ह्यूमस:-
Monday, May 23, 2022
प्राकृतिक खेती से संबंधित कुछ शब्दावली
वापसl:- मिट्टी के कणों के बीच में जो पानी एवं वास्तु की मात्रा पाई जाती है उन दोनों को मिला करके वापसl कहते हैंl मिट्टी के कड़ो के बीच में पौधों की जड़ों तथा सूक्ष्म झड़े भी पाई जाती हैं जो वापस आ पानी एवं न्यूट्रिएंट्स लेकर पौधों तक पहुंचाते हैं l
Tuesday, May 17, 2022
कृषि अथवा खेती को लाभकारी कैसे बनाएं अथवा कृषकों की आमदनी वो कैसे बढ़ाएं
1.तकनीकी तौर से खेती को लाभकारी बनाने तथा कृषकों की आमदनी बढ़ाने के लिए एकीकृत खेती अपनाएं,( कृषि आधारित व्यापार को बढ़ावा दें), कृषि का दूसरे क्षेत्रों में विविधीकरण करें, उदाहरण के तौर पर गन्ने से चीनी के अलावा इथेनॉल जैसे उपयोगी पदार्थों का उत्पादन करें, कृषि उत्पादों की प्रोसेसिंग करें ,प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दें, फसलों तथा पशुओं के द्वारा उत्सर्जित एवं पैदा किए गए पदार्थों को उपयोगी पदार्थों में बदलें, बंजर भूमि पर सौर ऊर्जा का उत्पादन करके कृषकों की आमदनी बढ़ाई जा सकती है l
2. मांग पर आधारित खेती से कृषि के उत्पादों के उत्पादन हेतु लाभकारी फसल चक्र अपनाएंl
3. फसल उत्पादों के निर्यात की संभावना देखें तथा निर्यात की संभावना होने पर निर्यात करने लायक फसलो का उत्पादन करें l
4. जो गाय दूध देना बंद कर देती है उनको गौशाला में एक सेवानिवृत्त जिंदगी व्यतीत करने के लिए रखते हैं और चारा खिलाते है l अगले प्रतिदिन गायों से गोबर मिलता है जिसको हम एक बायोडायजेस्टर में डाल देते हैं जिसमें 24 घंटे में मीथेन गैस निकाल लेते हैं जिसको रोशनी जलाने के या खाना बनाने के प्रयोग में करने से तथा इससे बचा हुआ गोबर जिसमें से मिथेन गैस निकाली गई हो को केचुआ के लिए छोड़ देते हैं जिससे कुछ दिनों में वर्मी कंपोस्ट प्राप्त हो जाती है l कई बार इस गोबर को एक कंपोस्ट के गड्ढे में डाल देते हैं इसमें घरों से निकली हुई अन्य चीजें भी डाली जाती है और जिसमें से कुछ दिनों में कंपोस्ट खाद मिल जाती है l
कई बार जब गोवर को ऐसे ही छोड़ दया जाता है तो कुछ दिनों बाद उनमें Maggots बन जाते हैं जिनके ऊपर मुर्गियों को छोड़ देने से मुर्गियां उन्हें बड़े चाव से खाती हैं इनके खाने पर अगले दिन मुर्गियां मोटे मोटे अंडे देती है l और इससे मुर्गियों के अंडे देने की क्षमता भी बढ़ जाती है l
मछली बाजार का कचरा बत्तख को बहुत पसंद आता है और इसके खाने से वह बड़े साइज के अंडे देना शुरू कर देते हैं के साथ अंडे भी ज्यादा देती है l
दो गड्ढे वाले टॉयलेट्स भी खाद बनाने के काम में आते हैं l
बायोगैस बनाने के लिए वाटर है Water hyacinth या जलकुंभी के कचरे को भी प्रयोग किया जा सकता है ll
अपने आसपास की एवं घरों के बेकार चीजों से या कचरे से भी खाद बना सकते हैं l
Sunday, May 15, 2022
Refinements in IPM and Organic farming system for approaching towards natural. प्राकृतिक खेती तक पहुंचने के लिए ऑर्गेनिक खेती एवं आईपीएम वनस्पति संरक्षण पद्धति मैं संशोधन
