दोस्तों मेरे विचार से इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट अथवा आईपीएम अथवा एकीकृत नासि जीव प्रबंधन वनस्पति संरक्षण की कोई विधि नहीं है बल्कि यह वनस्पति संरक्षण करने की अथवा खेती करने की एक विचारधारा है अथवा एक प्रकार का कांसेप्ट है l इससे पहले कि हम एकीकृत नlसी जीव प्रबंधन के बारे में विस्तृत जानकारी दें यह जरूरी है कि हम यह अवश्य जान लें की विचारधारा या कंसेप्ट क्या होते हैं और वह किस तरीके से विकसित होते हैंl दोस्तों पृथ्वी पर जीवन को स्थायित्व प्रदान करने के लिए अथवा अपना जीवन सुचारू रूप से चलाने के लिए हम विभिन्न प्रकार की गतिविधियां करते हैं जिससे दो प्रकार के परिणाम मिलते हैं एक प्रकार के वह परिणाम जो हमारी आकांक्षाओं के अनुरूप होते हैं और दूसरे प्रकार के वह परिणाम जो हमारी इच्छा एवं आकांक्षाओं के विपरीत होते हैं l इनमें से जो परिणाम हमारे आकांक्षाओं व इच्छाओं के अनुरूप होते हैं अगर वह परिणाम समाज के द्वारा स्वीकार कर लिए जाते हैं और किसी विशेष उद्देश्य को पूरा करने के लिए उनका प्रयोग धरातल पर किया जाने लगता है तो उनको हम विचारधारा या कंसेप्ट कहते हैं l तथा जो परिणाम हमारे आकांक्षाओं के विपरीत होते हैं और वह समाज के द्वारा स्वीकार नहीं किए जाते उन्हें lessons कहते हैं जिनको भविष्य में कभी प्रयोग नहीं किया जाता lयह विचार धाराएं अथवा कंसेप्ट हमारी इच्छाओं के बदलने के साथ साथ बदल जाते हैं lअतः किसी कंसेप्ट से लाभ उठाने के लिए हमारी हमें अपनी इच्छाओं को काबू मैं रखना चाहिए l
नासि जीव प्रबंधन अथवा Pest Management :--------
किसी भी हानिकारक जीव की संख्या को किसी भी प्रकार से इस स्तर तक सीमित रखना कि उस से होने वाला नुकसान नगण्य हो Pest Management कहलाता है l जब हानिकारक जीवो की संख्या को प्रबंधन करने हेतु एक से अधिक विधियों का प्रयोग किया जाता है तो उसे इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट अथवा एकीकृत नाशि जीव प्रबंधन कहते हैं l यह नाशिजीव प्रबंधन की बेसिक विचारधारा या कांसेप्ट हैl
किसी भी कंसेप्ट या विचारधारा को स्वयं के प्रोफेशनल, सामाजिक, आर्थिक ,पर्यावरणीय और प्राकृतिक अनुभव के आधार पर परिभाषित करना चाहिए l उस विचारधारा के प्रति अपनी स्वयं की सोच विकसित होती है l अक्सर यह देखा गया है कि किसी भी विचारधारा की परिभाषा को हम अपने वरिष्ठ सहयोगी यों अधिकारियों ,वैज्ञानिकों अथवा गूगल पर दी गई परिभाषा ओं के आधार पर अध्ययन करते हैं एवं उन को परिभाषित करते हैंl हमारे विचार से किसी भी कंसेप्ट या विचारधारा को अपने अनुभव के आधार पर परिभाषित करना चाहिएl यहां पर मैं यह भी उल्लेख करना चाहता हूं की हमारे पूर्वज वरिष्ठ साथियों, वैज्ञानिकों अथवा गूगल पर दी गई किसी भी विचारधारा की परिभाषाएं गलत नहीं होती है परंतु यह भाषाएं उनकी स्वयं की सोच को प्रदर्शित करती हैं ना कि आपकी अपनी सोच को l किसी भी कंसेप्ट या विचारधारा के बारे में स्वयं को शिक्षित करना चाहिए तथा अपने अनुभवों के आधार पर अपनी सोच को भी समावेशित करके उस कांसेप्ट या विचारधारा को परिभाषित करना चाहिए l
