Tuesday, July 26, 2022

जहर मुक्त खेती... सदियों की परंपरा और आज की जरूरत

जब होगा जहर मुक्त अनाज हमारा
तब होगा स्वस्थ समाज हमारा
जहर मुक्त खेती के लिए आई पी एम, जैविक खेती अथवा ऑर्गेनिक फार्मिंग और प्राकृतिक खेती अपनाएं l
To inculcate Environment,Agroecosystems,nature and society friendly habits and farming practices among the farmers and other sectors of society dealing with farming  to get chemical free food and also to lead a green lifestyle ,to protect and prevent  Environment, ecosystem biodiversity, nature and society from the adverse effects of chemicals being used in farming indiscriminatly is the to days need of the hour.
 खेती में रसायनों के उपयोग बंद करके उपरोक्त तीनों प्रकार के खेती की पद्धतियों को एक दूसरे के पर्याय बनाया जा सकता है जिसे जहर मुक्त खेती कहा जा सकता हैl 
     जहर मुक्त खेती उस खेती को कहा जा सकता है जिसमें रसायनिक कीटनाशकों तथा रसायनिक उर्वरकों का प्रयोग ना कया गया हो तथा ऐसी पद्धतियों का इस्तेमाल किया गया हो जिससे उत्पादित फसल उत्पादों में रसायनों की मात्रा की मौजूदगी ना हो तथा तथा खेत की मिट्टी मैं भी रसायनों की उपस्थिति ना पाई जाए l हरित क्रांति से पूर्व हमारे पूर्वज रसायन मुक्त खेती ही किया करते थे जिसमें किसी प्रकार के रसायनों का उपयोग नहीं किया जाता था l इसके लिए बे उचित फसल चक्र, हरी खाद का प्रयोग, मुख्य फसल के साथ-सथ विभिन्न प्रकार की अंतर फसलें ,बॉर्डर फसलें, गोबर की खाद पशुओं का मल मूत्र आदि का प्रयोग किया करते थे जिससे खाने योग्य सुरक्षित फसल उत्पाद पैदा हुआ करते थे l हरित क्रांति के शुरुआत से अब तक खेती में रसायनों का अंधाधुंध प्रयोग से अनेक प्रकार के दुष्परिणाम सामने आए हैं जिनको दूर करने के लिए फिर से हमें जहर मुक्त खेती की ओर प्रस्थान करना पड़ेगा l  जहर मुक्त खेती हमारी पुरानी परंपरा एवं आज की जरूरत है l
     स्थानीय परिस्थितियों तथा समस्याओं का अध्ययन करके आज की आवश्यकता के अनुसार उपरोक्त तीनों प्रकार की कृषि पद्धतियों से समुचित methods को select करके तथा समेकित रूप से प्रयोग करके  जहर मुक्त कृषि उत्पादों का उत्पादन किया जा सकता है जरूरत है तीनों तीनों प्रकार के बुद्धिजीवियों ,कृषि वैज्ञानिकों, कृषि प्रसार एवं प्रचार कार्यकर्ताओं तथा उन्नति उन्नति शील किसानों को एकमत होने की तथा एक दूसरे की आलोचना की जगह विकल्प तलाशने की तथा मौजूदा संभव संसाधनों को बढ़ावा देकर खेती को जहर मुक्त बनाने की l
      हरित क्रांति के दौरान खेती में अंधाधुंध प्रयोग किए गए रसायनों के फलस्वरूप खेतों की मिट्टी, पानी ,हवा ,सभी प्रदूषित हो चुके हैं जिसके फलस्वरूप खेती के लिए उपयोगी सूक्ष्म तत्व एवं सूक्ष्म जीव भी खेतों से नदारद हो चुके हैं या नष्ट हो चुके हैं l कृषि उत्पादों में विभिन्न प्रकार के रसायनों के अवशेष मिलने लगे हैं जिनकी वजह से हमारा निर्यात प्रभावित हुआ है तथा हमारे समाज के स्वास्थ पर विपरीत असर पड़ा है और जिसके फलस्वरूप विभिन्न प्रकार की नई-नई बीमारियां पैदा होने लगी है l मिट्टी की संरचना बदल गई है तथा खेतों में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के लाभदायक जीव जंतु या जैव विविधता भी नष्ट हो चुकी है l कृषि उत्पादों में विभिन्न प्रकार के रसायनों के अवशेष पाए जाते हैं जिनकी वजह से कृषि उत्पाद जहरीले हो चुके हैं l इसी कारण से रसायनों से की जाने वाली खेती को रसायनिक खेती अथवा जहरीली खेती के नाम से पुकारा जाने लगा हैl उपरोक्त परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अब यह आवश्यक हो गया है की खेती को सामुदायिक स्वास्थ ,पारिस्थितिक तंत्र, पर्यावरण ,जैव विविधता ,प्रकृति व उसके संसाधनों तथा समाज के प्रति सुरक्षित बनाया जाए जिससे सामुदायिक स्वास्थ्य ठीक रहे, पारिस्थितिक तंत्र सक्रिय एवं बरकरार रहे, पर्यावरण प्रदूषित ना हो, जैव विविधता तथा प्राकृतिक संसाधन सुरक्षित बने रहे तथा प्रकृति और समाज के बीच सामंजस्य स्थापित हो सके और खाने के योग्य सुरक्षित तथा व्यापार हेतु गुणवत्ता युक्त कृषि उत्पादों का उत्पादन हो सके कृषि उत्पादों में जहरीले रसायनों की उपस्थिति ना हो l इसके अतिरिक्त जहरीले रसायनों के उपयोग से नष्ट हुए फसल पारिस्थितिक तंत्र का पुनर स्थापन हो सके l 
