Saturday, August 15, 2020

Green Revolution in India ,History ,merits and demerits .भारत में हरित क्रांति इसके इतिहास एवं नफा नुकसान

हमारे देश भारत की  भौगोलिक  स्थिति इस प्रकार से है कि यहां पर वर्ष में छह ऋतु में जैसे सर्दी ,गर्मी, बरसात, Shishir, हेमंत ,वसंत आदि पाई जाती है इसके साथ-साथ भारत  को 21 Agroecological तथा  15 Agroclimetic pradesh मैं बांटा जा सकता है l इसके अतिरिक्त  भारत में विभिन्न प्रकार की  मिट्टियां  भी पाए  जाति हैंl इसके अतिरिक्त भारत में विभिन्न नदियों की उपलब्धता खेती के लिए पानी की आवश्यकता की भी पूर्ति करती हैl  भारत भारत के विभिन्न प्रदेश विभिन्न फसलों के उगाने के लिए  आवश्यक सभी संसाधनों  का पाया जाना कृषि के व्यवसाय हेतु उपयुक्त परिस्थितियां प्रदान करता हैl  इन सभी संसाधनों की उपलब्धता की वजह से हमारा देश भारत कृषि प्रधान देश बन सका  l  word green revolution was Used  by Willan S Gaud,the Administrator of U S AGENCY  FOR INTERNATIONAL DEVELOPMENT.भारत शुरू से ही कृषि प्रधान देश रहा है यहां पानी के लिए विभिन्न प्रकार की नदियां एवं विभिन्न प्रकार की जलवायु तथा मिट्टी होने की वजह से कृषि यl खेती करने  के लिए  उपयुक्त परिस्थितियों  की वजह से भारत में विभिन्न विदेशी लोग आए और यहां पर बस गए या  उन्होंने राज किया l अंग्रेजों ने हमारे यहां करीब 200 साल तक राज किया l उस वक्त हमारे यहां छोटे छोटे  राजे रजवाड़े एवं जमीदारी प्रथा हुआ करती थी l अंग्रेजों ने खाद्यान्न की जगह नकदी फसलों या कैश क्रॉप्स जैसे नील या इंडिगो कपास या कॉटन आदि को उगाने पर जोर दिया  l और वह इससे उत्पादित होने वाले कच्चे माल को अपने यहां भेज दिया करते थे जिससे कपड़ा बना करके या अन्य चीजें बन कर के हमारे यहां  फिर से इंपोर्ट के रूप में    आती थी l द्वितीय विश्व युद्ध के बाद देश गरीबी के दौर से गुजर रहा था l  देश में अकाल या Femine का दौर चल रहा था l  द्वितीय  विश्व युद्ध के बाद सन 1943 -44 में उस वक्त के ब्रिटिश इंडिया के बंगाल प्रोविंस में धान की फसल में leaf spot  Helminthosporium  oryzae  नामक बीमारी के  भयंकर रूप से प्रकोप होने की वजह से बंगाल में अकाल पड़ा  और करीब2.1 to 3 million लोगों की मृत्यु हो गई इसके अलावा पशु भी चारे के अभाव में मारे गए थे l  1943 के बंगाल के दुर्भिक्ष को अध्ययन करने के लिए सर जॉन woodhead  के लीडरशिप में एक कमीशन का गठन किया गया जिसने 1944 में हुए बंगाल के दुर्भिक्ष का अध्ययन करके 1945 में इसकी रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें यह संस्तुति गई की भारत मेPlant Protection  के लिए Central Plant Protection Organisation   की स्थापना की जाए l इस संस्तुति के आधार पर भारत में सन 1946 में Central plant प्लांट  Organozation   की स्थापना की गई जिसे बाद में डायरेक्टरेट आफ प्लांट प्रोटक्शन क्वॉरेंटाइन एंड स्टोरेज के नाम से बदल दिया गया l  यह ऑर्गेनाइजेशन भारत  मैं केंद्र स्तर पर होने वाले सभी  प्लांट प्रोटेक्शन के कार्य हेतु केंद्र व राज्य सरकारों को एक Advisory body  के रूप में  सहायता प्रदान करती है l
  वर्ष 1947 में देश आजाद हुआ और उस समय     देश खाद्यान्न की कमी से गुजर रहा था l जैसा कि  ऊपर बताया  गया की इसमें जमीदारी प्रथा होने की वजह से किसानों का  जमीदारों के द्वारा शोषण किया जाता था  l और जातिवाद तथा सूखे और  अकाल पड़ने की वजह  ही हरित क्रांति का आधार बना l इसके अलावा देश को San 1965  मैं Indo China war  तथा1971  मैं indo-pak war मैं बांग्लादेश को आजाद आजादी दिलाई गई जैसे युद्धों का देश ने सामना किया की वजह से देश की आर्थिक स्थिति और भी खराब हो गई और देश में खाद्यान्न की आपूर्ति के लिए हरित क्रांति का लाना या देश में खाद्यान्न की पैदावार बढ़ाना अत्यंत आवश्यक बन गया था यह सभी चीजें हरित क्रांति के आधार बनी l हमारे  देश को खाद्यान्न के रूप में आत्मनिर्भर बनाने के लिए भारत सरकार के द्वारा विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम चलाए गए जिनमें से ग्रो मोर फूड यानी अधिक भोजन उगाए नाम का कार्यक्रम सन 1948 से सन 1952 तक चलाया गया इसके बाद तत्कालीन  प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री लाल बहादुर शास्त्री , कृषि एवं खाद्य मंत्री स्वर्गी बाबू जगजीवन राम जी  भारतीय वैज्ञानिक डॉक्टर एमएस स्वामीनाथन एवं  विदेशी वैज्ञानिक डॉक्टर   Norman E Borlaug  के लीडरशिप में खाद्यान्न को बढ़ाने के लिए हरित क्रांति लाई गई l डॉक्टर नॉर्मल इबोला  मेक्सिको में गेहूं की