2, प्राकृतिक खेती करते समय निम्नलिखित गतिविधियों को सुचारू रूपसे क्रियान्वित करना चाहिए।
*जमीनकी उर्वरा शक्ति अर्थात फर्टिलिटीक बढ़ाना। इसके लिए जमीन में प्रचुर मात्रा में ऑर्गेनिक कार्बन, सूक्ष्मजीव, सूक्ष्म जीवों की मृत कोशिकाएं होचाहि जिससे जमीन में ह्यूमस बढ़ता है जो जमीन की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है।ह्यूमस में ऊपर बताई गई तीन। Cheejain अर्थात ऑर्गेनिक कार्बन, सूक्ष्मजीव एवं सक्ष्मजीवों की मृत्यु कोशिकाएं होती हैं। जो हमस को बनाने में सहायक होहैं। जमीन में ऑर्गेनिक कार्बन अर्थात जमीन की उर्वरशक्ति को बढ़ाने के लिए खेतों की जमीन में जीव अमृत समय-समय पर डालते हैं।
3, जैव वविधता
अथवा बायोडायवर्सिटी का संरक्षण
इसके लिए जीवामृत, घन जीव अमृत, खेतों की मलो पर
थोड़ी-थोड़ी दूर पर फलदार, छायादार, एवं चिड़ियों के लिए पसंद वृक्षलगते हैं। इसके साथ-साथ मुख्य फसल के सथ-साथ सह फैसल , अथवा अंतर फसलों को भी लगते हैं। पशु पक्षियों एवं वनस्पतियों के अवशेषों को खेत में ही मल्चिंग कर देते हैं।
4, भूमि जल स्तर को ऊपर लाना। इसके लिए खेतों में मजबूत मेडीबनाते hs जिससे वर्षा जल संग्रह हो सके।
5, जंगल एरिया को बढ़ाना
6, फसलों की बुवाई से पहले उनकी आवश्यकता के अनुसार प्लानिंग करना ।
7, फसलों की देसी पजातियां के बीज एवं देसी गयों
तथा भैंसों आदिजनवरों, देसी कचुआके की नसलोन कासरक्षण करना।
8, आईपीएम तथा प्राकृतिक खेती के इनूट्स को कृषकों के द्वारा उनके घर पर ही बनाना।
9, खेतोंमें फसलोंएवजीवों के अवशेषों को खेतोंम हीमल्चिंग करना ।
10, एक फसली फसल चक्र के स्थान पर बहु फसली फसल चक्र अपनाना।
11, इकोलॉजिकल इंजीनियरिंग की पद्धतियों को अपनाना।
12, मिट्टीमे सूक्ष्मजीव एवं सूक्ष्मतत्वों कासरक्षण करना।
13, पानी तथा अन्य प्रकृति के संसाधनों का संरक्षण करना
14,, लाभ एक डायक फसल चक्र को बढ़ावा देना।
15, मिट्टी में ह्यूमस को बढ़ाएं ।
16, खरपतवारों को खेतों में हीदबे ।
No comments:
Post a Comment