Sunday, August 29, 2021

Ecological Engineering its role in Integrated Pest Management (IPM)

Ecological Engineering is the way of making agroecosystem favurable,suitable ,or congenial for the development   and  conservation of biocontrol agents and other beneficial organisms found or to be developed in particular crop fields through growing of certain attractant and repellent crops for certain types of pests or benefecial organisms ,either as border crops or as intercrops .Ecological Engineering is helpful to manage the pest population in the field through development of the population of biological control agents or other beneficial organisms like pollinators developed in the fields regulating and managing  the  pest population below Economic threshold level. 
A demonstration of Agroecosystem based Ecological Engineering in Cole crops was conducted by the Directorate of Plnt Protection ,Quarantine and Storage during Krishi Vasant 2014 programme held from 09-13 Feb,2014 at Central Institute of Cotton Research Nagpur.In this demonstration,the Cole crops were bordered by the Sunfower,Mustard,Merigold and Coriender crops .The Sunflower crop being tallest crop among these crops was able to attract the Helicoverpa pest ,it was surrounded by two rows of Mustard crop which was able to attract different types of biocontrol agents like Chrysoperla and lady bird beetles  and pollinators like Honey bees etc.Coriender crop was excellent crop for attracting different types of biocontrol agents of different pests of main cole crops . Merigold crop was preferable crop for egg laying of Helicoverpa .It was observed that Cabage and Cauliflower crops found effected with Aphid population and Aphid population of cole crops was found parasitized by Aphidius ,a potential parasite of Aphid .This parasite could be able to manage the Aphid population in the Cole crops .This demonstration field was visited by thousands of farmers visited Krishi Vasant 2014at Nagpur and also Hon shri Pranabh  Mukharji the then Presisent of India. They were fully impressed about the role of this parasite of Aphid for managing its population effectvely without use of any chemical pesticides.  They  were also impressed about this technology of Ecological Engineering. 
  In this type of technology of Ecological Engineering  some times other crops like Maize,Sorghum Bajara ,lemon grass etc ,are also used as border crops . This technology is helpful to reduce the use of chemical pesticides in Agriculture thus reducing the cost of cultivation and enhancing the  farmes income upto great extent.


Monday, August 23, 2021

Principles for Implementation of IPM.

