Thursday, September 30, 2021

New Dimensions in Agriculture and IPM.

As per the openion of Hon Prime Minister Shri Narender Modi Agriculture Must be More and More professional, more profitable and able to tolerate or coup up the adverse effects of climate change.
  Agricultural commodities must also be nutritious for the health of the society . The climate change can reduce the productivity of crops up to the extent of 4.5 to 9%.
  Hon Prime Minister dedicated 35  
 Varieties of crops on 29th September 2021, developed by ICA,R which are resistant  for  adverse effects of Climate  on the crops . These new crop varieties will be able to enhance the Agricultural production and Ultimately the Agicultural development of the Country.
  Govt and Society must work together to make Agriculture more professional and profitable.Agriculture contributes 17 to 20 % part of country's GDP.
  Climate change is  a great threat to Indian Agriculture.  These new Varieties developed by ICAR  will be able able to make  Mal nutrition free India  . Today's theme of Agriculture focused on seeds of more nutritious food.Today's Agriculture is also cautious to prevent the sudden attack of different pests and Diseases. Recently during 2019,the Locust invasion took place which was averted successfully by Locust Waerning Organisation of Dte of PPQ$S. 
These varieties are able to meet the challenges of climate and also having nutritional substances and some are pests and Diseases resistant.
The results become more better when Science,Government and Society works together.Development of theses New Varieties is a new Revolution in Agriculture. 


Sunday, September 26, 2021

इंप्लीमेंटेशनकेकुछ मौलिकया मोटे सिद्धांत

1. दिमाग की गिजा हो या गिजाए  जिस मानी
   यहां तो हर गिजा में मिलावट मिलती है

  2.. जब तक काम चलता हो   गी जा   से
    वहां तक बचना चाहिए दवा से
  गिजा  -- पौष्टिक भोजन, रसायनिक कीटनाशक रहित विधियां या टूल्स या प्रैक्टिसेज
दवा-- रासायनिक कीटनाशक
3. रासायनिक पेस्टिसाइड को प्रयोग करते रहें जैसे इमरजेंसी टूल
फिर जाएं खेतों मैं Pests की समस्याओं को भूल
4. अगर आईपीएम इनपुट की होवे अन             उपलब्धता 
तो ना समझा जाए आईपीएम की विफलता
5. क्योंकि आई पीएम का क्रियान्वयन उपलब्ध संसाधनों के द्वारा ही बताया गया है l
6. आंखों की रोशनी से कुछ हो नहीं सकता
    जब तक की जमीर की लो  बुलंद ना हो 
Willingness,Intention,and Passion is essentially needed to implement IPM.

आईपीएम इंप्लीमेंटेशन के कुछ मौलिक या मोटे सिद्धांत




दोस्तों यह कई बार पहले बताया जा चुका है आई पी एम जीवन ,जीविका तथा मानव दिनचर्या से जुड़ी हुई वनस्पति संरक्षण की एक विचारधारा है इसका उद्देश्य जीवन को स्थायित्व प्रदान करना एवं जीविका अर्जित करने की विधि को सरलतम बनाना है l दोस्तों महान कवियों एवं वैज्ञानिकों के मतों के अनुसार जीवन की उत्पत्ति निम्नलिखित पांच तत्वों के द्वारा हुई है जिनका उल्लेख निम्न वत है l
 1.. क्षित, जल ,पावक, गगन ,समीरा
   पंचतत्व मिल बना शरीरा
अर्थात शरीर की रचना उपरोक्त संसाधनों या पदार्थों से मिलकर बनी है यह पदार्थ है मिट्टी, पानी, अग्नि, आकाश एवं वायु 
परंतु विडंबना यह है कि अब यह पांचों तत्व मनुष्य के द्वारा प्रकृति के संसाधनों एवं पारिस्थितिक तंत्र को बाधित करने की वजह से प्रदूषित हो चुके हैं l इन सभी प्रदूषित संसाधनों और तत्वों को प्रदूषण से बचाना और उनको शुद्ध एवं वास्तविक रूप में लाना भी आईपीएम का एक उद्देश्य है l
2.. दिमाग की गिजा हो या गिजाए  जिस मानी
   यहां तो हर गिजा में मिलावट मिलती है l
अर्थात जीवन को पौष्टिकता प्रदान करने अथवा  जीव को पोस्टिक भोजन प्रदान करने वाले सभी पदार्थों में अब मिलावट होने लगी हैl इस मिलावट के लिए कुछ हद तक रासायनिक कीटनाशक भी जिम्मेदार हैं  l आत: खेती में रसायनिक कीटनाशकों के उपयोग को कम करना भी आई पीएम का एक उद्देश्य है l जिसके लिए हमें निम्नलिखित उपाय करना चाहिए l

