Sunday, March 27, 2022

Let's Make Agriculture global from local कृषि को या खेती को स्थानीय से भूमंडलीय बनाने के लिए आईपीएम एवं प्राकृतिक खेती पद्धति अपनाएं

दोस्तों आईपी एम  रसायन मुक्त या न्यूनतम स्तर तक की मात्रा से रसायन युक्त  सुरक्षित ,भरपूर फसल उत्पादन, गुणवत्ता युक्त फसल उत्पादों का उत्पादन के साथ-सथ फसलों के वाजिब दाम एवं खुशहाल किसान के साथ प्रदूषण मुक्त ,सुरक्षित पर्यावरण ,सुरक्षित पारिस्थितिक तंत्र एवं सुरक्षित प्रकृति व उसके संसाधन प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है l
ध्यान रहे आईपी एम बीज से लेकर बाजार तक की समस्त कृषि उत्पादन, कृषि रक्षा ,कृषि विपणन एवं संपूर्ण फसल प्रबंधन प्रणाली का समुचित प्रबंधन है l
Remember---IPM is a suitable or complete  management of the system of crop production,crop protection ,management of Agricultural marketing and complete management of crop .
कृषि उत्पादों का अंतरराष्ट्रीय स्तर के कृषि व्यापार के द्वारा ही कृषि को स्थानीय से भू मंडली बनाया जा सकता है जिसके लिए आई पीएम का बहुत महत्वपूर्ण योगदान होता all
आईपीएम पद्धति के द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर के कृषि बाजार के मानकों स्तर के कृषि उत्पाद पैदा किए जा सकते हैं l
अतः कृषि या खेती को स्थानीय से भूमंडलीय बनाने के लिए आई पीएम एवं प्राकृतिक खेती अपनाएं l
Let's adopt IPM or natural farming to make Agriculture Global from local.
कृषि में रसायनों के उपयोग को कम करना न्यूनतम स्तर पर लाना अथवा पूर्ण रूप से समाप्त करना ही आई पीएम का एवं प्राकृतिक खेती का प्रमुख उद्देश्य है l
रसायन मुक्त या न्यूनतम रसायन युक्त तथा हानिकारक जीवो तथा खरपतवार ओं से मुफ्त कृषि उत्पाद ही निर्यात योग्य कृषि उत्पाद माने जाते हैं जिनका प्रमाणीकरण भी अंतरराष्ट्रीय मानक आधार पर अंतरराष्ट्रीय बाजार या व्यापार की मुख्य कंडीशन यह शर्त होती है l
निर्यात हेतु गुणवत्ता युक्त कृषि उत्पादों के उत्पादन हेतु आईपीएम तथा प्राकृतिक खेती का प्रयोग करें या अपनाएं l
Adopt IPM or Natural Farming to grow exportable commodities.
रसायन रहित या न्यूनतम रसायन युक्त कृषि उत्पादों के उत्पादन हेतु आईपीएम और प्राकृतिक खेती अपनाएं adopt IPM or Natural farming to grow chemicalless or with least chemical Agricultural commodities. 
भूमंडलीय बाजार की गुणवत्ता स्तर के कृषि उत्पादों के उत्पादन हेतु आईपीएम एवं प्राकृतिक खेती अपनाएं l
Adopt IPM to grow quality Agricultural commodities of standards of global market.

Saturday, March 26, 2022

आईपीएम-- भरपूर एवं सुरक्षित फसल, वाजिब दाम एवं खुशहाल किसान के साथ-साथ सुरक्षित पर्यावरण से जुड़ी हुई वनस्पति संरक्षण की विचारधारा है

