Thursday, October 26, 2023

आज की किसानी एक उन्नतशील किसानी To days Farming is an innovative Farming.

आज की किसी अब वह परंपरागत किसानी  नहीं रही । अब यह खेती सिर्फ खेती तक ही सीमित नहीं रह गई है l और किसान सिर्फ  वह नहीं है जो फसलों को उगता है बल्कि आज का किसान खेती से जुड़े हुए अन्य व्यापारिक धंधे जैसे मुर्गी पालन, मधुमक्खी पालन, बकरी पालन, मछली पालन,दुग्ध उद्योग, सूअरपालन, रेशम और लाख की खेती, अगरबत्ती ,बीड़ी तथा पत्तल उद्योग आदि से जुड़े हुए विभिन्न उद्योग धंधा की तरफ रुख कर गई है या फैल गई है। कॉरोना के समय बकरी का दूध बहुत ही कीमत पर बिक गया था। अब यह उपरोक्त सारे धंधे किसानी में जुड़ गए हैं । इसके अतिरिक्त किसान फूलों की खेती तथा बीज उत्पादन मैं भी लग गए हैं। गोवंश के उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए गोवंश संरक्षण भी अपना एक महत्व रखने लगा है। गोवंश के मूत्र से लेकर गोबर तक की उपयोगिता बढ़ चुकी है। मध्य प्रदेश जैसे राज्य में cow कैबिनेट भी गठित हो चुकी है । किसान और समाज दोनों स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो चुका है। खेती में अब परंपरागत प्रणाली को भी एक पूरक प्रणाली के रूप में मान्यता मिलती जा रही है और उसका महत्व बढ़ता जा रहा है। प्राकृतिक खेती की ओर सरकार एवं किसानों का रुझान बढ़ता जा रहा है।

Friday, October 20, 2023

इकोलॉजी और इकोनॉमी

1.प्रकृति और समाज दोनों ही मिलकर इकोलॉजी का निर्माण करते हैं।
2. हमारे चारों तरफ जो भी वस्तुएं पाई जाती है वह कुछ गतिविधियों तथा तंत्रों के द्वारा एक दूसरे पर आधारित एवं जुड़ी रहती है जिसको हम पारिस्थितिक तंत्र या इकोसिस्टम कहते हैं और इसके अध्ययन को इकोलॉजी कहते हैं।
3. इकोलॉजी से ही हमारा जीवन संचालित होता है।इकोलॉजी से इकोनामी और इकोनॉमी से सोशियोलॉजी तथा जीवन की सुगमता विकसित होती है जिससे जीवन का विकास होता है।
4. मजबूत इकोलॉजी से मजबूत इकोनामी का विकास होता है। जिससे जीवन का भी विकास होता है।
5. आईपीएम तथा प्राकृतिक खेती दोनों ही खेती करने के जैव पारिस्थितिक तरीके हैं। फसल पारिस्थितिक तंत्र को क्षतिग्रस्त होने से बचकर ही प्राकृतिक खेती एवं आईपीएम का क्रियान्वयन किया जा सकता है। खेती में रसायनों के उपयोग को बंद करके फसल पारिस्थितिक तंत्र को खेती करने अथवा फसल उत्पादन, फसल रक्षा तथा फसल प्रबंधन के अनुकूल बनाया जा सकता है इससे फसल पारिस्थितिक तंत्र मे जैव विविधता का संरक्षण और क्षतिग्रस्त हुए पारिस्थितिक तंत्र का पुनर्स्थापना किया जा सकता है। आता है इकोलॉजी का कृषि उत्पादन एवं फसल रक्षा में अपना महत्वपूर्ण योगदान होता है अतः इकोलॉजी ही इकोनामी तथा जीवन को संचालित करती है।

