाए।  l इसके बाद कपड़े से छान से और 200 लीटर पानी 6 लीटर ब्रह्मास्त्र के हिसाब से मिलाकर 1 एकड़ के लिएspray करें करें l
3. अग्नि अस्त्र चने की सुंडी के लिए
     गोमूत्र। 20lit
      नीम की पत्ती समेत पहेलियां। 2kg
      तंबाकू 500gm
      हरी मिर्च की चटनी 500gm
      देसी लहसुन की चटनी 250
      सब को मिलाकर बोलिए तथा ढक्कन से ढककर एक वाली आने तक गर्म करें l 48 घंटे तक रखें l दिन में एक बार डंडे से हिलाए तथा प्रयोग कर रहे हैं अथवा भंडारण करें l
4. दशपर्णी अर्क:___For all types of pests.
    पानी 200 लीटर 
  गोमूत्र 2lit
  देसी गाय का गोबर 2kg
करंज के पत्ते2kg
अरंड के पत्ते 2kg
शरीफा के पत्ते 2kg
बेल के पत्ते 2kg
Genda panchang 2kg
तुलसी की टहनियां। 2केजी
धतूरा के पत्ते।   2केg
आम के पत्ते 2के
आक के पत्ते 2kg
अमरूद के पत्ते 2kg
अनार के पत्ते 2kg
कड़वा करेला 2kg 
गुड़हल के पत्ते 2kg
कनेर के पत्ते 2के यू
अर्जुन की पत्तियां 2kg
हल्दी के पत्ते 2kg
अदरक के पत्ते 2kg
Papaya leaves
Inmein se koi 10 patte
Haldi powder 500g
अदरक की चटनी 500g
Hing पाउडर।   10g
Tobaco powder 1kg
Green chilli। 1kg
Garlic। Paste500gm
सबको बोल दे बोरी से ढके छाया में30_४० दिनों तक रखें l कपड़े से छान लें, पोटली बनाकर ने ने चोर ले निचोड़ लें l  इसको को 6 महीने तक भंडारण कर सकते हैं l


















आई पी एम, जैविक खेती तथा प्राकृतिक खेती भावी पीढ़ियों को हम क्या प्रदान करना चाहते हैं

1, खेतों की उपजाऊ मिट्टी
2, प्रदूषण रहित पर्यावरण
3, सक्रिय पारिस्थितिक तंत्र एवं जैव विविधता
4. शुद्ध हवा
5,. प्राकृतिक संतुलन
6,, आर्थिक विकास के साथ-साथ पर्यावरण विकास
7.फूड सिक्योरिटी के साथ-साथ पर्यावरण सिक्योरिटी
8.फूड सिक्योरिटी अलांग विद फूड सेफ्टी
9.



प्राकृतिक खेती और जैविक खेती में हानिकारक कीटों का नियंत्रण कैसे करें

1. आईपीएम पद्धति मैं अपनाए जाने वाले रसायनों को छोड़कर सभी रसायन मुक्त विधियों को बढ़ावा देकर हानिकारक कीटों का नियंत्रण किया जा सकता है l
2. फसलों में हानिकारक कीट निगरानी एवं उनकी संख्या का आकलन का कार्यक्रम सघनता से चलाकर एक निश्चित समय अंतर पर फसल पारिस्थितिक तंत्र विश्लेषण तथा पेस्ट रिस्क एनालिसिस के द्वारा  फसल में अपनाई जाने वाली गतिविधियों के बारे में निर्णय लेकर विभिन्न विभिन्न  गतिविधियों को क्रियान्वित करें l हानिकारक कीटों के संख्या की तथा उनकी उपस्थिति की जानकारी हेतु विभिन्न प्रकार के ट्रैप्स का इस्तेमाल करें l
3. प्राकृतिक खेती हेतु देसी बीज का चयन करें l
4.  फसल बोने से पहले बीजों का वीजा मृत सेउपचार करेंl
5. खेत की मिट्टी को जीवामृत एवं घन जीवामृत से उपचारित करें l बोने के बाद फसलों में जीवामृत का निश्चित अंतराल से प्रयोग करते रहे l जिससे फसल में जमीन के ऊपर तथा जमीन के नीचे के फसल पारिस्थितिक तंत्र मेंजैव विविधता की बढ़ोतरी होती रहेगी जिससे फसलों की जड़ों को Humus , तथा जैविक कार्बन की निर्मिती में सहयोग करने वाले सूक्ष्म जीवाणु तथा केंचुआ आदि लाभदायक जीवो  की मिट्टी में वृद्धि होती रहेगी l
6. फसल चक्र को बदलते हुए तथा एक फसली फसल चक्र की जगह बहु फसली खेती को बढ़ावा देते हुए खेती करनी चाहिए l
7. बीज उपचार हेतु Trichodermma,Pseudomonas,Beauveri bassiana, Metarhyzium,नीम oil, आदि के प्रयोग को बढ़ावा दें l
8. गहरी जुताई से दूर रहें तथा फसलों में विभिन्न प्रकार के आच्छादन करें l आच्छादन से लगभग 90% पानी की बचत की जा सकती है l
9. फसलों की चारों तरफ मैडों के किनारे विभिन्न प्रकार के वृक्ष लगाएं l
10. खरपतवार ओं को मुख्य फसलों से ऊपर ना बढ़ने दिया जाए तथा उनको फसलों के अंदर ही मिट्टी से दबा दिया जाए l
11. Chusak kiton or sucking insects ke  लिए नीमस्त्र,  lepidopterans के लिए, ब्रह्मास्त्र, चने की सुंडी के लिए अग्नि अस्त्र तथा सभी प्रकार के हानिकारक कीटों के लिए दशपर्णी अर्क जो डॉक्टर सुभाष पालेकर के द्वारा बताए गए हैं के प्रयोगों को बढ़ावा दें l