  3.. जब तक काम चलता हो गिजा   से
    वहां तक बचना चाहिए दवा से
  गिजा  -- पौष्टिक भोजन, रसायनिक कीटनाशक रहित विधियां या टूल्स या प्रैक्टिसेज
दवा-- रासायनिक कीटनाशक
4. रासायनिक पेस्टिसाइड को प्रयोग करते रहें जैसे इमरजेंसी टूल
फिर जाएं खेतों मैं Pests की समस्याओं को भूल
No first use of chemical pesticides in Agriculture. 
5.अगर आईपीएम इनपुट की होवे अन             उपलब्धता 
तो ना समझा जाए आईपीएम की विफलता
6.क्योंकि आई पीएम का क्रियान्वयन उपलब्ध संसाधनों के द्वारा ही बताया गया है l दोस्तों आई पीएम रसायनिक कीटनाशकों के प्रयोग के खिलाफ नहीं है l परंतु आईपीएम रसायनिक कीटनाशकों के दुरुपयोग के अवश्य ही खिलाफ है l रसायनिक कीटनाशकों को वनस्पति संरक्षण या प्लांट  प्रोटेक्शन हेतु सिर्फ अंतिम विकल्प के रूप में किसी इमरजेंसी हालात से निपटाने हेतु ही प्रयोग करना चाहिए l
7.आंखों की रोशनी से कुछ हो नहीं सकता
    जब तक की जमीर की लो  बुलंद ना हो 
Willingnes इच्छा शक्ति Intention नियत Passion जुनून is essentially needed to implement IPM.
8. जैसे कि पहले भी बताया जा चुका है कि किसी भी वैज्ञानिक ,सामाजिक ,आर्थिक, राजनैतिक, विचारधारा एवं कार्यक्रम को सुचारू रूप से क्रियान्वयन करने हेतु एक मजबूत राजनीतिक एवं प्रशासनिक इच्छाशक्ति एवं समर्थन, सही विजन, टीम भावना के साथ काम करने का जज्बा ,पूर्व सक्रियता तथा किसी भी कीमत पर और किसी भी तरीके से मौजूद संसाधनों से सभी भागीदारों को जागरुक एवं प्रेरित करते हुए सही उद्देश्यों के साथ सफलता प्राप्त करना अति आवश्यक है l किसी भी कार्यक्रम या विचारधारा का क्रियान्वयन जब तक सरकार एवं सरकारी तंत्र नहीं चाहेंगे तब तक सुचारू रूप से क्रियान्वयन नहीं हो सकता l आत: किसी भी कार्यक्रम एवं विचारधारा को क्रियान्वयन करने हेतु राजनीतिज्ञ एवं प्रशासनिक अधिकारियों अर्थात ब्यूरोक्रेट्स का सहयोग बहुत ही आवश्यक है l

Tuesday, September 21, 2021

किसी भी कार्यक्रम या विचारधारा को सुचारू रूप से क्रियान्वयन हेतु अपनाए जाने वाली रणनीति मैं अपनाए जाने वाले प्रमुख घटकों का प्रयोग