IPM एक प्रकार का खेती करने का तरीका अथवा विचारधारा है इसमें कम से कम खर्चा करके ,कम से कम रासायनिक कीटनाशकों एवं रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करते हुए ,सामुदायिक स्वास्थ्य ,पर्यावरण ,पारिस्थितिक तंत्र ,जैव विविधता, प्रकृति व समाज को कम से कम हानि पहुंचाते हुए वनस्पति संरक्षण या नाशिजीव प्रबंधन की सभी मौजूदा संभावित ,कम खर्चीली ,समाज के द्वारा स्वीकार ली सभी विधियों को सिस्टमैटिक तरीके से समेकित रूप से प्रयोग करके फसल पर्यावरण में पाए जाने वाले हानिकारक जीवो की संख्या को आर्थिक हानि स्तर के नीचे सीमित रखा जाता हैl
lintegrated Pest Management(IPM) एक प्रकार का स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम है जिसमें हम कृष को, कृषि प्रसार एवं प्रचार कार्यकर्ताओं तथा अन्य सभी भागीदारों को कम खर्चे में रसायनिक कीटनाशकों एवं रासायनिक उर्वरकों का कम से कम प्रयोग करते हुए तथा समाज, सामुदायिक स्वास्थ्य ,प्रकृति, जैव विविधता ,पारिस्थितिक तंत्र आदि को कम से कम नुकसान पहुंचाते हुए अधिक से अधिक एवं खाने योग्य सुरक्षित फसल उत्पादन , तथा व्यापार योग्य गुणवत्ता युक्त कृषि उत्पाद का उत्पादन करते हैं l
हमारे हिसाब से देश का हर किसान अपने खेतों में एकीकृत नासिजीव प्रबंधन अपना ता है क्योंकि वह कृषि उत्पादन एवं कृषि रक्षा अथवा फसल उत्पादन तथा फसल फसल रक्षा हेतु संस्तुति की गई सभी पद्धतियों, गतिविधियों एवं प्रैक्टिसेस को अपने खेत में फसल उत्पादन हेतु अपनाता है परंतु फिर भी हम इसको एकीकृत ना शि जीव प्रबंधन नहीं कहते हैं क्योंकि फसल उत्पादन करते समय कृषक सामुदायिक स्वास्थ्य ,पर्यावरण ,पारिस्थितिक तंत्र ,जैव विविधता ,प्रकृति व समाज की सुरक्षा को ध्यान में नहीं रखते हैं l वनस्पति रक्षा का कार्यक्रम जब सामुदायिक स्वास्थ्य ,पर्यावरण ,पारिस्थितिक तंत्र ,जैव विविधता ,प्रकृति व समाज की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए क्रियान्वयन किया जाता है तब ही उसे आईपीएम अथवा एकीकृत नासि जीव प्रबंधन कहते हैंl
IPM समाज प्रकृति वा जिंदगी के सभी पहलुओं से जुड़ी हुई वनस्पति संरक्षण की एक विचारधारा है जो समाज ,जीवन व प्रकृति के बीच सामंजस्य स्थापित करते हुए क्रियान्वयन की जाती है l
IPM अथवा एकीकृत नाशिजीव प्रबंधन वनस्पति संरक्षण अथवा प्लांट प्रोटेक्शन का वह तरीका है जिससे समाज ,प्रकृति व पर्यावरण का हित सुनिश्चित हो सके l plant protection अथवा वनस्पति संरक्षण फसल उत्पादन हेतु की जाने वाली विभिन्न गतिविधियों मैं से एक प्रकार की गतिविधि हैं जिससे हम फसलों को उनके हानिकारक जीवो और विभिन्न प्रकार के अजैविक कारकों से सुरक्षित रखते हैं l इस प्रकार से IPM एक प्रकार का खेती करने का अथवा फसलों को हानिकारक जीवो व विभिन्न प्रकार के अजैविक कारकों से सुरक्षित रखने का एक तरीका है जिसमें फसलों की उत्पादकता ,गुणवत्ता तथा पर्यावरण ,प्रकृति व समाज की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए फसलों के हानिकारक जीवो की संख्या को फसल पर्यावरण में अथवा फसल पारिस्थितिक तंत्र में आर्थिक हानि स्तर के नीचे सीमित रखते हैं l