Monday, October 16, 2023

IPM की परिभाषा

आई पी एम विज्ञान के साथ दर्शन ,आध्यात्मिक ,आर्थिक, इकोलॉजी, इकोलॉजिकल इंजीनियरिंग, सामाजिक ,प्राकृतिक, पर्यावरणी, विधाई, व्यापारिक एवं जीवन के विभिन्न क्षेत्रों तथा मुद्दों एवं विचारधाराओं के अनुसार खेती करने की अथवा फसल उत्पादन,फसल रक्षा, फसल प्रबंधन  एवं फसल विपणन की बीज से लेकर फसल उत्पादों के अंतिम प्रयोग तक की एक समेकित विचारधारा है जिसमें कम से कम खर्चे में रसायन ऑन का कम से कम अथवा शून्य उपयोग करते हुए तथा सामुदायिक स्वास्थ्य, पर्यावरण, पारिस्थितिक तंत्र ,जैव विविधता ,जीवन, प्रकृति एवं समाज को कम से कम बाधित करते हुए नाशिजीव प्रबंधन की सभी vidhiyonको समेकित रूप से प्रयोग करते हुए( जिसमें रसायनों का उपयोग सिर्फ आपातकालीन स्थिति के निपटान हेतु किया जाता है) फसल पारिस्थितिक तंत्र में पाए जाने वाले हानिकारक जीवों की संख्या को आर्थिक हानि स्टार के नीचे सीमित रखते हुए खाने के लिए सुरक्षित तथा व्यापार हेतु गुणवत्ता युक्त कृषि उत्पादों का उत्पादन किया जाता है और सुरक्षित भोजन के साथ-साथ खाद्य सुरक्षा तथा प्रकृति और समाज के बीच सामंजस्य,, फसलों मेंजैव विविधता का संरक्षण, तथा सामाजिक ,प्राकृतिक तथापर्यावरण संबंधी विकास के साथ-साथ जीडीपी पर आधारित आर्थिक विकास को सुनिश्चित किया जाता है।
2.To get rid of from pest problems with minimum expenditure and least disturbance to the community health, environment, ecosystem, biodiversity ,life, nature and society is called as IPM.
सामुदायिक स्वास्थ्य, पर्यावरण ,पारिस्थितिक तंत्र, जैव विविधता, जीवन, प्रकृति और समाज को कम से काम बाधित करते हुए कम से कम खर्चे में हानिकारक जीवों की समस्याओं से छुटकारा प्राप्त करना आईपीएम कहलाता है जिसमें हानिकारक जीवों के प्रबंधन की सभी विधियां जिसमें रासायनिक विधि को सिर्फ कालीन स्थिति के निपटान हेतु प्रयोग किया जाता है तथा अन्य विधियों को समेकित रूप से प्रयोग करके फसल पारिस्थितिक तंत्र में हानिकारक जीवो की संख्या को आर्थिक हानि स्तर के नीचे सीमित रखा जाता है।
3.Integrated Pest Management (IPM)is an integrated or combined or super concept of farming including crop production, protection, management, marketing,and trade from seed to end use of agricultural commodities or produce with due care of nature and society.
4.IPM is not confined only up to plant protection but it is a  concept of complete crop management including crop production protection , marketing and trade etc.
5. आई पी एम सिर्फ फसल सुरक्षा अथवा वनस्पति संरक्षण तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह संपूर्ण फसल उत्पादन पद्धति प्रबंधन की एक विचारधारा है ।
6. आईपीएम प्रकृति और समाज का ध्यान रखते हुए बीज से लेकर फसलों के उत्पादों के अंतिम प्रयोग तक की फसल उत्पादन, फसल रक्षा ,फसल प्रबंधन ,फसल विपणन, व्यापार आदि गतिविधियों एवं विचारधाराओं को शामिल करते हुए खेती करने की एक समेकित ,बेहतर अथवा उच्च स्तरीय विचारधारा अथवा पद्धति है जिसमें कम से कम खर्च में तथा रसायनों का कम से कम अथवा प्रयोग ना करते हुए प्रकृति  और समाज को कम से काम बाधित करते हुए फसल उत्पादन, फसल रक्षा की सभी विधियों को आवश्यकता अनुसार समेकित रूप से प्रयोग करते हुए फसल पारिस्थितिक तंत्र में हानिकारक जीवों की संख्या को आर्थिक हानि स्तर  के नीचे सीमित रखते हुए खाने के लिए सुरक्षित तथा व्यापार हेतु गुणवत्ता युक्त कृषि उत्पादों का उत्पादन किया जाता है तथा सुरक्षित भोजन के साथ खाद्य सुरक्षा तथा समाज व प्रकृति के बीच सामंजस सुनिश्चित किया जाता है ।

Saturday, October 14, 2023

Agroecosystem Analysis(AESA) based IPM

What is  Agroecosystem Analysis (AESA):-

Regular periodical analysis of both biotic and abiotic factors and their interactions along with the effects of  in build capacity of plants on the plant health and population of pests and their natural enemies , diseases,weeds intensity at particular or regular intervals over a desired period of time or in entire crop season  to take descion about the interventions to be adopted in that particular field is called as Agroecosystem Analysis ( AESA). It is a type pest surveillance and monitoring activity to note the pattern of build up of pests ,diseases and weeds and their natural enemies for adoption of suitable  management strategies to be adopted in next week. It is a kind of descision making process.
Steps to be adopted for AESA:-
1. To note the observations on population of pests,their natural enemies,diseases ,weeds intensity and population of neutrals found in a crop field along with the data on abiotic  factors like rain fall, temperature,moisture,RH and PH etc
2. Preparation of AESA chart at regular intervals.
3.Presemtation and discussion on AESA chart among farmers.
4.. Descion making based on discussion and observations taken as described above.
5.AESA is the one of the activities of crop pest surveillance and monitoring.

