Saturday, July 24, 2021

आईपीएमसे आगेकीकी खेती के विभिन्न विचारधाराओं का विकास

एकीकृत नासि जीव प्रबंधन की विवेचना करते समय हमने यह बताया था की एकीकृत नासिजीव प्रबंधन जीवन की विभिन्न तथा अधिकांश पहलुओं से जुड़ी हुई वनस्पति संरक्षण की विचारधारा है जिसमें सामुदायिक स्वास्थ्य ,पर्यावरण ,पारिस्थितिक तंत्र  जैव विविधता ,अर्थशास्त्र  प्रकृति तथा  उसके संसाधनों तथा विभिन्न सामाजिक मुद्दों को ध्यान में रखते हुए खेती की जाती है l प्रकृति में मौजूद वनस्पति उत्पादन एवं वनस्पति रक्षा की पद्धति को अध्ययन करते हुए खेती करना प्राकृतिक खेती कहलाता है l इस प्रकार प्राकृतिक खेती की विचारधारा मैं जमीन के ऊपर तथा नीचे पाए जाने वाले फसल पारिस्थितिक तंत्र को क्रियाशील रखते हुए तथा उस में पाए जाने वाले सभी जैविक तथा अजैविक कारकों को जिनका संबंध सीधे फसल उत्पादन तथा फसल रक्षा से होता है को संरक्षित करते हुए खेती की जाती है l उपरोक्त विचारों को तथा विचारधारा को ध्यान में रखकर तथा खेती में प्रयोग किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के रसायनों के दुष्परिणामों से बचने के लिए तथा खेती में रसायनों का उपयोग न्यूनतम अथवा बिल्कुल नहीं करने के लिए भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे आईपीएम कार्यक्रम के अंतर्गत चलाए जा रहे  प्रशिक्षण ,प्रदर्शन एवं जागरूकता जागृत करना आदि कार्यक्रमों से समाज में फैलाई जा रही जागरूकता  से देश के विभिन्न प्रगतिशील किसानों, बुद्धिजीवियों ,राजनीतिज्ञों तथा प्रशासनिक अधिकारियों, आदि के मन में यह विचार जागृत हुआ की खेती करने में रसायनों का उपयोग या तो बिल्कुल कम से कम किया जाए अथवा ना ही किया जाए तभी हमारा समाज रसायनों के दुष्परिणाम से बच सकता है तथा साथ-साथ पारिस्थितिक तंत्र प्रकृति ,जैव विविधता आदि का संरक्षण भी किया जा सकता है तथा खेती मैं होने वाले खर्चे को भी कम किया जा सकता है l उपरोक्त विचारधारा से सहमत होकर विभिन्न प्रकार के प्रगतिशील किसानों, बुद्धिजीवियों, राजनीतिज्ञों तथा प्रशासनिक  अधिकारियों के द्वारा खेती से संबंधित विभिन्न प्रकार की नई विचारधारा विकसित की गई l जैविक खेती, जीरो बजट पर आधारित प्राकृतिक खेती आदि खेती की विचारधाराएं उपरोक्त सिद्धांतों पर आधारित है l
  उपरोक्त दोनों प्रकार की खेती करते समय कृषकों तथा बुद्धिजीवियों ने विभिन्न प्रकार के जैविक इनपुट विकसित व तरीके विकसित किए जिनका उपयोग कृषकों के द्वारा फसलों के उत्पादन हेतु किया जाता है तथा वांछित परिणाम प्राप्त किए जाते हैं l हमारे विचार से इन तरीकों तथा Inputs को किसीAuthorise  एजेंसी के द्वाराvalidate कराने के बाद एक कार्यशाला आयोजित करके इनकी इनकी संस्तुति आधिकारिक तौर पर अवश्य करा लेनी चाहिए इसके बाद इनका प्रयोग करना चाहिए l

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