1. कम से कम खर्चे मैं खाने की दृष्टि से सुरक्षित एवं व्यापार की दृष्टि से गुणवत्ता युक्त एवं फसल उत्पादन की मात्रा की दृष्टि से अधिकतम फसल उत्पादन अर्थात खाद्य सुरक्षा एवं सुरक्षित भोजन के उत्पादन को साथ साथ सुनिश्चित करना l 2.इसके साथ साथ साथ
सामाजिक स्वास्थ्य, पारिस्थितिक तंत्र, पर्यावरण ,जैव विविधता, प्रकृति व उसके संसाधनों तथा समाज की सुरक्षा सुनिश्चित करना या रखना या रखते हुए फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा तथा फसल प्रबंधन की सभी मौजूदा विधियों को समेकित रूप से प्रयोग करके फसल पर्यावरण में हानिकारक जीवो की संख्या को आर्थिक हानि स्तर के नीचे सीमित रखना तथा लाभदायक जीवो की संख्या को खेतों में संरक्षण देना l
3. अर्थात फसल सुरक्षा के साथ-साथ पर्यावरण, पारिस्थितिक तंत्र ,जैव विविधता ,प्रकृति व उसके संसाधनों तथा समाज की सुरक्षा को भी सुनिश्चित करना l
4.IPM के क्रियान्वयन हेतु किसानों, समाज के व्यक्तियों ,प्रशासनिक अधिकारियों , राज्य व केंद्र सरकार के कृषि विभाग के अधिकारियों एवं कृषि प्रचार एवं प्रसार कार्यकर्ताओं ,राजनीतिज्ञों, नीति करो आदि के बीच आपस में समन्वय एवं सहयोग तथा प्रबल इच्छा शक्ति तथा नियत अति आवश्यक है तभी आईपीएम विचारधारा का खेती मैं क्रियान्वयन हो सकेगा कृषि से संबंधित सभी विचारधाराओं का जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन हमारे कृषक भाइयों के द्वारा ही किया जाता है और उनके ही द्वारा किसी भी तकनीकी का जमीनी स्तर पर फैलाव किया जाता है l उत्पादक ,उत्पाद उपभोक्ता पर्यावरण प्रकृति और समाज को सुरक्षा प्रदान करना आईपीएम विचारधारा का प्रमुख उद्देश्य है l साथ साथ ही साथ क्षतिग्रस्त पारिस्थितिक तंत्र का पुनर स्थापन करना तथा उसको सदैव क्रियाशील रखना बीआईपीएम का प्रमुख उद्देश्य है l
5. यद्यपि आईपीएम से संबंधित बहुत सारे शोध कार्य हो चुके हैं अब यह जरूरत है की IPM inputs का औद्योगिकीकरण अर्थात बड़े पैमाने पर उत्पादन करने की जिससे इनकी उपलब्धता किसानों को उनके द्वार पर ही सुनिश्चित की जा सके जिससे वह आवश्यकतानुसार उनका खेती में अथवा IPMके क्रियान्वयन में प्रयोग कर सकें l
6. कई बार यह देखा गया है की आई पीएम के भागीदार या स्टेकहोल्डर आईपीएम को सिर्फ प्लांट प्रोटक्शन तक ही सीमित रखते हैं उस समय वह यह भूल जाते हैं कि आईपीएम सिर्फ प्लांट प्रोटक्शन को ही deal नहीं करता है बल्कि इसमें समाज व प्रकृति ,पर्यावरण तथा जीवन को स्थायित्व प्रदान करने वाले सभी मुद्दों को deal करता है l अतः आई पीएम को क्रियान्वयन करते समय उन सभी मुद्दों को और उनसे जुड़ी हुई समस्याओं को शामिल करना है जिससे हमारे समाज, पर्यावरण जैव विविधता प्रकृति व उसके संसाधनों को सुरक्षित रखा जा सके तथा प्रकृति व समाज के बीच सामंजस्य स्थापित किया जा सके जिससे हमारी भावी पीढ़ियों के लिए अनुकूल और सुरक्षित पर्यावरण, क्रियाशील एवं माफिक पारिस्थितिक तंत्र तथा जीवन को संचालन करने वाले एवं जीवन को स्थायित्व प्रदान करने वाले सभी कार को जैसे पृथ्वी, पानी ,अग्नि ,आकाश तथा वायु को सुरक्षा प्रदान की जा सके l
7 . आईपीएम का क्रियान्वयन करते समय हमें उन विधियों का इस्तेमाल करना चाहिए जिससे बनस्पति संरक्षण अथवा प्लांट प्रोटक्शन के साथ-साथ प्रकृति, वा उसके संसाधन , समाज, पर्यावरण तथा विभिन्न पारिस्थितिक तंत्र ओं को भी सुरक्षित एवं क्रियाशील रखा जा सके तथा फसल उत्पादों, फसल उत्पादन करता अर्थात किसान, तथा उपभोक्ता को भी सुरक्षा प्रदान की जा सके l