1.Crop management through systematic approaches is the modern concept of IPM.
2.To get rid of from pest problems with minimum expenditure, and least disturbance to community health, Environment,ecosystem,  biodiversity,nature and society is called IPM is the main principle or objective of IPM. 
3. जहां तक काम चलता हो गीजा से
    वहां तक बचना चाहिए दवा से 
4.Eat healthy,live healthy and be healthy.
5.IPM is the way of plant protection with due care of community health, Environment, ecosystem, biodiversity, nature and society. 
6.IPM is based on nature's principles.There no place of chemical farming in nature. Natural system is self operating system .which is helpful to each others both living and nonliving things .
7.Making Agroecosystem better suited to benefecial organisms found in agroecosystem and unfit to the pests or harmful  organisms.
8.Nonviolance ,Tolerance, Hormony,Sympathy,Sensitiveness are the main principles of the implementation of IPM. 
9 .No first use of chemicals in Agriculture. 
10.Live and let live.
11.Make your life styles Environmental,nature and ecofriendly. 
12.Wellfare of all in the universe .
13.Do not make Development catestropihic in nature.
14.Economic Development must be followed by Environment, nature, and Social development. 
15.Go away from chemicals and come closer to nature and society is the basic principles of IPM. 
16.To make crop production and protection system safe is also a principle of IPM
17. दवा उपाय नहीं है बल्कि शरीर में प्रतिरोधक शक्ति निर्मित करना ही उपाय है l
18. खेती को उत्पादन केंद्रित होने के साथ-साथ आमदनी केंद्र बनाते हुए आई पीएम का क्रियान्वयन करना चाहिए  l
19. खेती को रसायनों के ऊपर आश्रित ना करते हुए IPM एवं खेती करना चाहिए l Do not have dependency on chemicals while doing Agriculture. 
20.IPM is a way forward from grow more food to grow more and safe food.
21.Maintain food security and food safety simultaneously. 
22.Implement IPM considering total threat perception prevailing in agroecosystem. 
23.Lets allow nature to behave like nature while doing IPM.
24. आज के सामाजिक, आर्थिक, प्राकृतिक, जलवायु एवं पर्यावरण के परिदृश्य एवं परिपेक्ष में आजकल की फसल उत्पादन, फसल सुरक्षा, अथवा आईपीएम तथा फसल प्रबंधन की विचारधारा लाभकारी, मांग पर आधारित होने के साथ-साथ सुरक्षित, स्थाई, रोजगार प्रदान करने वाली ,व्यापार व आय को बढ़ाने वाली, समाज प्रकृति व जीवन के बीच सामंजस्य स्थापित करने वाली, कृषकों के जीवन स्तर में सुधार लाने वाली तथा जीवन की राह को आसान बनाने वाली व जीडीपी पर आधारित आर्थिक विकास के साथ-साथ पर्यावरण, प्रकृति ,समाज, पारिस्थितिक तंत्र के विकास को भी करने वाली व सुनिश्चित करने वाली होनी चाहिए तथा खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ सुरक्षित भोजन प्रदान करने वाली होनी चाहिए l इसके अलावा खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ पोषण सुरक्षा, खेती में उत्पादन लागत को कम करने वाली, जलवायु परिवर्तन के समाज व पर्यावरण, प्रकृति पारिस्थितिक तंत्र जैव विविधता पर पड़ने वाले विपरीत प्रभावों को निष्क्रिय करने वाली या सहन करने वाली होनी चाहिए l