वैज्ञानिकों के द्वारा फसल अथवा कृषि उत्पादन हेतु समय-समय पर किए गए शोध कार्य एवं तकनीकी ओ को किसानों के द्वारा अपनाया गया और फसल उत्पादन मैं वृद्धि करके देश को खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया गया l अक्सर यह भी देखा गया है जब जब फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा हेतु वैज्ञानिकों के द्वारा बताई गई विधियों को सही तरीके से नहीं प्रयोग किया गया तभी वैज्ञानिकों के द्वारा बताई गई एवं अपनाई गई विधियों के द्वारा दुष्परिणाम प्राप्त हुए जिससे जान- माल ,पर्यावरण एवं प्रकृति तथा समाज से संबंधित दुष्परिणाम प्राप्त हुए lअतः किसी भी वैज्ञानिक विधि को सही तरीके से अपनाने से ही वंचित नतीजे प्राप्त किए जा सकते हैं l प्रायः यह भी देखा गया है कि फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा हेतु किए जाने वाले रसायनिक उर्वरकों एवं रसायनिक कीटनाशकों के दुरुपयोग से समाज ,पर्यावरण ,प्रकृति तथा पारिस्थितिक तंत्र संबंधी दुष्परिणाम मिले हैं l दुष्परिणामों से बचने के लिए फसल उत्पादन एवं फसल संरक्षण हेतु एकीकृत नlसी जीव प्रबंधन नाम की एक पद्धति विकसित की गई जिसके अनुसार फसलों का संरक्षण अथवा फसलों की रक्षा सामुदायिक स्वास्थ्य ,पारिस्थितिक तंत्र ,पर्यावरण ,प्रकृति व समाज को नुकसान पहुंचाए बिना किया जाता है l आईपीएम विचारधारा का मुख्य उद्देश्य देश के आर्थिक विकास के साथ-साथ सामुदायिक स्वास्थ्य ,पर्यावरण, पारिस्थितिक तंत्र, प्राकृति एवं सामाजिक विकास भी करना है l जिससे समाज को खाने योग्य रसायनिक कीटनाशकों एवं रसायनिक उर्वरकों के अवशेषों से रहित सुरक्षित भोजन पहुंचाना सुनिश्चित किया जा सके ,साथ ही साथ विपणन हेतु गुणवत्ता युक्त कृषि उत्पादों का उत्पादन भी सुनिश्चित किया जा सके साथ ही साथ समाज पर्यावरण व प्रकृति के बीच सामंजस्य भी स्थापित हो सके और जीवन को संतुलित रूप से चलाया जा सके l जीवन व प्रकृति के बीच में पाए जाने वाला संतुलन सब समाप्त होने लगता है और मनुष्य प्रकृति को अपनी तरह डालने की कोशिश करने लगता है तभी प्रकृति के विपरीत परिणाम अथवा प्रकृति के द्वारा दुष्परिणाम प्राप्त होने लगते हैं एवं हमारा जीवन कष्ट में होने लगता हैl इससे बचने के लिए प्रकृति एवं जीवन के बीच सामंजस तथा संतुलन रहना परम आवश्यक है l इसके लिए प्रकृति को प्रकृति की तरह व्यवहार करते रहने लायक बनाए रखना आवश्यक हैl
बुद्धिमत्ता पूर्वक, विवेक पूर्वक तथा समझ बूझ के साथ वनस्पति संरक्षण करना आईपीएम कहलाता है l lPM is a way of doing plant protection,with intelligence,sense of discrimination and understanding.
प्रकृति व समाज के भावी विकास को ध्यान में रखते हुए वनस्पति संरक्षण करना आईपीएम कहलाता है l
IPM is a vision for the betterment of future and nature.