दोस्तों मैंने यह पहले कई बार उल्लेख किया है आईपीएम सिर्फ वनस्पति संरक्षण तक ही सीमित नहीं है बल्कि वह जीवन, प्रकृति एवं समाज के विभिन्न पहलुओं से संबंधित है l आईपी एम रसायन मुक्त, सुरक्षित , भरपूर एवं गुणवत्ता युक्त फसल उत्पादन के साथ-साथ वाजिब दाम तथा खुशहाल किसान ,प्रदूषण मुक्त पर्यावरण एवं पारिस्थितिक, जैव विविधता प्रकृति एवं उसके संसाधनों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए भी समर्पित है l आई पीएम ब्रह्मांड मैं सभी के कल्याण के हेतु भी समर्पित है l कई बार यह महसूस किया गया है की फसल उत्पादन के बावजूद कृषकों को उनकी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पाता है तथा इसके लिए समुचित रेट पर समुचित बाजार तक की पहुंच नहीं हो पाती है और किसानों को ओने पौने दामों पर अपनी फसल को आ ढा टी यू एवं कमीशन एजेंट को बेचना पड़ता है जिससे उनकी फसल का मूल्य नहीं मिल पाता है यद्यपि सरकार ने कुछ फसलों के लिए सरकारी तौर पर फसलों का मिनिमम या न्यूनतम समर्थन मूल्य निश्चित कर रखा है परंतु सरकार सभी किसानों की संपूर्ण फसल को नहीं खरीद सकती है l ऐसे में किसानों के द्वारा संपूर्ण आईपीएम विधि के द्वारा फसल उत्पादन करने के बावजूद किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पाता जो उनकी संपन्नता पर प्रभाव डालता है l अतः फसल उत्पादन करने के बाद फसलों के उत्पादों का उचित मूल्य मिलने के लिए सरकार के द्वारा उचित कदम उठाना चाहिए इस प्रकार की नीति संबंधी पद्धति आया प्रैक्टिसेज को भी आईपी एम में शामिल करना आवश्यक है नहीं तो किसान की भरपूर मेहनत एवं भरपूर कमाई या फसल उत्पादन में खर्च की जाने वाली लागत बेकार चली जाती रहेगी l इसके लिए किसानों कि आए को बढ़ाना पड़ेगा जिसके लिए सरकार को आईपीएम के साथ-साथ इंटीग्रेटेड फार्मिंग अर्थात कृषि पर आधारित अन्य व्यापार या धंधे, कृषि का विभिन्न लाभकारी क्षेत्रों में विविधीकरण, कृषि पदार्थों का प्रसंस्करण जैसी विचारधाराओं एवं कार्यक्रमों को बढ़ावा देना पड़ेगा जिससे उनकी आय बढ़ाई जा सके और उनकी संपन्नता को सुनिश्चित किया जा सके l इसके साथ साथ पर्यावरण जैव विविधता ,प्रकृति तथा उसके संसाधनों तथा समाज की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए आईपीएम में समाज व प्रकृति हितेषी विधियों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए l  तभी हम आए पीएम के सुरक्षित खेती सुरक्षित समाज एवं सुरक्षित पर्यावरण के उद्देश्य को प्राप्त कर सकेंगे l
 

Friday, March 25, 2022

फसलों की कटाई एवं फसलों के फलों की तू ड़ाई, कपास के रुई के दोनों की बिनाई के बाद की जाने वाली हानिकारक प्रैक्टिसेज या पद्धतियों को अवॉइड करें या टा लना l