25. Change of propesticidal mindsets of the IPM stakeholders to last and least use of the chemical pesticides .
26. सामुदायिक स्वास्थ्य, पर्यावरण, पारिस्थितिकी तंत्र ,जैवविवधता ,प्रकृति व समाज
को सुरक्षित रखते हुए फसल उत्पादन व फसल रक्षण एवं फसल प्रबंधन की पद्धति को सुरक्षात्मक बनाते हुए अधिक से अधिक एवं सुरक्षित फसल उत्पादन करना आई पीएम का प्रमुख सिद्धांत हैl
27.IPM is a way of plant protection which is better suited to community health,Environment, ecosystems  biodiversity, nature and society.


Friday, August 13, 2021

आईपीएम को लोकप्रिय बनाने के लिए आईपीएम किसान खेत पाठशाला एक शक्तिशाली टूल है

आईपीएम किसान खेत पाठशाला एक अनौपचारिक शिक्षा पद्धति है जिसके माध्यम से किसानों को उनके अनुभवों को समाहित करते हुए खेतों में ही वैज्ञानिक कृषि पद्धति से स्वयं करके सीखने की प्रक्रिया द्वारा एकीकृत  नासि जीव  प्रबंधन के बारे में शिक्षित किया जाता है ताकि वह अपने खेतों की कृषि क्रियाओं के बारे में स्वयं निर्णय ले सकें l
आईपीएम किसान खेत पाठशाला एक इंडोनेशियन पैटर्न या मॉडल के अनुसार अपने देश में आई पीएम को प्रचलित या लोकप्रिय बनाने के लिए कृषकों को आईपीएम के बारे में अनौपचारिक शिक्षा विधि से शिक्षित करने का एक तरीका है जिसमें कृषकों की शिक्षा के साथ-साथ आईपीएम का प्रचार एवं प्रसार कृषकों तथा राज्य सरकार के कृषि प्रचार एवं प्रसार अधिकारियों के बीच में किया जा सके l
आईपीएम किसान खेत पाठशाला कार्यक्रम विभिन्न फसलों में फसल अवधि के दौरान 14 सप्ताहों के लिए आयोजित किया जाता है जिसमें 30 कृषकों को तथा राज्य सरकार के पांच कृषि प्रचार एवं प्रसार कार्यकर्ताओं को प्रति सप्ताह एक बार एक ही खेत में जाकर केंद्रीय एकीकृत नासि जीव प्रबंधन केंद्रों की कोर ट्रेनिंग टीम दिनेश सुविधा प्रदाता अथवा फैसिलिटेटर कहते हैं के द्वारा खेत में ही प्रशिक्षित किया जाता है इस कार्यक्रम का उद्देश्य यह है कि प्रशिक्षित किसान एवं कृषि प्रचार एवं प्रसार कार्यकर्ता आगे जाकर आने आने वाली फसल के दौरान इसी प्रकार की आईपीएम खेत पाठशाला ओं का स्वतंत्र रूप से आयोजन कर सकें l अर्थात प्रशिक्षित किसान अपने सहयोगी किसानों को प्रशिक्षित कर सकें तथा प्रशिक्षित कृषि प्रचार एवं प्रसार कार्यकर्ता भी स्वतंत्र रूप से आईपीएम खेत पाठशाला ओं का आयोजन कर सके l जिससे इस कार्यक्रम का गुणात्मक प्रभाव देखने को भी मिल सके और कृषकों के बीच में आई पीएम का प्रचार एवं प्रसार किया जा सके l आई पीएम किसान खेत पाठशाला के आयोजनों के बात उसी गांव में एक खेत दिवस का आयोजन किया जाता है जिसमें गांव के संपूर्ण कृषकों को बैठाकर के किए गए कार्यक्रम तथा उनसे प्राप्त अनुभव एवं उपलब्धियों के बारे में विस्तृत चर्चा की जाती है तथा आगे की कार्य योजना भी बनाई जाती है l
    आई पीएम किसान खेत पाठशाला का पाठ्यक्रम इस प्रकार से बनाया जाता है कि वह फसल पारिस्थितिक तंत्र का भलीभांति विश्लेषण कर सकें और उसके बाद सामूहिक चर्चा के द्वारा किसी विशेष निर्णय पर आ सके उस निर्णय को अपने खेत में क्रियान्वयन कर सकें l

