Wednesday, May 26, 2021

खेती से जुड़े हुए विभिन्न मुद्दे तथा उनके निपटान हेतु विभिन्न खेती करने की विचारधाराएं

 भारतीय कृषि अथवा खेती  करने के से संबंधित विभिन्न मुद्दे एवं चुनौतियां निम्न है:-
1 . खेती मैं उगाई जाने वाली विभिन्न फसलों की उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाना l
2  . खेती को लाभकारी बनाना तथा फसल उत्पादन लागत को न्यूनतम अथवा zero करना l
3. किसानों की आमदनी या आए को बढ़ाना तथा उनको समृद्ध शाली संपन्न किसान बनाना l
4. जहर मुक्त खाना का उत्पादन करना l जहरीली खेती को बंद करना  तथा खेती में  रसायनों के उपयोग को कम करना अथवा संपूर्ण रूप से समाप्त करना l
5. ग्लोबल वार्मिंग तथा जलवायु परिवर्तन जैसे प्रभावों को निष्क्रिय करना l
6  .पर्यावरण, पारिस्थितिक तंत्र, जैव विविधता , प्रकृति व उसके संसाधनों तथा समाज को सुरक्षा प्रदान करना l
7.. कृषकों को बैंकों तथा साहूकारों Sheikh कर्जा लेने की प्रथा  मुक्ति प्रदान करना तथा कृषकों की आत्महत्याओं में कमी लाना  l
8. खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ सुरक्षित भोजन उपलब्धता को सुनिश्चित करना l
9. स्वस्थ समाज व स्वस्थ पर्यावरण का निर्माण करना l
10.. नवयुवकों  का खेती के प्रति रुझान को बढ़ाना l
11. खेती को उद्योग धंधे एवं  उद्यम में परिवर्तित करना l
 खेती के उपरोक्त मुद्दों के निपटान हेतु कृषि का विभिन्न दूसरे क्षेत्रों में जैसे पावर तथा उर्जा के क्षेत्रों में विविधीकरण करना चाहिए l
    कृषकों की आमदनी बढ़ाने के लिए इंटीग्रेटेड फार्मिंग अर्थात मुख्य खेती के साथ-साथ जुड़े हुए व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा देना चाहिए l कृषि उत्पादों  की प्रोसेसिंग करके processed  पदार्थों को बेचकर कृषकों की आमदनी बढ़ाई जा सकती है l     जानवरों तथा घरों से निकले हुए  कचरे से कंपोस्ट बनाकर खेती में प्रयोग की जा सकती है l बंजर भूमि से सौर ऊर्जा का उत्पादन करते कृषकों की आमदनी बढ़ाई जा सकती हैl
  जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती  करने वाली विभिन्न प्रकार की गतिविधियों तथा जैविक खेती  की गतिविधियों से उपयुक्त लाभकारी गतिविधियों का चयन करके सभी गतिविधियों को समेकित रूप से आवश्यकतानुसार प्रयोग करके एकीकृत ना सजीव प्रबंधन पद्धति Integrated Pest Management System को बढ़ावा देकर कम से कम खर्चे में अधिक से अधिक  फसल उत्पादन , सामुदायिक स्वास्थ्य  , पर्यावरण ,जैव विविधता, पारिस्थितिक तंत्र ,प्रकृति तथा इसके संसाधनों तथा समाज को कम से कम नुकसान पहुंचाते हुए फसल उत्पादन की जा सकती है  l इस विधि में रसायनों का प्रयोग सिर्फ अंतिम विकल्प के रूप में सिर्फ आपातकालीन परिस्थिति से निपटान हेतु करने की सिफारिश की जाती है l 
   खेती का स्थाई उद्योग में परिवर्तित करके खेती को लाभकारी एवं कृषकों को समृद्ध साली बनाया जा सकता है l

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