Sunday, May 15, 2022

Refinements in IPM and Organic farming system for approaching towards natural. प्राकृतिक खेती तक पहुंचने के लिए ऑर्गेनिक खेती एवं आईपीएम वनस्पति संरक्षण पद्धति मैं संशोधन

ऑर्गेनिक फार्मिंग एवं जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती दोनों ही केमिकल फ्री या रसायन रहित खेती करने की विचारधlराएं हैं l परंतु वनस्पति संरक्षण की आईपीएम पद्धति रसायनों जैसे रासायनिक कीटनाशक एवं रसायनिक उर्वरकों के प्रयोग को सिर्फ आपातकालीन स्थिति से निपटान हेतु संस्तुति दी जाती है l ऑर्गेनिक फार्मिंग तथा आईपीएम पर आधारित वनस्पति संरक्षण दोनों की अपनी अपनी विशेषताएं एवं सीमाएं हैं जिनमें से अगर थोड़ा सा रिफाईनमेंट अथवा संशोधन किया जाए तो आईपीएम पर आधारित वनस्पति संरक्षण एवं ऑर्गेनिक फार्मिंग को जीरो बजट पर आधारित फार्मिंग में बदला जा सकता है इसके लिए सतर्कता ,जागरूकता, जन जागरण, जनभागीदारी ,जन प्रशिक्षण एवं जन आंदोलन ही मात्र आवश्यकताएं हैं l ऑर्गेनिक फार्मिंग एवं आईपीएम पर आधारित वनस्पति संरक्षण पद्धति को प्राकृतिक खेती में परिवर्तित करने के लिए सबसे पहले इन दोनों प्रकार की खेती कि उन विशेषताओं को छांटना चाहिए एवं अध्ययन करना चाहिए जो इन दोनों प्रकार की खेती की विचारधाराओं को प्राकृतिक खेती अथवा जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती मैं परिवर्तित करने मैं बाधा पहुंच आती है l इनमें से सबसे पहली बाधा यह है कि आई पीएम पद्धति से वनस्पति संरक्षण करने खेती की विचारधारा मैं से रसायनिक कीटनाशकों के उपयोग को बिल्कुल ही निष्कासित कर देना चाहिए अर्थात इन के प्रयोग को बिल्कुल ही नहीं करना चाहिए इसके लिए आई पी एम में प्रयोग होने वाले इनपुट की उपलब्धता कृषकों के द्वार पर सुनिश्चित करनी चाहिए इसके लिए आईपीएम इनपुट्स के बनाने की विधियां को प्राकृतिक खेती की तरह सरलतम बनाना चाहिए जिससे उनका उत्पादन कृषकों के द्वार पर या उनके नजदीक सरलता से किया जा सके और आईपीएम इनपुट को कृषकों को उपलब्ध कराया जा सके l आई पीएम इनपुट आईपीएम के क्रियान्वयन मैं महत्वपूर्ण योगदान देते हैं और आईपीएम के क्रियान्वयन में सहूलियत प्रदान करते हैं l आईपीएम को प्राकृतिक खेती में परिवर्तित करने के लिए जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती में कृषकों के द्वार पर ही बनाए जाने वाले प्राकृतिक खेती के इनपुट को भी आई पी  में शामिल करना चाहिए l इसी प्रकार से ऑर्गेनिक खेती में प्रयोग किए जाने वाले वे इनपुट जिनकी उपलब्धता पर्याप्त मात्रा में असंभव प्रतीत होती या आर्थिक दृष्टि से बहुत ही महंगे साबित हो रहे हो तो उनको  प्राकृतिक खेती के अन्य इनपुट के द्वारा रिप्लेस अथवा बदल देना चाहिए l इसी प्रकार से ऑर्गेनिक खेती में प्रयोग किए जाने वाले फसलों की स्थानीय प्रजातियों को बढ़ावा देना चाहिए इससे ऑर्गेनिक खेती अथवा आईपीएम पद्धति से किया जाने वाला वनस्पति संरक्षण दोनों ही प्राकृतिक खेती में आसानी से परिवर्तित हो सकते हैं l इसके अतिरिक्त विभिन्न प्रकार की स्थानीय कर्षण क्रियाओं को भी बढ़ावा देकर के आईपीएम आधारित वनस्पति संरक्षण एवं ऑर्गेनिक खेती को प्राकृतिक खेती में बदला जा सकता है l विभिन्न प्रकार के राज्य जैसे सिक्किम जो पहले से ही ऑर्गेनिक स्टेट घोषित हो चुके हैं इनमें उनकी पारिस्थितिक तंत्र की दशाएं अथवा ecological  conditions भी राज्य को ऑर्गेनिक स्टेट बनाने में अपना विशेष योगदान देते हैं l इसके अतिरिक्त कुछ पारिस्थितिक तंत्र दशाएं एवं कंडीशन कुछ बाधाएं भी पहुंचा सकते हैं जैसे सिक्किम जैसे राज्य में नीम जैसे पौधे बहुत कम मात्रा में पाए जाते हैं जिससे उनका किसी आपातकालीन स्थिति में प्रयोग नहीं हो पाता है ऐसी स्थिति में नीम पर आधारित जैविक पेस्टिसाइड को शामिल किया जा सकता है परंतु यह ध्यान रखने लायक बात है की नीम पर आधारित जैविक पेस्टिसाइड्स मैं किसी प्रकार का रसायनिक पेस्टिसाइड्स ना मिला हो इस चीज का बहुत ही ध्यान रखना आवश्यक है l