अक्सर अगर देखा गया है कि कुछ किसान भाई फसलों की कटाई के बाद या सब्जियों अथवा फलों की फसलों के फलों की तू ड़ाई के बाद या कपास जैसी फसलों के रुई के डोडो की बिनाई के बाद निम्नलिखित प्रकार की हानिकारक प्रैक्टिसेज को अपनाते हैं या कीटनाशकों का अंधाधुंध प्रयोग करते हैं कई बार किसान भाई फसलों के उत्पादों को को बाजार में पहुंचने के बाद भी उनके ऊपर अंधाधुन कीटनाशकों का छिड़काव करते हैं या उनको उन को हरा बनाए रखने के लिए कई प्रकार के रसायनों या रंगों का प्रयोग करते हैं जो सामुदायिक स्वास्थ्य पर्यावरण इको सिस्टम आदि के लिए हानिकारक होता है इससे बचने के लिए कृषकों में जागरूकता पैदा करनी चाहिए कि वह समाज व पर्यावरण हित को ध्यान में रखते हुए इस प्रकार से कीटनाशकों का अंधाधुंध प्रयोग ना करें और इस प्रकार का जागरूकता कार्यक्रम किसानों के बीच चलाना चाहिए l
  कई बार यह देखा गया है की फसल की कटाई के बाद बचे हुए फसलों के अवशेषों को किसान भाई आग जलाकर नष्ट करते हैं जिससे फसल अवशेषों के बीच पनप रहे या पाए जा रहे लाभदायक जीव तथा दूसरे प्रकार की जैव विविधता  नष्ट हो जाते हैं जबकि फसलों में इनका संरक्षण होना बहुत ही जरूरी होता है l इसके अतिरिक्त फसलों के अवशेष को जलाने से उत्पन्न हुए स्मोक से पर्यावरण प्रदूषित होता है तथा समाज में कई प्रकार की श्वसन संबंधी बीमारियां होती है इससे बचने के लिए भी कृषकों को जागरूक करना चाहिए और फसल के अवशेषों को जलने से बचाना चाहिए तथा इन अवशेषों को खेतों में ही सड़ा कर खाद बनाने के लिए किसको को प्रेरित करना चाहिए l
  अक्सर यह देखा गया है की   कपास जैसी फसलों रूई के डोडो की बुनाई के बाद किसान भाई कपास के फसल के अवशेषों को गांव के किनारे अथवा खेतों के पास ही एकत्रित कर देते हैं जिससे अगली फसल में पिंक बॉल वार्म जैसे कपास के कीड़ों का प्रकोप होने की संभावना रहती है अतः इससे बचने के लिए किसान भाइयों को कपास बोने से पहले ही कपास के अवशेषों को नष्ट कर देना चाहिए l

Thursday, March 24, 2022

वर्ष 2022 मैं हरियाणा प्रदेश में कपास की गुलाबी सुंडी का प्रबंधन------ कुछ कदम

वर्ष 2021 के दौरान हरियाणा प्रदेश में कपास की फसल में गुलाबी सुंडी का प्रकोप देखने को मिला था l पूर्व अनुभव के आधार पर वर्ष 20 22 दौरान संभावित गुलाबी सुंडी के प्रकोप को रोकने के लिए तथा प्रबंधन करने के लिए निम्न प्रकार के कदम उठाने की आवश्यकता है :-
1. पुराने कपास के ढेरों की सफाई करें
2  . कपास के डंडियों को जोकि गांव के किनारे तथा खेतों के पास रख दी जाती है उनको वहां से हटाकर वहां पर सफाई की जाए l
3. बिना खुली हुई कपास के बाल को जला दें l
4. कपास पी राई के कारखानों और तेल मिलो के पुराने स्टॉक की सफाई करें तथा कचरे को जलाकर नष्ट कर दें l
5. संपूर्ण फसल अवधि के दौरान निगरानी कार्यक्रम चलाया जाए l
6. पिंक बोल बम के फेरोमोन leues एवं ट्रैप को खरीद कर निश्चित अंतराल की अवधि के दौरान पिंक बॉल वार्न के adults की संख्या का संपूर्ण फसल अवधि के दौरान आकलन करें तथा उसी के अनुसार प्रबंधन कदम उठाए जाएं l
7. किसान मेला ,किसान गोष्ठी, प्रशिक्षण कार्यक्रमों ,प्रदर्शनी , ऑल इंडिया रेडियो एवं टीवी के माध्यम से किसान जागरूकता कार्यक्रम चलाया जाए l
8.

Sunday, March 20, 2022

जलवायु तथा मौसम के अनियमित व्यवहार के फसलों पर पड़ने वाले विपरीत प्रभाव के बचाव हेतु समुचित विधियों को विकसित करें था उन्हें आईपीएम की सिफारिशों में शामिल करें

