Saturday, May 29, 2021

IPM deals all aspacts of life .

IPM deals all aspects of life .Few are as follows:--
1.Food security along with food safety.
2.Fooding ,clothing and Houseing
3.National and international economy .
4 Issueses related with National and international Cooperations .
5.Issues related with Community health,Environment, ecosystems, biodiversity, biosecurity,nature and society.
6.Global problems like global warming ,Climate change ,Environmental policies.
7.Sanitation and cleanliness.
8.National and international trades market access

  9.Pest outbreaks,Epidemics ,Pendemic ,
10 .Social issues.
11.Different types of Farmings.
12. Biosecurity.
13. Education and literacy including adult education.
14.

Friday, May 28, 2021

Development of Different Concepts of Agriculture or Farming.

1.Old traditional  concept of farming.
2.Chemical Frming .
3.Green revolution  .Four types of Agricultural inputs were developed .These were Seeds of high yielding varieties, Chemical fertilizers and chemical fertilizers, Irrigation system.
4.Pest Monitoring and Surveillance  programme .
4.Biological control of crop pests and weeds.
5.Promotion of Integrated Pest Management  (IPM ) System of farming. 
6.Organic Farming .
 7.    Zero budget based Natural Farming .
8.Protected Farming 
9 Biodynamic  Farming.
10.Sustainable Agriculture.
11.Climate Smart Farming.
12.Border Farming .
13.Commercial Farming 
14 .Integrated Farming .
15 Precison Farming 
16.Digital Farming.
17.Diversification of Agriculture in different sectors .
18.Transforming Agriculture in to Sustainable Enterprise.
19.SRI method System for Rice Intensification.




Wednesday, May 26, 2021

खेती से जुड़े हुए विभिन्न मुद्दे तथा उनके निपटान हेतु विभिन्न खेती करने की विचारधाराएं

 भारतीय कृषि अथवा खेती  करने के से संबंधित विभिन्न मुद्दे एवं चुनौतियां निम्न है:-
1 . खेती मैं उगाई जाने वाली विभिन्न फसलों की उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाना l
2  . खेती को लाभकारी बनाना तथा फसल उत्पादन लागत को न्यूनतम अथवा zero करना l
3. किसानों की आमदनी या आए को बढ़ाना तथा उनको समृद्ध शाली संपन्न किसान बनाना l
4. जहर मुक्त खाना का उत्पादन करना l जहरीली खेती को बंद करना  तथा खेती में  रसायनों के उपयोग को कम करना अथवा संपूर्ण रूप से समाप्त करना l
5. ग्लोबल वार्मिंग तथा जलवायु परिवर्तन जैसे प्रभावों को निष्क्रिय करना l
6  .पर्यावरण, पारिस्थितिक तंत्र, जैव विविधता , प्रकृति व उसके संसाधनों तथा समाज को सुरक्षा प्रदान करना l
7.. कृषकों को बैंकों तथा साहूकारों Sheikh कर्जा लेने की प्रथा  मुक्ति प्रदान करना तथा कृषकों की आत्महत्याओं में कमी लाना  l
8. खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ सुरक्षित भोजन उपलब्धता को सुनिश्चित करना l
9. स्वस्थ समाज व स्वस्थ पर्यावरण का निर्माण करना l
10.. नवयुवकों  का खेती के प्रति रुझान को बढ़ाना l
11. खेती को उद्योग धंधे एवं  उद्यम में परिवर्तित करना l
 खेती के उपरोक्त मुद्दों के निपटान हेतु कृषि का विभिन्न दूसरे क्षेत्रों में जैसे पावर तथा उर्जा के क्षेत्रों में विविधीकरण करना चाहिए l
    कृषकों की आमदनी बढ़ाने के लिए इंटीग्रेटेड फार्मिंग अर्थात मुख्य खेती के साथ-साथ जुड़े हुए व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा देना चाहिए l कृषि उत्पादों  की प्रोसेसिंग करके processed  पदार्थों को बेचकर कृषकों की आमदनी बढ़ाई जा सकती है l     जानवरों तथा घरों से निकले हुए  कचरे से कंपोस्ट बनाकर खेती में प्रयोग की जा सकती है l बंजर भूमि से सौर ऊर्जा का उत्पादन करते कृषकों की आमदनी बढ़ाई जा सकती हैl
  जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती  करने वाली विभिन्न प्रकार की गतिविधियों तथा जैविक खेती  की गतिविधियों से उपयुक्त लाभकारी गतिविधियों का चयन करके सभी गतिविधियों को समेकित रूप से आवश्यकतानुसार प्रयोग करके एकीकृत ना सजीव प्रबंधन पद्धति Integrated Pest Management System को बढ़ावा देकर कम से कम खर्चे में अधिक से अधिक  फसल उत्पादन , सामुदायिक स्वास्थ्य  , पर्यावरण ,जैव विविधता, पारिस्थितिक तंत्र ,प्रकृति तथा इसके संसाधनों तथा समाज को कम से कम नुकसान पहुंचाते हुए फसल उत्पादन की जा सकती है  l इस विधि में रसायनों का प्रयोग सिर्फ अंतिम विकल्प के रूप में सिर्फ आपातकालीन परिस्थिति से निपटान हेतु करने की सिफारिश की जाती है l 
   खेती का स्थाई उद्योग में परिवर्तित करके खेती को लाभकारी एवं कृषकों को समृद्ध साली बनाया जा सकता है l