आईपीएम विचारधारा से लाभ प्राप्त करने हेतु हमें आईपीएम प्रैक्टिसेज को सही तरीके से खेतों में लागू करना चाहिए l
आजकल के सामाजिक ,आर्थिक ,प्राकृतिक एवं पर्यावरणीय परिपेक्ष में फसल उत्पादन एवं फसल सुरक्षा यानी इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट की विचारधारा पर्यावरण, प्रकृति ,समाज हितेषी लाभकारी तथा मांग पर आधारित होने के साथ-साथ सुरक्षित ,स्थाई ,रोजगार प्रदान करने वाली ,आय को बढ़ाने वाली तथा समाज , प्रकृति व जीवन के बीच सामंजस्य स्थापित करने वाली होनी चाहिए तथा आर्थिक विकास के साथ-साथ सामाजिक, प्राकृतिक, पर्यावरण, पारिस्थितिकी तंत्र, विकास करने वाली होनी चाहिए l
In view of today's social,natural,ecological, environmental, economical scenarios and context the concept of crop production and protection or IPM must be safe, sustainable, profitable,business and income oriented, and harmonious with nature and society.
किसी भी विचारधारा को सही तरीके से क्रियान्वयन करने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति, सही विजन ,काम करने का जज्बा ,समय रहते सही कदम उठाना ,किसी भी कीमत पर सफलता प्राप्त करना आदि प्रमुख मंत्रास है जिनको माननीय प्रधानमंत्री जी ने Corona वायरस की रोकथाम के लिए अपनाई जाने वाली रणनीति में शामिल किया था और उससे करो ना की रोकथाम मैं सफलता प्राप्त हुई l इस रणनीति से हमें सीख लेनी चाहिए कि जब हम बगैर दवाई के कोरोना की रोकथाम कर सकते हैं तो बगैर रसायनिक कीटनाशकों के उपयोग से हम रसायन कीटनाशकों के अवशेषों रहित फसल उत्पादों का उत्पादन कर सकते हैंl बस जरूरत है जन सहयोग की ,जन आंदोलन की ,एक प्रबल इच्छाशक्ति की ,सही नेतृत्व की ,सही समय पर कदम उठाने की, IPM inputs को सही समय पर कृषकों को उपलब्ध कराने की और सही विधियों को सही तरीके से अपनाए जाने कीl
IPM सामाजिक ,फसली तथा प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र ओं को सही तरीके से कार्यरत रहने एवं करने के लिए सुविधा प्रदान करता हैl
IPM अहिंसा, संवेदनशीलता, सहानुभूति ,सहनशीलता एवं सामंजस्य के सिद्धांतों पर आधारित वनस्पति संरक्षण की एक विचारधारा है IPM is a concept which is based on the principles related with nonviolence, sensitivity,sympathy,tolerance and hormony.
जियो और जीने दो, फसलों में पाए जाने वाले सभी लाभदायक एवं हानिकारक जीवो के प्रति सहानुभूति रखें, नासि जीवो की संख्या को ईटीएल सीमा के नीचे तक की संख्या तक के नुकसान को सहन करें, समाज और प्रकृति के बीच तालमेल बनाकर आईपीएम करें तथा रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग प्रथम प्रयोग के रूप में ना करें तथा कम से कम करें या किसी आपातकालीन स्थिति से निपटान हेतु ही करें l
यह आईपीएम क्रियान्वयन के प्रमुख सिद्धांत हैl IPM वनस्पति संरक्षण ,प्रकृति एवं समाज के बीच संबंध स्थापित करने का एक तरीका है l आईपीएम क्रियान्वयन करते समय फसल पर्यावरण में पाए जाने वाले जमीन के ऊपर तथा जमीन के नीचे पाए जाने वाले सभी सूक्ष्मजीवों एवं सूक्ष्म तत्व का ध्यान रखते हुए करें l पीएम का क्रियान्वयन करते वक्त फसल उत्पादन एवं फसल संरक्षण की उन सभी विधियों का प्रयोग ना करें जिनका समाज प्रकृति पारिस्थितिक तंत्र तथा जैव विविधता आदि पर विपरीत प्रभाव पड़ता है l फसलों में लाभदायक जीवो के संरक्षण हेतु इकोलॉजिकल इंजीनियरिंग विधि अपनाएं l