ग्लोबल वार्मिंग अथवा वैश्विक तापक्रम बढ़ोतरी अथवा अन्य किसी वजह से आजकल मौसम तथा जलवायु का अनियमित व्यवहार या एरेटिक बिहेवियर देखने को मिलता है जिसकी वजह से कई बार वे मौसमी बरसात ,बे मौसमी बाढ, बे मौसमी या प्रोलांग गर्मी अथवा सर्दी ,कई बार  बे मौसमी ओलो आदि का प्रकोप देखने को मिलता है जिससे फसलों पर भारी नुकसान होता है l इन विपरीत परिस्थितियों से बचने के लिए भी आई पी एम में उचित उचित विधियों को भी शामिल करना चाहिए l इसके अतिरिक्त कई बार सूखा भी एक समस्या के रूप में उभर कर आता है  l इसके लिए विशेष कंटिजेंट प्लान संपूर्ण फसल अवधि के दौरान तैयार रखना चाहिए जिससे ऐसी परिस्थिति का सामना किया जा सके l इसके लिए आवश्यक इनपुट्स हमेशा तैयार रखना चाहिए  l उपरोक्त समस्याएं कई बार फसल की मैच्योरिटी अथवा हार व स्टिंग या कटाई के ठीक पूर्व भी आती है और कई बार तो तैयार फसल नष्ट हो जाती है l ऐसी आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयार किए गए कंटिजेंट प्लान मैं पर्याप्त ट्रेंड मैन पावर, आई पी एम इन पोट्स, आवश्यक रासायनिक कीटनाशक, जरूरी मशीन, पी ओ एल, पर्याप्त बजट, गाड़ियां, मजदूर, कम्युनिकेशन इक्विपमेंट्स, डेस्कटॉप लैपटॉप एवं पंप टॉप कंप्यूटर, इंटरनेट सुविधा आदि का  रेडी टू यूज स्थिति में होना बहुत ही आवश्यक है l अधिक क्षेत्र को कवर करने के लिए हेलीकॉप्टर ड्रोन तथा हवाई छिड़काव वाले एयरक्राफ्ट सभी इक्विपमेंट सहित भी तैयार रखना चाहिए l कुछ हानिकारक जीवो को जैसे लोकस्ट या टिड्डियों , कटवार म, गंदी बग, आलू का झुलसा रोग जैसी कुछ हानिकारक जिओ तथा बीमारियों को प्राकृतिक आपदा मैं शामिल किया जाना चाहिए और इसके लिए प्राकृतिक आपदा मैनेजमेंट या प्रबंधन की तरह कदम उठा कर के ही उनको उनकी रोकथाम करने चाहिए l
   बाढ़ व सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए बाढ़ व सूखा प्रतिरोधी अथवा सहनशील फसलों की प्रजातियां विकसित की जानी चाहिए l तथा इनके लिए उठाए जाने वाले आवश्यक कदमों को तथा विधियों को आईपीएम पैकेज आफ प्रैक्टिसेज मैं शामिल किया जाना चाहिए l
 चूंकि प्रत्येक विभाग में स्टाफ की बहुत कमी है तथा बहुत सारी पोस्ट्स रिक्त पड़ी रहती है ऐसी हालात पर किसी आपातकालीन महामारी से निपटने के लिए कृषकों को प्रशिक्षित करना अनिवार्य हो जाता है l अतः हमें कृष को व मजदूरों को वनस्पति रक्षा से संबंधित आपातकाल स्थिति के निपटान हेतु पहले से की प्रशिक्षित करना चाहिए जिससे समय आने पर उनका प्रयोग किया जा सके l