6.

Sunday, December 4, 2022

प्राकृतिक खेती से लाभ

1.No cost on inputs from market.
   बाजार से इनपुट ना खरीदे जाने की वजह से इस खेती में कोई इनपुट कॉस्ट नहीं होती है सिर्फ सिर्फ 30 एकड़ की खेती के लिए एक देसी गाय  पालने के ऊपर होने वाले खर्च के अलावा  l
2. मिट्टी की उर्वरा शक्ति तथा उसमें सूक्ष्म जीवाणु,सूक्ष्म तत्व तथा ऑर्गेनिक कार्बन  एवं जैव विविधता की वृद्धि होती है l
3. सरकार के द्वारा कृषि उत्पादों के भावों को कम ज्यादा करने पर भी किसान अपने कृषि उत्पादों को सब्जियों को छोड़कर बेचने के समय तक तथा इच्छा अनुसार अपने घरों पर जब तक चाहे तब तक रख सकते हैं और बाद में सही भाव मिलने पर बेच सकते हैं  
4. बैंकों के कर्ज लेने की जरूरत नहीं पड़ती जिससे कृष को मैं आत्महत्याओं की संभावनाएं कम हो जाती हैं l
5. सिर्फ 10% पानी की खपत में उसने पैदा की जा सकती हैं और 90% पानी की बचत होती है l
6. बिजली के खर्चे तथा बिल में 90 प्रतिशत बचत होती है l
7. क्षतिग्रस्त पारिस्थितिक तंत्र ओं का पुनर स्थापन होता है और जैव विविधता का संरक्षण होता है l
8. किसी भी रसायन का इस्तेमाल ना होने की वजह से रसायनों पर होने  वाला खर्चा बच जाता है l
9. प्राकृतिक संतुलन कायम रहता है l
10. पर्यावरण प्रदूषण नहीं होता l
11. खाने के लिए सुरक्षित कृषि उत्पादों एवं बाजार के लिए गुणवत्ता युक्त कृषि उत्पादों का उत्पादन होता है l
12. लागत मूल्य जीरो अथवा न्यूनतम होने की वजह से नो प्रॉफिट नो लॉस पर भी कृषि उत्पादों की बिक्री की जा सकती है जिससे समाज के सभी वर्गों के लोग आसानी से यह कृषि उत्पाद खरीद सकते हैं l
13.No health hazards for community health. सामुदायिक स्वास्थ्य के लिए कोई खतरा नहीं होता l
14. पोषण युक्त खाद्य सुरक्षा
15. सुरक्षित भोजन तथा खाद्य सुरक्षा साथ साथ l
16. जैव विविधता का संरक्षण एवं बढ़ोतरी l
17. आर्थिक विकास के साथ-साथ पर्यावरण विकास भी l
18. समृद्ध साली किसान एवं समृद्धि साली समाज l
19. सामुदायिक स्वास्थ्य की रक्षा l
20. मिट्टी की उर्वरा शक्ति में बढ़ोतरी
21. मिट्टी में Humus की निर्मिती l
22. पारिस्थितिक तंत्र की सक्रियता l
23. फसल की उत्पादकता में वृद्धि l
24,. कृषकों की आय में वृद्धि l