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      आजकल के सामाजिक  ,आर्थिक ,प्राकृतिक, पर्यावरणीय ,जलवायु, व्यापारिक, परिदृश्य एवं परिपेक्ष में फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा की विचारधारा पर्यावरण, प्रकृति, व समाज हितेषी, लाभकारी तथा मांग पर आधारित होने के साथ-साथ सुरक्षित, स्थाई, रोजगार प्रदान करने वाली कृष को एवं कृषि मजदूरों की आए बढ़ाने वाली एवं समाज व प्रकृति तथा जीवन के बीच सामंजस्य स्थापित करने वाली होनी चाहिए तथा आर्थिक विकास के साथ-साथ सामाजिक ,प्राकृतिक ,पर्यावरण, पारिस्थितिकी तंत्र का विकास करने वाली होनी चाहिए तथा नवयुवकों का खेती के प्रति रुझान पैदा करने वाली होनी चाहिए l इसके साथ साथ आज की खेती खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ समाज को जहर मुक्त सुरक्षित भोजन प्रदान करने वाली खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ पोषण सुरक्षा भी सुनिश्चित करने वाली खेती में उत्पादन लागत कम करने वाली समाज प्रकृति, पारिस्थितिक तंत्र पर   ग्लोबल वार्मिंग तथा जलवायु परिवर्तन के विपरीत प्रभावों को निष्क्रिय करने वाली अथवा सहन करने वाली तथा जीवन और जीविका दोनों को सुरक्षा प्रदान करने वाली होनी चाहिए  l उपरोक्त समस्याओं को दूर करने के लिए हमें ऐसी खेती करनी पड़ेगी जो खाने की दृष्टि से सुरक्षित हो तथा व्यापार की दृष्टि से गुणवत्ता युक्त हो जिसके करने से जैव विविधता प्रकृति व उसके संसाधन सुरक्षित रहे तथा पारिस्थितिक तंत्र सुरक्षित एवं सक्रिय रहे l अर्थात हमें जहरीली खेती से जहर मुक्त खेती की ओर अग्रसारित होना पड़ेगा l तथा यह कार्य जन जागरण एवं किसानों के सहयोग एवं भागीदारी से ही करना पड़ेगा l आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए आत्मनिर्भर किसान एवं  आत्मनिर्भर एवं सुरक्षित खेती बनाना पड़ेगा l जहर मुक्त खेती बनाने के लिए खेती पद्धति से रसायनों के उपयोग को पूर्ण रुप से बंद करना पड़ेगा जो आईपीएम, जैविक खेती तथा प्राकृतिक खेती से संभव हो सकता है l आईपीएम में से यदि रसायनिक कीटनाशकों एवं रसायनिक उर्वरकों के अंतिम विकल्प के रूप में अथवा किसी आपातकालीन स्थिति के निपटान हेतु होने वाले प्रयोग को रोक दिया जाए तो उपरोक्त तीनों प्रकार की खेती एक दूसरे के पर्याय बन सकती हैं l स्थानीय समस्याओं का निदान करते हुए एवं स्थानीय सुविधाओं तथा स्थानीय पद्धतियों के समुचित उपयोग बढ़ावा देते हुए नवीनतम अविष्कारों एवं तकनीको को सम्मिलित करते हुए हम जहर मुक्त खेती की तरफ  बढ़ सकते हैं l जरूरत है इन तीनों प्रकार की खेती की बारीकियों को समझने की तथा उनमें उचित संशोधन करने की l तथा उन विकल्पों को एवं विधियों को ढूंढने एवं प्रयोग करने की जो आसानी से कृषकों के द्वार पर अथवा खेतों पर उपलब्ध हो सके वा कृषकों के द्वारा बनाए जा सके और आसानी से उपयोग में लाया जा सके l
    आज की खेती अथवा आज के आई पी एम का अर्थ होता है कम से कम खर्चे में तथा सामुदायिक स्वास्थ्य, पर्यावरण, पारिस्थितिक तंत्र जैव विविधता प्रकृति व उसके संसाधनों तथा समाज को कम से कम बाधा पहुंचाते हुए अधिक से अधिक एवं खाने के योग्य सुरक्षित भोजन तथा व्यापार हेतु गुणवत्ता युक्त कृषि उत्पादों का उत्पादन करना l
प्रकृति की व्यवस्था को बनाए रखते हुए खेती में रसायनों के प्रयोग को बंद करके तथा खेती की पारंपरिक विधियों एवं नवीन methods को समेकित रूप से प्रयोग करते हुए खाने के योग्य सुरक्षित भोजन तथा व्यापार हेतु गुणवत्ता युक्त कृषि उत्पादों का उत्पादन आज की प्रमुख आवश्यकता है जिसका आई पीएम, जैविक खेती एवं प्राकृतिक खेती के द्वारा उत्पादन किया जा सकता है l
प्रदूषण मुक्त पर्यावरण, सक्रिय पारिस्थितिक तंत्र, एवं जैव विविधता एवं प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा हेतु जहर मुक्त खेती अपनाएं  l

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