Thursday, March 17, 2022

कृषि अथवा खेती को आत्मनिर्भर बनाने के लिए आई पीएम का योगदान

दोस्तों जीवन को स्थायित्व प्रदान करने के लिए खेती का अथवा कृषि का बहुत बड़ा योगदान है l बिना खेती अथवा कृषि के हमारा जीवन स्थाई नहीं हो सकता l जीवन की तीन आवश्यक जरूरत  है रोटी ,कपड़ा और मकान को कृषि के द्वारा ही पूरा किया जाता है  l जीवो  को जीवित रखने के लिए भोजन  प्रथम आवश्यकता है और भोजन बिना खेती के नहीं प्राप्त हो सकता l सन 1960 के दशक के दौरान हमारे पास भोजन की बहुत कमी थी तथा देश को भोजन की पूर्ति के लिए दूसरे देशों से भोजन को आयात करना पड़ता था lसन 1960 के दशक के दौरान वैज्ञानिकों ने कृषि के लिए चार इनपुट तैयार किए या 4 इनपुट का विकास किया और यह इनपुट है अधिक पैदावार करने वाली भोजन की फसलों का विकास ,सिंचाई की व्यवस्था तथा रासायनिक उर्वरक एवं रासायनिक कीटनाशक का विकास जिनकी वजह से फसलों का उत्पादन बड़ा और हम खाद्यान्न के लिए आत्मनिर्भर हो गए  l खेती के लिए विकसित यह इनपुट प्रारंभिक तौर पर आईपीएम के ही कंपोनेंट थे परंतु जब रसायनिक उर्वरकों तथा रसायनिक कीटनाशकों का दुरुपयोग किया गया तब उन के बहुत सारे दुष्परिणाम सामने आएl यह दुष्परिणाम सामूहिक स्वास्थ्य, पर्यावरण, पारिस्थितिक तंत्र ,जैव विविधता, प्रकृति व उसके संसाधन तथा समाज के ऊपर विपरीत प्रभाव डालने लगे l इन दुष्प्रभावों से बचने के लिए यह अति आवश्यक हो गया है कि हम खेती में रसायनों का इस्तेमाल कम करें अथवा ना करें तथा खेती को रसायन मुक्त बनाने के कोशिश की जाए l आईपी एम खेती को रसायन मुक्त बनाने के लिए प्रथम कदम है इस इसके बाद हम रसायन मुक्त खेती की ओर अग्रसारित हो सकते हैं तथा जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे सकते हैं  l आई पीएम के प्रयोग से देश में लगभग पहले की तुलना मैं लगभग रसायनिक कीटनाशकों के उपयोग मैं लगभग 50%  की कमी हुई है l यह कमी खेती में प्रयोग किए जाने वाले मात्रा की  कमी की वजह से तथा आईपीएम के द्वारा प्राप्त अनुभव के आधार पर भारत सरकार के द्वारा बनाई गई नीतियों तथा नियमों की वजह से भी प्राप्त हुई है l परंतु अभी हमारे देश की खेती को को पूर्ण रूप से रसायन मुक्त बनाने के लिए हमें काफी दूर जाना है और प्रयास करने हैं  l जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती इस और दूसरा कदम है जिसके लिए भारत सरकार ने वर्ष 2022 देश के बजट में प्रावधान किया है यह एक सराहनीय कार्य है lआज के अंतरराष्ट्रीय व्यापार की मांग है कि अंतरराष्ट्रीय मानक के आधार पर गुणवत्ता युक्त तथा कृषि उत्पादों में रसायनों के अवशेष निर्धारित किए गए मात्रा से अधिक ना हो या बिल्कुल ही अधिक ना हो तभी वह अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता को क्वालीफाई कर सकता है l आत: अंतररष्ट्रीय व्यापार हेतु कृषि उत्पादों के उत्पादन के लिए हमें आई पीएम तथा जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना पड़ेगा तभी हम देश को तथा अंतरराष्ट्रीय व्यापार के मांग को पूरा कर सकते हैं तथा अंतरराष्ट्रीय बाजार की मांग की प्रतिस्पर्धा मैं अपने आप को शामिल कर सकते हैं l देश की कृषि को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हमें तिलहनी फसलों का उत्पादन ,बागवानी फसलों का उत्पादन तथा इन फसलों के उत्पादन उत्पादों का प्रसंस्करण करना पड़ेगा इसके साथ साथ खेती के साथ-साथ खेती पर आधारित उद्योग धंधों तथा रोजगार ओं को भी बढ़ावा देना पड़ेगा  l इन सभी चीजों में आई पीएम का विशेष योगदान है l खेती का अथवा कृषि का अन्य क्षेत्रों में विविधीकरण करके भी कृषकों की आय को बढ़ाया जा सकता हैl प्रकार से देश की खेती को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है इसके लिए आईपीएम तथा  प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना चाहिए l
भारत सरकार के द्वारा चलाया जा रहा आईपीएम कृषक खेत पाठशाला कार्यक्रम मैं प्रत्येक खेत पाठशाला में लगभग 30 किसानों को एक विशेष फसल के लिए आईपीएम की फील्ड पर आधारित ट्रेनिंग या प्रशिक्षण दिया जाता है इन प्रशिक्षित कृषकों को पंजीकृत करके अंतररष्ट्रीय व्यापार हेतु निर्यात करने के लिए अंतरराष्ट्रीय व्यापार के मानकों के आधार पर गुणवत्ता युक्त कृषि उत्पादों को का उत्पादन आसानी से कराया जा सकता है और इससे भी विशेष फसल के उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा दिया जा सकता है l इस प्रकार से आईपी एम कृषि उत्पादों का निर्यात बढ़ाने में अपना विशेष योगदान दे सकता है और इस प्रकार से देश को कृषि उत्पाद के निर्यात हेतु आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है l
भारतीय कृषि को  आत्मनिर्भर तथा सुरक्षित बनाने के लिए सरकार को आईपीएम इनपुट तथा प्राकृतिक खेती के लिए आवश्यक इनपुट की उपलब्धता कृषकों के द्वार तक करनी पड़ेगी इसके लिए भारत सरकार को रसायनिक कीटनाशकों एवं उर्वरकों के समांतर में आईपी एम इनपुट तथा प्राकृतिक खेती इनपुट  के उत्पादन हेतु औद्योगिक इकाइयां बनानी पड़ेगी और यह कार्य व रीता पूर्वक किया जाना चाहिए तभी रसायन रहित खेती को बढ़ावा मिल सकेगा और भारतीय खेती तथा भारतीय किसान आत्मनिर्भर बन सकेगा l यद्यपि बहुत सारे आईटीएम इनपुट तथा प्राकृतिक खेती के इनपुट को बनाने की विधियों का सरलीकरण कर लिया गया है इसके लिए कृषकों को प्रशिक्षित भी करना पड़ेगा जिससे वे अपने उपयोग हेतु आई पीएम इनपुट्स का उत्पादन स्वयं कर सके l इसके लिए मैंने अपने सेवानिवृत्त होने के समय एक मैनुअल बनाया था जिसे सेवानिवृत्त के दिन तत्कालीन वनस्पति संरक्षण सलाहकार डॉक्टर एसएन सुशील जी के द्वारा रिलीज कराया गया था l इसमें विभिन्न प्रकार के आईपीएल इन पोस्टर बनाने का सरल तरीका बताया गया है जिससे कृषक अपने ग्रामीण स्तर पर इनका उत्पादन कर सकेंगे और उनका प्रयोग अपने खेती में कर सकेंगे l

