Thursday, December 23, 2021

आई पी एम एक अन्य परिभाषा एवं कुछ अन्य अनुभव

आई पी एम प्रकृति ,समाज व जीवन से जुड़ी हुई एक विचारधारा है इसमें सभी प्रकार के फसल उत्पादन ,फसल रक्षा एवं फसल प्रबंधन के तरीकों या मॉडल्स में से उपयुक्त एवं आवश्यक विधियों का आवश्यकतानसार चयन करके उनको समेकित एवं सुरक्षित तरीके से इस प्रकार से प्रयोग करना जिससे प्रकृति, समाज ,पारिस्थितिक तंत्र को महफूज या सुरक्षित रखते हुए कम से कम खर्चे में फसल पर्यावरण में पाए जाने वाले सभी हानिकारक जीवो की संख्या को आर्थिक हानि स्तर के नीचे सीमित रखते हुए खाने के योग्य सुरक्षित तथा व्यापार हेतु गुणवत्ता युक्त कृषि उत्पादों का उत्पादन हो सके आईपीएम कहलाता है  l जिसमें रसायन रहित विधियों को बढ़ावा दिया जाता है एवं रसायनों का प्रयोग सिर्फ आपातकालीन स्थिति के निपटान हेतु ही किया जाता है l
   आईपीएम क्रियान्वयन के 38 वर्ष के सरकारी सेवा काल तथा 6 वर्ष के सोशल मीडिया के अपने  कुल 44 साल के अनुभव के आधार पर मैंने यह निष्कर्ष निकाला एक किसान स्वयं कोई आईपीएम इनपुट बनाने में कोई इंटरेस्ट रुचि नहीं लेता है बल्कि वह रेडी टू यूज आईपीएम इनपुट को वह ठीक उसी प्रकार से प्रयोग कर सकता है जिस प्रकार से वह रसायनिक खादों तथा रसायनिक कीटनाशकों का प्रयोग करता है अर्थात अगर सरकार आईपीएम इनपुट का औद्योगिकीकरण करके बनाकर के किसानों के द्वार पर उपलब्ध करा सके तो किसान भाई आसानी से उनका उपयोग कर सकते हैं l उसी प्रकार से जीरो बजट फार्मिंग तथा अन्य फार्मिंग सिस्टम में प्रयोग किए जाने वाले इनपुट का उत्पादन करना एक प्रश्नवाचक चिन्ह साबित हो सकता है l यद्यपि किसी काम को करने की अगर ठान लिया जाए तो कोई भी काम मुश्किल नहीं है और सभी प्रकार के इनपुट का उत्पादन संभव है तथा घर पर किया जा सकता है कुछ उन  inputs को छोड़ कर के जो बहुत ही साइंटिफिक या वैज्ञानिक तरीके से उत्पादित किए  जाते हैं l
    किसानों के बीच में मैं स्वयं जागरूकता होनी चाहिए कि उनको समाज के लिए स्वास्थ्य के हिसाब से सुरक्षित खाद्य पदार्थों का उत्पादन करना चाहिए तथा जहरीले कृषि पद्धति को बदलना चाहिए l उन्हें यह स्वयं समझना चाहिए की समाज को खाने हेतु सुरक्षित कृषि उत्पादों का उत्पादन करना उनकी नैतिक जिम्मेदारी है तथा खेती मैं जहरीले रसायनों का उपयोग बंद कर देना चाहिए तभी भावी पीढ़ियों को बीमारियों से सुरक्षा प्रदान की जा सकती है और एक स्वस्थ समाज का निर्माण हो सकता है l
    स्वयं की जागरूकता सतर्कता तथा एक अच्छे नागरिक होने का फर्ज निभाने की मंशा से किसी भी महामारी या महामारी जैसी समस्याओं से छुटकारा आसानी से पाया जा सकता है l
 किसी भी महामारी से छुटकारा प्राप्त करने के लिए सरकार का समर्थन एवं योगदान अति आवश्यक है जिसके बिना किसी भी विचारधारा या कंसेप्ट का सही प्रकार से क्रियान्वयन नहीं किया जा सकता l
जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती तथा आईपीएम पद्धति से की गई खेती से कृषि में रसायनों के उपयोग को संपूर्ण रूप से खत्म किया जा सकता है और एक स्वस्थ एवं समृद्धि साली समाज तथा मानव हितेषी पर्यावरण का निर्माण किया जा सकता है l
 अभी तक यह अनुभव किया गया की फसल उत्पादन एवं फसल रक्षा की जितनी भी  भी विचार धाराएं या कंसेप्ट वैज्ञानिकों के द्वारा विकसित किए गए उनको किसानों ने भली प्रकार से क्रियान्वित किया और सही नतीजे प्राप्त किए जिसके फलस्वरूप देश खाद्यान्न में आत्मनिर्भर हुआ l अगर कुछ दुष्परिणाम सामने आए हैं तो वह दुष्परिणाम तकनीको को सही प्रकार से प्रयोग ना करने से प्राप्त हुए हैं जैसे रसायनों का अंधाधुंध प्रयोग करने से स्वास्थ्य पर्यावरण प्रकृति व समाज संबंधी विभिन्न प्रकार के दुष्परिणाम सामने आए हैं l अतः किसी भी विचारधारा या प्रौद्योगिकी को सही तरीके से प्रयोग करने से ही सही नतीजे प्राप्त किए जा सकते हैं l 

1 comment:

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