Monday, August 9, 2021

जैविक नियंत्रण कार कोके संरक्षण द्वाराकवर किया गया क्षेत्रफल

फसल उत्पादन एवं फसल रक्षण पद्धति से उन कर्षण क्रियाओं तथा विधियां को दूर करना अथवा कम करना जिनका फसल पर्यावरण में पाए जाने वाले लाभदायक जीवो या जैविक नियंत्रण कार्य को की संख्या अथवा वृद्धि पर विपरीत प्रभाव पड़ता है जैविक नियंत्रण कारकों का संरक्षण कहलाता है तथा इस क्षेत्रफल को जहां इन कृषि  क्रियाओं को दूर किया जाता है जैविक नियंत्रण कारको के संरक्षण द्वारा कवर किया गया क्षेत्रफल कहलाता है  l इस संदर्भ में यह उल्लेख करना आवश्यक है कि अधिकांश तौर पर रसायनिक कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग के द्वारा कवर किया फसलों का क्षेत्रफल ही  अधिकांश तौर पर आता है यहां पर जैविक नियंत्रण कारकों की संख्या एवं वृद्धि पर रसायनिक कीटनाशकों का विपरीत प्रभाव पड़ता है l जैविक नियंत्रण कार को  के संरक्षण हेतु रसायनिक कीटनाशकों का अंधाधुंध प्रयोग नहीं करना चाहिए तथा इसके स्थान पर spot application of chemical pesticides अति आवश्यकता पड़ने पर करना चाहिए इसके अतिरिक्त जैविक नियंत्रण कारकों के संरक्षण हेतु ज्यादातर वह क्षेत्रफल गिना जाता है जहां पर रसायनिक कीटनाशकों का उपयोग ना किया गया हो फिर भी यह क्षेत्रफल वहां पाए जाने वाले जैविक नियंत्रण कार्य को की संख्या का आकलन एवं सर्वेक्षण करने के बाद ही गिना जाना चाहिए l फसलों का व क्षेत्रफल जहां रसायनिक कीटनाशकों का उपयोग ना किया गया हो वहां पर पर्याप्त मात्रा में जैविक नियंत्रण कारक मौजूद हो जैविक नियंत्रण कारकों के द्वारा कवर किया गया क्षेत्रफल के अंतर्गत आता है  l  इसके अलावा इकोलॉजिकल इंजीनियरिंग के द्वारा कवर किया गया क्षेत्रफल जिसमें रसायनिक कीटनाशकों के स्थान पर जैविक कीटनाशकों अथवा वनस्पतियों पर आधारित कीटनाशकों का प्रयोग किया गया हो और वहां पर जैविक नियंत्रण कारक पर्याप्त मात्रा में मौजूद हो को भी जैविक नियंत्रण कारकों के संरक्षण के द्वारा कवर किया गया क्षेत्रफल के अंतर्गत आता है  lयह एक प्रकार का मानसिकता परिवर्तन का कार्यक्रम है जिसमें कृषकों को पहले फसल पर्यावरण में पाए जाने वाले लाभदायक जीवो अथवा जैविक नियंत्रण कार्य को की जानकारी एवं उनकी पहचान कराई जाती है इसके बाद उनको यह बताया जाता है कि इन जीवो का फसल पर्यावरण में संरक्षण करें पोषण करें क्योंकि यह जीव हानिकारक जीवो की संख्या पर नियंत्रण करने हेतु अपना विशेष योगदान देते हैं  l यह एक प्रकार का कृषकों को प्रेरित करने वाला कार्यक्रम है l जिसके लिए कृषकों को कृषक गोष्ठियों के द्वारा फसलों के सर्वेक्षण के दौरान प्रशिक्षण के दौरान, संपूर्ण गांव के दृष्टिकोण के तरीके से IPM Farmers Field Schools संचालन करते समय लाभदायक जीवो के चित्रों को कृषकों को दिखाकर एवं फसल में मौजूद लाभदायक जीवो को दिखा करके उनकी पहचान करवा कर तथा बड़े-बड़े होर्डिंग लगा कर के कृषकों को प्रेरित किया जाता है तथा सर्वेक्षण के दौरान में पाए गए उस क्षेत्रफल को जहां पर लाभदायक जीवो अथवा जैविक नियंत्रण कारकों की संख्या बहुतायत में होती है जैविक नियंत्रण कार्य को के का संरक्षण क्षेत्र माना जाता हैl और उस एरिया में रसायनिक कीटनाशकों के प्रयोग को न्यूनतम करके अथवा ना करके तथा इसके अतिरिक्त अन्य कर्षण क्रियाएं तथा फसल उत्पादन में की जाने वाली विधियों जैसे कि उन खेतों में जहां पर लाभदायक जीव अथवा जैविक नियंत्रण कारकों की संख्या फसल अवशेषों में पाई जाती है की फसल अवशेषों को नहीं जलाना चाहिए इससे जैविक नियंत्रण  कारकों का फसलों में संरक्षण अगली फसल में आसानी से किया जा सकता है l
सर्वेक्षण के आधार पर फसलों का वह छेत्रफल जिसमें पर्याप्त मात्रा में लाभदायक जीव अथवा जैविक नियंत्रण कारक पाए जाते हो जैविक नियंत्रण कार को अथवा फसल पर्यावरण में पाए जाने वाले अन्य लाभदायक जीवो का संरक्षण क्षेत्रफल कहलाता है l
जैविक नियंत्रण कार्य को के संरक्षण हेतु अन्य विधियों का उपयोग किया जाता है जिनमें इकोलॉजिकल इंजीनियरिंग अर्थात मुख्य फसल के साथ-साथ अंतर फसलों को उगाना तथा फसल के खेत के चारों तरफ लाभदायक जीवो अथवा हानिकारक जीवो को आकर्षित करने वाली फसलों को बॉय आ जाना इसके साथ साथ लगातार हानिकारक एवं लाभदायक जीवो की संख्या का खेत में आकलन एवं निगरानी रखने खेतों में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के जैविक नियंत्रण कार्य को एवं लाभदायक जीवो का संरक्षण किया जा सकता है तथा इसकी संरक्षित क्षेत्र को लाभ दायक जीवो का संरक्षण क्षेत्र कहते हैं जिसका आकलन एवंcalculation करके लाभदायक जिओ अथवा जैविक नियंत्रण कारकों का संरक्षण का क्षेत्रफल निकाला जा सकता है  l
IPM अनुभव के आधार पर यह भी नोट किया गया है कि कई बार अधिक से अधिक रसायनिक कीटनाशकों के उपयोग के बावजूद भी कुछ खेतों में लाभदायक जीवो की संख्या पर्याप्त मात्रा में मिलती है इस इस प्रकार की दशा में एक शोध विषय उभर कर आता है उन खेतों में जहां जैव नियंत्रण कार्य को जिनकी संख्या अधिक से अधिक रसायनों स के उपयोग के बावजूद खेतों में अधिक पाई जाती है क्या उन उपयोग किए गए रसायनिक कीटनाशकों के प्रति उनमें कोई प्रतिरोधक क्षमता तो विकसित नहीं हुई है इस प्रकार का अध्ययन करना भी आवश्यक है l यह स्थिति मैं अपने व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर कह रहा हूं l