Saturday, March 12, 2022

Awareness Programme for the implementation of IPM.

आई पीएम के क्रियान्वयन करने हेतु निम्न प्रकार के तथ्यों के बारे में सभी आईपी एम के भागीदारों के बीच में जागरूकता होनी चाहिए l
* आज पीएम की विचारधारा के संबंध में
--- खेती करने की अथवा वनस्पति संरक्षण करने की सभी विधियों को आवश्यकता अनुसार समेकित रूप से (जिसमें रसायनिक कीटनाशकों का उपयोग अंतिम विकल्प के रूप में किया जाता है) इस प्रकार से प्रयोग करना जिससे प्रकृति समाज तथा पारिस्थितिक तंत्र ओं को महफूज रखते हुए कम से कम खर्चे में फसल पर्यावरण में पाए जाने वाले सभी हानिकारक जीवो की संख्या आर्थिक हानि स्तर के नीचे सीमित रखते हुए खाने के योग सुरक्षित भोजन तथा व्यापार हेतु गुणवत्ता युक्त कृषि उत्पादों का उत्पादन हो सके आईपीएम कहलाता हैl यह आईपीएम क्रियान्वयन की विचारधारा है l उसके बारे में किसानों तथा आईपी एम के सभी भागीदारों के बीच में जागरूकता पैदा करना आईपीएम के क्रियान्वयन मैं सहूलियत प्रदान करता है l 
1 Create awareness among Farmers and state Extention Officers about the I'll effects of chemical Pesticides.
2.Let's  grow  or we have to grow safe, healthy ,Nutritious food  to eat and quality Agricultural commodities to trade. 
3.Grow food with minimum expenditure and least disturbance to community health, .Environment,ecosystem,biodiversity ,nature and society.
4.Conserve benefecial organisms found in agroecosystem. 
4 .Use chemical pesticides only as an emergency tool. 
5.Promote non chemical methods of pest management.
6.All the organisms found in agroecosystem are not harmful or are pests .Majority of them are useful.Lets conserve useful organisms in agroecosystem. 
7.Not all pests must be control.Lets control only those pests which do not give us time to control and can destroy the crops as quickly as possible.
8.Chemical pesticides are not only panacea for pest management .There are many other methods also to manage the pest population.
9.We have to tolerate the pest damage or loss due to pest up to the pest population below ETL.
10.Destruction of used empty containers of the chemical pesticides is an important issue for which an awareness must be created among the farmers  .
11An awareness of  a bove types of knowledge must also be created among the pesticides dealers.
12 Pesticides are more harmful than the pests .
13.Lets aware ,Educate,motivate and , Empower the farmers and other stakeholders of IPM to make them competent to grow healthy,safe,bumper nutritious food to eat and quality Agricultural commodities to trade. 

