Saturday, July 23, 2022

खेती के लिए अथवा आईपीएम के लिए कुछ आधुनिक विचार

1. पारंपरिक खेती को अथवा खेती की पारंपरिक पद्धतियों को पुनर्जीवित करना ही प्राकृतिक खेती कहलाता हैl Back to basics. 
2 . प्राकृतिक खेती है जिसमें प्रकृति से जुड़े हुए इनपुट प्रयोग किए जाते हैं कोई भी इनपुट बाजार से ख़रीद कर नहीं प्रयोग किया जाता है l
3 . यह खेती देसी बीज, देसी गाय, देसी प्रैक्टिसेस अथवा पद्धतियों ,प्रकृति एवं जीवन पर आधारित है l
4. इस खेती में पर्यावरण, फसल पारिस्थितिक तंत्र, जैव विविधता एवं  प्रकृति के साधनों को सुरक्षित एवं संरक्षित रखते हुए खेती की जाती है 
 5. आज की खेती लाभकारी ,मांग पर आधारित ,सुरक्षित, स्थाई, रोजगार प्रदान करने वाली ,व्यापार तथा आय को बढ़ाने वाली, प्रकृति समाज तथा जीवन के बीच सामंजस्य स्थापित करने वाली, कृषकों के , जीवन की राह को आसान करने वाली, जीडीपी पर आधारित आर्थिक विकास के साथ-साथ पर्यावरण ,प्रकृति, समाज एवं पारिस्थितिक तंत्र के विकास को करने वाली, खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ सुरक्षित भोजन प्रदान करने वाली, खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ पोषण सुरक्षा करने वाली, खेती में उत्पादन लागत को कम करने वाली, ग्लोबल वार्मिंग एवं जलवायु परिवर्तन का समाज ,पर्यावरण, प्रकृति व उसके संसाधनों पर पड़ने वाले प्रभावों को निष्क्रिय करने वाली एवं सहन करने वाली, क्षतिग्रस्त पारिस्थितिक तंत्र का पुनर स्थापन करने वाली, पारिस्थितिक तंत्र को सक्रिय रखने वाली, मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने वाली, मिट्टी में पाए जाने वाले Humus,Micronutrents,and Micro organisms की संख्या में बढ़ोतरी करने वाली,, जैव विविधता को बढ़ाने वाली, खाने हेतु सुरक्षित एवं निर्यात में गुणवत्ता युक्त कृषि उत्पादों का उत्पादन करने वाली, फसलों में लाभदायक जीवो का संरक्षण करने वाली, मिट्टी या जमीन में पानी का संरक्षण करने वाली होनी चाहिए l इसके साथ साथ नवयुवकों का खेती के प्रति रुझान पैदा करने वाली, खेती को लोकल से ग्लोबल बनाने वाली होनी चाहिए l तथा जहरीली खेती को सुरक्षित खेती में परिवर्तित करने वाली होनी चाहिए l
उपरोक्त उद्देश्य एवं मांगों के आधार पर आईपीएम की विचारधारा एवं विधियों मैं आवश्यक परिवर्तन इस समय की मांग होती है l आज की प्राकृतिक खेती रसायन रहित तथा जैव विविधता, पारिस्थितिक तंत्र, Humus, ,Micronutrents ,Microorganisms , को बढ़ावा देने वाली तथा समाज एवं प्रकृति को सुरक्षा प्रदान करने वाली होनी चाहिए l

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