ऑर्गेनिक खेती से उत्पादित उत्पादों का ऑर्गेनिक स्टेटस सुनिश्चित करने के लिए इन उत्पादों का प्रमाणीकरण या सर्टिफिकेशन अति आवश्यक होता है जिसके लिए एक आधिकारिक अथवा ऑथराइज एजेंसी का होना अति आवश्यक है तथा इस एजेंसी के उपयुक्त मानकों का पूर्व निर्धारण होना भी अति आवश्यक है l
प्रकार से ऑर्गेनिक खेती अथवा प्राकृतिक खेती करने के पूर्व मिट्टी की जांच करना भी अति आवश्यक है जिससे मिट्टी में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के जैविक व अजैविक कारकों का आकलन किया जा सके l प्राकृतिक खेती करने के लिए मिट्टी में ह्यूमस तथा विभिन्न प्रकार के सूक्ष्म जीवों की संख्या का आकलन करना भी अति आवश्यक है l मिट्टी में ऑर्गेनिक कार्बन का स्टेटस की जानकारी भी अति आवश्यक है और यह भी आवश्यक है की मिट्टी में जैविक कार्बन के स्टेटस को किन-किन जैविक इनपुट के द्वारा बढ़ाया जा सकता है l
प्राकृतिक खेती देसी गाय, के मूत्र तथा गोबर पर पर आधारित खेती करने की एक विचारधारा है या तरीका है l गाय के मूत्र एवं गोबर से विभिन्न प्रकार के  प्राकृतिक खेती के लिए प्रयोग किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के इनपुट बनाए जा सकते हैं इन इनपुट में जीवामृत घन जीवामृत  इनपुट प्रमुख है l प्राकृतिक खेती को रसायन रहित या रसायन मुक्त खेती भी कहा जाता है , रसायनों का उपयोग बिल्कुल भी नहीं किया जाता है l प्राकृतिक खेती में प्रयोग किए जाने वाले इनपुट के प्रयोग से 2 या 3 साल में  मिट्टी स्वयं ही रसायन रहित हो जाती है अथवा ऑर्गेनिक बन जाती है l इसके अतिरिक्त पानी आदि के संरक्षण हेतु विभिन्न प्रकार के जीवो की संख्या खेतों अथवा खेत की मिट्टी में अपने आप बढ़ने लगती है l प्राकृतिक खेती में प्रयोग की जाने पाली आच्छादन क्रिया से विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया उत्पन्न होते हैं जो खेत में पाए जाने वाले फसलों के अवशेषों का विघटन करने में सहायक होते हैं तथा यह बैक्टीरिया ह्यूमस के निर्माण एवं नाइट्रोजन आदि के संरक्षण में सहायक होते हैं l
प्राकृतिक खेती एवं ऑर्गेनिक खेती में उत्पादित उत्पादों में भी अंतर साबित किया जा सकता है प्राकृतिक खेती उत्पादित कृषि उत्पादों में रसायनों की मात्रा की मौजूदगी नहीं होनी चाहिए जबकि ऑर्गेनिक खेती से उत्पादित कृषि उत्पादों मैं रसायनों की मात्रा का मानक एम आर एल अर्थात मैक्सिमम रेसिड्यू लिमिट आदि के रूप में निर्धारित किया जाता है l
पूर्व घोषित ऑर्गेनिक राज्यों में ऑर्गेनिक खेती के द्वारा उत्पादित ऑर्गेनिक उत्पादों मैं से रसायनों के उपस्थिति की जानकारी के लिए एनालिसिस अथवा विश्लेषण करने हेतु पेस्टिसाइड रेसिड्यू एनालिसिस प्रयोगशाला अवश्य होनी चाहिए जिससे समय-समय पर कृषि उत्पादों में पाए जाने वाले रसायनों की उपस्थिति का आकलन किया जा सके l
ऑर्गेनिक खेती और प्राकृतिक खेती में अगर किसी कारणवश फसल उत्पादन कम होता है तो इसकी पूर्ति के लिए खेती के साथ-साथ खेती पर आधारित अन्य व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा दें जिससे किसानों की आमदनी पर कोई विपरीत प्रभाव ना पड़े l जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती में फसल उत्पादन लागत लगभग जीरो होती है अतः यह एक प्रकार का लाभदायक सौदा है l और हर प्रकार से स्वास्थ्य, पर्यावरण, प्रकृति, समाज आदि की को ध्यान में रखते हुए प्राकृतिक खेती हर प्रकार से win-win सिचुएशन पर काम करती है l परंतु यह देखा गया है कि ऑर्गेनिक खेती में प्रयोग किए जाने वाले कुछ इनपुट जैसे वर्मी कंपोस्ट आदि बहुत महंगे मिलते हैं जिससे ऑर्गेनिक खेती का कॉस्ट आफ कल्टीवेशन कई बार बढ़ जाता है l इसी प्रकार से आई पी एम क्रियान्वयन से प्राप्त अनुभव के आधार पर यह देखा गया है कि आई पीएम भी एक प्रकार की लाभकारी विचारधारा है और इसमें भी win-win सिचुएशन कायम रहती है l

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