Besides above I also served as Sirveillance Officer for crop pests and diseases ,producer of biological control agents of crop pests and weeds for conducting biocontrol trials against crop pests and weeds,Entomologist (biocontrol),and was also engaged in preparation of IPM modules,IPM Packages ,Awareness creater against I'll effects of chemical pesticides,conservation of beneficial fauna found in agroecosystems and for growing of safe food ,and prepaaration of IPM Standarded Operating System (SOP) etc.
To look any concept in different view points is called as philosophy of the concept. Relating the plant protection or pest management with different aspects of life including ecological, economical,biological,environmental, natural,sociological, and physiological aspects of life and crop production and protection systems are considered and included by me in my IPM philosophy.I described IPM in terms of Social ,spiritual,ecological,economical,Environmental and natural perspectives. You can see the detail about me and my IPM philosophy in my posts posted earlier in my blog IPM Sutra.
Describing any concept based on our professional, sociological,Environmental,ecological,natural,cultural,spritual and on our other types of experiences is called as philosophy.
Based on my above mentioned experience I put down my few findings and conclusions of my IPM philosophy as given below:-
1.IPM is not a method of plant protection but it is the concept of of pest management and plant protection . Let's think what type of farming should do,how it will be done ,what for it should be done . किस तरीके की खेती हमें करनी है, किस तरीके से खेती हमें करनी चाहिए, किसलिए हमें इस तरह की खेती करनी चाहिए l वर्तमान खेती के पद्धतियों में हमें वांछित हिसाब की खेती करने के लिए वर्तमान खेती पद्धतियों में कौन-कौन सी परिवर्तनों की आवश्यकता है l
IPM is the concept of plant Protection to grow bumper,safe,and healthy crops to eat and quality Agricultural commodities to trade with minimum expenditure ,minimum use of the chemical pesticides and fertilizers and minimum disturbance to community health,Environment, ecosystem, biodiversity and other essential elements required to sustain life on earth,and also t o upgrade and enhance the livelyhood of the farmers also to maintain hormony with nature and society.
2.IPM is a kind of Skill Development programme to empower the IPM stakeholders to grow safe crop bumper crop,sufficient crop,profitable crop,to produce safe crop harvest to eat and quality Agricultural commodities to trade.
3It is Committed to ensure food security and food safety simultaneously.
4.IPM is committed to ensure ecological,sociological,environmental, development along with financial,economical and bhi GDP based development which must be safe,sustainable profitable, business and income oriented and harmonious with nature and society.
5.IPM is a vision for the betterment of future and nature .
6. In view of today's social ,natural. , economical ,ecological,Environment al, scenarios and context the concept of crop production ,protection and IPM must be safe,profitable,sustainable,business and income oriented harmonious with nature and society.
आज के सामाजिक ,आर्थिक, प्राकृतिक एवं पर्यावरणीय परिदृश्य एवं परिपेक्ष में फसल उत्पादन एवं फसल सुरक्षा अथवा lPM की विचारधारा या कंसेप्ट पर्यावरण ,प्रकृति एवं समाज हितेषी लाभकारी मांग पर आधारित होने के साथ-साथ सुरक्षित ,स्थाई, रोजगार प्रदान करने वाली एवं व्यापार को बढ़ावा देने वाले तथा आय को बढ़ाने वाली, समाज, प्रकृति व जीवन के बीच सामंजस्य स्थापित करने वाली तथा जीवन जीने की राह को आसान करने वाली होनी चाहिए तथा आर्थिक व जी डीपी पर आधारित विकास के साथ-साथ सामाजिक, प्राकृतिक, पर्यावरण पारिस्थितिक तंत्र के विकास को करने वाली एवं कृषको तथा कृषि श्रमिकों के जीवन स्तर में सुधार करने वाली होनी चाहिए l इसके लिए कृष को ,कृषि श्रमिकों, उपभोक्ता व समाज के अन्य घटकों तथा प्राकृतिक व पर्यावरण समस्याओं का अध्ययन करके उनके लिए अनुकूल विधियों तथा इंफ्रास्ट्रक्चर एवं इनपुट की उपलब्धता सुनिश्चित करके अपनाए जाने वाली विधियों में बदलाव लाने की प्रमुख आवश्यकता है l जिसके लिए आईपी m के सभी स्टेकहोल्डर्स की मानसिकता में पारस्परिक सहयोग अति आवश्यक है l
7. अभी हाल में चल रही कोरोना बीमारी के रोकथाम के लिए अपनाए जाने वाले उपायों एवं रणनीति से प्राप्त अनुभव के अनुसार भारत में कोरोना की रोकथाम के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति ,सही विजन, काम करने का जज्बा, समय रहते सही कदम उठाना, किसी भी कीमत पर सफलता प्राप्त करना माननीय प्रधानमंत्री जी के द्वारा अपनाई गई करो ना रोकथाम की रणनीति के प्रमुख सिद्धांत एवं कार्यविंदु है जिन्हें जनता को जागरूक करके तथा प्रेरित करके एवं कानून के द्वारा बलपूर्वक लागू करके कोरोना की रोकथाम के लिए अपनाया गया इस प्रकार की रणनीति व सिद्धांतों को आईपीएम के क्रियान्वयन हेतु भी अपनाया जा सकता है तथा समाज को रसायनिक कीटनाशकों के अवशेषों से मुक्त भोजन या कृषि उत्पाद प्रदान किए जा सकते हैं l कोरोना के लिए अपनाई गई रणनीति से यह सीख मिलती है की जब हम बगैर दवाई के कोरोना . की रोकथाम कर सकते हैं तो बगैर कीटनाशकों के फसलों का उत्पादन भी किया जा सकता है l बस जरूरत है प्रबल इच्छा शक्ति की ,सही विजन ,सही नेतृत्व की, सही समय पर कदम उठाने की तथा सही विधियों को सही तरीके से अपनाने की l ,
