2. हमारे चारों तरफ जो भी वस्तुएं पाई जाती है वह कुछ गतिविधियों तथा तंत्रों के द्वारा एक दूसरे पर आधारित एवं जुड़ी रहती है जिसको हम पारिस्थितिक तंत्र या इकोसिस्टम कहते हैं और इसके अध्ययन को इकोलॉजी कहते हैं।
3. इकोलॉजी से ही हमारा जीवन संचालित होता है।इकोलॉजी से इकोनामी और इकोनॉमी से सोशियोलॉजी तथा जीवन की सुगमता विकसित होती है जिससे जीवन का विकास होता है।
4. मजबूत इकोलॉजी से मजबूत इकोनामी का विकास होता है। जिससे जीवन का भी विकास होता है।
5. आईपीएम तथा प्राकृतिक खेती दोनों ही खेती करने के जैव पारिस्थितिक तरीके हैं। फसल पारिस्थितिक तंत्र को क्षतिग्रस्त होने से बचकर ही प्राकृतिक खेती एवं आईपीएम का क्रियान्वयन किया जा सकता है। खेती में रसायनों के उपयोग को बंद करके फसल पारिस्थितिक तंत्र को खेती करने अथवा फसल उत्पादन, फसल रक्षा तथा फसल प्रबंधन के अनुकूल बनाया जा सकता है इससे फसल पारिस्थितिक तंत्र मे जैव विविधता का संरक्षण और क्षतिग्रस्त हुए पारिस्थितिक तंत्र का पुनर्स्थापना किया जा सकता है। आता है इकोलॉजी का कृषि उत्पादन एवं फसल रक्षा में अपना महत्वपूर्ण योगदान होता है अतः इकोलॉजी ही इकोनामी तथा जीवन को संचालित करती है।
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