2, यद्यपि बगैर रसायनों के प्राकृतिक खेती के रूप में खेती की जा सकती है परंतु फिर भी आईपीएम के क्रियान्वयन हेतु किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटान हेतु रासायनिक कीटनाशकों की अंतिम विकल्प के रूप में प्रयोग करने की मान्यता अथवा संस्तुति दी गई है।
3, मिट्टी एवं फसलों का ऐसा प्रबंधन जिसमें किसानों के परिवार जिसमें जानवर भी शामिल हैं की जरूरत पूरी हो जाए तथा मिट्टी की उर्वरा शक्ति जैव विविधता एवं जीवन के पांच महाभूतों पर कोई विपरीत प्रभाव न पड़े सस्य विज्ञानकहलाता है। यही प्राकृतिक खेती का सिद्धांत है। Sasya विज्ञान कि इस परिभाषा के अनुसार जब खेती की जाती है तो उसे प्राकृतिक खेती कहते हैं।
4, जिस खेती मैं प्राकृतिक संसाधनों का दोहन नहीं किया जाता और उनका संरक्षण प्रदान किया जाता है तथा उनकी प्रकृति में उपलब्धता के हिसाब से एवं किसान के परिवार जिसमें जानवर भी शामिल है की जरूरत के हिसाब से जब खेती की जाती है तब उसे प्राकृतिक खेती कहते हैं।
5, वनस्पति संरक्षण के साथ-साथ समाज,कृषि, प्रकृति, पर्यावरण, पारिस्थितिकी तंत्र, जैव विविधता और जीवन तथा जीवन से जुड़े हुए पांच महाभूतों का संरक्षण आईपीएम तथा प्राकृतिक खेती के प्रमुख सिद्धांत है।
5,किसी भी विचारधारा को चाहे वह आईपीएम की विचारधारा हो अथवा अन्य कोई विचारधारा हो को सुचारू रूप से क्रियान्वयन करने तथा वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक है कि उस विचारधारा के बारे में,और उसके दर्शन अथवा उसकी फिलासफीके बारे में तथा उसको क्रियान्वयन करने की विधियौ और तरीकों की सही सही जानकारी हो और उसके लिए जरूरी इनपुट्स भी सही समय पर पर्याप्त मात्रा मैं उपलब्ध haun,तभी उस विचारधारा का सही तरीके से क्रियान्वयन कियाजा सकता है। इसके अलावा इसके क्रियान्वयन करने की दिली इच्छा भी होनी अतिआवश्यक है ।
आंखों की रोशनी से कुछ हो नहीं सकता
जब तक की जमीर की लौ बुलंद न हो ।
बिना दिली इच्छाशक्ति के किसी भी विचारधारा का क्रियान्वयन नहीं किया जा सकता है।
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