8. प्रकृति मैं फसल उत्पादन या पौधों के उत्पादन कि अपनी स्वयं की व्यवस्था चलती रहती है जिसके कारण पृथ्वी या प्रकृति में विभिन्न प्रकार के पौधे जंगलों में भी सिर्फ प्रकृति की देखरेख में उगते हैं और फलते फूलते हैं l प्रकृति में चलने वाले इस व्यवस्था को हमें गहराई से अध्ययन करना चाहिए एवं इसका प्रयोग कृषि में फसल उत्पादन मैं करना चाहिए l प्रकृति की उत्पादन व्यवस्था को अनुसंधान के दृष्टिकोण से भी7 देखा जाना चाहिए और अनुसंधान कार्यक्रमों में समावेशित करना चाहिए प्रकट की इस व्यवस्था को कृषि उत्पादन हेतु समावेशित किया जा सके l खेती किसानों की समझ से होती है बजट से नहीं l बजट खेती करने को सुविधा प्रदान करता है l
9.Plant has its every part more than of its requirement.
10.The plant has an ability to sustain itself under certain ad verse conditions up to certain extent.
11.A crop field has an abundance of beneficial organisms which regulate the pest population. Let's conserve these beneficial organisms in the agroecosystem.
12. Abiotic factors also affects the crop yield significantly Let's consider these factors also while making decisions for implementing the activities to be undertaken for growing of the crops.
13.The plant has the capability to compensate the yield loss by the pests up to certain extent.
14.The scheduled based application of the chemical pesticides are neither needed nor helpful to enhance the crop yield.
15.Any pest organism must only be consider as a pest after assessing its risk or loss associate with it.
16.Lets consider and control only those pest organisms which do not give sufficient time to control them.
17. IPM is a participatory approaching which all IPam stakeholders must participate in coordinated and collaborative manners whenever they are required for the benefit of nature ,society, country,ecosystems Environment by way of promoting ecofriendly approaches.
18.Let's make our way of living nature,farmers and Society friendly.Today's way ofliving is not fit for the nature .It tell us the way of living seeking victory over the nature whereas we must nourish the nature and not to desroy the nature.Today we are thinking that we do not have the resposiblity of the conservation of the nature and Environment whereas it lies only with us.We are rethinking that we are only the custodian of the nature.We are not the only the custodian of the nature.We are only a part of the nature.We donot have right on the nature .Nature is of every one's property.Lets not consider it as of our own property.Lets not destroy the nature.If we will destroy the nature then the nature will also destroy us.
वर्तमान में दुनिया में जीवन जीने का जो तरीका प्रचलित है वह पर्यावरण के अनुकूल नहीं है यह तरीका प्रकृति को जीतकर मनुष्य को जीना सिखाता है जबकि हमें प्रकृति का पोषण करना है ना कि शोषण l हम इस सोच के साथ जी रहे हैं कि उनके संरक्षण का उत्तरदायित्व हम पर नहीं है लेकिन हमारा पूरा अधिकार प्रकृति पर जरूर है इसी सोच के साथ जी रहे होने की वजह से हम प्रकृति को लगातार नुकसान पहुंचाने पहुंचा रहे हैं जिसके दुष्परिणाम सबके सामने आ रहे हैं यदि ऐसे ही चलता रहा तो ना हम बचेंगे और ना ही सृष्टि बचेगी अतः हमें प्रकृति ,पर्यावरण, व समाज को अपनाने के लिए प्रकृति व उसके संसाधनों का संरक्षण करना पड़ेगा l मनुष्य मनुष्य के द्वारा बनाया गया समाज प्रकृति का ही एक अंग है जिस प्रकार से हमारे शरीर को चलाने के लिए सभी अंगों का स्वस्थ होना आवश्यक है इसी प्रकार से प्रकृति को चलाने के लिए प्रकृति के सभी अंगो का स्वस्थ होना आवश्यक है और हमें उन सभी अंगों को सुरक्षित एवं संरक्षित रखना होगा l अतः प्रकृति व उसके संसाधनों को संरक्षित रखते हुए सुरक्षित व भरपूर फसल उत्पादन हेतु आईपीएम अपनाएं l
I am one of the founder members of National IPM programme commenced from 19 91-1992
With the objectives to reduce the use of chemical pesticides and chemical fertilizers in crop production and crop production system .The use of the chemical pesticides could be reduced from 75033 Mt to 39773 metrik Tone between 1990-91 to 2oo5-06 with slight increase in between 2001-02 to 2002 -03 due to implementation of IPM programmes in different states of our country.The consumption of the chemical pesticides between 2006 -07 to 2012 -13 remained utmost around 41000 Mt with slight increase in the year 2010 -11 due to appearance of the problems of sucking pests in Cotton and Yellow rust on Wheat crop.
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