14.Lets change the mindsets of the farmers.
15.Change of propesticidal mindset of the farmers .
16. About safe and judicious use of chemical pesticides in Farming .
16.To stop indiscriminate and also calendar based application of chemical pesticides in Farming .Calendar based application of chemical pesticides is neither needed nor useful for crop production.
How to create awareness among IPM stakeholders :--
1 By way of organizing field oriented IPM trainings and demonstration such as IPM farmers field Schools, Season long IPM trainings, short duration training programmes, Participation and organizing of IPM Exihibition,Farmers fairs,Ksan gothis State level Conferences ,placement of hoardings at prominent places.

Monday, March 7, 2022

आईपीएम विचारधारा एवं परिभाषा भाग 2


1. आई पी एम फसल उत्पादन, फसल रक्षा, वनस्पति  संरक्षण, कृषि विपणन एवं फसल प्रबंधन की कोई विधि नहीं है बल्कि एक विचारधारा है जिसके अनुसार कम से कम खर्चे में ,कम से कम रसायनों का उपयोग करते हुए तथा  पर्यावरण , जैव विविधता, पारिस्थितिक तंत्र, प्रकृति व समाज को कम से कम बाधा पहुंचाते हुए फसल उत्पादन, फसल रक्षा,Pest Management, फसल विपणन एवं फसल प्रबंधन का सामूहिक रूप से अथवा समेकित रूप से संपूर्ण फसल प्रबंधन किया जाता है l
2 . आईपीएम बीज से लेकर बाजार तक के समस्त कृषि उत्पादन, कृषि रक्षा, कृषि विपणन एवं संपूर्ण फसल प्रबंधन प्रणाली का समुचित प्रबंधन है l
3  आईपीएम रसायनिक खेती को रसायन मुक्त खेती में योजनाबद्ध तरीके से  परिवर्तित करने का एक तरीका है l
4.. आईपी एम मैं रसायनों के रसायन मुक्त विकल्प को खोजना और उनको प्रमुखता से बढ़ावा देना आई पीएम का प्रमुख उद्देश्य है l
5.संतुलित खेती से ही समावेशी विकास की कल्पना की जा सकती है l आईपी एम जीवन समाज व प्रकृति के बीच में सामंजस्य स्थापित करता है l
6. आईपीएम वनस्पति संरक्षण का एक conditional तरीका है जो उपरोक्त शर्तों के साथ किया जाता है l
7.. रसायन मुक्त तथा पोषण युक्त भोजन एवं प्रदूषण मुक्त पर्यावरण आईपीएम की प्रमुख अपेक्षाएं हैं l
8.. पारंपरिक खेती को अथवा खेती की पारंपरिक पद्धतियों को पुनर्जीवित करना तथा खेती मैं बढ़ावा  देना की प्राकृतिक खेती और आई पीएम के प्रमुख उद्देश्य है l
9.. आईपी एम फसल पारिस्थितिक तंत्र में पाए जाने वाले दोनों प्रकार के अर्थात हानिकारक एवं लाभदायक दोनों प्रकार के जीवो की संख्या का एक निश्चित अनुपात में प्रबंधन करता है l अर्थात हानिकारक जीवो की संख्या आर्थिक हानि स्तर के नीचे तथा लाभदायक जीवो की संख्या के संरक्षण हेतु आवश्यक संख्या के अनुपात में प्रबंधन करना ही आईपीएम कहलाता है या आई पीएम का मुख्य उद्देश्य है l
10 . आई पीएम मैं खेती करने की अथवा वनस्पति संरक्षण करने की सभी विधियों को समेकित रूप से इस प्रकार से प्रयोग किया जाता है जिससे सामुदायिक स्वास्थ्य, पर्यावरण, à तंत्र ,जैव विविधता, प्रकृति एवं समाज को महफूज रखते हुए कम से कम खर्चे में फसल पारिस्थितिक तंत्र में पाए जाने वाले सभी प्रकार के हानिकारक जीवो की संख्या को आर्थिक हानि स्तर के नीचे इस प्रकार से सीमित रखते हुए जिससे स्वसन पारिस्थितिक तंत्र में पाए जाने वाले लाभदायक जीवो की संख्या का फसल पर्यावरण में संरक्षण भी हो सके तथा खाने के लिए सुरक्षित भोजन तथा व्यापार हेतु गुणवत्ता युक्त कृषि उत्पादों का उत्पादन किया जा सके आईपीएम कहलाता है। 10 , कृषकों के अनुसार कम से कम खर्चे में अधिक से अधिक फसल उत्पादों का उत्पादन तथा उनका अधिक से अधिक विक्रय मूल्य प्राप्त करना आईपीएम कहलाता है।