Sunday, August 8, 2021

IPM के प्रभावका मूल्यांकन

आई पीएम के प्रभाव का आकलन करने के लिए सबसे पहले यह समझना होगा कि आई पीएम है क्या और उससे क्या क्या एक्सपेक्टेशन किए गए थे और वे एक्सपेक्टेशन पूरे हुए अथवा नहीं l
1. एक प्रकार का स्किल डेवलपमेंट अथवा कौशल का विकास का कार्यक्रम है जिसमें कृषकों को कम खर्चे में ,रसायनिक कीटनाशकों का कम से कम उपयोग करते हुए तथा सामुदायिक स्वास्थ्य ,पर्यावरण, पारिस्थितिक तंत्र ,जैव विविधता ,प्रकृति वा उसके संसाधनों तथा समाज को कम से कम बाधा पहुंचाते हुए अधिक से अधिक ,सुरक्षित भोजन या फसल उत्पाद पैदा करने के लिए सक्षम बनाया जाता है l तथा विभिन्न आईपीएम की skills जैसे कल्चरल ,मैकेनिकल ,बायोलॉजिकल ,Pest Surveillance, ईपेस्ट surveillance,Agroecosystem analysis ,आईपीएम कृषक खेत पाठशाला ओ का आयोजन,Ecological Engineering, जंतुओं एवं वनस्पतियों पर आधारित जैविक कीटनाशकों, केचुआ पर आधारित केंचुआ खाद,biodecpmposer का बनाना एवं उसका उपयोग, फसल पारिस्थितिक तंत्र में पाए जाने वाले लाभदायक जीवो के संरक्षण के उपाय व उनके उपयोग तथा रासायनिक कीटनाशकों का सुरक्षित इस्तेमाल आदि के  बारे में किसानों को सक्षम बनाना आईपीएम का प्रमुख कार्यक्षेत्र है l
2. आईपीएम एक जागरूकता कार्यक्रम है जिसमें कृषकों को रसायनिक कीटनाशकों के दुष्प्रभावों, खेतों में पाए जाने वाले लाभदायक जीवो की पहचान करना तथा उनके फसल सुरक्षा में योगदान के बारे में जागरूक करना,  रसायनिक कीटनाशकों के अवशेषों रहित सुरक्षित भोजन पैदा करना आदि के बारे में उसको को जागरूक करना l
4.IPM एक शैक्षणिक, प्रशिक्षण ,सलाह कारी, एवं प्रेरित करने वाला कार्यक्रम है l
5 . फसल उत्पादन व्यवस्था में रसायनिक कीटनाशकों एवं रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करने हेतु एक सामाजिक आंदोलन है l तथा रसायनिक कीटनाशकों के विपरीत जैविक कीटनाशकों के उपयोग करने हेतु एक मानसिकता परिवर्तन का कार्यक्रम है l
उपरोक्त अपेक्षाओं की पूर्ति के बारे में हुई उपलब्धियों की जानकारी प्राप्त करके तथा फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा करते समय प्राप्त हुई उपलब्धियों को निम्नलिखित मापदंडों के आधार पर Cost benefi ratio,no of applications of chemical and biological pesticides ,increase in crop yield,%of reduction of use of chemical pesticides प्रमोशन ऑफ यूज़ ऑफ बायोपेस्टिसाइड इन क्रॉप प्रोडक्शन एंड प्रोडक्शन,presence of residue of chemical pesticides in crop produce ,harmful effects of chemical pesticides on water,food,soil,air  etc के रूप में जानकारी प्राप्त करके आई पीएम के प्रभाव का आकलन किया जाता है l