Monday, May 10, 2021

2..IPM की विवेचना

2..IPM  की विवेचना  :---
 फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा की विभिन्न विचारधाराओं एवं खेती करने की पद्धतियों जैसे रसायनिक खेती ,एकीकृत नाशि जीव प्रबंधन पद्धति, जैविक खेती ,जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती, बिना जुताई की खेती, संरक्षण खेती, क्लाइमेट स्मार्ट खेती ,एकीकृत  खेती , biodynamic  खेती ,बॉर्डर फार्मिंग ,डिजिटल खेती ,सटीक खेती ,स्थाई या टिकाऊ खेती आदि खेती करने की पद्धतियों एवं विचारधाराओं से फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा  की उपयुक्त, संभव ,सस्ती ,प्रकृति व समाज हितेषी तकनीको एवं विधियों को अपने विवेक ,बुद्धि एवं अनुभव के आधार पर    चयन करके सभी विधियां एवं तकनीकों को जरूरत के अनुसार समेकित रूप से प्रयोग करके कम से कम खर्चे में ,कम से कम रसायनिक कीटनाशकों एवं उर्वरकों का प्रयोग करते हुए तथा सामुदायिक स्वास्थ्य, पर्यावरण, जैव विविधता ,पारिस्थितिक तंत्र ,प्रकृति एवं उसके संसाधनों को कम से कम  बाधा पहुंचाते हुए,फसल पर्यावरण में पाए जाने वाले सभी हानिकारक जीवो की संख्या को आर्थिक हानि स्तर के नीचे सीमित रखते हुए तथा लाभदायक जीवो की संख्या की बढ़ोतरी एवं सुरक्षा करते हुए फसल सुरक्षा करना  तथा खाने के योग्य स्वास्थ्य ,सुरक्षित ,लाभकारी एवं शानदार फसल का उत्पादन करना तथा व्यापार हेतु गुणवत्ता युक्त कृषि उत्पादों का उत्पादन करना एकीकृत नासि जीव प्रबंधन कहलाता है  जिससे सुरक्षित खेती के साथ-साथ खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके तथा पर्यावरण ,जैव विविधता ,सामुदायिक स्वास्थ्य, प्रकृति व उसके संसाधनों का संरक्षण हो सके एवं प्रकृति , समाज  तथा जीवन के बीच सामंजस्य स्थापित हो सके l