Friday, March 4, 2022

Availability of IPM and Natural Farming Inputs are the Central points for implementation of IPM and Natural Farmings.

Availability of IPM and natural Farming Inputs are the central points for the implementation of IPM and zero budget based Natural Farming and Govt must ensure their availability at the doorsteps of the farmers to facilitate the implementation of IPM and natural farming. For this Govt must establish their production units parellar with the production units of chemical pesticides to promote IPM and natural farming. 
 To reduce the consumption of chemical pesticides and fertilizers  in Agriculture is todays need of the hour.I had  been working or  worked before my retirement from Directorate of Plant protection, quarantine and Storage in Biological Control of crop pests and weeds,Pests Surveillance and monitoring and Strenthening and Mdernization if Pest Management approach in India with their main objectives to reduce the use of chemical pesticides in Agriculture though implementation of different activities of of these schemes and could get a great success in reduction of chemical pesticides in Agriculture in India and could be able to reduce nearly 50 % consumption of chemical pesticides in Agriculture fom 75000 Metric Tonnes during 1990-91to 39 000 Metric tonnes during 2005-2006 but still we have go more and more or long way to go to reduce their consumption to grow chemical pesticides free agricultural commodities.
Certain states like Sikkim have adopted Organic Farming by stopping the use of chemicals in Agriculture in their states and these states have emerged as Organic states.
 I said on different occasions that production of chemical pesticides free Agricultural commodities must be adopted as a priority agenda by the Government of India and now I am happy to  see that Natural farming and production of chemical pesticides free Agricultural commodities has been considered as a priority agenda of Govrnment  of India in the budget  for the year 2022-23 and an  action plan has been developed or prepared for its implementation for the year 2022-23 for which Natural Farming will be promoted along side of Ganga river up to 5 km during 2022 -23.
1. गंगा किनारे दोनों और पर 5 किलोमीटर के दायरे में मिशन मोड मैं प्राकृतिक खेती की जाएगी l
Certain state Govts like Haryana and UP are also marching ahead for the implementation of IPM and Natural farming for the year 2022-23. 
It is my  dream  to see India with chemical pesticides free Agriculture.Now Govt is considering this issue as a priority agenda .