Conservation of biodiversity or biocontrol agents in Agroecosystem.

Difinition of Conservation of biocontrol agents or bio-diversity:-
1.Removal of those agricultural or cultural practices which are harmful to the beneficials found in Agroecosystem.
2.Enforcement of Laws for the protection and build up of beneficial organisms found in Agroecosystem.
3. To make Agroecosystem or environment better suited or congenial for the survival and multiplication of bio control agents or beneficial organisms found in Agroecosystem or Ecosystem is called as Conservation of biocontrol agents.

Availablity of Food,and Shelter in adverse conditions re the basic need of Conservation of biocontrol agents.

Ways and means for Conservation of biodiversity or biocontrol agents in Agroecosystem.
1.Removal or avoiding of those agricultural practices which are harmful to biocontrol agents or bio-diversity of an agroecosystem such as blanket or indiscriminate spraying of chemical pesticides ,trash burning of crop residues, indiscriminate use of chemical fertilizers such as Urea,deep ploughing etc
2.Adopt Ecological Engineering through intercropping,mixed cropping and border cropping.Growing of trap crops.
3.Avoid indiscriminate use of chemical pesticides and fertilizers.
 4.Augmentation of biocontrol agents from the areas of abundance to the areas of scarcity of biocontro agents.
5. Operate a strict crop Pest Surveillance and Monitoring and Agroecosystem Analysis (AESA) programme  for descision making for the interventions to be adopted in the field.
6.Use/Instalation of  conservation cages or bird pecher.
7.Maintain Sancturies  or reserve places for biocontrol agents under net or controlled conditions .
8.Conduct special  Surveys of biocontrol agents and collect biocontrol agents for lab rearing and their mass release in the field again.
9. Wide publicity though electronic and print media.
10.Mulching of crop residue in the field for conservation of spiders.
11.Promote biopesticides inplace of chemical pesticides and inputs of Natural farming.
12..Growing crops that provide pollen to biocontrol agents.
13.Farmers education about identification of biocontrol agents.



Thursday, October 12, 2023

Different Aspects of Ecological Engineering

Ecological engineering
    To make Agroecosystem better suited for the  build up and survival of  existing beneficial fauna through manipulation of biotic and abiotic factors of ecosystem is called as ecological engineering .
To make Agroecosystem suitable for better survival of biocontrol agents / beneficial fauna. 
Growing of flowering plants or crops for providing nector from pollen grains as a food  for adults of biocontrol agents or other beneficial organisms found in Agroecosystem ,growing of alternate crops for crop pests when the main crop is not available for providing shelters for overwintering population of pests and their biocontrol agents is done for the survival of beneficial fauna found in Agroecosystem.
Ecological engineering for pest management __
A.Above ground :-Intercropping,border cropping,mixed cropping of flowering plants is undertaken.Pests atrracting crops or trap crops   are also grown  to attract different pests .
B.Below ground :-Crop rotation,with leguminous crops,mulching with crop residue ,reducing tillage, application of biofertilizers,Mycorrhiza,andplant growth promoting Rhizobium,applyTrichoderma and Pseudomonas flurescence as seed or nursery treatment and soil application. Application different types of IPM and Natural farming inputs are used.




Different aspects of Natural Farming

1.To promote potential of soils and enhance their fertility .
       To enhance the population of micro organisms, quantity of micro elements ,Humus content ,soil moisture and organic carbon in the soil.

2. To upgrade and maintain the ground water level in the soil.
3.To promote methods for conservation of rain water through construction of ponds in villages and near the crop fields.
4.To conserve biodiversity in the Agroecosystem.
5.To enhance forest area in the villages and plant the trees on the bunds of the fields.
6. Management and Selection  of crops as per the needs of the soil,family,country,market,trades,and climate.
7.To conserve and preserve the varieties of  traditional crops and their seeds.as well as deshi animals like cows and goats etc.
8.To ensure availability of IPM and Natural Farming inputs at the door steps of the farmers in sufficient quantity.and of good quality.
9.Mulching of crop  residue and animal wastes in the fields.
10.To adopt multi cropping system instead of monocropping  system and  to promote  profitable cropping system.