Saturday, May 8, 2021

खेती की भविष्य की चुनौतियां

 भविष्य में खेती तथा जीवन प्रणाली में बहुत सारी चुनौतियां आने वाली हैं जिनमें से कुछ चुनौतियां निम्न वत हैl
1 . मांग के अनुसार तथा जनसंख्या की वृद्धि के अनुसार फसल उत्पादन तथा कृषकों की आय मैं लगभग दोगुनी वृद्धि l  आवश्यकतानुसार फसल उत्पादन एवं फसल उत्पादकता में वृद्धि l
2. पर्यावरण संकट जैसे ग्लोबल वार्मिंग, जल ,जमीन ,मिट्टी, तथा वायु प्रदूषण l
3. जल, जमीन ,जंगल के क्षेत्र में कमी
4. फसल उत्पादन लागत में बढ़ोतरी हो रही है  उसे कम करना है l
5. कृषकों के द्वारा आत्महत्या
6. नवयुवकों का कृषि के प्रति रुझान   पैदा करना l
7. सुरक्षित भोजन के साथ साथ खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना l खाद्यान्न संकट को दूर करना l गुणवत्ता युक्त भोजन का उत्पादन l
8. क्षतिग्रस्त हुए पारिस्थितिक तंत्र ka पुनर्स्थापन
9. फसल उत्पादन लागत को कम करके खेती को लाभकारी धंधे में परिवर्तित करना l
10. जलवायु परिवर्तन के प्रभाव दूर करना l
11. मिट्टी पानी वायु के गुणवत्ता का दिन प्रतिदिन नष्ट होना l
12. खेती करने लायक जमीन के क्षेत्र में कमी


Monday, May 3, 2021

मानवीय गतिविधियों एवं जीवन चर्या से प्रकृति को होने वाला नुकसान

 जैसा कि हमने पहले कई बार बताया है की मनुष्य अपने आप को प्रकृति का सिरमौर या टॉप ऑफ द क्रिएशन कहता है तथा अपने जीवन के अस्तित्व को कायम रखने के लिए वह कई प्रकार की गतिविधियां अथवा अपने जीवन चर्या इस प्रकार से बना लेता है कि उससे प्रकृति के विभिन्न संसाधन तथा जीवन के मूलभूत तत्व समाप्ति की ओर जा रहे हैं l पानी, ऑक्सीजन, मिट्टी, आदि आदि की गुणवत्ता एवं मात्रा दिन प्रतिदिन खराब एवं कम होती जा रही है l मिट्टी और पानी को तो मनुष्य बहुत दिनों से खरीद रहा है परंतु आजकल चल रहे इस वर्ष के करो ना काल में मनुष्य को अर्थात मरीजों के लिए ऑक्सीजन अथवा प्राणवायु  को भी जीवन बचाने के लिए खरीदना अति आवश्यक हो गया है l यहां तक की मेडिकल ऑक्सीजन कि आजकल इतनीkoi कमी पड़ रही है की करो ना के मरीजों की जिंदगी बचाने के लिए medical oxygen  की कालाबाजारी तथा जमाखोरी चल रही है l कई मरीजों को उनकी जान से हाथ धोना पड़ रहा है l इसका मुख्य कारण है कि हमारे पर्यावरण में या वातावरण में ही ऑक्सीजन की इतनी कमी है कि वातावरण में मौजूदा सीजन से जीवन की रक्षा कर पाना बड़ा मुश्किल है इसलिए मेडिकल ऑक्सीजन को औद्योगिक रूप में औद्योगिक इकाइयों  के द्वारा बनाना पड़ रहा है l इसके लिए मनुष्य स्वयं जिम्मेदार है l मनुष्य के द्वारा जंगलों की कटाई,  प्रकृति के संसाधनों का दुरुपयोग करने की वजह से यह स्थिति हो रही है l हमें अपने जीवन के अस्तित्व को कायम रखने के लिए प्रकृति व उसके संसाधनों का न्यायोचित इस्तेमाल ही करना चाहिए तथा उन्हें संरक्षण करना चाहिए l इसके लिए  हमें प्रकृति हितैषी विधियों अथवा प्रकृति अनुकूल जीवन शैली या दिनचर्या अपनाना चाहिए l फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा के दौरान भी की जाने वाली विभिन्न गतिविधियों से कई बार प्रकृति को तथा उसके संसाधनों को नुकसान पहुंचता है अतः हमें खेती करते समय फसल उत्पादन तथा फसल रक्षा करते समय प्रकृति हितैषी विधियों को बढ़ावा देना चाहिए l प्रकृति के साथ खिलवाड़ करना उसके संसाधनों को बर्बाद करना जीवन के लिए घातक सिद्ध हो रहा है l रासायनिक खेती , जैविक खेती तथा अन्य प्रकार के खेती की पद्धतियों मैं की जाने वाली विभिन्न गतिविधियों से प्रकृति व  उसके संसाधनों को होने वाले नुकसान तथा उनके ऊपर पड़ने वाले विपरीत प्रभाव का विवरण पिछले कुछ पोस्ट में दिया गया हैl खेती की जाने वाली प्रकृति विरोधी गतिविधियों को खेती की पद्धति में शामिल नहीं करना चाहिए साथ ही साथ अपने जीवन शैली को प्रकृति के अनुकूल ही रखना चाहिए l