ऑर्गेनिक फार्मिंग एवं जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती दोनों ही केमिकल फ्री या रसायन रहित खेती करने की विचारधlराएं हैं l परंतु वनस्पति संरक्षण की आईपीएम पद्धति रसायनों जैसे रासायनिक कीटनाशक एवं रसायनिक उर्वरकों के प्रयोग को सिर्फ आपातकालीन स्थिति से निपटान हेतु संस्तुति दी जाती है l ऑर्गेनिक फार्मिंग तथा आईपीएम पर आधारित वनस्पति संरक्षण दोनों की अपनी अपनी विशेषताएं एवं सीमाएं हैं जिनमें से अगर थोड़ा सा रिफाईनमेंट अथवा संशोधन किया जाए तो आईपीएम पर आधारित वनस्पति संरक्षण एवं ऑर्गेनिक फार्मिंग को जीरो बजट पर आधारित फार्मिंग में बदला जा सकता है इसके लिए सतर्कता ,जागरूकता, जन जागरण, जनभागीदारी ,जन प्रशिक्षण एवं जन आंदोलन ही मात्र आवश्यकताएं हैं l ऑर्गेनिक फार्मिंग एवं आईपीएम पर आधारित वनस्पति संरक्षण पद्धति को प्राकृतिक खेती में परिवर्तित करने के लिए सबसे पहले इन दोनों प्रकार की खेती कि उन विशेषताओं को छांटना चाहिए एवं अध्ययन करना चाहिए जो इन दोनों प्रकार की खेती की विचारधाराओं को प्राकृतिक खेती अथवा जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती मैं परिवर्तित करने मैं बाधा पहुंच आती है l इनमें से सबसे पहली बाधा यह है कि आई पीएम पद्धति से वनस्पति संरक्षण करने खेती की विचारधारा मैं से रसायनिक कीटनाशकों के उपयोग को बिल्कुल ही निष्कासित कर देना चाहिए अर्थात इन के प्रयोग को बिल्कुल ही नहीं करना चाहिए इसके लिए आई पी एम में प्रयोग होने वाले इनपुट की उपलब्धता कृषकों के द्वार पर सुनिश्चित करनी चाहिए इसके लिए आईपीएम इनपुट्स के बनाने की विधियां को प्राकृतिक खेती की तरह सरलतम बनाना चाहिए जिससे उनका उत्पादन कृषकों के द्वार पर या उनके नजदीक सरलता से किया जा सके और आईपीएम इनपुट को कृषकों को उपलब्ध कराया जा सके l आई पीएम इनपुट आईपीएम के क्रियान्वयन मैं महत्वपूर्ण योगदान देते हैं और आईपीएम के क्रियान्वयन में सहूलियत प्रदान करते हैं l आईपीएम को प्राकृतिक खेती में परिवर्तित करने के लिए जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती में कृषकों के द्वार पर ही बनाए जाने वाले प्राकृतिक खेती के इनपुट को भी आई पी में शामिल करना चाहिए l इसी प्रकार से ऑर्गेनिक खेती में प्रयोग किए जाने वाले वे इनपुट जिनकी उपलब्धता पर्याप्त मात्रा में असंभव प्रतीत होती या आर्थिक दृष्टि से बहुत ही महंगे साबित हो रहे हो तो उनको प्राकृतिक खेती के अन्य इनपुट के द्वारा रिप्लेस अथवा बदल देना चाहिए l इसी प्रकार से ऑर्गेनिक खेती में प्रयोग किए जाने वाले फसलों की स्थानीय प्रजातियों को बढ़ावा देना चाहिए इससे ऑर्गेनिक खेती अथवा आईपीएम पद्धति से किया जाने वाला वनस्पति संरक्षण दोनों ही प्राकृतिक खेती में आसानी से परिवर्तित हो सकते हैं l इसके अतिरिक्त विभिन्न प्रकार की स्थानीय कर्षण क्रियाओं को भी बढ़ावा देकर के आईपीएम आधारित वनस्पति संरक्षण एवं ऑर्गेनिक खेती को प्राकृतिक खेती में बदला जा सकता है l विभिन्न प्रकार के राज्य जैसे सिक्किम जो पहले से ही ऑर्गेनिक स्टेट घोषित हो चुके हैं इनमें उनकी पारिस्थितिक तंत्र की दशाएं अथवा ecological conditions भी राज्य को ऑर्गेनिक स्टेट बनाने में अपना विशेष योगदान देते हैं l इसके