2. मिट्टीमे ऑर्गेनिक कार्बन घट रहा है।
3. जमीन बंजर हो रही है।
4. मिट्टी की उर्वरा शक्ति घट रही है।
5. जहरीले खाद्य पदार्थों का उत्पादन हो रहा है।
6 मनुष्यों में कई तरह की बीमारियां पन पने लगीं हैं।
7. पानी, हवा, मिट्टी आदि प्रदूषित होने लगे है।
8,. मिट्टी जहरीली होने लगी है।
9. मनुष्य एवं पशुओं के खाद्यपदार्थ मे जहरीले कीटनाशकोके अवशेष मिल रहे है।
10. कृषि उत्पादों की उत्पादन लागत बढ़ रही है।
11. मानव तथा पशुओं एवं जमीन की पतिक्षात्मक शक्ति घट रही है।
12. ग्लोबल वार्मिंग k दुष्प्रभाव सामने आ रहे है ।
13. फसल पारिस्थितिक तंत्र में जैव विविधता समाप्त हो रही है। खेतों में लाभदायक जीवन की संख्या घट रही है।
14. खेतों के चारों तरफ पेड़ों तथा पेड़ों पर पक्षियों की संख्या संख्या कम हो रही है।
15. प्रकृति के संसाधन घट रहे हैं। पानी का स्टार नीचे की ओर जा रहा है।
16. मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की संख्या काम हो रही है जिससे ऑर्गेनिक कार्बन नहीं बन पा रहा।
17. मशीनीकरण से किसानों के पास जानवरों की संख्या घट रही है।
18. अनुभवी किसने की संख्या घट रही है।
19. नवयुवकों में खेती के पति रुझान घट रहा है ।
20. रसायनों के प्रयोग से फसलों के उत्पादन दर घट रही है या स्थाई बन चुकी है वह बन नहीं रही।
21. फसल पारिस्थितिक तंत्र की सक्रियता घट रही है।
22. किसने की आत्महत्यआएं ।
23. किसानों पर बैंकों का लोन
24. कार्बन नाइट्रोजन का अनुपात बिगड़ गया है। 17वो शताब्दी में कार्बन एवं नाइट्रोजन का अनुपात एक परसेंट था जो अब काम हो रहा है ।
25. जमीन के नीचे पानी का स्तर
नीचे चला गया
26. मिट्टी में ह्यूमस खत्म हो रहा है। पशुओं तथा पौधों के अवशेषों के सड़ने से हमस की निर्मित होती है जो जमीन की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने में सहायक होता है।
28. खेतीस जुड़े हुएवपारी किसानों का शोषण कर रहे हैं ।
29.
याद रहे आईपीएम तथा प्राकृतिक खेती के क्रयान्वयन
करते समय उपरोक्त सभी दुष्परिणामों को दूर करने की कोशिश की जाती है और उसके हिसाब से आईपीएम तथा प्राकृतिक खेती के इनपुट खेती में प्रयोग किए जाते हैं।
ध्यान रहे पंचमहा भूत अर्थात क्षति,जल, पावक,गगन ,समीरा
को समझना तथा इनका प्रबंध करना ही प्राकृतिक खेती कहलाता है ।
प्रकृति ए की परस्पर्ता के साथ जीना तथा प्रकृति की व्यवस्था के अनुसार खेती करना प्राकृतिक खेती कहलाता है।
प्राकृतिक खेती के सभी इनपुट आईपीएम में इस्तेमाल किया जा सकते हैं।
मिट्टी की उर्वरl शक्ति की क्षमता के हिसाब से ही खेती करनी चाहिए या फसलों को बोना चाहिए । मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाना प्राकृतिक खेती का प्रथम कुल क्षेत्रफल का 25% क्षेत्रफल में जंगल होना चाहिए ।
देश तथा परिवार जिसमें जानवर भी शामिल हो की जरूरत के हिसाब से फसलों का चयन व नियोजन करके हीफसले बनी चहिए ।
फसलों,गायों, के परंपरिक प्रजातियों का संरक्षण करना चाहिए ।
किसी धंधा नहीं बल्कि संस्कृति है ।
खेती में canopy बढ़ाने के लिए नाइट्रोजन डालते हैं
फसल के ताने को मजबूती देने के लिए फास्फोरस डालते है तथा चमक लाने के लिए पोटाश डालते हैं ।
खेती करने मैं98.5 percent nutrients are taken fromAir,Water and Solar by the crops or plants and only 1.5percent nutrients taken from soil.
जीवामृत, घन जीवामृत, बीजमृत, एवं वनस्पतियों के ark प्राकृतिक खेती के प्रमुख इनपुट है। जीवामृत तथा घन जीवामृत के प्रयोग से जमीन में सूक्ष्मजीवों की संख्या बढ़ती है तथा देसी केंचुआ जो जमीन में समाधि में चले गए हैं वह ऊपर आ जाते हैं जिनके साथ न्यूट्रिएंट भी ऊपर आ जाते हैं ।
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