किसी भी वैज्ञानिक, राजनीतिक, सामाजिक, कार्यक्रम अथवा विचारधारा को सुचारू रूप से क्रियान्वयन करने हेतु एक मजबूत ,राजनीतिक एवं प्रशासनिक इच्छाशक्ति एवं समर्थन, सही विजन, टीम भावना के साथ काम करने का जज्बा, पूर्व सक्रियता, किसी भी कीमत पर एवं किसी भी तरीके से मौजूद संसाधनों से ही सभी भागीदारों को जागरुक एवं प्रेरित करते हुए सही उद्देश्यों के साथ सफलता प्राप्त करने के लिए अपनाई जाने वाली रणनीति मैं अपनाए जाने वाले  प्रमुख घटकों में कुछ प्रमुख घटक है l
  उपरोक्त घटकों को माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने वर्ष 20 2O कोरोना महामारी के निपटान हेतु अपनाई गई रणनीति में प्रयोग किए थे  l यह सभी प्रकार के घटक या तरीके फसलों में आई पी एम के सुचार रूप से क्रियान्वयन हेतु भी प्रयोग किए जा सकते हैं l
    माननीय प्रधानमंत्री के द्वारा कोरोना महामारी के निपटान हेतु अपनाई गई उपरोक्त रणनीति से हमें यह सीख मिलती है कि जब बिना दवाई के हम करो ना जैसी महामारी का सामना कर सकते हैं और उसका सुचारू रूप से निपटान कर सकते हैं तो हम आईपी एम का क्रियान्वयन भी बिना आईपी एम इनपुट के भी कर सकते हैं जरूरत है एक प्रबल इच्छा शक्ति, सही मार्गदर्शन सहयोग एवं समन्वय की एवं  सही रणनीति को, सही फसलों पर ,सही Pests  पर ,तरीके के साथ, सही समय पर प्रयोग करने की l
  आईपीएम अथवा अन्य किसी भी विचारधारा को सुचारू रूप से क्रियान्वयन करने हेतु सबका साथ एवं सब का प्रयास बहुत ही जरूरी है l अर्थात सभी आईपीएम के भागीदारों का साथ एवं सामूहिक प्रयास अति आवश्यक हैं l...

Thursday, September 16, 2021

किसान व खेती की अनदेखी और आई पी एम क्रियान्वयन

दोस्तों पहले कई बार हमने यह बताया है की आईपीएम प्रकृति ,समाज, और किसानों के विकास के ऊपर आधारित वनस्पति संरक्षण अथवा प्लांट प्रोटक्शन की एक विचारधारा है जिसमें प्रकृति समाज तथा किसानों के विकास को ध्यान में रखते हुए खेती की जाती है और फसलों के हानिकारक जिओ का प्रबंधन किया जाता है l
 दोस्तों किसान की जीविका तथा हम सब का जीवन खेती पर ही निर्भर करता है क्योंकि खेती से हमें भोजन प्राप्त होता है जिससे हमारे जीवन को स्थायित्व मिलता  है l
 खेती के बारे में एक बहुत पुरानी कहावत है की
     उत्तम खेती मध्यम बान
     निकृष्ट चाकरी भीख निदान
दोस्तों अब यह कहावत गलत हो चुकी है l अब भी खेती देश के विकास में अपना बहुमूल्य योगदान देती है l परंतु इसके बावजूद किसान का विकास नीचे की तरफ होता है अर्थात बड़ा किसान छोटे किसानों में परिवर्तित हो रहा है तथा छोटा किसान मजदूरों की श्रेणी में आता जा रहा है क्योंकि उनकी प्रतिदिन की आय घटती जा रही है l किसानों की आय आजकल ₹27 प्रतिदिन है जबकि मजदूरों की मनरेगा में आए करीब ₹200 प्रति दिन है  l इस प्रकार से देखा जाए तो किसान की प्रतिदिन की आय गरीबी रेखा से भी नीचे हो गई है जोकि ₹32 प्रतिदिन माने जाते हैं l अर्थात छोटा 
 किसान अब मजदूर की श्रेणी में आता जा रहा है और वह गरीबी रेखा के नीचे वाली आय से अपना गुजर कर रहा है l बड़े किसानों को छोटे किसानों में परिवर्तित होना तथा छोटे किसानों को मजदूरों में परिवर्तित होना का मुख्य कारण है हमारी जमीन की जोत छोटी होती जा रही है इसका वजह है कि हमारी जनसंख्या बढ़ती जा रही है और जमीन की जोत कम होती जा रही है l इसी कारण से अब नव युवकों का खेती के प्रति रुझान कम होता जा रहा है l और उपरोक्त कहावत को अब बदल कर.....
प्रथम नेतागिरी, द्वितीय ब्यूरोक्रेसी, तृतीय बाबा वीडियो चतुर्थ वाणिज्य पंचम मजदूरी और छठी किसानी की श्रेणियों में धंधों को उपरोक्त वरीयता में बांट बांटकर आकाश जा रहा है या देखा जा रहा है  l अब भूमिहीन किसानों की संख्या मैं वृद्धि हो रही है l किसानों के पास सर कोई भी घंटे की योजना नहीं है जबकि सरकारी कर्मचारियों के पास गारंटीड आए की योजना है l करो ना कॉल में जब सब कुछ बंद हो गया था और देश की विकास दर जीडीपी बहुत कम हो गई थी उस वक्त कृषि क्षेत्र में ही देश की जीडीपी को ऊपर बनाए रखने मैं सहयोग दिया था या अपना योगदान दिया था l
किसान और किसानी दोनों की अनदेखी होती जा रही है l
 माननीय अमर्त्य सेन जी ने कहा है 
लोगों को इतना गरीब ना होने दिया जाना चाहिए कि उनस घिन आने लगे
या वह समाज के लिए नुकसान पहुंचाने लगे l
जब किसानों की आमदनी कम होती जा रही है और छोटे किसानों की संख्या में वृद्धि होती जा रही है इस हालात में छोटे किसानों को विकास की मुख्यधरा में लाना अति आवश्यक हो गया है l आइए आवश्यक हो गया है की आई पीएम के तरीकों  को किसानों की विभिन्न प्रकार श्रेणियों के अनुसार बनाया जाए अर्थात बड़े किसानों के लिए और छोटे किसानों के लिए आईपीएम पैकेज आफ प्रैक्टिसेज में मांग के अनुसार परिवर्तन किए जाएं l