अतिरिक्त कुछ पारिस्थितिक तंत्र दशाएं एवं कंडीशन कुछ बाधाएं भी पहुंचा सकते हैं जैसे सिक्किम जैसे राज्य में नीम जैसे पौधे बहुत कम मात्रा में पाए जाते हैं जिससे उनका किसी आपातकालीन स्थिति में प्रयोग नहीं हो पाता है ऐसी स्थिति में नीम पर आधारित जैविक पेस्टिसाइड को शामिल किया जा सकता है परंतु यह ध्यान रखने लायक बात है की नीम पर आधारित जैविक पेस्टिसाइड्स मैं किसी प्रकार का रसायनिक पेस्टिसाइड्स ना मिला हो इस चीज का बहुत ही ध्यान रखना आवश्यक है l
ऑर्गेनिक खेती से उत्पादित उत्पादों का ऑर्गेनिक स्टेटस सुनिश्चित करने के लिए इन उत्पादों का प्रमाणीकरण या सर्टिफिकेशन अति आवश्यक होता है जिसके लिए एक आधिकारिक अथवा ऑथराइज एजेंसी का होना अति आवश्यक है तथा इस एजेंसी के उपयुक्त मानकों का पूर्व निर्धारण होना भी अति आवश्यक है l
प्रकार से ऑर्गेनिक खेती अथवा प्राकृतिक खेती करने के पूर्व मिट्टी की जांच करना भी अति आवश्यक है जिससे मिट्टी में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के जैविक व अजैविक कारकों का आकलन किया जा सके l प्राकृतिक खेती करने के लिए मिट्टी में ह्यूमस तथा विभिन्न प्रकार के सूक्ष्म जीवों की संख्या का आकलन करना भी अति आवश्यक है l मिट्टी में ऑर्गेनिक कार्बन का स्टेटस की जानकारी भी अति आवश्यक है और यह भी आवश्यक है की मिट्टी में जैविक कार्बन के स्टेटस को किन-किन जैविक इनपुट के द्वारा बढ़ाया जा सकता है l
प्राकृतिक खेती देसी गाय, के मूत्र तथा गोबर पर पर आधारित खेती करने की एक विचारधारा है या तरीका है l गाय के मूत्र एवं गोबर से विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक खेती के लिए प्रयोग किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के इनपुट बनाए जा सकते हैं इन इनपुट में जीवामृत घन जीवामृत इनपुट प्रमुख है l प्राकृतिक खेती को रसायन रहित या रसायन मुक्त खेती भी कहा जाता है , रसायनों का उपयोग बिल्कुल भी नहीं किया जाता है l प्राकृतिक खेती में प्रयोग किए जाने वाले इनपुट के प्रयोग से 2 या 3 साल में मिट्टी स्वयं ही रसायन रहित हो जाती है अथवा ऑर्गेनिक बन जाती है l इसके अतिरिक्त पानी आदि के संरक्षण हेतु विभिन्न प्रकार के जीवो की संख्या खेतों अथवा खेत की मिट्टी में अपने आप बढ़ने लगती है l प्राकृतिक खेती में प्रयोग की जाने पाली आच्छादन क्रिया से विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया उत्पन्न होते हैं जो खेत में पाए जाने वाले फसलों के अवशेषों का विघटन करने में सहायक होते हैं तथा यह बैक्टीरिया ह्यूमस के निर्माण एवं नाइट्रोजन आदि के संरक्षण में सहायक होते हैं l
प्राकृतिक खेती एवं ऑर्गेनिक खेती में उत्पादित उत्पादों में भी अंतर साबित किया जा सकता है प्राकृतिक खेती उत्पादित कृषि उत्पादों में रसायनों की मात्रा की मौजूदगी नहीं होनी चाहिए जबकि ऑर्गेनिक खेती से उत्पादित कृषि उत्पादों मैं रसायनों की मात्रा का मानक एम आर एल अर्थात मैक्सिमम रेसिड्यू लिमिट आदि के रूप में निर्धारित किया जाता है l
