आने वाली पीढियो के उज्जवल भविष्य के लिए प्रकृति ,जैव विविधता और पर्यावरण संरक्षण को आस्था का विषय बनाएं और इनका संरक्षण करें इसके लिए खेती में रसायनों के उपयोग को क्रमबद्ध तरीके से कम करते हुए शून्य स्तर तक पहुंचाएं।
उत्तम पर्यावरण, सक्रिय फसल पारिस्थितिक तंत्र तथा संरक्षित जैव विविधता हेतु आईपीएम और प्राकृतिक खेती अपनाए।
2, मिट्टी की उर्वरा शक्ति घट रही है तथा मिट्टी बंजार हो रही है ।
3, फसल उत्पादन क्षमता स्थिर हो चुकी है।
4, उत्पादित फसल उत्पाद जहरीले हो रहे हैं।
5, मिट्टी में ऑर्गेनिक कार्बन कम हो रहा है तथा इसके लिए जिम्मेदार सूक्ष्मजीव एवं कार्बनिक पदार्थ भी मिट्टी में काम हो रहे हैं।
6, मनुष्य एवं जानवरों में तरह-तरह की बीमारियां उत्पन्न हो रही है।
7, किसान आत्महत्या कर रहे हैं क्योंकि उनके ऊपर बैंकों का कर्ज बढ़ रहा है।
8, पानी, हवा, वायु ,मिट्टी प्रदूषण तथा जहरीले हो रहे हैं।
9, सब्जियां, दूध , मांस, फल, अनाज आदि में कीटनाशकों के अवशेषों की उपस्थिति बढ़ जाने से जहरीले हो रहे हैं।
10, कृषि उत्पादों की उत्पादन लागत बढ़ रही है।
11, मानव तथा जमीन की प्रतिरक्षात्मक शक्ति कम हो रही है।
12, ग्लोबल वार्मिंग से संबंधित समस्याएं बढ़ती जा रही।
13, रसायनों के अवशेष खाद्य श्रृंखला के द्वारा हमारे शरीर में प्रवेश कर रहे हैं और शरीर में तरह-तरह की बीमारियां पैदा कर रहे हैं।
14, फसलों में नवीन अथवा नए-नए हानिकारक जीवो की समस्याएं बढ़ती जा रही है।
15, मिट्टी का पीएच बदलते जा रहा है
16, जमीन में पानी कास्तर गिरता जा रहा है।
जमीन के द्वारा पानी का शोषण कम होता जा रहा है।
17,
No comments:
Post a Comment