Wednesday, September 8, 2021

आईपीएम पैकेज आफ प्रैक्टिसेज मेंऔर किन किन विधियों कोसमावेशित किया जाए

आज के परिदृश्य एवं परिपेक्ष में मांग के आधार पर विकसित की गई आई पीएम की विचारधारा के अनुसार आई पीएम से संबंधित विभिन्न विभागों के द्वारा विकसित किए गए अथवा बनाए गए पैकेज आफ प्रैक्टिसेज में निम्नलिखित परिवर्तन अथवा बदलाव या अन्य विधियों को भी  शामिल किया जाना चाहिए जिससे वे आज के सामाजिक आर्थिक प्राकृतिक जलवायु व पर्यावरण के परिदृश्य वह परिपेक्ष में वांछित मांग के आधार पर परिवर्तित हो सके अथवा विकसित हो सके :-
1. पराली प्रबंधन से संबंधित विधियां
2. क्षतिग्रस्त फसल पारिस्थितिक तंत्र का पुणे स्थापन से संबंधित विधियां
3. फसल में उर्वरा शक्ति को बढ़ाने से संबंधित विधिया l
4. आईपीएम पद्धति से प्राप्त किए गए अथवा उत्पादन किए गए फसल उत्पादन में रसायनिक कीटनाशकों के अवशेषों का आकलन संबंधी विधियां l
5. लगातार व्यापार रखने के लिए जरूरी विधियों का समावेश
6. नासि जीव प्रबंधन की पारंपरिक विधियों के साथ-साथ नवीन विधियों का समावेश l
7. इकोलॉजिकल इंजीनियरिंग से संबंधित जानकारी
8. जैविक उर्वरकों एवं जैविक कीटनाशकों कि किसानों के पास उपलब्धता सुगम  करने के उपाय l
9. कृषि नीतियों से संबंधित उपाय l
10. मार्केट एक्सेस से संबंधित उपाय
11. भरपूर फसल वाजिब दाम खुशहाल किसान से जुड़े हुए उपाय l
12. पारिस्थितिक तंत्र को क्रियाशील रखने वाली विधियां को बढ़ावा देना चाहिए l
13.Integrated Farming.
13.Study and use of the methods and process going on for crop production and production in the nature.
14.Methods related with enhancing the production of  in below ground  agroeco system .
15.