पूर्व घोषित ऑर्गेनिक राज्यों में ऑर्गेनिक खेती के द्वारा उत्पादित ऑर्गेनिक उत्पादों मैं से रसायनों के उपस्थिति की जानकारी के लिए एनालिसिस अथवा विश्लेषण करने हेतु पेस्टिसाइड रेसिड्यू एनालिसिस प्रयोगशाला अवश्य होनी चाहिए जिससे समय-समय पर कृषि उत्पादों में पाए जाने वाले रसायनों की उपस्थिति का आकलन किया जा सके l
ऑर्गेनिक खेती और प्राकृतिक खेती में अगर किसी कारणवश फसल उत्पादन कम होता है तो इसकी पूर्ति के लिए खेती के साथ-साथ खेती पर आधारित अन्य व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा दें जिससे किसानों की आमदनी पर कोई विपरीत प्रभाव ना पड़े l जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती में फसल उत्पादन लागत लगभग जीरो होती है अतः यह एक प्रकार का लाभदायक सौदा है l और हर प्रकार से स्वास्थ्य, पर्यावरण, प्रकृति, समाज आदि की को ध्यान में रखते हुए प्राकृतिक खेती हर प्रकार से win-win सिचुएशन पर काम करती है l परंतु यह देखा गया है कि ऑर्गेनिक खेती में प्रयोग किए जाने वाले कुछ इनपुट जैसे वर्मी कंपोस्ट आदि बहुत महंगे मिलते हैं जिससे ऑर्गेनिक खेती का कॉस्ट आफ कल्टीवेशन कई बार बढ़ जाता है l इसी प्रकार से आई पी एम क्रियान्वयन से प्राप्त अनुभव के आधार पर यह देखा गया है कि आई पीएम भी एक प्रकार की लाभकारी विचारधारा है और इसमें भी win-win सिचुएशन कायम रहती है l
Thursday, May 12, 2022
आईपीएम इनपुट की अनुपलब्धता की स्थिति मैं कैसे करें आई पी एम का क्रियान्वयन
दोस्तों जब भी कभी हम आईपीएम के क्रियान्वयन की बात करते हैं किसानों के द्वारा या अन्य आईपीएम के भागीदारों के द्वारा एक ही प्रश्न आता है और वह प्रश्न है आईपीएम इनपुट्स की अनुपलब्धता l कृषक भाई कहते हैं कि आई पीएम के क्रियान्वयन हेतु इस्तेमाल किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के इनपुट जैसे जैव नियंत्रण कारक, विभिन्न प्रकार के ट्रैप्स जैसे फेरोमोन , विभिन्न रंगों से संबंधित कीटों को आकर्षित करने वाले विभिन्न प्रकार के रंगों से संबंधित ट्रैप्स आदि, विभिन्न प्रकार के बायोपेस्टिसाइड्स, पौधों तथा जंतुओं पर आधारित विभिन्न प्रकार के सत अथवा एक्सट्रैक्ट आदि कहां से उपलब्ध होंगे क्योंकि अभी तक इनकी उपलब्धता किसानों के द्वार तक पर्याप्त मात्रा में नहीं सुनिश्चित हो सकी है l आई एम पीएम इनपुट की उपलब्धता अभी तक एक प्रश्नवाचक बनी हुई है l अब सवाल यह उठता है कि आई पीएम इनपुट की अनुपलब्धता की स्थिति में आई पी एम का क्रियान्वयन कैसे करें और क्या आईपीएम इनपुट की अनुपलब्धता की हालात में आई पीएम का क्रियान्वयन हो सकता है l इस संबंध में हमारे विचार निम्न वत है l1. आईपीएम इनपुटinputs और नॉट एसेंशियल रिक्वायरमेंट फार दी इंप्लीमेंटेशन ऑफ आईपी एम lIPM inputs can only facilitate the inplementationof IPM. अर्थात आईपीएम इनपुट आईपीएम के क्रियान्वयन हेतु को कोई अति आवश्यक आवश्यकता नहीं है बल्कि यह इनपुट आईपीएम के क्रियान्वयन मैं सिर्फ सहूलियत प्रदान करते हैं इनके उपस्थिति में किसान भाई आई पीएम का क्रियान्वयन सुचारू रूप से सुगमता पूर्वक कर सकते हैं और उसके उत्तम रिजल्ट प्राप्त कर सकते हैं l
