दोस्तों किसान की जीविका तथा हम सब का जीवन खेती पर ही निर्भर करता है क्योंकि खेती से हमें भोजन प्राप्त होता है जिससे हमारे जीवन को स्थायित्व मिलता है l
खेती के बारे में एक बहुत पुरानी कहावत है की
उत्तम खेती मध्यम बान
निकृष्ट चाकरी भीख निदान
दोस्तों अब यह कहावत गलत हो चुकी है l अब भी खेती देश के विकास में अपना बहुमूल्य योगदान देती है l परंतु इसके बावजूद किसान का विकास नीचे की तरफ होता है अर्थात बड़ा किसान छोटे किसानों में परिवर्तित हो रहा है तथा छोटा किसान मजदूरों की श्रेणी में आता जा रहा है क्योंकि उनकी प्रतिदिन की आय घटती जा रही है l किसानों की आय आजकल ₹27 प्रतिदिन है जबकि मजदूरों की मनरेगा में आए करीब ₹200 प्रति दिन है l इस प्रकार से देखा जाए तो किसान की प्रतिदिन की आय गरीबी रेखा से भी नीचे हो गई है जोकि ₹32 प्रतिदिन माने जाते हैं l अर्थात छोटा
किसान अब मजदूर की श्रेणी में आता जा रहा है और वह गरीबी रेखा के नीचे वाली आय से अपना गुजर कर रहा है l बड़े किसानों को छोटे किसानों में परिवर्तित होना तथा छोटे किसानों को मजदूरों में परिवर्तित होना का मुख्य कारण है हमारी जमीन की जोत छोटी होती जा रही है इसका वजह है कि हमारी जनसंख्या बढ़ती जा रही है और जमीन की जोत कम होती जा रही है l इसी कारण से अब नव युवकों का खेती के प्रति रुझान कम होता जा रहा है l और उपरोक्त कहावत को अब बदल कर.....
प्रथम नेतागिरी, द्वितीय ब्यूरोक्रेसी, तृतीय बाबा वीडियो चतुर्थ वाणिज्य पंचम मजदूरी और छठी किसानी की श्रेणियों में धंधों को उपरोक्त वरीयता में बांट बांटकर आकाश जा रहा है या देखा जा रहा है l अब भूमिहीन किसानों की संख्या मैं वृद्धि हो रही है l किसानों के पास सर कोई भी घंटे की योजना नहीं है जबकि सरकारी कर्मचारियों के पास गारंटीड आए की योजना है l करो ना कॉल में जब सब कुछ बंद हो गया था और देश की विकास दर जीडीपी बहुत कम हो गई थी उस वक्त कृषि क्षेत्र में ही देश की जीडीपी को ऊपर बनाए रखने मैं सहयोग दिया था या अपना योगदान दिया था l
किसान और किसानी दोनों की अनदेखी होती जा रही है l
माननीय अमर्त्य सेन जी ने कहा है
लोगों को इतना गरीब ना होने दिया जाना चाहिए कि उनस घिन आने लगे
या वह समाज के लिए नुकसान पहुंचाने लगे l
जब किसानों की आमदनी कम होती जा रही है और छोटे किसानों की संख्या में वृद्धि होती जा रही है इस हालात में छोटे किसानों को विकास की मुख्यधरा में लाना अति आवश्यक हो गया है l आइए आवश्यक हो गया है की आई पीएम के तरीकों को किसानों की विभिन्न प्रकार श्रेणियों के अनुसार बनाया जाए अर्थात बड़े किसानों के लिए और छोटे किसानों के लिए आईपीएम पैकेज आफ प्रैक्टिसेज में मांग के अनुसार परिवर्तन किए जाएं l
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