Monday, September 6, 2021

पराली प्रबंधन मैं आईपीएम का योगदान

खेतों में फसलों के अवशेष यानी पराली को जलाने से विभिन्न प्रकार के प्रदूषण प्रतिवर्ष हरियाणा पंजाब राजस्थान उत्तर प्रदेश तथा एनसीआर के अन्य क्षेत्रों में देखने को मिलता है जिसकी वजह से वायु प्रदूषण होता है जिससे समाज में सास संबंधी  विभिन्न प्रकार की बीमारियां तथा समस्याएं उत्पन्न होती हैl धान की फसल के कटाई के बाद लगभग सितंबर के अंत तक इस प्रकार की समस्याएं उपरोक्त राज्यों में देखने को मिलती है जिससे मानव समाज में इम्यूनिटी कम हो जाती है और करो ना जैसी बीमारियों तथा महा मारियो जैसी समस्याएं उत्पन्न होती है l पराली या फसल के अवशेषों के समस्या के निपटान हेतु किसान भाई  खेतों में ही इन अवशेषों को जला देते हैं जिससे पर्यावरण प्रदूषित होता है क्योंकि इन से निकला हुआ धुआ वायु प्रदूषण करता हैl इस प्रकार से हुए वायु प्रदूषण को हटाने के लिए इन राज्यों की राज्य सरकारहै अपने-अपने राज्यों में पराली को जलाने से किसानों को मना करते हैं l उपरोक्त समस्याओं के अतिरिक्त पराली के जलाने से खेतों में पाए जाने वाले लाभदायक  जीवो जो पराली  के साथ संलग्न होते हैं भी नष्ट हो जाते हैं और इनसे अगली फसल में भिन्न प्रकार के हानिकारक  नाशी जीवो की समस्याएं उत्पन्न होते हैं l पराली की समस्या के निपटान हेतु बिना प्रदूषण वाली विधियों जैसे बायो डी कंपोजर का इस्तेमाल करके खेतों में ही पराली को डीकंपोज करके खाद में बदल देते हैं इसके लिए बायो डी कंपोजर का प्रयोग करते हैंl इसके अतिरिक्त ISRO ने 1 स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल बनाया है जिससे पराली के जलाने से होने वाले प्रदूषण आदि की जानकारी प्राप्त हो सकती हैl जिसके लिए सरकारों के द्वारा 20 सितंबर के बाद निगरानी शुरू करने पर सरकार ने बल दिया है l  पराली नियंत्रण हेतु 20 सितंबर के बाद नवंबर के अंत तक सतत निगरानी एवं उचित कदम उठाने के आवश्यकता होती है l जिसके लिए प्रतिवर्ष उचित एक्शन प्लान बनाना चाहिए और उसको सही तरीके से अमल में लाना चाहिए l पराली नियंत्रण अथवा प्रणाली प्रबंधन भी आईपीएम का एक उचित घटक या कंपोनेंट है जिससे पर्यावरण को प्रदूषित ना करते हुए पराली प्रबंधन किया जाता हैl

Friday, September 3, 2021

किसानों के मौजूदा संसाधनों के द्द्वारा अपनाई जाने वालीखेती की विधियांसे की जाने वाली खेती के तरीके को क्या आईपीएम कह सकते हैं ?Part I.