कुछ आईपीएम के भागीदार एवं किसान भाई यह समझते हैं या इस गलतफहमी में रहते हैं जो वनस्पति संरक्षण आईपी एम इनपुट के द्वारा किया जाता है वही आईपी एम कहलाता है l परंतु वस्तु स्थिति ऐसी नहीं है l आईपी एम इनपुट के बिना भी किया गया वनस्पति संरक्षण भी आई पीएम कहलाता है व शर्तें इस प्रकार से किया गया आईपीएम या वनस्पति संरक्षण सामुदायिक स्वास्थ्य, पर्यावरण ,पारिस्थितिक तंत्र, जैव विविधता ,प्रकृति और समाज पर कोई विपरीत असर ना डालता हो l
आई पीएम इनपुट की अनुपस्थिति में फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा से संबंधित विभिन्न प्रकार की कर्षण क्रियाओं में बदलाव ला करके आईपी एम का क्रियान्वयन किया जा सकता है l इन बदलावों में सहफसली खेती, अंतर फसली अथवा बॉर्डर फसली किटको कीटों को आकर्षित करने वाली फसल को बॉर्डर पर लगा कर लगाने वाली खेती जिन को सम्मिलित रूप से इकोलॉजिकल इंजीनियरिंग कहा जाता है के द्वारा विभिन्न प्रकार के फसलों के विभिन्न प्रकार के हानिकारक जंतुओं एवं लाभदायक जंतुओं आदि को आकर्षित करके तथा उनके तथा हानिकारक जीवो के ऊपर वनस्पति आधारित कैलाश को के छिड़काव को करके हानिकारक जीवो का संरक्षण किया हानिकारक जीवो का नियंत्रण किया जा सकता है l
जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती में उपयोग किए जाने वाले सभी प्रकार के प्राकृतिक खेती के इनपुट को भी आईपी एम के क्रियान्वयन हेतु प्रयोग किया जा सकता है l
उन कर्षण क्रियाओं को ना करके जिनका फसल में पाए जाने वाले लाभदायक जीवो की संख्या विपरीत असर पड़ता को फसल पारिस्थितिक तंत्र में लाभदायक जीवो का संरक्षण किया जा सकता है और आई पीएम का क्रियान्वयन किया जा सकता हैl
प्रकृति में अपने आप चल रही फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा पद्धति या प्रणाली का अध्ययन करके फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा हेतु बढ़ावा देंl
स्वस्थ फसल उत्पादन हेतु स्वस्थ बीजों का प्रयोग करें
Use Pest resistant varieties ,
उन कर्षण क्रियाओं को प्रमोट करें जो फसल में मौजूद लाभदायक जंतुओं का फसल में संरक्षण कर सकते हो l
Sunday, May 8, 2022
आईपीएम एवं प्राकृतिक खेती एक प्रकार की खेती करने की विचारधाराएं एवं पद्धतियां है
⁹आईपीएम एवं प्राकृतिक खेती कम से कम खर्चे में अथवा जीरो बजट पर आधारित तथा रसायनों का उपयोग ना करते हुए( प्राकृतिक खेती में) या सिर्फ आपातकालीन स्थिति के निपटान हेतु अंतिम विकल्प के रूप में करते हुए( आईपीएम में) एक प्रकार की खेती करने की एवं वनस्पति संरक्षण करने की विचारधाराएं है जिसमें पर्यावरण ,पारिस्थितिक तंत्रों जैव विविधता तथा प्रकृति तथा उसके संसाधनों और समाज तथा उसके घटकों को सुरक्षात्मक बनाते हुए इस प्रकार से खेती की जाती है जिससे उन से उत्पादित उत्पाद खाने की दृष्टि से सुरक्षित हो तथा व्यापार की दृष्टि से गुणवत्ता युक्त हो इसके साथ साथ प्रकृति में स्वयं से चल रही फसल उत्पादन ,फसल फसल रक्षा पद्धति चलती रहे, विभिन्न प्रकार के पारिस्थितिक तंत्र सक्रिय रहे तथा जीवन के निर्माण और जीवन को स्थायित्व प्रदान करने वाले पंच महाभूत तत्व जैसे पृथ्वी अथवा मिट्टी पानी अग्नि आकाश एवं हवा संरक्षित एवं सुरक्षित रहे तथा तथा उनको संरक्षित रखने वाली प्राकृतिक क्रियाए उसके लिए आवश्यक सभी तत्व संरक्षित रहे तथा फसल पारिस्थितिक तंत्र में पाए जाने वाले सभी लाभदायक जीव सुरक्षित एवं संरक्षित रहे तथा अजैविक कारकों की आपूर्ति फसल में पाए जाने वाले सभी पौधों को सुनिश्चित रहे और फसल पर्यावरण में हानिकारक जीवो की संख्या आर्थिक हानि स्तर के नीचे सीमित रहे l
