Friday, March 25, 2022

फसलों की कटाई एवं फसलों के फलों की तू ड़ाई, कपास के रुई के दोनों की बिनाई के बाद की जाने वाली हानिकारक प्रैक्टिसेज या पद्धतियों को अवॉइड करें या टा लना l

अक्सर अगर देखा गया है कि कुछ किसान भाई फसलों की कटाई के बाद या सब्जियों अथवा फलों की फसलों के फलों की तू ड़ाई के बाद या कपास जैसी फसलों के रुई के डोडो की बिनाई के बाद निम्नलिखित प्रकार की हानिकारक प्रैक्टिसेज को अपनाते हैं या कीटनाशकों का अंधाधुंध प्रयोग करते हैं कई बार किसान भाई फसलों के उत्पादों को को बाजार में पहुंचने के बाद भी उनके ऊपर अंधाधुन कीटनाशकों का छिड़काव करते हैं या उनको उन को हरा बनाए रखने के लिए कई प्रकार के रसायनों या रंगों का प्रयोग करते हैं जो सामुदायिक स्वास्थ्य पर्यावरण इको सिस्टम आदि के लिए हानिकारक होता है इससे बचने के लिए कृषकों में जागरूकता पैदा करनी चाहिए कि वह समाज व पर्यावरण हित को ध्यान में रखते हुए इस प्रकार से कीटनाशकों का अंधाधुंध प्रयोग ना करें और इस प्रकार का जागरूकता कार्यक्रम किसानों के बीच चलाना चाहिए l
  कई बार यह देखा गया है की फसल की कटाई के बाद बचे हुए फसलों के अवशेषों को किसान भाई आग जलाकर नष्ट करते हैं जिससे फसल अवशेषों के बीच पनप रहे या पाए जा रहे लाभदायक जीव तथा दूसरे प्रकार की जैव विविधता  नष्ट हो जाते हैं जबकि फसलों में इनका संरक्षण होना बहुत ही जरूरी होता है l इसके अतिरिक्त फसलों के अवशेष को जलाने से उत्पन्न हुए स्मोक से पर्यावरण प्रदूषित होता है तथा समाज में कई प्रकार की श्वसन संबंधी बीमारियां होती है इससे बचने के लिए भी कृषकों को जागरूक करना चाहिए और फसल के अवशेषों को जलने से बचाना चाहिए तथा इन अवशेषों को खेतों में ही सड़ा कर खाद बनाने के लिए किसको को प्रेरित करना चाहिए l
  अक्सर यह देखा गया है की   कपास जैसी फसलों रूई के डोडो की बुनाई के बाद किसान भाई कपास के फसल के अवशेषों को गांव के किनारे अथवा खेतों के पास ही एकत्रित कर देते हैं जिससे अगली फसल में पिंक बॉल वार्म जैसे कपास के कीड़ों का प्रकोप होने की संभावना रहती है अतः इससे बचने के लिए किसान भाइयों को कपास बोने से पहले ही कपास के अवशेषों को नष्ट कर देना चाहिए l

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