देश के सभी किसान खेती करते समय खेती करने की योजना बनाने के बाद बीज के चयन से लेकर खेत की तैयारी ,जु ता ई, बीज शोधन,बुवाई, सिंचाई, खरपतवार नियंत्रण, निकाय और गुड़ाई , पोषक तत्वों का प्रबंधन, जल प्रबंधन ,पौधों में पाई जाने वाली बीमारियों तथा नाशि जीवो का प्रबंधन, अर्थात प्लांट प्रोटक्शन या वनस्पति संरक्षण, इकोलॉजिकल इंजीनियरिंग द्वारा खेत में बोई गई मुख्य फसल के साथ-साथ खेतों के चारों तरफ बॉर्डर क्रॉप तथा खेत के बीच मुख्य फसल के साथ-साथ अंतर फसलों की बिजाई करके इकोलॉजिकल इंजीनियरिंग पद्धति से खेत में पाए जाने वाले लाभदायक जीवो का संरक्षण करते तथा खेतों कि सतत निगरानी करते हुए, फसल पारिस्थितिक तंत्र का विश्लेषण करते हुए खेतों में की जाने वाली फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा की वांछित गतिविधियों को प्रयोग करते हुए फसल उत्पादन एवं फसल रक्षण किया जाता है l इन गतिविधियों में रसायनिक कीटनाशकों का प्रयोग भी अंतिम विकल्प के रूप में भी होता है l किसान उपरोक्त बताई गई गतिविधियों का प्रयोग फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा हेतु करते हैं यह ही गतिविधियां वह गतिविधियां हैं जो एकीकृत नाशि जीव प्रबंधन  अर्थात आईपीएम के क्रियान्वयन हेतु बताई गई है या आई पीएम पैकेज आफ प्रैक्टिसेज में आई पीएम के क्रियान्वयन हेतु दर्शाई गई हैं l इसके अतिरिक्त कुछ अन्य गतिविधियां जिसमें रसायनिक कीटनाशकों का उपयोग ना हो किसानों के द्वारा फसल उत्पादन हेतु भी की जाती हैं l ऐसा अनुभव किया गया है की रसायनिक कीटनाशकों तथा रासायनिक उर्वरकों के उपयोग के अतिरिक्त जो भी विधियां फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा हेतु प्रयोग की जाती हैं वह अधिकतर पर्यावरण, जैव विविधता , फसल पारिस्थितिक तंत्र में पाए जाने वाले लाभदायक जीवो तथा प्राकृतिक संसाधनों एवं समाज समाज हितेषी होती है और वह आई पीएम को बढ़ावा देने में सहायक होती हैं l रसायनिक कीटनाशकों का उपयोग  आई पीएम क्रियान्वयन हेतु सिर्फ आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए बताया गया हैl उपरोक्त सभी विधियां कृषकों के द्वारा अधिकांश तौर पर फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा हेतु प्रयोग की जाती है l खेती में आई पीएम इनपुट्स का प्रयोग उपलब्धता पर निर्भर करता है जिन किसानों को आईपीएम इनपुट उपलब्ध हो जाते हैं वह उनका प्रयोग करते हैं और जिनको आईपीएम इनपुट उपलब्ध नहीं हो पाते हैं वह रसायनिक कीटनाशकों का उपयोग न्याय उचित ढंग से कम से कम मात्रा में करते हैं तो इन सभी विधियों को आईपीएम विधियां कहते हैं और इन विधियों अपनाकर फसल उत्पादन तथा फसल रक्षा की pगई है तो इन विधियों के द्वारा कवर किया गया क्षेत्रफल आईपीएम के द्वारा कवर किए गए क्षेत्रफल के अंतर्गत आता है l

Thursday, September 2, 2021

Basis of IPM Concept orMool Mantra of IPM.

