जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती का मतलब होता है वह खेती जिसमें भरपूर फसल हो और जेब से एक कौड़ी भी ना खर्च हो साथ ही जमीन की सेहत भी अच्छी बनी रहे पानी कम लगे वगैरा-वगैरा l
प्राकृतिक खेती में जमीन की उर्वरता बढ़ाने के लिए लगभग 3 साल तक एक ही जमीन में प्रयास एवं प्रयत्न करना पड़ता है तब वह अपने भरपूर ताकत दिखाती हैं l इन 3 सालों तक खाद्य सुरक्षा डामाडोल रहती है और सुनिश्चित नहीं हो पाती l खाद्य सुरक्षा की कोई गारंटी सुनिश्चित रूप से नहीं दी जा सकती l
यह खेती देसी गाय व उसके गोवर तथा मल मूत्र से बने हुए जीवामृत घन जीवामृत तथा वनस्पतियों पर बने हुए कीटनाशक एवं फफूंदी नाशक आदि इनपुट्स तथा फसलों के अवशेषों को आच्छादन के रूप में प्रयोग करना तथा प्रकृति और फसल पर्यावरण में पाए जाने वाले लाभदायक जीवो तथा संसाधनों से बने हुए इनपुट के प्रयोग करने पर आधारित है l एक देसी गाय से लगभग 30 एकड़ खेती को कवर किया जा सकता है l इस प्रकार से खेती बिल्कुल नहीं जैविक इनपुट्स पर आधारित है जो फसल पारिस्थितिक तंत्र को संरक्षण करने में मददगार होते हैं l खेती के क्रियान्वयन हेतु किस देश से जुड़े हुए प्राचीन ज्ञान को न केवल सीखने की आवश्यकता है परंतु उसको आधुनिक वैज्ञानिक की पद्धति के अनुसार तराशने की भी आवश्यकता है जिससे वर्तमान की खेती की चुनौतियों को दूर किया जा सके और वर्तमान वर्तमान खेती को वैज्ञानिक पद्धति के अनुसार डाला जा सके l इसके अलावा जमीन में पाया जाने वाला देसी केंचुआ वे जमीन को वर्मी कंपोस्ट उपलब्ध कराता है तथा इसके साथ साथ वह पानी का संरक्षण भी करता है l
जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती मैं मुख्य फसल के साथ बॉर्डर क्राफ्ट एवं इंटर क्रॉप्स जैसी फसलें भी उगाए जाते हैं l इस तरीके की खेती में मुख्य फसल का लागत मूल्य अंतर फसलों के उत्पादन से निकाल लेते हैं और मुख्य फसल तो शुद्ध मुनाफे के लिए पैदा की जाती है l
प्राकृतिक खेती आई पी एम के सिद्धांतों पर आधारित खेती करने का तरीका है जिसमें कम से कम लागत में अधिक उत्पादन किया जाता है तथा रसायनों का उपयोग नहीं किया जाता परंतु यह आई पीएम से एक प्रकार से भिन्न है की आई पी एम में सिर्फ आपातकालीन स्थिति के निपटान हेतु रसायनिक कीटनाशकों का उपयोग किया जा सकता है और किस प्रकार से आई पी एम में खाद्य सुरक्षा को भी सुनिश्चित किया जा सकता है l
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