आईपीएम के द्वाराकवर किया गयाक्षेत्र

IPM के बारे में चर्चा करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों पर या विषयों पर चर्चा अवश्य होती है यह विषय हैं l
1.IPM  के द्वारा कवर किया गया क्षेत्रफल l
2.IPM के प्रभाव का आकलन
IPM एक प्रकार का सुरक्षित खेती करने का तरीका है जिसमें फसल उत्पादन एवं फसल सुरक्षा के तरीकों को सुरक्षात्मक बनाते हुए कम से कम खर्चे में ,कम से कम रसायनिक ¹कीटनाशकों एवं उर्वरकों के प्रयोग को करते हुए तथा सामुदायिक स्वास्थ्य ,पर्यावरण, पारिस्थितिक तंत्र ,जैव विविधता ,प्रकृति व उसके संसाधनों तथा समाज को कम से कम बाधा पहुंचाते हुए खाने के लिए अधिक से अधिक एवं सुरक्षित,  जहर मुक्त तथा तथा व्यापार हेतु गुणवत्ता युक्त कृषि उत्पाद पैदा किए जाते हैं  l जिसके लिए फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा की मौजूदा सभी विधियों को समेकित रूप से प्रयोग करके फसलों में पाए जाने वाले सभी हानिकारक जीवो की संख्या को आर्थिक हनी स्तर के नीचे सीमित रखते हुए फसल उत्पादन एवं फसल रक्षण किया जाता है l
इसके लिए अक्सर यह देखा गया है कि कृषक भाई खेती करते समय अथवा आईपीएम करते समय कृषि उत्पादन एवं फसल रक्षा हेतु संस्तुति की गई एवं अपने अनुभव के आधार पर प्रयोग की गई सभी विधियों को समेकित रूप से प्रयोग करते हैं और अपने उद्देश्य के अनुसार फसल उत्पादन करते हैं l इसके दौरान कई बार कृषक किसी विशेष प्रकार की विधि को अपनाकर भी फसल उत्पादन करते हैं और उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं l यहां यह बता देना अति आवश्यक है कि आई पीएम का कार्य करने करने वाले कुछ व्यक्ति सिर्फ उसी क्षेत्र कोIPM के द्वारा कवर किया गया क्षेत्रफल मानते हैं जिनमें आईपीएम इनपुट्स जैसे जैविक नियंत्रण कारक ,जैविक कीटनाशक तथा वनस्पतियों एवं जंतुओं पर आधारित कीटनाशकों ,विभिन्न प्रकार के ट्रैप्स आदि इनपुट का प्रयोग किया गया हो परंतु ऐसा नहीं है lयह इनपुट आई पीएम के कार्य को सिर्फ सुविधा तो प्रदान कर सकते हैं तथा तथा इनका प्रयोग फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा हेतु आवश्यक इनपुट के रूप में नहीं किया जा सकता है l क्योंकि इनकी अनुपस्थिति में कृषि कार्य या फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा के कार्य रोका नहीं जा सकता l
IPM की विचारधारा रसायनिक कीटनाशकों के प्रयोग के विरुद्ध नहीं है परंतु विचारधारा रसायनिक कीटनाशकों के दुरुपयोग के अवश्य ही विरुद्ध हैl इस विचारधारा के अनुसार रसायनिक कीटनाशकों का उपयोग सिर्फ आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए प्रयोग करने की अनुमति देता है l अक्सर यह देखा गया है की किसान कीटनाशकों का उपयोग स्तुति के अनुसार ना करके अपनी इच्छा के अनुसार उच्चतम एवं न्यूनतम संख्या मैं करते हैंl कीटनाशकों का इस प्रकार से किए जाने अगर फसल उत्पादन लगभग बराबर होता है तो सभी प्रकार के क्षेत्र को आईपीएम क्षेत्र माना जा सकता है परंतु यदि उत्पादन में प्रभावी अंतर मिलता है तो न्यूनतम प्रयोग में किए जाने वाले कीटनाशकों वाले क्षेत्र को IPM में कवर करना माना जाना चाहिए l आईपीएम एक पूर्व निर्धारित पैकेज नहीं है यह तुरंत निर्णय लेने वाली विधि है l जिसमें रसायनिक कीटनाशकों का उपयोग आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए संस्तुति प्रदान की जाती हैl

Saturday, August 7, 2021

Parameters for area coverage with IPM.

1. Crop production and protection methods.
2.Adoption of IPM skills  by the farmers.like Cultural,mechanical,Biological ,Varietal, pest Surveillance, AESA for descion making .IPM FFS,chemical as an emergency tool,Ecological Engineering.Seed treatment.