Friday, December 2, 2022

आईपीएम, जैविक खेती तथा प्राकृतिक खेती में अंतर

आईपीएम, जैविक खेती और प्राकृतिक खेती यह तीनों प्रकार की खेती पद्धतियां मूल रूप से चली आ रही रसयनिक खेती को क्रमबद्ध तरीके से रसायन मुक्त खेती में परिवर्तित करने की पद्धतियां है l इन तीनों प्रकार की पद्धतियों में रसायन रहित विधियों को बढ़ावा दिया जाता है l इन तीनों प्रकार की खेती की पद्धतियों की अपनी-अपनी लिमिटेशंस अथवा सीमाएं हैं l
     आई पी एम मैं रसायनों का उपयोग सिर्फ आपातकाल परिस्थिति से निपटान हेतु सिर्फ अंतिम विकल्प के रूप मे  सिफारिश की जाती है l जबकि ऑर्गेनिक अथवा जैविक खेती तथा जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती मैं रसायनों का बिल्कुल ही प्रयोग नहीं किया जाता है l आई पी एम खेती में रसायनों के उपयोग को इमरजेंसी टूल के रूप में संस्तुति की गई  सिफारिश का किसान भाई दुरुपयोग करते हैं और रसायनों के उपयोग को कम करने की बजाए बढ़ावा देते हैं तथा इनके उपयोग को अंधाधुंध तरीके से करते हैं जोकि आईपीएम के सिद्धांत के बिल्कुल विपरीत है l
     जैविक खेती  अथवा Organic farming मैं केंचुआ खाद वर्मी कंपोस्ट, गोबर की खाद और जानवरों के अवशेष जैसे हड्डियों के खाद आदि को बढ़ावा दिया जाता है जोकि आर्थिक दृष्टिकोण से महंगा  , असंभव तथा पर्यावरण दृष्टिकोण से नुकसानदायक होता है क्योंकि केंचुए की खाद मैं बहुत सारे हानिकारक तत्व जैसेआर्सेनिक,कैडमियम आदि होते हैं जो सामुदायिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं l कंपोस्ट खाद से मिला हुआ कार्बन वायुमंडल की ऑक्सीजन से रिएक्शन करके वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ाता है l
      जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती देसी गाय, देसी  बीज, देसी केचुआ, देसी पद्धतियों अथवा देसी मेथड्स, जमीन में मिट्टी में सूक्ष्म जीवों तथा सूक्ष्म तत्व, फसलों में फसलों के अवशेषों के द्वारा आच्छादन, जैव विविधता,  जमीन की उर्वराशक्ति को बढ़ावा देने हेतुHumus की वृद्धि तथा  एक फसली खेती की जगह बहु  फसली खेती को बढ़ावा देने के सिद्धांत पर आधारित है l इस में प्रयोग किए जाने वाले इनपुट्स किसानों के द्वारा अपने घरों पर ही बनाए जा सकते हैं तथा आसानी से प्रयोग किए जा सकते हैं जिनके लिए बाजार पर आश्रित नहीं होना पड़ता l यद्यपि गाय के ऊपर होने वाला खर्च अवश्य होता है जिसको इग्नोर कर दिया जाता है l
        जैविक खेती अथवा ऑर्गेनिक फार्मिंग तथा जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती मूल रूप से आईपीएम पर  आधारित खेती करने के सुधरे हुए रूप अथवा तरीके हैं जिनमें रसायन रहित विधियों को बढ़ावा दिया जाता है l
       दोस्तों खेती की IPM पद्धति में से अगर  रसायनों के इस्तेमाल को बिल्कुल ही बंद कर दिया जाए और जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती पद्धति मैं प्रयोग किए जाने वाली सभी विधियां एवं इनपुट को आईपीएम खेती में सम्मिलित करके और उनका बढ़ावा देकर के खेती की जाए तो इस प्रकार से परिवर्तित आईपीएम पद्धति को भी प्राकृतिक खेती का पर्याय बना सकते हैं l प्राकृतिक खेती में किसी प्रकार के रसायनों का प्रयोग नहीं किया जाता है और बिना बजट के अथवा न्यूनतम बजट से खेती की जाती है l इस प्रकार से अगर आईपी एम खेती मैं प्राकृतिक खेती में प्रयोग किए जाने वाले सभी प्रकार के इनपुट तथा विधियों को बढ़ावा देकर खेती की जाए तथा तथा मिट्टी की उर्वरा शक्ति एवं जैव विविधता को बढ़ाया जाए तो आई पीएम को प्राकृतिक खेती में परिवर्तित किया जा सकता है इस प्रकार से किसान भाई प्राकृतिक खेती इनपुट को बढ़ावा देख कर के मिट्टी की गुणवत्ता एवं फसल पारिस्थितिक तंत्र की सक्रियता को बरकरार अथवा बढ़ाकर खेती कर सकते हैंl आई आईपीएम खेती से शुरुआत करके किसान भाई प्राकृतिक खेती की ओर कदम बढ़ा सकते हैं और जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित कर सकते हैं अथवा अपना सकते हैं l इस प्रकार से  IPM खेतीपद्धति से रसायनों को  को दूर करते हुए तथा प्राकृतिक खेती में अपनाए जाने वाले सभी विधियों तथा इनपुट का बढ़ावा देते हुए आईपीएम पद्धति से की  जाने वाली खेती को प्राकृतिक खेती में परिवर्तित किया जा सकता है l