आई पीएम एवं प्राकृतिक खेती इनके सभी भागीदारों में जन जागरूकता ,कौशल विकास, सशक्तिकरण एवं उनके उनको सक्षम बनाने तथा विचारधारा परिवर्तन तथा खेती में रसायनों के प्रयोग को कम से कम करने अथवा ना करने का एक जन आंदोलन है l
आईपीएम कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लगभग 44 साल के अनुभव के दौरान मैंने यह अनुभव किया कि किसी भी वैज्ञानिक विचारधारा का क्रियान्वयन सही तरीके से तभी हो सकता है जब कि वह विचारधारा सरकार के एक वरीयता एजेंडा के रूप में स्वीकार की जाए l अर्थात जब तक सरकार नहीं चाहती तब तक कोई भी विचारधारा का सही क्रियान्वयन नहीं किया जा सकता l यह भी महसूस किया गया कि किसी भी विचारधारा तथा नीति का क्रियान्वयन प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा किया जाता है जोकि किसी विभाग में एक विशेष अवधि के लिए कार्य करने के लिए आते हैं और फिर वह दूसरे विभाग में चले जाते हैं l इस अवधि के दौरान यह अधिकारी किसी विशेष विषय अथवा गतिविधि को महत्व देते हैं और उसमें सरकार के हिसाब से उत्कर्ष कार्य करके अन्य विभाग में चले जाते हैं इस दौरान हुए राजनीतिज्ञ या राजनेताओं मंत्रियों आदि के विचारधारा के अनुसार कार्य करने को वरीयता देते हैं l
आईपीएम के क्रियान्वयन हेतु विभिन्न प्रकार के इनपुट कि किसानों को उनके द्वार पर उनकी उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए रसायनिक कीटनाशकों के समांतर जैविक कीटनाशकों जय जैव नियंत्रण कारकों विभिन्न प्रकार के ट्रैप्स आदि का उत्पादन के लिए सरकार की ओर से अभी तक कोई भी प्रयास नहीं किया गया और इनके उत्पादन के लिए बहुत ही कम इंडस्ट्रीज या उद्योग स्थापित किए गए हैं l अतः इसके लिए आवश्यक यह है कि आई पीएम एवं प्राकृतिक खेती मैं काम में आने वाले इनपुट का उत्पादन कृषकों के द्वारा उनके घरों पर किया जाए जिससे हुए समय पड़ने पर इनपुट्स की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके और सही समय पर उनका प्रयोग हो सके l
अक्सर यह भी देखा गया है की कि लगभग सभी सरकारी विभागों में चाहे वह राज्य सरकार के अधीन हो या केंद्र सरकार के बहुत सारे पद रिक्त पड़े हैं जिससे किसी भी वैज्ञानिक विचारधारा का क्रियान्वयन फील्ड लेवल पर नहीं हो पाता है अतः यह आवश्यक है कि किसी भी विचारधारा को चाहे वह आईपीएम की विचारधारा हो अथवा प्राकृतिक खेती की विचारधारा हो या अन्य कोई विचारधारा हो इसके क्रियान्वयन हेतु कृष को को प्रशिक्षित करने को वरीयता दी जाए जिससे हुए इन कृषि की विचारधाराओं का क्रियान्वयन अपने खेतों में खेती करने मैं कर सकें l
Wednesday, May 4, 2022
Role of fundamental element of life in Natural farming and IPM.
