Friday, October 6, 2023

प्राकृतिक खेती की विचारधारा भाग 3

प्राकृतिक खेती निम्नलिखित सिद्धांतों एवं विचारधारा पर आधारित होती है।
1. जब तक प्रकृति समृद्ध साली नहीं होगी
      तब तक किसान समृद्धि साली नहीं होगा
2,. प्रकृति के वैभव अथवा पोटेंशियल को सुधार कर ही।               किसने की आमदनी बढ़ाई जा सकती है।
 3 जमीन की उर्वरा शक्ति को बढ़ाकर, बायोडायवर्सिटी को संरक्षित करके, 


 पर पेड़ लगाकर, जमीन के वैभव अथवा पोटेंशियल को सुधार कर, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को निष्क्रिय करने वाली व्धिओं अथवा तरीकों को अपनाकर, जमीन की उर्वरा शक्ति के हिसाब से खेती कर करके अथवा फसलों को बोकर फसलों तथा पशुओं के अवशेषों को खेतों डिकंपोज करके, भूगर्भ जल स्तर को बढ़ाने वाले प्रयास एवं प्रयत्न करके, गांव तथा खेतों के आसपास तलाब बनकर पानी को संरक्षित  करके, देशवा गांव में लगभग 25 प्रतिशत क्षेत्रफल को जंगलों में परिवर्तित करके, आप जिसमें पशु भी शामिल हो की जरूरत के हिसाब से फसलों का नियोजन करके फसलों को बोकर, परंपरागत, देसी बीजों , तथा हाइब्रिड बीज से कॉलेज सकते हुए  फसलों के बीजों का संरक्षण करके प्राकृतिक खेती को सुगमता एवं सरलता से किया जा सकता है।

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