Sunday, March 20, 2022

जलवायु तथा मौसम के अनियमित व्यवहार के फसलों पर पड़ने वाले विपरीत प्रभाव के बचाव हेतु समुचित विधियों को विकसित करें था उन्हें आईपीएम की सिफारिशों में शामिल करें

ग्लोबल वार्मिंग अथवा वैश्विक तापक्रम बढ़ोतरी अथवा अन्य किसी वजह से आजकल मौसम तथा जलवायु का अनियमित व्यवहार या एरेटिक बिहेवियर देखने को मिलता है जिसकी वजह से कई बार वे मौसमी बरसात ,बे मौसमी बाढ, बे मौसमी या प्रोलांग गर्मी अथवा सर्दी ,कई बार  बे मौसमी ओलो आदि का प्रकोप देखने को मिलता है जिससे फसलों पर भारी नुकसान होता है l इन विपरीत परिस्थितियों से बचने के लिए भी आई पी एम में उचित उचित विधियों को भी शामिल करना चाहिए l इसके अतिरिक्त कई बार सूखा भी एक समस्या के रूप में उभर कर आता है  l इसके लिए विशेष कंटिजेंट प्लान संपूर्ण फसल अवधि के दौरान तैयार रखना चाहिए जिससे ऐसी परिस्थिति का सामना किया जा सके l इसके लिए आवश्यक इनपुट्स हमेशा तैयार रखना चाहिए  l उपरोक्त समस्याएं कई बार फसल की मैच्योरिटी अथवा हार व स्टिंग या कटाई के ठीक पूर्व भी आती है और कई बार तो तैयार फसल नष्ट हो जाती है l ऐसी आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयार किए गए कंटिजेंट प्लान मैं पर्याप्त ट्रेंड मैन पावर, आई पी एम इन पोट्स, आवश्यक रासायनिक कीटनाशक, जरूरी मशीन, पी ओ एल, पर्याप्त बजट, गाड़ियां, मजदूर, कम्युनिकेशन इक्विपमेंट्स, डेस्कटॉप लैपटॉप एवं पंप टॉप कंप्यूटर, इंटरनेट सुविधा आदि का  रेडी टू यूज स्थिति में होना बहुत ही आवश्यक है l अधिक क्षेत्र को कवर करने के लिए हेलीकॉप्टर ड्रोन तथा हवाई छिड़काव वाले एयरक्राफ्ट सभी इक्विपमेंट सहित भी तैयार रखना चाहिए l कुछ हानिकारक जीवो को जैसे लोकस्ट या टिड्डियों , कटवार म, गंदी बग, आलू का झुलसा रोग जैसी कुछ हानिकारक जिओ तथा बीमारियों को प्राकृतिक आपदा मैं शामिल किया जाना चाहिए और इसके लिए प्राकृतिक आपदा मैनेजमेंट या प्रबंधन की तरह कदम उठा कर के ही उनको उनकी रोकथाम करने चाहिए l
   बाढ़ व सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए बाढ़ व सूखा प्रतिरोधी अथवा सहनशील फसलों की प्रजातियां विकसित की जानी चाहिए l तथा इनके लिए उठाए जाने वाले आवश्यक कदमों को तथा विधियों को आईपीएम पैकेज आफ प्रैक्टिसेज मैं शामिल किया जाना चाहिए l
 चूंकि प्रत्येक विभाग में स्टाफ की बहुत कमी है तथा बहुत सारी पोस्ट्स रिक्त पड़ी रहती है ऐसी हालात पर किसी आपातकालीन महामारी से निपटने के लिए कृषकों को प्रशिक्षित करना अनिवार्य हो जाता है l अतः हमें कृष को व मजदूरों को वनस्पति रक्षा से संबंधित आपातकाल स्थिति के निपटान हेतु पहले से की प्रशिक्षित करना चाहिए जिससे समय आने पर उनका प्रयोग किया जा सके l

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