1. कम से कम खर्चे मैं खाने की दृष्टि से सुरक्षित एवं व्यापार की दृष्टि से गुणवत्ता युक्त एवं फसल उत्पादन की मात्रा की दृष्टि से अधिकतम फसल उत्पादन अर्थात खाद्य सुरक्षा एवं सुरक्षित भोजन के उत्पादन को साथ साथ सुनिश्चित करना l         2.इसके साथ साथ साथ 
सामाजिक स्वास्थ्य, पारिस्थितिक तंत्र, पर्यावरण ,जैव विविधता, प्रकृति व उसके संसाधनों तथा समाज की सुरक्षा सुनिश्चित करना या रखना या रखते हुए फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा तथा फसल प्रबंधन की सभी मौजूदा विधियों को समेकित रूप से प्रयोग करके फसल पर्यावरण में हानिकारक जीवो की संख्या को आर्थिक हानि स्तर के नीचे सीमित रखना तथा लाभदायक जीवो की संख्या को खेतों में संरक्षण देना l
3. अर्थात फसल सुरक्षा के साथ-साथ पर्यावरण, पारिस्थितिक तंत्र ,जैव विविधता ,प्रकृति व उसके संसाधनों तथा समाज की सुरक्षा को भी सुनिश्चित करना l
4.IPM के क्रियान्वयन हेतु किसानों, समाज के व्यक्तियों ,प्रशासनिक अधिकारियों , राज्य व केंद्र सरकार के कृषि विभाग के अधिकारियों एवं कृषि प्रचार एवं प्रसार कार्यकर्ताओं ,राजनीतिज्ञों, नीति करो आदि के बीच आपस में समन्वय एवं सहयोग तथा प्रबल इच्छा शक्ति तथा नियत अति आवश्यक है तभी आईपीएम विचारधारा का खेती मैं क्रियान्वयन हो सकेगा  कृषि से संबंधित सभी विचारधाराओं का जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन हमारे कृषक भाइयों के द्वारा ही किया जाता है और उनके ही द्वारा किसी भी तकनीकी का जमीनी स्तर पर फैलाव किया जाता है l उत्पादक ,उत्पाद  उपभोक्ता  पर्यावरण  प्रकृति और समाज को सुरक्षा प्रदान करना आईपीएम विचारधारा का प्रमुख उद्देश्य है l साथ साथ ही साथ क्षतिग्रस्त पारिस्थितिक तंत्र का पुनर स्थापन करना तथा उसको सदैव क्रियाशील रखना बीआईपीएम का प्रमुख उद्देश्य है l
5. यद्यपि  आईपीएम से संबंधित बहुत सारे शोध कार्य हो चुके हैं अब यह जरूरत है की  IPM  inputs का औद्योगिकीकरण अर्थात बड़े पैमाने पर उत्पादन करने की जिससे इनकी उपलब्धता किसानों को उनके द्वार पर ही सुनिश्चित की जा सके जिससे वह आवश्यकतानुसार उनका खेती में अथवा IPMके क्रियान्वयन में प्रयोग कर सकें  l
6. कई बार यह देखा गया है की आई पीएम के भागीदार या स्टेकहोल्डर आईपीएम को सिर्फ प्लांट प्रोटक्शन तक ही सीमित रखते हैं उस समय वह यह भूल जाते हैं कि आईपीएम सिर्फ प्लांट प्रोटक्शन को ही deal नहीं करता है बल्कि इसमें समाज व प्रकृति ,पर्यावरण तथा जीवन को स्थायित्व प्रदान करने वाले सभी मुद्दों को deal  करता है  l अतः आई पीएम को क्रियान्वयन करते समय उन सभी मुद्दों को और उनसे जुड़ी हुई समस्याओं को शामिल करना है जिससे हमारे समाज, पर्यावरण जैव विविधता प्रकृति व उसके संसाधनों को सुरक्षित रखा जा सके तथा प्रकृति व समाज के बीच सामंजस्य स्थापित किया जा सके जिससे हमारी भावी  पीढ़ियों के लिए अनुकूल और सुरक्षित पर्यावरण, क्रियाशील एवं माफिक पारिस्थितिक तंत्र तथा जीवन को संचालन करने वाले एवं जीवन को स्थायित्व प्रदान करने वाले सभी कार को जैसे पृथ्वी, पानी ,अग्नि ,आकाश तथा वायु को सुरक्षा प्रदान की जा सके  l
7 . आईपीएम का क्रियान्वयन करते समय हमें उन विधियों का इस्तेमाल करना चाहिए जिससे बनस्पति संरक्षण अथवा प्लांट प्रोटक्शन के साथ-साथ प्रकृति, वा उसके संसाधन , समाज, पर्यावरण तथा विभिन्न पारिस्थितिक तंत्र ओं को भी सुरक्षित एवं क्रियाशील रखा जा सके तथा फसल उत्पादों, फसल उत्पादन करता अर्थात किसान, तथा उपभोक्ता को भी सुरक्षा प्रदान की जा सके l