IPM and Natural Farming both are based on the principles of life ,nature,Ecosystems,and Society.Life is formed and sustained by Five fundamental elements which are described by so many poets and Scientists in the following lines.
क्षित ,जल, पावक, गगन ,समीरा ,
पंचतत्व मिल बना शरीरा
अर्थात जीवन की उत्पत्ति एवं उसका स्थायित्व उपरोक्त पांच तत्व मिट्टी ,अथवा जमीन अथवा पृथ्वी ,जल, पावक अर्थात अग्नि, अर्थात सोलर एनर्जी अथवा सौर ऊर्जा ,आकाश अर्थात cosmic or ब्रह्मांड ऊर्जा अथवा ब्रह्मांड एनर्जी समीरा अर्थात वायु
ब्रह्मांड में जीवन तथा संपूर्ण ब्रह्मांड को बनाए रखने के लिए उपरोक्त पांचों तत्वों के निम्नलिखित योगदान है l
1. Earth and Soil:-1.Soil is the natural media for cultivation of crops or growing of crops.
2 .Soil contains several micro organisms, micronutrients,organic carbon,Humus which helps to grow crops .
3 Soil helps to conserve water.
4.Soil contains earthworms which makes natural water conservation System in soil.
5 The roots of Certain crops contains Nitrogen fixing Bacteria.
6. भूमि हमारी अन्नपूर्णा है और पौधों के लिए खाद्य तत्वों का महासागर है अतः भूमि को संरक्षित एवं सुरक्षित रखें l
7. Humus
प्राकृतिक खेती का आधार है खेतों में पशुओं के अवशेषों के आच्छादन करके युवक का निर्माण किया जा सकता है l
Water:--1.Helps in Photosynthesis ,general health and growth of the crops .To receive or transport nutrients to different parts of the plants .
Water cycle and monsoon cycle helps to ensure water availability to the crops through water cycle.
Agni or Solar energy:--- सौर ऊर्जा Helps in photosynthesis for preparation of food for plants or crops .
Gagan or Sky or Akash:---- वैश्विक अथवा ब्रह्मांड ऊर्जा:---
1.27 Nakshatra,12 Rashiyan,Different types of Milky Ways makes Cosmic energy or ब्रह्मांड ऊर्जा
Sunday, May 1, 2022
प्राकृतिक खेती के सिद्धांत भाग 2
*IPM have got endless scopes it is related with all aspects of life, nature ,society and even global aspects.
**.Minus Chemicals only in case of pest emergency,IPM is synonymous of Natural Farming.
***IPM is a bioecological approach for the requirements of agroecosystem or agro ecology hence bioecological approaches must be promoted while implementing IPM.
****Natural farming is also bioecological approach.
1.Immunity development in soil and plants .
2.Restoration of damaged agroecosystem.
3.To keep agroecosystem active
4.Conservation of biodiversity.
5.To conserve Earth or soil,water,Agni or biocorbon ,Skyor cosmic Energy and air to sustain life on earth
6.Crop production and protection through nature's protection
7.Farming without harming to the nature and society.
8.Role of Ecological Engineering and mixed cropping for the conservation of benefecial fauna found in agroecosystem.
9.To facilitate the formation of Humus in soil.
10. Preparation of Natural Farming inputs from local materials and using them for implementation of natural farming .
11.
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