Sunday, May 2, 2021

इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंटअथवा IPM विचारधारातथा परिभाषा

 IPM  प्रकृति, समाज ,जीवन एवं पर्यावरण से जुड़ी हुई  एक  खाने के लिए स्वस्थ , पोस्टिक वं, सुरक्षित,  व्यापार  तथा आर्थिक दृष्टिकोण से लाभकारी एवं गुणवत्ता युक्त तथा बंपर या अधिक से अधिक  और शानदार फसल उत्पादन  करने का बीज से लेकर विपणन तक का एक तरीका  और वनस्पति संरक्षण की एक विचारधारा  तथा पर्यावरण ,प्रकृति व समाज के लिए सुरक्षित खेती करने पद्धति का संपूर्ण रुप से या समेकित रूप से प्रबंधन करने का एक तरीका है या   निपुणता है  जिसमें सामाजिक सुरक्षा ,खाद्य सुरक्षा ,जैव सुरक्षा ,व्यापार सुरक्षा, जैव विविधता ,पारिस्थितिक तंत्र को सुरक्षित रखते हुए तथा पर्यावरण , सामुदायिक स्वास्थ्य  , प्रकृति  तथा समाज को कम से कम बाधा पहुंचाते हुए या नुकसान पहुंचाते हुए वनस्पति संरक्षण की सभी मौजूदा, प्रयोग करने लायक, समाज के 
लिए स्वीकार ,कम खर्चीली ,पर्यावरण तथा प्रकृति के अनुकूल विधियों को समेकित रूप से फसल पारिस्थितिक तंत्र का विश्लेषण  एवं  उस में पाए जाने वाले हानिकारक व लाभदायक जीवो की संख्या का आकलन करते हुए आवश्यकता अनुसार ,न्यायोचित  तरीके से प्रयोग करके (जिसमें रसायनिक कीटनाशकों का प्रयोग सिर्फ अंतिम विकल्प के रूप में तथा सिर्फ आपातकालीन परिस्थिति से निपटने हेतु ही प्रयोग करके )फसल  पारिस्थितिक तंत्र मैं पाए जाने वाले सभी नाशिजीवो की संख्या को आर्थिक हानि स्तर के नीचे सीमित रखते हुए कम से कम खर्चे में ,  रसायनिक कीटनाशकों एवं रसायनिक उर्वरकों का  कम से कम उपयोग करते हुए खाने के लिए सुरक्षित तथा व्यापार हेतु गुणवत्ता युक्त कृषि उत्पादों का अधिक से अधिक उत्पादन किया जाता है जिससे खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ सुरक्षित भोजन ,जीवन को स्थायित्व प्रदान करने हेतु साफ, स्वच्छ हरा भरा तथा अनुकूल पर्यावरण सुनिश्चित किया जा सके और आर्थिक जीडीपी पर आधारित विकास के साथ-साथ पर्यावरण, सामाजिक एवं प्राकृतिक विकास को सुनिश्चित किया जा सके तथा प्रकृति और समाज के बीच में सामंजस्य स्थापित किया जा सके l
                          विचारधारा एवं थीम द्वारा
                              राम आसरे
                         अपर वनस्पति संरक्षण                                      सलाहकार  IPM                                         (सेवानिवृत्त)