Wednesday, September 1, 2021

आईपीएमके द्वाराकवर किया गया क्षेत्रफलभाग 3

दोस्तों देश का प्रत्येक किसान किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए खेती करता है l इन उद्देश्यों में खाद्य आपूर्ति तथा  दैनिक जीवन के आवश्यकताओं की आपूर्ति शामिल होती है l खेती करते समय प्रत्येक किसान अधिकतर फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा तथा फसल प्रबंधन की वही सारी विधियां समेकित रूप से तथा सुव्यवस्थित रुप से या सिस्टमैटिक तरीके से प्रयोग करता है जो की एकीकृत नाशिजीव प्रबंधन की पैकेज ऑफ़ प्रैक्टिसेज में लिखी हुई हैं तथा प्रयोग करने के लिए मौजूद हैl  कभी-कभी यह देखा गया है कि कृषक भाई उन विधियों का प्रयोग नहीं कर पाते हैं जो आईपीएम पैकेज आफ प्रैक्टिसेज मैं लिखी तो है परंतु आसानी से कृषकों को उपलब्ध नहीं हो पाती हैं l कृषकों के द्वारा प्रयोग किए जाने वाली यह सारी विधियां जिसमें रसायनिक कीटनाशकों का प्रयोग भी शामिल है IPM प्रैक्टिसेज कहलाती हैं अगर कीटनाशकों का प्रयोग अंतिम विकल्प के रूप में अथवा सिर्फ आपातकालीन स्थिति के निपटान हेतु प्रयोग किया जाए तथा अन्य विधियों का प्रयोग भी प्रकृति व समाज के लिए सुरक्षात्मक रूप में प्रयोग किया जाए l जब यह विधियां उपरोक्त बताए गए तरीके से प्रयोग की जाती हैं तो उन सभी विधियों को समेकित रूप से आई पीएम की विधियां कहते हैं तथा इन विधियों के द्वारा कवर किया गया क्षेत्र आईपीएम के द्वारा कवर किए गया क्षेत्र कहलाता है l इस प्रकार से यह देखा जाए तो उपरोक्त तरीके से की गई खेती के क्षेत्रफल को  IPM के द्वारा कवर किया गया क्षेत्रफल कहते हैं l इस प्रकार से मेरे व्यक्तिगत विचार से देश का प्रत्येक किसान आईपीएम द्वारा खेती करता है अगर वह रसायनिक कीटनाशकों का प्रयोग  वरीयता पूर्वक ना करते हु सिर्फ आपातकालीन स्थिति के निपटान हेतु करता है l रसायनिक कीटनाशकों का प्रयोग भी आई पी एम पद्धति का एक घटक है जिसको अंतिम विकल्प के रूप में करना चाहिए परंतु अक्सर यह देखा गया है कि किसान भाई रसायनिक कीटनाशकों का प्रयोग प्रथम विकल्प के रूप में करते हैं जो की आईपीएम के सिद्धांत के विपरीत है l अगर किसान खेती करते समय इतना सुधार कर लें तो शत-प्रतिशत क्षेत्र आईपीएम के द्वारा कवर किया गया क्षेत्र फल हो जाएगा l किसान भाई रसायनिक कीटनाशकों का उपयोग सिर्फ इसलिए अधिकांश तौर पर करते हैं क्योंकि इनकी उपलब्धता आसानी से कृषकों के गांव के स्तर तक हो जाती हैl आईपीएम के इनपुट किसानों को आसानी से उपलब्ध नहीं हो पाते हैं l आईपीएम के इनपुट खेती करने अथवा आईपीएम को क्रियान्वयन करने में सुविधा प्रदान करते हैं परंतु इसका अर्थ यह नहीं है कि अगर आई पीएम के इनपुट ना प्रयोग किए गए हो तो उस क्षेत्र को आईपीएम के द्वारा  कवर किया गया क्षेत्र नहीं कह सकते हैं l इस प्रकार से हमारे व्यक्तिगत विचार से देश के प्रत्येक किसान के द्वारा आई पीएम का क्रियान्वयन किया जाता है l प्रत्येक  किसान किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए तथा किसी विशेष नियत या इंटेंशन से खेती करता अगर उसके वह उद्देश्य और नियत जिस नियत से वह खेती करता है वह पूरे होते हैं और इसके साथ साथ आई पीएम की विचारधारा के उद्देश्य भी पूरे होते हैं तो उस क्षेत्र को आईपीएम क्षेत्र कहते हैं l इन उद्देश्यों में कम से कम खर्चे में अधिक से अधिक पैदावार काउत्पादन एवं पर्यावरण पारिस्थितिक तंत्र जैव विविधता प्रकृति व समाज को सुरक्षा प्रदान करना शामिल है l