नई प्रजातियों  पैदा की  वे प्रजातियों ही  भारत में  कुछ चयनित जिलों में ट्रायल के तौर पर  बोई गई  और उनसे  फसल उत्पादन में वृद्धि  देखी गई  बाद में इन प्रजातियों  काही  उपयोग किया गया  हरित क्रांति लाने के लिए l 1960 से पूर्व भारत में  गेहूं  तथा धान की  देशी प्रजातियां ही बोई जाती थी  जिनका  जिनकी  उत्पादन कम होता था l खाद्यान्न की आपूर्ति के लिए  उपरोक्त सभी वैज्ञानिकों की सहायता से  अधिक  पैदावार देने वाली  गेहूं व धान की  प्रजातियों निकाली गई  जिनका उपयोग हरित क्रांति के लिए  वरदान साबित हुआ l इसके अलावा इसके लिए चार प्रकार के कृषि इनपुट बनाए गए और उनका उपयोग  करके खाद्यान्न का उत्पादन बढ़ाया गया  और देश खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बना l यह चार  कृषि इनपुट थे  गेहूं व धान के अधिक उपज देने वाली प्रजातियों के बीजों का उत्पादन, भारत में सिंचाई की व्यवस्था हेतु सिंचाई के साधनों का विकास, रसायनिक कीटनाशकों एवं रासायनिक उर्वरकों का उत्पादन एवं उनका खेती में उपयोग l
भारत में हरित क्रांति की आवश्यकता क्यों पड़ी:-
1, भारत का विभाजन 1947
2, सूखे व  अकाल की समस्याएं सन 1942 में और सन 1965 में भारत में अकाल पड़े  l
3. भारत पाक व भारत चीन के बीच में होने  वाले चार युद्ध
 भारत-पाक युद्ध,
I. October 1947 to December 1948
Ii.  8 अप्रैल से 23 सितंबर 1965 तक
Iii. 3rd December to 16 December,1971.
Iv. Indo China war from 14th to 28 October,1962.
4. भारत में खाद्यान्न की कमी
5. प्रथम व द्वितीय पंचवर्षीय योजना में भारत में कृषि को विशेष महत्त्व नहीं दिया गया बल्कि इंडस्ट्री या औद्योगिकीकरण को व इंफ्रास्ट्रक्चर पर महत्व दिया गया l
 Green Revolution  या हरित क्रांति मैं प्रयोग होने वाले inputs:---
1. अधिक उत्पादन देने वाली फसलों की प्रजातियों के बीजों का विकास
2. खेती के लिए सिंचाई के संसाधनों का विकास
3. रसायनिक कीटनाशकों व उर्वरकों का प्रोडक्शन करना तथा उनका खेती के लिए प्रयोग करना l
 वह राज्य जहां प्रथम ग्रीन रिवॉल्यूशन का प्रथम पेज लागू किया गया:-----
1Punjab
2.Tamil Nadu 
3 Andhra Pradesh  
  क्योंकि यह समृद्ध साली राज्य थे तथा इनके पास हरित क्रांति लाने के लिए वांछित सभी कारक या इनपुट्स के मौजूदगी की सुविधा मौजूद थे  l
   हरित क्रांति के लिए crop diversification एक मुख गतिविधि थी l मैं देश में कैश क्रॉप से हटकर खाद्यान्न क्रॉप के पैदा करने की ओर विशेष ध्यान दिया गया l
 Phases of Green Revolution:-  
IST phase      1965 to 1975
Ilnd Phase     1975 to1990.
MERRITS OF THE GREEN REVOLUTION:-
1.Country become self sufficient in food grain production . देश खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर हुआ l
2. कृषि पर आधारित उद्योगों तथा कृषि के लिए आवश्यक उद्योगों का विकास हुआ l
3. कृषक संपन्न बने
4. कृषकों के जीवन स्तर  मैं सुधार हुआ
5. गांव में रोजगार के अवसर बढ़े
6. कृषकों की   जीवन चर्या मैं सुधार
7. अधिक से अधिक जमीन सिंचित बनी
8. अधिक से अधिक जमीन फसल उत्पादन के काम में आने लगीl
9. कृषि कार्यों के लिए मशीनों का उपयोग बढ़ने लगा
10. देश कृषि उत्पादों के आया तक की जगह कृषि उत्पादों का निर्यात तक बन गया
11.  कृष को, वैज्ञानिकों , और सिविल सोसाइटी के बीच में सोच में बदलाव
DEMERRITS OR NEGATIVE IMPACTS OF GREEN REVOLUTION:- 
1.Ecological imbalances
2.Soil become fertilizers dependents since the nutrient requirements of HYV is different and high.
3.Change in PH of the soil  ie it become either alkaline or acidic onnature due use of the chemical based  in puts.
4.Reduction in forest area coverage
 5.Loss of biodiversity 
6.Soil degradation.
7.Famines were stopped.
8 The HYV were become susceptible to various pests and diseases.
9 In late 60s the HYVsuch as Taichung Native 1 and IR 8wre introduced to maximise the production of Rice crop .Lateron these varieties were found widely attacked by Green Leaf Hoppers,RTV, BLB during 1969Kharif season in WB ,UP,Bihar,Odisha and MP.problem of white fly after the spray of certain synthetic pyrethroids pesticides due resurgence phenomenon, problem of development of resistance  among Helicoverpa armigera for certain insecticides are the certain side effects of chemical pesticides after Green Revolution. 






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