3 .Awareness  creation among farmers.
4Impact assessment.....Reduction in chemical pesticides and fertilizers. No of sprays of chemical pesticides ,cost benefit ratio,Pest and defenders ratio.% increase in yield .seed treatment ,use of  pest resistance varieties.
5.Training and awareness.
6.policy making.Banning of chemical pesticides

7.Use of IPM inputs and Biopesticides.

Wednesday, August 4, 2021

Area coverage with IPM Part I.

India is an agrarian country. Indian Agriculture and allied Industries-Industry report May 2021,Agriculture is the primary source livelyhood for about 58%people of India.people doing  farming or agriculture as a profession are called as farmers .Farmers are doing farming or Agriculture with the objectives to produce bumper crop with minimum expenditure and want to get high sell price of their Agricultural produce .But as per the concept of IPM the farmers must grow the  crops with the following objectives.
1.To grow crops or to get rid of pest problems with minimum expenditure,minimum use of chemical pesticides and chemical fertilizers and least disturbance to community health, Environment, ecosystem, biodiversity, natural its resources and society.
Crop management though systematic approach is the modern concept of IPM

2.To grow Quality Agricultural commodities to trade .
3.To ensure food security along with food safety.
4 Conservation of  Environment,,natural resources ,biodiversity,and ecosystem.
5.Frofitable crops and to enhance farmers income .
6.To produce healthy crops,safe crops,profitable and bumper crops .
7.Economical Development along with Environmental, ecological natural and social sevelopment.
8.To maintain harmony with nature and society.
9.To keep ecosystem active.
10..To maintainthe fertility of the soil ..
11To grow pesticide residue free food.
12.To keep society healthy.
IPM a way of farming without harming to the nature and society and also to fulfill the  above mentioned objectives.
II.Agriculture itself is an Integrated technology involving various available, affordable,feasible and acceptable  crop production and protection technologies or methods  in  compatible manner. 
13.Any technology is initialy demonstrated by the Extention officers but implemented by the farmers in their fields by way of adopting the different methods   in compatible manner.
14.All the methods which are available, affordable, feasible ,acceptable for society,used for crop production and crop protection  with the objectives mentioned above are included in IPM  technology hence this whole area covered by the farmers for crop production and protection comes in IPM as the use of chemicals in crop production and protection is also a component of IPM technology only as an an emergency tool.  Some times a single method including with other methods of crop protection and production also give rise thecrop produced with the qualities mentioned above  also  comes in IPM  concept. 
 The use of Bt Cotton  started since 2006 to control Cotton boll worms which showed its performance up to ten years continuously and during 2016 the resistance for the Pink boll worm  have broken. This variety have covered nearly 90 % area under Cotton.
Similarly the success  stories if different biocontrol agents and biopesticides can also be included n IPM programme as they were used along with other methods of pest management in compatible manner to behave like   IPM  tools .
Generally the farmers use all the methods mentioned in IPM package of practices except which are not required or available  to the farmers.
discard and reduce the use of chemicals ie pesticides and fertilizers and use them only as a last resort only to combat the pest emergency is the basic principle of IPM .Hence all the area covered by the farmers for crop production and protection comes in IPM.
15. Few people engaged in IPM work consider only that plant Protction work in which only bio control agents ,biopesticides  ,different types of traps , etc are used  in crop production and protection programming IPM  but in my opinion it is not like this .These are the IPM inputs which can only facilitate the IPM work .IPM  inputs can not be considered as essential inputs  for crop production and protection system  but they are facilitating inputs of IPM.. 
16.IPM is not against the use of 
the chemical pesticides and fertilizers but it is definitely against the misuse of the chemical pesticides and fertilizers. Whole cultivated area covered for crop production and protection comes under IPM even the area covered for use of chemical pesticides and fertilizers.It is experienced that few farmers apply maximum numbers of pesticides applications while few get crops with minimum numbers of applications of pesticides and few farmers apply in between these minimum and  maximum  numbers of applications of chemical pesticides. Crops cultivated with all these applications of chemical pesticides comes under IPM as the applications of chemical pesticides is also one of the methods of IPM but as a last resort as an emergency tool.