दोस्तों जीवन को स्थायित्व प्रदान करने के लिए खेती का अथवा कृषि का बहुत बड़ा योगदान है l बिना खेती अथवा कृषि के हमारा जीवन स्थाई नहीं हो सकता l जीवन की तीन आवश्यक जरूरत है रोटी ,कपड़ा और मकान को कृषि के द्वारा ही पूरा किया जाता है l जीवो को जीवित रखने के लिए भोजन प्रथम आवश्यकता है और भोजन बिना खेती के नहीं प्राप्त हो सकता l सन 1960 के दशक के दौरान हमारे पास भोजन की बहुत कमी थी तथा देश को भोजन की पूर्ति के लिए दूसरे देशों से भोजन को आयात करना पड़ता था lसन 1960 के दशक के दौरान वैज्ञानिकों ने कृषि के लिए चार इनपुट तैयार किए या 4 इनपुट का विकास किया और यह इनपुट है अधिक पैदावार करने वाली भोजन की फसलों का विकास ,सिंचाई की व्यवस्था तथा रासायनिक उर्वरक एवं रासायनिक कीटनाशक का विकास जिनकी वजह से फसलों का उत्पादन बड़ा और हम खाद्यान्न के लिए आत्मनिर्भर हो गए l खेती के लिए विकसित यह इनपुट प्रारंभिक तौर पर आईपीएम के ही कंपोनेंट थे परंतु जब रसायनिक उर्वरकों तथा रसायनिक कीटनाशकों का दुरुपयोग किया गया तब उन के बहुत सारे दुष्परिणाम सामने आएl यह दुष्परिणाम सामूहिक स्वास्थ्य, पर्यावरण, पारिस्थितिक तंत्र ,जैव विविधता, प्रकृति व उसके संसाधन तथा समाज के ऊपर विपरीत प्रभाव डालने लगे l इन दुष्प्रभावों से बचने के लिए यह अति आवश्यक हो गया है कि हम खेती में रसायनों का इस्तेमाल कम करें अथवा ना करें तथा खेती को रसायन मुक्त बनाने के कोशिश की जाए l आईपी एम खेती को रसायन मुक्त बनाने के लिए प्रथम कदम है इस इसके बाद हम रसायन मुक्त खेती की ओर अग्रसारित हो सकते हैं तथा जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे सकते हैं l आई पीएम के प्रयोग से देश में लगभग पहले की तुलना मैं लगभग रसायनिक कीटनाशकों के उपयोग मैं लगभग 50% की कमी हुई है l यह कमी खेती में प्रयोग किए जाने वाले मात्रा की कमी की वजह से तथा आईपीएम के द्वारा प्राप्त अनुभव के आधार पर भारत सरकार के द्वारा बनाई गई नीतियों तथा नियमों की वजह से भी प्राप्त हुई है l परंतु अभी हमारे देश की खेती को को पूर्ण रूप से रसायन मुक्त बनाने के लिए हमें काफी दूर जाना है और प्रयास करने हैं l जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती इस और दूसरा कदम है जिसके लिए भारत सरकार ने वर्ष 2022 देश के बजट में प्रावधान किया है यह एक सराहनीय कार्य है lआज के अंतरराष्ट्रीय व्यापार की मांग है कि अंतरराष्ट्रीय मानक के आधार पर गुणवत्ता युक्त तथा कृषि उत्पादों में रसायनों के अवशेष निर्धारित किए गए मात्रा से अधिक ना हो या बिल्कुल ही अधिक ना हो तभी वह अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता को क्वालीफाई कर सकता है l आत: अंतररष्ट्रीय व्यापार हेतु कृषि उत्पादों के उत्पादन के लिए हमें आई पीएम तथा जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना पड़ेगा तभी हम देश को तथा अंतरराष्ट्रीय व्यापार के मांग को पूरा कर सकते हैं तथा अंतरराष्ट्रीय बाजार की मांग की प्रतिस्पर्धा मैं अपने आप को शामिल कर सकते हैं l देश की कृषि को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हमें तिलहनी फसलों का उत्पादन ,बागवानी फसलों का उत्पादन तथा इन फसलों के उत्पादन उत्पादों का प्रसंस्करण करना पड़ेगा इसके साथ साथ खेती के साथ-साथ खेती पर आधारित उद्योग धंधों तथा रोजगार ओं को भी बढ़ावा देना पड़ेगा l इन सभी चीजों में आई पीएम का विशेष योगदान है l खेती का अथवा कृषि का अन्य क्षेत्रों में विविधीकरण करके भी कृषकों की आय को बढ़ाया जा सकता हैl प्रकार से देश की खेती को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है इसके लिए आईपीएम तथा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना चाहिए l
भारत सरकार के द्वारा चलाया जा रहा आईपीएम कृषक खेत पाठशाला कार्यक्रम मैं प्रत्येक खेत पाठशाला में लगभग 30 किसानों को एक विशेष फसल के लिए आईपीएम की फील्ड पर आधारित ट्रेनिंग या प्रशिक्षण दिया जाता है इन प्रशिक्षित कृषकों को पंजीकृत करके अंतररष्ट्रीय व्यापार हेतु निर्यात करने के लिए अंतरराष्ट्रीय व्यापार के मानकों के आधार पर गुणवत्ता युक्त कृषि उत्पादों को का उत्पादन आसानी से कराया जा सकता है और इससे भी विशेष फसल के उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा दिया जा सकता है l इस प्रकार से आईपी एम कृषि उत्पादों का निर्यात बढ़ाने में अपना विशेष योगदान दे सकता है और इस प्रकार से देश को कृषि उत्पाद के निर्यात हेतु आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है l
भारतीय कृषि को आत्मनिर्भर तथा सुरक्षित बनाने के लिए सरकार को आईपीएम इनपुट तथा प्राकृतिक खेती के लिए आवश्यक इनपुट की उपलब्धता कृषकों के द्वार तक करनी पड़ेगी इसके लिए भारत सरकार को रसायनिक कीटनाशकों एवं उर्वरकों के समांतर में आईपी एम इनपुट तथा प्राकृतिक खेती इनपुट के उत्पादन हेतु औद्योगिक इकाइयां बनानी पड़ेगी और यह कार्य व रीता पूर्वक किया जाना चाहिए तभी रसायन रहित खेती को बढ़ावा मिल सकेगा और भारतीय खेती तथा भारतीय किसान आत्मनिर्भर बन सकेगा l यद्यपि बहुत सारे आईटीएम इनपुट तथा प्राकृतिक खेती के इनपुट को बनाने की विधियों का सरलीकरण कर लिया गया है इसके लिए कृषकों को प्रशिक्षित भी करना पड़ेगा जिससे वे अपने उपयोग हेतु आई पीएम इनपुट्स का उत्पादन स्वयं कर सके l इसके लिए मैंने अपने सेवानिवृत्त होने के समय एक मैनुअल बनाया था जिसे सेवानिवृत्त के दिन तत्कालीन वनस्पति संरक्षण सलाहकार डॉक्टर एसएन सुशील जी के द्वारा रिलीज कराया गया था l इसमें विभिन्न प्रकार के आईपीएल इन पोस्टर बनाने का सरल तरीका बताया गया है जिससे कृषक अपने ग्रामीण स्तर पर इनका उत्पादन कर सकेंगे और उनका प्रयोग अपने खेती में कर सकेंगे l
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