Wednesday, October 11, 2023

Theme of Integrated Pest Management (IPM)

To  get rid of from pest problems with minimum expenditure, minimum use of chemicals both fertilizers and pesticides with least disturbence to the community health , environment, ecosystem, biodiversity, nature,life and society to ensure and sustain food security along with food safety,activeness of Agroecosystem ,production of quality agricultural commodities or produce to trade and harmony with nature and society .

Ecological aspects/concept of Integrated Pest Management (IPM)

Integrated Pest Management (IPM) is an ecological manipulation of Agroecosystem through different types of cultural, machanical,biological, ecological engineering even by using chemical methods only in pest emergency situation for suppressing the pest population below ETL in an agroecosystem in compatible manner or in integrated manners withi minimum expenditure and least disturbance of community health, environment, ecosystem, biodiversity, nature,life and society.
कम से कम खर्चे में तथा सामुदायिक स्वास्थ्य, पर्यावरण, फसल पारिस्थितिक तंत्र, जैव विविधता, जीवन, प्रकृति एवं समाज को कम से काम बाधित करते हुए वनस्पति संरक्षण एवं नाशी जीवों के प्रबंधन की कर्षण,यांत्रिक,जैविक, इकोलॉजिकल इंजीनियरिंग, यहां तक की की नासि जीवों कि आपातकाल पारिस्थिति के निपटान हेतु प्रयोग किए जाने वाली रासायनिक नियंत्रण विधियों को समेकित रूप प्रयोग करते हुए फसल पारिस्थितिक तंत्र में न।शीजिवों की संख्या को आर्थिक हनिस्टर के  नीचे सीमित रखने हेतु फसल पारिस्थितिक मैं आवश्यक बदलाव करने को अथवा हस्त कौशल को ही एकीकृत नासिजीव प्रबंधन कहते हैं।

                                              RAM ASRE
                        Additional plant Protection.                                          Adviser (IPM)Retd.


                                              
                             

               Ecological Engineering
1 Designig  of Agro Ecosystem for mutual benefits of humanbeing and nature .
फसल पारिस्थितिक तंत्र को प्रकृति एवं मानव के परस्पर लाभ हेतु  डिजाइन की जाने वाली प्रक्रिया को ही इकोलॉजिकल इंजीनियरिंग कहते हैं।
2,Creation of a community of plants, animals,microbes ,technologies,and components so that they provide beneficial services to each other's.
3,Design, construction,and management of ecosystem that have value to both human and environment.
4,Design of sustainable ecosystem that  integrate humam society, with natural environment for the benefit of both.
                                            



Friday, October 6, 2023

प्राकृतिक खेती की विचारधारा भाग 3

प्राकृतिक खेती निम्नलिखित सिद्धांतों एवं विचारधारा पर आधारित होती है।
1. जब तक प्रकृति समृद्ध साली नहीं होगी
      तब तक किसान समृद्धि साली नहीं होगा
2,. प्रकृति के वैभव अथवा पोटेंशियल को सुधार कर ही।               किसने की आमदनी बढ़ाई जा सकती है।
 3 जमीन की उर्वरा शक्ति को बढ़ाकर, बायोडायवर्सिटी को संरक्षित करके, 


 पर पेड़ लगाकर, जमीन के वैभव अथवा पोटेंशियल को सुधार कर, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को निष्क्रिय करने वाली व्धिओं अथवा तरीकों को अपनाकर, जमीन की उर्वरा शक्ति के हिसाब से खेती कर करके अथवा फसलों को बोकर फसलों तथा पशुओं के अवशेषों को खेतों डिकंपोज करके, भूगर्भ जल स्तर को बढ़ाने वाले प्रयास एवं प्रयत्न करके, गांव तथा खेतों के आसपास तलाब बनकर पानी को संरक्षित  करके, देशवा गांव में लगभग 25 प्रतिशत क्षेत्रफल को जंगलों में परिवर्तित करके, आप जिसमें पशु भी शामिल हो की जरूरत के हिसाब से फसलों का नियोजन करके फसलों को बोकर, परंपरागत, देसी बीजों , तथा हाइब्रिड बीज से कॉलेज सकते हुए  फसलों के बीजों का संरक्षण करके प्राकृतिक खेती को सुगमता एवं सरलता से किया जा सकता है।