हमने अपनी सरकारी सेवा वनस्पति संरक्षण संगरोध एवं संग्रह निदेशालय में 2nd February,1978 से जैविक नियंत्रण स्कीम शुरू की से शुरू की बाद में क्रॉप पेस्ट सर्विलेंस,प्लांट Quqrantine,लोकस्ट कंट्रोल एंड रिसर्च, तथा सेंट्रल इंसेक्टिसाइड्स लेबोरेटरी एवम स्ट्रेंथनिंग एंड modernaisation ऑफ पेस्ट मैनेजमेंट एप्रोच इन इंडिया के विभिन्न केंद्रीय एकीकृत नासिक जीव प्रबंधन केदो तथा निदेशालय के मुख्यालय फरीदाबाद में स्कीम ऑफिसर के रूप मे संयुक्त निदेशक एवं अपार वनस्पति संरक्षण सलाहकार आईपीएम के पद पर काम किया जिसमें आईपीएम केप्रचार एवं प्रसार तथा क्रियान्वयन में काम किया तथा आईपीएम क्रियान्वयन का अनुभव प्राप्त किया।
हमारे संपूर्ण सेवा काल में एक ही सवाल आया की क्या रसायन के बगैर खेती की जा सकती है अथवा आईपीएम के द्वारा खेती को रसायनों से दूर किया जा सकता है यद्यपि
आईपीएम का मुख्य उद्देश्य खेतों में रसायनों के उपयोग को जहां तक हो सके कम करना है और इसके लिए रासायनिक कीटनाशकों तथा रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को अंतिम विकल्प के रूप में सिर्फ आपातकालीन स्थिति के निपटान हेतु प्रयोग करने की अनुमति अथवा सस्तुति दी गई है । प्राकृतिक खेती ऑर्गेनिक खेती तथा आई पी एम के अनुभव के आधार पर यह कहा जा सकता है कि बिना रसायनों के खेती की जा सकती है। 2020 में आई कोरोना महामारी के अनुभव के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि जब बगैर दवाई के कोरोना का प्रबंध किया जा सकता है तो बगैर दवाई के अथवा बगैर कीटनाशकों के अथवा बगैर रसायनों के खेती भी की जा सकती है बस जरूरत है सिर्फ एक प्रबल इच्छा शक्ति की, पूर्व रननीति की, आईपीएम के सभी भागीदारों को सहयोग के साथ टीम भावना से कम करने की तथा किसी भी कीमत पर वंचित परिणाम प्राप्त करने की।
आईपीएम को उसके हर एक भागीदार अथवा स्टेके होल्डर ने अपने रोजगार के अनुसार, अपनी समझ के अनुसार लाभ और नुकसान के अनुसार वास्तविक उद्देश्य से हटकर विभिन्न विचारधाराओं के अनुसार परिभाषित किया तथा क्रियान्वयन किया। कई बार कृषकों एवं आईपीएम के अन्य साझेदारों के द्वारा केमिकल पेस्टीसाइड इंडस्ट्रीज के प्रभाव में आकर आईपीएम को केमिकल पेस्टीसाइड की महत्ता देकर परिभाषित किया और आईपीएम की विचारधारा को रसायन ऑन से भरपूर करके कृष को एवं एग्रीकल्चर एक्सटेंशन ऑफिसर्स के द्वारा क्रियान्वित करवाया गया आईपीएम की विचारधार विचारधारा से परे है।
संक्षिप्त रूप में आईपीएम को ईस प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है।
कम से कम खर्चे में तथा सामुदायिक स्वास्थ्य, पर्यावरण, पारिस्थितिक तंत्र, जैव विविधता, प्रकृति, समाज एवं जीवन को कम से काम बाधित करते हुए फसलों में हानिकारक जीवों अथवा Pests की समस्याओं से दूर करना अथवा छुटकारा प्राप्त करना ही आईपीएम कहलाता है।
आईपीएम जीडीपी पर आधारित अथवा आर्थिकविकास के साथसाथ समाज, पर्यावरण, जैव विविधता, पारिस्थितिक तंत्र, प्रकृति और जीवन के विकास को भी महत्व देता है और भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने में सहायक होता है तथा मिट्टी को बलवान बनाता है।
आईपीएम सिर्फ नाशिजीव प्रबंधन की वीधियों का ही एकीकरण नहीं करता बल्कि वह संपूर्ण फसल उत्पादन ,फसल रक्षा और फसल प्रबंधन की सभी विधियों के अलावा फसल विपणन और फसलों के उत्पादों के प्रयोग की वीदीयो का भी एकीकरण करता है।
IPM Does not only integrate the methods and technologies of pest management but it also integrate the methods and technologies of total crop production, protection, management, marketing and consumption of agricultural commodities.
I PM is a complete crop production, protection and management system from seed to marketing and even up to the consumption of their end products with due care of community health, environment, ecosystem, biodiversity, nature and society.
I PM हानिकारक जीवों के प्रबंधन हेतु आईपीएम इनपुट्स तथा आईपीएम विधियों को सावधानी तथा विशेषज्ञता पूर्वक इस्तेमाल करनेका तरीका है।
IPM is not only plant protection but it is the plant protection with due care of community health, environment, ecosystem, biodiversity nature, society and different aspects of life.
खेती से जुड़ी हुई विभिन्न विविधताओं के अनुकूल खेती और वनस्पति संरक्षण करना अथवा नासिक जीव प्रबंध करना आईपीएम एवं प्राकृतिक खेती का प्रमुख सिद्धांत है।
No comments:
Post a Comment