आई पीएम का मुख्य उद्देश्य फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा मैं प्रयोग किए जाने वाले रसायनिक कीटनाशकों एवं रासायनिक उर्वरकों के प्रभुत्व को कम करना है परंतु इसका यह कतई मतलब नहीं है की आईपीएम रसायनिक कीटनाशकों एवं रसायनिक उर्वरकों के खेती में उपयोग के खिलाफ हैl IPM फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा हेतु उपयोग उपयोग किए जाने वाले रसायनिक कीटनाशकों एवं रसायनिक उर्वरकों के उपयोग के कतई खिलाफ नहीं है परंतु इनके दुरुपयोग के खिलाफ अवश्य हैl अतः आई पीएम के क्रियान्वयन हेतु सबसे पहले फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा हेतु किया जाए किए जा रहे रसायनिक कीटनाशकों एवं रासायनिक उर्वरकों के दुरुपयोग को रोकना हमारी प्रथम प्राथमिकता होनी चाहिए l इसके बाद ही हम कृषि उत्पादन एवं कृषि रक्षा मैं प्रयोग किए जाने वाले रसायनों के उपयोग को रोक सकते हैं या कम कर सकते हैं l
अक्सर यह देखा गया है कि केआईपीएम के अधिकांश भागीदार तथा स्टेकहोल्डर आईपीएम को सिर्फ प्लांट प्रोटक्शन या वनस्पति संरक्षण तक ही सीमित रखते हैं जबकि ऐसा नहीं है lआईपीएम जीवन व समाज के हर पहलू से जुड़ी हुई वनस्पति संरक्षण की एक विचारधारा है जिसमें प्लांट प्रोटक्शन या वनस्पति संरक्षण के साथ-साथ कृषकों की संपन्नता ,उनके स्वास्थ्य उनको तथा समाज को सुरक्षित सुरक्षित भोजन प्रदान करना , अर्थात समाज को खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ सुरक्षित भोजन प्रदान करना , रसायनिक कीटनाशकों एवं रसायनिक उर्वरकों के द्वारा नष्ट हुए पारिस्थितिक तंत्र ओं तथा जैव विविधता का पुनर स्थापन करना, तथा समाज व प्रकृति के बीच सामंजस्य स्थापित करना आदिअन्य उद्देश्य भी शामिल हैl इसके लिए वनस्पति संरक्षण करते समय बिना रसायनिक कीटनाशकों तथा उर्वरकों की विधियों को बढ़ावा देना ,लाभदायक फसल चक्र अपनाना प्रति यूनिट एरिया से अधिक लाभ लेना, क्षतिग्रस्त फसल पर्यावरण या फसल पारिस्थितिक तंत्र का पुनर स्थापन करना, जीरो बजट पर आधारित तथा कृषकों के पुराने अनुभव पर आधारित फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा की विधियों को बढ़ावा देना आदि गतिविधियों को बढ़ावा देना परम आवश्यक है l इसके लिए प्रकृति की फसल उत्पादन व्यवस्था को अध्ययन करके फसल सुरक्षा तथा फसल उत्पादन अथवा फसल रक्षा तथा IPM पद्धतियों को व्यावहारिक रूप से शामिल करना अति आवश्यक है l रासायनिक उर्वरकों एवं रसायनिक कीटनाशकों के उपयोग को फसल उत्पादन तथा फसल सुरक्षा मैं कम करने के लिए गाय ,गोबर, मूत्र आदि पर आधारित practices ,लाभकारी फसल चक्र की खोज और उन को बढ़ावा देना, मिश्रित खेती को बढ़ावा देना, हरी खाद केंचुआ खाद एवं कंपोस्ट खाद के प्रयोग को बढ़ावा देना, पशुओं के मल मूत्र पर आधारित methods को बढ़ावा देना ,मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने वाली तकनीको को बढ़ावा देना आवश्यक हैl